Thursday, August 7, 2025

📜 सरधना से दुखद ख़बर — मोहम्मद जाहिद साहब की अहलिया का इंतकाल

निहायत ही अफसोस और रंज के साथ मुल्तानी समाज राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के तमाम पाठकों और बिरादराना हज़रात को यह इत्तला दी जाती है कि आज दिन जुमा, 8 अगस्त 2025 को एक बेहद गमगीन हादसा पेश आया है।

मोहल्ला नवाबान, क़स्बा सरधना, ज़िला मेरठ (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले मोहम्मद जाहिद उर्फ़ (गुड्डा) साहब — वल्दियत डॉक्टर अब्दुल क़य्यूम साहब खेड़ा वाले — की अहलिया का इंतकाल हो गया है। इस दर्दनाक ख़बर से पूरा इलाक़ा और बिरादरी सदमे में है।

मृतका का जीवन सादगी, शफ़क़त और मिलनसार मिज़ाज की मिसाल था। मोहम्मद जाहिद साहब और उनके ख़ानदान के लिए यह बहुत बड़ा सदमा है, जिस पर हर दिल ग़मगीन है।

तदफ़ीन का वक़्त खबर लिखे जाने तक तय नहीं हो पाया है। जैसे ही जिम्मेदारान की तरफ़ से जानकारी दी जाएगी, मुल्तानी समाज के ज़रिए यह ख़बर अपडेट कर दी जाएगी, ताकि बिरादरी तक सही वक़्त और जगह की जानकारी पहुंच सके।

नोट 🚫: इस मय्यत की फैमिली की पूरी डिटेल अगर किसी साहिब के पास हो, तो कृपया मुल्तानी समाज राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के व्हाट्सएप नंबर 8010884848 पर कॉल/मैसेज करके इत्तला दें, ताकि सही जानकारी बिरादरी तक पहुँचाई जा सके।

हम अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से दुआ करते हैं कि मरहूमा की मग़फ़िरत फ़रमाए, उनकी क़ब्र को जन्नत का बाग़ बनाए और उनके घरवालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए। आमीन

📞 संपर्क: 8010884848
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Tuesday, August 5, 2025

🕊️ इत्तिला-ए-इंतिक़ाल : बिरादरी के दो अफराद का आज इंतेक़ाल, दिलों को झकझोर देने वाली दुखद खबर 🕊️

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन

बड़े ही अदब और गमगीन दिल के साथ यह इत्तिला तमाम मुल्तानी बिरादराने हाज़रात तक पहुंचाई जा रही है कि आज दिन बुध, तारीख़ 6 अगस्त 2025 को हमारी बिरादरी को दो बहुत बड़े सदमे झेलने पड़े हैं।


🕯️ पहली खबर - मुजफ्फरनगर से

आज डॉक्टर इनाम साहब वल्द हाजी इस्लाम साहब (बड़ौत वाले), हाल निवासी मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश, की मोहतरमा अहलिया का दुखद इंतिक़ाल हो गया है।

उनकी नमाज़-ए-जनाज़ा आज शामली रोड ईदगाह कब्रिस्तान, मुज़फ्फरनगर में अदा की जाएगी।
📿 नमाज़-ए-जनाज़ा का वक़्त जोहर के बाद रखा गया है, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा सही वक्त की तस्दीक अभी बाकी है।
तमाम अहबाब और बिरादराने हज़रत से गुज़ारिश है कि ज़रूर शिरकत करें और सवाबे दारेन हासिल करें।


🕯️ दूसरी खबर - सहारनपुर से

बेइंतहा अफ़सोस और दिली तकलीफ़ के साथ सूचित किया जाता है कि आज हाजी इकराम साहब, जो जनाब साजिद हनफी (सलीरी वालों) के वालिदे मोहतरम थे, का इंतिक़ाल हो गया।
वो कुछ अरसे से बरांडा में ज़ेरे इलाज थे।

