Monday, October 30, 2023

अब्दुल सत्तार नेता जी की बेटी की शादी में पहुंची बिरादरी की नामचीन हस्तियां

देवबंद ( सहारनपुर) उत्तर प्रदेश 30 अक्टूबर 2023 बरोज पीर जनाब अब्दुल सत्तार साहब नेता जी की बेटी की शादी में, एक मुलाकात...मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट ( रजि0 ) संस्था के राष्ट्रीय चेयरमैन जनाब मो0 आलम साहब से और कुछ बिरादरी की नामचीन हस्तियां साथ में ‌जिनमें जनाब अब्दुल खालिक साहब, मिर्जा हसीमुददीन साहब, हाजी फुरकान बेग, अबरार मिर्जा साहब, और आरिफ साहब।
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Sunday, October 29, 2023

!! एक बाल्टी दूध !!

एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई। आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा! तुम्हारी राजधानी के बीचों बीच जो पुराना सूखा कुंआ है, अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक-एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा। राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है।अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था। उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे, अगर मैं अकेली एक बाल्टी पानी डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा। इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे। कुछ भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुई थी। राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है। दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी। राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं।

दरअसल ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।

*शिक्षा:-*
दोस्तों, जैसा इस प्रसंग में हुआ वैसा ही हमारी बिरादरी में भी होता आ रहा है। जब भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे लोगों को मिल कर करना होता है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा और हमारी इसी सोच की वजह से बिरादरी की स्थितियां वैसी की वैसी बनी रहती हैं। अगर हम दूसरों की परवाह किये बिना अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने लग जायें तो पूरी बिरादरी के लोगों मैं ऐसा बदलाव लाया जा सकता हैं जिसकी आज हमें ज़रूरत है।

सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।

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Wednesday, October 25, 2023

डॉ जमील अहमद जमील आज सुबह इस दार-ए-फ़ानी से रुखसत हो कर हमेशा हमेशा के लिए मालिक ए हक़ीक़ी से जा मिले।

आह! डॉ जमील अहमद 
बेहद अफ़सोस!
 "इतिहास ये भी है"(तीन जिल्द और 1950 सफ़हात पर मुश्तमिल) और होम्योपैथी, एलोपैथी और यूनानी के तनाज़ुर में 700 सफ़हात पर मुश्तमिल किताब के मुसन्निफ़, राष्ट्रपति अवार्ड याफ़्ता शायर-ओ-अदीब और तारीख़दान,मिलनसार, महमान नवाज़, सिर्फ़ झुक कर ही नहीं बल्कि टूट कर मिलने वाले, मेरे अज़ीज़, मेरे करम फ़रमां डॉ जमील अहमद जमील आज सुबह इस दार-ए-फ़ानी से रुखसत हो कर हमेशा हमेशा के लिए मालिक ए हक़ीक़ी से जा मिले। 
अल्लाह मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमाये, दरजात बुलन्द करे, जन्नत में आला मक़ाम अता फ़रमाये और तमाम मुताल्लिक़ीन को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाये। आमीन
       ऐसा कहां से लाऊं के तुझ सा कहें जिसे

آہ! ڈاکٹر جمیل احمد
بے حد افسوس!
اتہاس یہ بھی ہے (تین جلدوں اور 1950 صفحات پر مشتمل) اور ہومیوپیتھی ایلوپیتھی اور یونانی کے تناظر میں سات  سو صفحات پر مبنی کتاب کے مصنف راشٹر پتی انعام یافتہ شاعر و ادیب اور تاریخ دان، ملن سار، مہمان نواز صرف جھک کر ہی نہیں بلکہ ٹوٹ کر ملنے والے میرے عزیز میرے کرم فرما ڈاکٹر جمیل احمد جمیل آج صبح اس دارِ فانی سے رخصت ہو کر ہمیشہ ہمیشہ کے لیے مالکِ حقیقی سے جا ملے۔
اللہ تعالی سے دعا ہے کہ مرحوم

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Wednesday, October 18, 2023

सहारनपुर से बिरादरी के लिए एक गमगीन ख़बर

 

