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Thursday, September 4, 2025

किशनपुर बिराल (बागपत) में 90 वर्षीय बुज़ुर्गा बीबी जुबैदा का इंतकाल, पूरे इलाके में ग़म का माहौल

बागपत (उत्तर प्रदेश)।

निहायत ही अफसोस और बेहद गमगीन माहौल में यह इत्तला दी जाती है कि मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी की बुज़ुर्गा बीबी मरहूमा जुबैदा बी, अहलिया मरहूम जनाब अय्यूब फैरमैन साहब गंगेरू वाले (गांव किशनपुर बिराल) का इंतकाल हो गया। मरहूमा की उम्र तक़रीबन 90 साल थी। वह बीती रात, 5 सितम्बर 2025, जुमे की सुबह लगभग 3 बजे इस फानी दुनिया को छोड़कर अपने ख़ालिक-ए-हक़ीक़ी से जा मिलीं।

अल्लाह की ऐसी ही मर्ज़ी थी।
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैही राजिऊन।

परिवार और अज़ीज़ो-अकारिब

मरहूमा पहले अपने बेटे मुहम्मद अली (अली) और शौहर जनाब अय्यूब साहब के इंतकाल का सदमा झेल चुकी थीं। आज उनके निधन से पूरा कुनबा और बिरादरी शदीद ग़म में है। मरहूमा अपने पीछे दो बेटे जमील और महमूद, बहुएं, पोते-पोतियां और रिश्तेदारों का बड़ा परिवार छोड़कर इस दुनिया से रुख़्सत कर गई हैं।

जनाज़े और दफीन की तफ़सील

मिली जानकारी के मुताबिक मरहूमा का जनाज़ा आज जुमे की नमाज़ के बाद किशनपुर बिराल गांव स्थित कब्रिस्तान में उठाया जाएगा। नमाज़-ए-जनाज़ा फ़र्ज़-ए-किफ़ाया है, जो चार तकबीरों के साथ इमाम के पीछे अदा की जाएगी। नमाज़ के बाद ही मय्यत को सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

हम सब मिलकर अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह मरहूमा जुबैदा बी की मग़फिरत फरमाए और उन्हें जन्नतुल फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए।
आमीन सुम्मा आमीन।

जनाज़े में अदब और एहतियात

जनाज़े के मौके पर अदब और तहज़ीब का ख्याल रखना हर शख्स की जिम्मेदारी है। इस मौके पर ग़ैर-ज़रूरी बातें करना, हंसना-मज़ाक करना, धूम्रपान या गुटखा-तम्बाकू का इस्तेमाल करना, मोबाइल पर लंबी बातें करना या लापरवाही बरतना, सब ग़लत अमल हैं। बेहतर यही है कि खामोश रहें या कलमा-ए-तय्यिबा का ورد करते रहें।
साथ ही, मय्यत वाले घर में खाना खाना भी मुनासिब अमल नहीं है।

“मुल्तानी समाज” की अपील

अक्सर यह देखने में आता है कि इंतकाल की खबर बिरादरी तक अधूरी या देर से पहुंचती है, जिससे लोग जनाज़े तक नहीं पहुंच पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादरान-ए-इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि इंतकाल की खबर भेजते समय इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

  1. मरहूम/मरहूमा का नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
  2. पूरा पता और असल आबाई गांव।
  3. दफीने का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
  4. घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
  5. मरहूम का हालिया फोटो (अगर मुनासिब हो)।
  6. इंतकाल की वजह (यदि बताना उचित समझें)।
  7. बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे औलाद, भाई-बहन आदि।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी को सही और बरवक़्त जानकारी मिलती है।


खास रिपोर्ट:
अलीहसन मुल्तानी
ज़िला बागपत, उत्तर प्रदेश
“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📞 8010884848
🌐 www.multanisamaj | www.msctindia.com
✉️ multanisamaj@gmail.com


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