🕌 नमाज़-ए-जनाज़ा : आज जोहर 1:30 बजे, हाफिज याद मोहम्मद वाली मस्जिद में अदा की जाएगी।
⚰️ तदफीन : गोट्टे शाह कब्रिस्तान, सहारनपुर में की जाएगी।


📢 "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की अपील

हमारी समाचार पत्रिका - जो कि भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पंजीकृत है, और दिल्ली से प्रकाशित होकर संपूर्ण भारत में प्रसारित होती है - का उद्देश्य बिरादरी की हर अहम खबर को आप तक तस्दीक़ और तहज़ीब के साथ पहुंचाना है।

इसीलिए आपसे गुज़ारिश है कि अपनी बिरादरी की हर खुशी और ग़मी की खबरें हमें हमारे ऑफिसियल नंबर 📱8010884848 पर ज़रूर भेजें, ताकि हम उसे आप सबके सामने सही और मुकम्मल अंदाज़ में पेश कर सकें।
इस नंबर को अपने पास संभालकर जरूर रखें, ताकि वक्त-ए-ज़रूरत हमसे त्वरित संपर्क किया जा सके।


🚨 एक अहम अलर्ट - बरसात के मद्देनजर ऐहतियात बरतें

तमाम आम-ओ-खास को मुतअल्लिक किया जाता है कि इस वक्त बरसात का मौसम चल रहा है, और कई इलाकों में पानी भराव व ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है।
🚫 कृपया घर से वक़्त से पहले निकलें,
🛵 दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट ज़रूर पहनें,
⚠️ रफ़्तार पर काबू रखें और अपनी व दूसरों की जान की हिफ़ाज़त करें।


🤲 दुआ-ए-मगफिरत

अल्लाह रब्बुल इज्ज़त से दुआ है कि वो दोनों मरहूमों की मगफिरत फरमाए, उनकी क़ब्रों को रौशन और जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए।
घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन, सुम्मा आमीन।


✒️ "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
आपके जज़्बातों की आवाज़, आपकी बिरादरी का आईना
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🕊️ ग़मी में शरीक हों, दुआओं में याद रखें।

"ग़फ़लत भारी पड़ सकती है: जन्म प्रमाण- पत्र की अहमियत और आपकी ज़िम्मेदारी"

✍️ लेखक: ज़मीर आलम

प्रधान संपादक, 'मुल्तानी समाज' राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

"इल्म और दस्तावेज़, दोनों आपकी ताक़त हैं। ना कल झुके रहो, ना आज ग़ाफ़िल बनो।"

आज के दौर में काग़ज़ की अहमियत इतनी बढ़ चुकी है कि आपकी पहचान, आपकी मौजूदगी और आपके अधिकार – सभी इन्हीं काग़ज़ात से तय होते हैं।
उनमें सबसे बुनियादी, लेकिन सबसे ज़्यादा नज़र अंदाज़ किया जाने वाला दस्तावेज़ है – जन्म प्रमाण- पत्र (Birth Certificate)

🌐 जन्म प्रमाण- पत्र: आपकी ज़िन्दगी की पहली पहचान

अगर आपकी फैमिली में दादा-दादी, अब्बा-अम्मी या खुद आपके पास जन्म प्रमाण- पत्र नहीं है, तो समझ लीजिए कि आप एक बड़ी ग़लती को टाल रहे हैं जो भविष्य में बहुत भारी पड़ सकती है।

स्कूल एडमिशन

पासपोर्ट बनवाना

सरकारी योजनाओं का लाभ

वीज़ा अप्लाई करना

पेंशन और बीमा

यहाँ तक कि मृत्यु के बाद की पहचान और रिकॉर्ड

इन तमाम ज़रूरतों में सबसे पहले मांगा जाने वाला दस्तावेज़ है – जन्म प्रमाण- पत्र।

लेकिन अफ़सोस, आज भी हमारे समाज में कई लोग इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और बाद में इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है।