मिली जानकारी के अनुसार शमशाद अहमद के बड़े बेटे सोनू की अहलिया का आज देर रात लगभग 1 बजे हॉस्पिटल में इंतकाल हो गया दो दिन पहले अचानक तबियत खराब होने पर इन्हे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था । ये लगभग 8 माह की गर्भवती भी थी । हॉस्पिटल के चिकित्सको ने इनकी प्लेट्सलेट डाउन होना और खून की कमी बताया और प्लाज्मा देने की बात कही , प्लाज्मा देने के लिए सभी घर परिवार वाले, रिश्तेदार प्लाज्मा देने हॉस्पिटल पहुंच गए । लेकिन इनकी हालत और बिगड़ती चली गईं और कल 18 अक्टूबर 2023 ( आज ) बीती रात लगभग 1pm पर इन्होंने आखिरी सांस ली । मूल रूप से गांव मोहनपुर गाड़ा निवासी शमशाद अहमद कुछ साल पहले अपनी फैमिली सहित दिल्ली सहारनपुर रोड पर स्थित गांव चुनहेटी आकर बस गए थे । इसी मकान में इनके दो बेटे और दो बहुएं भी साथ में ही रहती थी। अभी एक माह ही बीता होगा इनकी छोटी बहु के एक बच्चा हुआ जिसको पैदा होते ही चिकित्सको के कहने पर मशीन में रखना पड़ा और 3 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। घर वाले अभी उसका दुःख भी नही भूल पाए और उस बच्चे के गम  के आंसू अभी सूखे भी नही थे कि बड़ी बहू इस फानी दुनियां को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह गई। एक ही महीने के भीतर इस घर में गमों का पहाड़ टूट पड़ा अल्लाह इनके घर वालो, रिश्तेदारों और खानदान वालो को इस दुःख की घड़ी को सहन करने की ताकत दे और इन्हे सब्र - ए - जमील अता फरमाएं और मरहुमा की मगफिरत फरमाएं और जन्नत - उल - फिरदौश में आला मकाम अता फरमाएं आमीन मय्यत को आज दिनांक 19 अक्टूबर 2023 बरोज जुमेरात को जोहर की नमाज के फौरन बाद यानि लगभग 1 बजे किया जाएगा सुपुर्दे खाक 

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Friday, October 6, 2023

नहीं रहे हजरत मौलाना शाहिद अल हसनी साहब, देश दुनिया मे शोक की लहर


सहारनपुर  विश्व प्रसिद्ध मदरसा मजाहिर उलूम जदीद कि सेक्रेटरी और मशहूर आलिम ए दीन हजरत मौलाना शाहिद अल हसनी  का अभी-अभी इंतकाल हो गया है। हजरत मौलाना शाहिद साहब बहुत ही मशहूर ओ मारूफ शख्सियत के मालिक थे। और काफी लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे, मौलाना शाहिद साहब के इंतकाल की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और देश दुनिया में उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ पड़ी अल्लाह मरहूम की मगफिरत फरमाए_
■ _हजरत की शख्सियत से मुतालिक पूरी खबर जल्द पढिए_

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Tuesday, October 3, 2023

सहारनपुर से बिरादरी के लिए एक गमगीन ख़बर


बेहद ही रंजो गम के साथ इत्तिला दी जाती है कि आज बा तारीख़ 04 अक्टूबर 2023, बरोज़ बुध की अल सुबह लगभग 3am बजे मोहम्मद अकरम साहब  भी इस फानी दुनियां को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह गए । मोहम्मद अकरम साहब मरहूम हाजी मो0 हनीफ ठेकेदार साहब के 5 लडको में दूसरे नंबर के थे।

इनसे बड़े इनके भाई मो0 असलम साहब का कई साल पहले इंतकाल हो चुका है। 

अब इनके 3 भाई मो0 आज़म साहब, मो0 मुकर्रम साहब और हाजी मो0 आलम साहब है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर के मौहल्ला याह याहिशाह पक्का बाग निवासी मो0 अकरम साहब

 

अपनी  75 साल की उम्र में अपने भाई और बहनों रिश्तेदारो सहित  अपनी अहलिया और 4 लड़के और 2 लड़की सहित पौते पोतियों और नाते, नातिन से हरा भरा परिवार और कुनबा छोड़कर इस फानी दुनियां से हमेशा हमेशा के लिए विदा हो गए , मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट दुःख की इस घड़ी में इस परिवार के साथ है , आप सभी हजरात से भी पुरखुलुश गुजारिश है कि मो0 अकरम साहब की मगफिरत के लिए दुआ करें। बाद नमाज़ असर गोटे शाह कब्रिस्तान में मय्यत को किया जाएगा सुपुर्दे खाक, अल्लाह इनको जन्नत - उल - फिरदोश में आला मकाम अता फरमाएं , अल्लाह इनकी मगफिरत फरमाएं और घर वालो को सब्र - ए - जमील अता फरमाएं आमीन ...

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