लेखक: ज़मीर आलम मुल्तानी
राष्ट्रीय समाचार पत्रिका: मुल्तानी समाज
शामली की सरज़मीन ने आज एक ऐसे शख़्स को खो दिया, जिसकी सादगी, मेहनत और इंसानियत की मिसाल हर ज़ुबान पर रही।
मोहल्ला नानूपुरा, निकट राम रहीम बारात घर, शामली के बाशिंदे जनाब मिस्त्री हमीद साहब (कोहिनूर वालों) का इंतकाल 8 सितम्बर 2025 को सुबह साढ़े 9 बजे पानीपत (हरियाणा) के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में हुआ। इनकी उम्र तक़रीबन 85 बरस थी।
"असर की नमाज़ के बाद उन्हें चाहने वालों की आँसुओं भरी मौजूदगी में बाद मोहल्ला गुलशन नगर, ओल्ड टायर मार्किट स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा। आप तमाम अज़ीज़, अहबाब और बिरादराना हज़रात से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत कर सवाबे दारेन हासिल करें।
सादगी और मेहनतकशी की मिसाल
जनाब हमीद साहब का नाम शामली ही नहीं बल्कि आसपास के इलाक़ों में कोहिनूर वालों के नाम से मशहूर था। वह कार, बाइक और मोपेड की वर्कशॉप के मालिक थे। लेकिन उनकी सादगी देखिए कि खुद का कारोबार मोटर गाड़ियों से जुड़ा होने के बावजूद उन्होंने जिंदगी का सफ़र ज़्यादातर साइकिल से ही तय किया।
👉 दुकान से घर, घर से शहर और शहर भर के जरूरी काम… सबका सफ़र उन्होंने आख़िरी उम्र तक भी साइकिल से ही पूरा किया।
यही सादगी और किफ़ायत उनकी शख्सियत का सबसे बड़ा नगीना थी।
पीछे छोड़ गए रोता-बिलखता कुनबा
मरहूम अपने पीछे भाई जनाब शब्बीर साहब, हनीफ़ साहब, तीन बहनें, चार बेटे—जनाब इरशाद साहब, गुलज़ार साहब, दिलशाद साहब, गुलफाम साहब—और चार बेटियां—दिलशाना, शायना, सईदा, रईसा—सहित दर्जनों पौत्र-पौत्रियों और नाती-नातिनों का भरा पूरा कुनबा छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से रुख़्सत कर गए।
दुआ-ए-मग़फ़िरत
पूरे शहर में ग़म और अफ़सोस का माहौल है। हर जुबान पर यही दुआ है—
"अल्लाह तआला मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमाए, उनकी कब्र को जन्नत का बाग बनाए और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन।"
📌 नोट: मय्यत के बारे में और मालूमात के लिए मरहूम के फ़र्ज़ंद जनाब गुलज़ार साहब से मोबाइल नंबर 9927142441 पर राब्ता किया जा सकता है।
✍️ रिपोर्टर: ज़मीर आलम मुल्तानी
📍 शामली, उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीय समाचार पत्रिका – "मुल्तानी समाज"
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एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें
अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुंचती है या अधूरी जानकारी होने की वजह से लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:
1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।
👉 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने से आसानी होगी।
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