❌ गलतफहमियाँ जो आम हैं, लेकिन ख़तरनाक हैं

हमारे कई भाई-बहन आज भी यह मानते हैं कि:

स्कूल छोड़ने की स्लिप

आधार कार्ड

पासपोर्ट

पैन कार्ड

जन्म प्रमाण- पत्र

जबकि यह पूरी तरह ग़लत है। भारत सरकार ने साफ़ निर्देश दे दिए हैं कि इनमें से कोई भी काग़ज़ , जन्म प्रमाण- पत्र का विकल्प नहीं हो सकता।

📜 नया क़ानून: Birth and Death Registration Act, 2023

भारत सरकार ने 1 अक्टूबर 2023 से एक नया क़ानून लागू किया है:
"जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 2023"।

इस क़ानून के तहत:

अब हर व्यक्ति का जन्म प्रमाण -पत्र अनिवार्य होगा

हर सरकारी रिकार्ड में इसका उल्लेख ज़रूरी होगा

बिना इसके कोई नाम, उम्र या नागरिकता का दावा मान्य नहीं होगा

👉 और सबसे अहम बात: सरकार ने आख़िरी तारीख़ 27 अप्रैल 2026 तय की है।
इसके बाद रजिस्ट्रेशन करवाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।

📂 क्या चाहिए जन्म प्रमाण- पत्र के लिए?

आपको ज़रूरत होगी सिर्फ़ दो चीज़ों की:

1. स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र

2. आधार / पैन / कोई अन्य पहचान या शैक्षणिक प्रमाण- पत्र

इन दस्तावेज़ों के साथ अपने क्षेत्र के जन्म-मृत्यु पंजीकरण कार्यालय जाएं और रजिस्ट्रेशन कराएं। प्रक्रिया सरल है, बस ज़िम्मेदारी आप उठाएं।

❓ अगर कोई स्कूल ही नहीं गया हो, तो?

कोई बात नहीं, इसके लिए भी रास्ता है:

किसी वकील से हलफनामा (Affidavit) तैयार कराएं, जिसमें व्यक्ति की जन्म तारीख़, स्थान, माता-पिता का नाम आदि दर्ज हो।

दो गवाहों की पहचान और सहमति लगाएं।

इन दस्तावेज़ों के साथ जन्म-मृत्यु पंजीकरण कार्यालय जाएं।

👉 अगर अधिकारी मना करें, तो सिविल कोर्ट में अर्जी देकर आदेश लें।
कोर्ट का आदेश मिलने के बाद नगर निगम/ग्राम पंचायत को जन्म प्रमाण- पत्र देना ही होगा।

ध्यान रखें, यह प्रक्रिया समय ज़रूर लेती है लेकिन यह बिल्कुल संभव और वैध है।

🛑 अब टालना नहीं – जागरूक बनें और दूसरों को जगाएं

समय निकलता जा रहा है। आज अगर आपने यह क़दम नहीं उठाया, तो कल आपके बच्चे, परिवार और खुद आप कई अधिकारों से वंचित रह सकते हैं।

✅ अपने परिवार के हर सदस्य के दस्तावेज़ जांचें
✅ जिनके पास जन्म प्रमाण- पत्र नहीं है, उनके लिए आज ही प्रक्रिया शुरू करें
✅ दूसरों को भी इस ज़रूरी जानकारी से अवगत कराएं

🔚 नतीजा साफ़ है:

"अगर आज ग़ाफ़िल रहे तो कल झुकना पड़ेगा।
लेकिन अगर आज दस्तावेज़ बनवा लिए, तो कल कोई झुका नहीं सकता।"

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✒️ "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की ओर से यह संदेश हर घर तक पहुँचाइए।
इल्म और दस्तावेज़ – यही हैं आपकी असली पहचान।

📜 निकाहे मुबारक की इत्तिला🌹 इत्तिला तारीख-ए-निकाह 🌹

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ

السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ

बहुत ही खुशी और एहसासे-शुक्र के साथ यह तहरीर की जाती है कि अल्लाह तआला के फज़ल-ओ-करम, हज़रत रसूल-ए-पाक ﷺ की उम्मत और पीरों-मुर्शिदों की दुआओं के तुफैल से लजवान खानदान की दो नेक और पाक-दामन बेटियों के निकाह की तारीख मुक़र्रर हुई है।


💍 शादी की तफ़सीलात 💍

🌷 निकाह #1 🌷
नेका दुख्तर: आरिफा नूर
(पुत्री - मरहूम मोहम्मद फारूक लजवान, भीलवाड़ा)

हमराह: मोहम्मद औजेर
(पुत्र - मोहम्मद आरिफ साहब मक्कड़ समिति वाले, उदयपुर)

🌷 निकाह #2 🌷
नेका दुख्तर: फिज़ा नूर
(पुत्री - मरहूम मोहम्मद फारूक लजवान, भीलवाड़ा)

हमराह: मोहम्मद सुहैल
(पुत्र - मोहम्मद इदरीस मोटियार, कोटड़ी वाले, भीलवाड़ा)


🕌 मुनक्कद प्रोग्राम इंशा अल्लाह:

📆 तारीख़: 12 अक्टूबर 2025
🗓 इस्लामी तारीख़: 19 रबीउल आखिर 1447 हिजरी
🕓 वक्त: नमाज़-ए-असर के बाद
📍 मुक़ाम: कम्युनिटी हॉल, पॉलिटेक्नीक कॉलेज के सामने, भीलवाड़ा, राजस्थान


🧕 अद्दाईयान-ए-मोअज्ज़ज़ीन 🧔

हाजी अब्दुल सलाम,
अब्दुल वहाब,
अब्दुल जब्बार,
हाजी अब्दुल गफ्फार,
हाजी अब्दुल सत्तार,
हाजी मोहम्मद फारूक,
अब्दुल गनी,
अब्दुल वहीद,
फकरुद्दीन,
अब्दुल वाहिद,
मरहूम मोहम्मद फारूक,
अब्दुल गफ्फार,
अब्दुल सईद,
अब्दुल मजीद,
हाजी मोहम्मद रफीक,
हाजी अब्दुल सलाम लजवान


🤝 अल-मुकल्लफीन

अब्दुल अज़ीज़,
मोहम्मद आरिफ,
मोहम्मद रफीक,
अब्दुल सत्तार,
मोहम्मद इमरान,
हाजी मोहम्मद आसिफ,
मोहम्मद इरफान,
मोहम्मद मुस्तफा,
अब्दुल समद,
साजिद हुसैन,
शाहिद नूर,
मोहम्मद अली,
मोहम्मद रज़ा,
मोहम्मद फारूक,
मोहम्मद हुसैन,
मोहम्मद सूफियान
(अहले लजवान खानदान)


👀 चश्म-ए-बराह:

अली हसन,
अब्दुल मुत्लिब


🧒 नन्ही इल्तिज़ा:

"हमारी खाला की शादी में ज़रूर आना!"
— मोहम्मद शैबान, तंजीम फातिमा, उम्मे हानी


🏡 रब्त और पता:

मरहूम मोहम्मद फारूक लजवान
इंडिया होटल के पास, मोहम्मदी कॉलोनी, शास्त्री नगर, भीलवाड़ा, राजस्थान

📞 अब्दुल गनी लजवान: 9928777786
📞 हाजी मोहम्मद रफीक लजवान: 9887057045


✒️ रिपोर्ट:

अब्दुल गनी लजवान
(भीलवाड़ा, राजस्थान से)
मुल्तानी समाज राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📞 8010884848
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🤲 ख़ुलूस से एक दुआ:

"ऐ अल्लाह! इस पाक रिश्ते को अपने हबीब ﷺ के सदके सलामत, मग़फिरत और खुशहाली वाला बना दे। मोहब्बतों, रहमतों और रहनुमाई से भर दे। आमीन या रब्बुल आलमीन!"


🌹 अननिकाह मिन सुन्नति 🌹मोहब्बत, अदब और एहतराम का एक पाक मुनक्कद रिश्ता

بسم اللّٰہ الرحمٰن الرحیم

मैं तलब से बाज़ ना आऊँगा तू करम का हाथ बड़ाए जा ﷺ

अल्हمدुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन, वस्सलातो वस्सलामो अला सैय्यिदिना मुहम्मद व आलेहि व अस्हाबिहि अजमईन

🌙 निकाह सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि सुन्नत-ए-रसूले अकरम ﷺ है — जो दो दिलों को नहीं, दो खानदानों को भी जोड़ता है।


✨ एक पाकीज़ा और मुबारक खबर ✨

मुल्तानी बिरादरी में एक ख़ुशगवार व मुबारक मोड़ आया है, जब दो नेक-नाम और इज़्ज़तदार खानदान एक पाक रिश्ते में बंधने जा रहे हैं।

💍 निकाहे मुबारक की तफ़सीलें 💍

हमारे चाचा मरहूम हाँजी अब्दुल गनी साहब (डडयाल टाँकी वाले) के साहबजादे जनाब मोहम्मद फारूक साहब के फरज़ंद जनाब मोहम्मद गुलरेज साहब का अक़्दे-मस्नून, जनाब हाँजी मुस्तुफा साहब होटल वाले के साहबजादे मोहम्मद अली की साहबजादी के साथ, तमाम बड़ों और बुज़ुर्गों की सरपरस्ती में:

📅 दिन: इतवार
🗓 तारीख: 3 अगस्त 2025
📍 मौक़ा: मुल्तानी इज्तेमाई निकाह

में बेहद पाकीज़गी और इज्ज़त के साथ मुक़र्रर हुआ।


🌷 आगे की रस्में 🌷

इंशा अल्लाह,
5 अक्टूबर 2025, इतवार के दिन, मुल्तानी बिरादरी के बुज़ुर्ग पंचों की मौजूदगी में रिवायती तारीख़ व हामिल भराई की रस्म अदा की जाएगी — जो हमारी तहज़ीब और वफादारी की शानदार मिसाल होगी।


🕌 दुआ की गुज़ारिश 🕌

दुआ है कि अल्लाह तआला इस निकाह को सादगी, मोहब्बत और बरकतों से भर दे, और इस रिश्ते को दोनों जहानों में कामयाबी और खुशहाली अता फरमाए।
आमीन यारब्बुल आलमीन 🤲


👪 शिरकत फरमाने वाले मुख़्तराम नाम 👪

अद्दाईन:

अब्दुल, वाहिद,
हाजी आबिद हुसैन,
हाजी हाफिज अब्दुल लतीफ,
हाजी मुबारिक हुसैन,
अब्दुल मननान, मोहम्मद फारूक वग़ैरा।

अल-मुकल्लफीन:

हाजी मोहम्मद यूसुफ,
अनिस अहमद,
मेहमूद हसन,
अब्दुल रसीद,
सोएब नूर,
ज़ुबैर, उमेर, इमरान, ज़ैद अकरम, बिलाल, इरफ़ान व दीगर अज़ीज़ान।

नूरे नजर और अज़ीज़ मेहमान:

गुलहसन (गुल्लु इंजीनियर),
मो. इक़बाल (अहमदाबाद वाले),
हाजी मूसा ख़ान, नूर हसन,
मो. खालिक,
हाफिज मो. अस्फाक,
हाफिज मो. नासिर,
जुल्फिकार,
हाफिज आलिम,
हाजी मो. रफीक,
मो. शरीफ, मो. सलमान, ज़ाहिद हुसैन, मो. फरहान, समीर, फैज़ान, फुरकान, मुसर्रफ वग़ैरा।


🏡 अहले गुलशन — टाँकी वाला खानदान 🏡

पता:
मो. फारूक टाँकी वाला
मुल्तानी गुल आशियाना,
46F ग्रीनपार्क कॉलोनी, इंदौर
📞 मोबाइल: 9300525252


✒️ रिपोर्ट:
अब्दुल कादिर मुल्तानी
प्रदेश प्रभारी – मुल्तानी समाज न्यूज
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🌹 रिवायतों में बसी मोहब्बत 🌹

निकाह एक पाक रिश्ते का नाम है, जो अदब, तमीज़, वफादारी और इल्म के साथ एक नई ज़िंदगी की शुरुआत का नाम भी है।
मुल्तानी समाज इस सुन्नत की अदायगी लबेशुमार मुबारकबाद पेश करता हूँ। 

Monday, August 4, 2025

इत्तिला-ए-इंतिक़ाल: जनाब लतीफ़ साहब के इंतिक़ाल पर मुल्तानी बिरादरी शदीद रंज व ग़म में डूबी

स्थान: गांव निम्बरी, सनौली रोड, पानीपत, हरियाणा

📆 तारीख़: 5 अगस्त 2025, दिन मंगलवार
🕙 जनाज़े की नमाज़: सुबह 10 बजे

इंसानी ज़िंदगी की हक़ीक़त यही है कि हर आने वाला एक दिन रुख़्सत होता है, लेकिन कुछ शख़्सियतें ऐसी होती हैं जिनकी रुख़्सती बिरादरी भर को मायूस कर जाती है।

निहायत अफ़सोस और ग़म के साथ यह इत्तिला दी जाती है कि मुल्तानी बिरादरी के मुख़लिस, शरीफ़ और मिलनसार अफ़राद में शुमार किए जाने वाले जनाब लतीफ़ वल्द जनाब मोहम्मद सादिक साहब का बीती रात इंतेक़ाल हो गया। उनकी उम्र तक़रीबन 58 बरस थी।

मरहूम का सुकूनतगाह गांव निम्बरी, सनौली रोड, जिला पानीपत (हरियाणा) रहा है। उनकी नमाज़े जनाज़ा आज मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजे अदा की जाएगी। तमाम अज़ीज़ों, अहबाबों और बिरादराने हज़रत से इल्तिजा है कि आप इस इज्तिमा-ए-जनाज़ा में शिरकत फरमाएं और सवाबे दारेन हासिल करें।


तस्ली से भरी यह दुआ है कि:
"अल्लाह तआला मरहूम को अपनी बेपनाह रहमतों से नवाज़े, उनके दर्जात बुलंद फरमाए और लवाहिक़ीन को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।"


रब्त के लिए:
अगर आप मरहूम के बारे में ज्यादा मालूमात चाहते हैं तो आप जनाब इरशाद अहमद मुल्तानी साहब से इस नंबर पर राब्ता कर सकते हैं:
📞 8053991786

भतीजा मोहम्मद नसीम

📞 9896603076



मुल्तानी समाज का पैग़ाम:
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित तथा संपूर्ण भारत में प्रसारित राष्ट्रीय समाचार पत्रिका "मुल्तानी समाज" बिरादरी की हर ख़ुशी और ग़मी की खबरें सबसे पहले आप तक पहुंचाने का वसीला है।

हमारा आपसे सिर्फ़ एक छोटा-सा तआवुन (सहयोग) दरकार है – जब भी कोई मय्यत या बिरादरी की कोई खबर आप तक पहुंचे, उसे ज्यादा से ज्यादा अपने व्हाट्सएप ग्रुप्स में शेयर करें। ताकि हर कोने से बिरादरी के अफराद इन अवसरों में शामिल हो सकें।

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ख़िदमत में:
ज़मीर आलम
प्रधान संपादक
“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📍 निम्बरी, पानीपत, हरियाणा
#multanisamaj
📞 8010884848


इंसानी ज़िंदगी फ़ानी है और हर ज़िंदा को एक न एक दिन अपने रब के पास लौटना है। इसी हकीकत के साथ दिल बोझिल और आँखें नम हैं कि हरियाणा के ज़िला पानीपत के गांव निम्बरी में महज़ 10 दिनों के भीतर दूसरी मर्तबा मौत की खबर ने पूरे गांव और बिरादरी को ग़म में डुबो दिया है।


पहले 26 जुलाई 2025 को जनाब मोहम्मद शाक़िल साहब का इंतिक़ाल हुआ था और अब आज, 4 अगस्त 2025 को उनके रिश्तेदार और गांव निम्बरी के रहने वाले जनाब अब्दुल लतीफ़ साहब (उम्र लगभग 58 वर्ष) इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह गए।


मरहूम मामूदीन खोज की पुलिया निम्बरी के पोते, सलीमुद्दीन हेवा समालखा के नवासे और मोहम्मद सादिक साहब के चौथे बेटे थे। उनका ताल्लुक चौधरी इक़बाल सनौली, पानीपत से भी चचेरा भाई होने के नाते जुड़ता है।


अब्दुल लतीफ़ साहब, मुलाजमत के साथ-साथ एक नेकदिल, शरीफ़, मिलनसार और बिरादरी से मोहब्बत रखने वाले इंसान थे। उनका निकाह हबीब नांगलिया सरन रोड, सोनीपत के घराने में हुआ था, और वे वहीं के दामाद थे।


अल्लाह ने उन्हें दो बेटे और एक बेटी से नवाज़ा, जो सभी शादीशुदा हैं और खुद अपने-अपने परिवारों के साथ जिंदगी बसर कर रहे हैं।


अब्दुल लतीफ़ साहब के परिवार में अब उनके बड़े भाई जनाब अब्दुल मजीद साहब ही रह गए हैं, जबकि उनके दो भाई और तीन बहनें थीं। भाई के जाने का यह सदमा अब्दुल मजीद साहब के लिए बेहद भारी है।


दुआ की दरख्वास्त:

हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वो मरहूम को अपनी बेपनाह रहमतों से नवाज़े, जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और तमाम पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता करे।

आमीन या रब्बल आलमीन


इंसानी ज़िंदगी फ़ानी है और हर ज़िंदा को एक न एक दिन अपने रब के पास लौटना है। इसी हकीकत के साथ दिल बोझिल और आँखें नम हैं कि हरियाणा के ज़िला पानीपत के गांव निम्बरी में महज़ 10 दिनों के भीतर दूसरी मर्तबा मौत की खबर ने पूरे गांव और बिरादरी को ग़म में डुबो दिया है।

पहले 26 जुलाई 2025 को जनाब मोहम्मद शाक़िल साहब का इंतिक़ाल हुआ था और अब आज, 4 अगस्त 2025 को उनके रिश्तेदार और गांव निम्बरी के रहने वाले जनाब अब्दुल लतीफ़ साहब (उम्र लगभग 58 वर्ष) इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह गए।

मरहूम मामूदीन खोज की पुलिया निम्बरी के पोते, सलीमुद्दीन हेवा समालखा के नवासे और मोहम्मद सादिक साहब के चौथे बेटे थे। उनका ताल्लुक चौधरी इक़बाल सनौली, पानीपत से भी चचेरा भाई होने के नाते जुड़ता है।

अब्दुल लतीफ़ साहब, मुलाजमत के साथ-साथ एक नेकदिल, शरीफ़, मिलनसार और बिरादरी से मोहब्बत रखने वाले इंसान थे। उनका निकाह हबीब नांगलिया सरन रोड, सोनीपत के घराने में हुआ था, और वे वहीं के दामाद थे।

अल्लाह ने उन्हें दो बेटे और एक बेटी से नवाज़ा, जो सभी शादीशुदा हैं और खुद अपने-अपने परिवारों के साथ जिंदगी बसर कर रहे हैं।

अब्दुल लतीफ़ साहब के परिवार में अब उनके बड़े भाई जनाब अब्दुल मजीद साहब ही रह गए हैं, जबकि उनके दो भाई और तीन बहनें थीं। भाई के जाने का यह सदमा अब्दुल मजीद साहब के लिए बेहद भारी है।

दुआ की दरख्वास्त:
हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वो मरहूम को अपनी बेपनाह रहमतों से नवाज़े, जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और तमाम पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता करे।
आमीन या रब्बल आलमीन

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन
"हम सब अल्लाह के हैं और उसी की तरफ लौटकर जाना है।"



एक दर्दनाक रुख़सती — अब्दुल कय्यूम साहब का इंतिकाल मुल्तानी समाज की एक रोशन शमां हमेशा के लिए बुझ गई

बड़ौत, उत्तर प्रदेश | 04 अगस्त 2025 (सोमवार, शाम 4 बजे)

आज का दिन मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी के लिए एक गमगीन खबर लेकर आया है। उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के बड़ौत कस्बे से यह अफसोसनाक इत्तिला मिली है कि जनाब अब्दुल कय्यूम वल्द जनाब मिस्त्री अलीमुद्दीन साहब, निवासी दोघट, हाल मुक़ीम इदारा मदरसे के पीछे, बड़ौत, का 68 वर्ष की उम्र में आज इंतेक़ाल हो गया।

मरहूम काफी अरसे से बीमारी में मुब्तिला थे, मगर जिस ख़ामोशी और सब्र से उन्होंने बीमारी को बर्दाश्त किया, वह बिरादरी के लिए एक सबक है। उनका इंतिकाल एक ऐसा नुकसान है जिसे भरना आसान नहीं।


🌿 साया जो उठ गया — यादें जो रह गईं

अब्दुल कय्यूम साहब अपने पीछे एक भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं:

  • अहलिया
  • तीन बेटे: जनाब शाहनवाज साहब, जनाब शौकत साहब, जनाब दानिश साहब
  • दो बेटियाँ: शमा बी और असमा बी
  • इसके अलावा पूरा खानदान, अजीज़-अक़रिबा, और बिरादरी के लोग ग़म में डूबे हुए हैं।

मरहूम एक नेकदिल, मिलनसार और समाज के दुख-सुख में शरीक रहने वाले शख़्स थे। उनकी शख्सियत में एक अजीब सी मोहब्बत और संजीदगी थी, जो हर मिलने वाले को अपना बना लेती थी।


🕯️ जनाज़ा और दफ़न की तफसील

मरहूम को आज ही नमाज़-ए-ईशा के बाद, बड़का रोड, कस्बा बड़ौत में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा। तमाम अजीज, रिश्तेदार, और बिरादरी के अफराद से दरख्वास्त है कि जनाज़े में शिरकत करके सवाबे दारेन हासिल करें।


📞 रब्त के लिए:

जनाज़े और मय्यत से मुताल्लिक तफ्सीलात जानने के लिए:
जनाब अलीहसन मुल्तानी साहब — 9565158666


✍️ "मुल्तानी समाज" की पुकार

दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय समाचार पत्रिका "मुल्तानी समाज" बिरादरी की हर खुशी और ग़मी को आप तक पहुंचाने का सच्चा फर्ज़ निभा रही है। हम सबका यह नैतिक दायित्व है कि हम एक-दूसरे के सुख-दुख में शरीक हों।

इसलिए आप तमाम बिरादरी से इल्तिज़ा है कि इस खबर को ज्यादा से ज्यादा मोबाइल नंबरों और व्हाट्सएप ग्रुप्स में शेयर करें।

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"एक जाता है तो सौ यादें छोड़ जाता है…"

अब्दुल कय्यूम साहब की यादें हमेशा दिलों में रहेंगी। अल्लाह तआला मरहूम की मगफिरत फरमाए और जन्नतुल फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए। आमीन।


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