Saturday, April 30, 2022

पिरान कलियर दरगाह साबिर ए पाक के वार्षिक ठेकों को लेकर कुछ ठेकेदारों ने अपने निजी स्वार्थ के चलते एक न्यूज़ सोहन हलवे के ठेके को लेकर प्रकाशित कराई है। उक्त न्यूज़ को संबंधित ठेकेदार द्वारा बताया गया निराधार।


पिरान कलियर दरगाह साबिर ए पाक के वार्षिक होने वाले ठेकों में एक ठेका सोहन हलवे का भी होता है। अन्य ठेकों की तरह इसका भी टैंडर संबंधित ठेकेदार द्वारा समय से ही कराया गया था। लेकिन कुछ ठेकेदारों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के चलते इसको गलत तरीके से अपलोड करना बता कर इस टैंडर की शिकायत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव को भेजी गई है। इनके द्वारा की गई शिकायत को संबंधित ठेकेदार द्वारा बिल्कुल निराधार बताया गया है। शिकायतकर्ता ने ये शिकायत अपने निजी स्वार्थ के चलते की है। संबंधित ठेकेदार के द्वारा टैंडर में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती गई है।

जिसके प्रूफ की एक कॉपी संबंधित ठेकेदार द्वारा सार्वजनिक की जा रही है। और ये ठेका नंबर 15 सोहन हलवा दिनांक 23/4/2022 को ई टैंडर वेबसाईट पर अपलोड हुआ था जिसकी अंतिम तिथि 29/4/2022 समय दोपहर दो बजे तक का अंतिम समय था जिसकी ये पूरी हकीकत सुधा जानकारी है। फिर ये शिकायतकर्ता संबंधित ठेकेदार की शिकायत किस आधार पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव के पास भेज रहे हैं। ये इनका निजी स्वार्थ है या कुछ और है। संबंधित विभाग इस खबर और शिकायत का निष्पक्ष संज्ञान ले।

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Friday, April 29, 2022

मोहम्मद उमर का गढ़ी पुख्ता में हुआ इंतेकाल सुबह 8 बजे किये जायगे सुपुर्दे-खाक़


बेहद गमज़दा होकर लिखना पड़ रहा है कि उत्तरप्रदेश के शामली जिले के क़स्बा गढ़ी पुख्ता निवासी मोहम्मद उमर साहब का आज बा तारिख़ 29 अप्रैल 2022 को अभी लगभग पौने 8 बज़े इंतेकाल हो गया है। बेहद सीरियस और अपने काम से काम रखने वाले मरहूम मोहम्मद उमर साहब को कम बोलने की आदत और जब भी बोलना सटीक बोलना और अपनी बात कहकर चुप हो जाना इनकी आदतों में शुमार था । कस्बे के राझड रोड पर इनकी वर्कशॉप थी और चंद दूरी पर ही इनका आशियाना था। सचमुच आज बिरादरी ने एक कोहिनूर हीरा हमेशा हमेशा के लिये खो दिया है। जिसकी भरपाई करना मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन है। बिरादरी इन्हें इनकी सादगी और हर मुश्किल काम को बड़ी ही आसानी से कर देने की आदत व मेहमान नवाजी के साथ साथ बिरादरी के हर सुख और दुःख में हमेशा खड़े रहने की आदत की वजह से हमेशा याद करेगी अल्लाह मरहूम की मग़फिरत फरमाये और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाये मरहूम को कल सुबह बा तारिख़ 30 अप्रैल 2022 को सुबह 8 बजे सुपुर्दे-ए-खाक किया जाएगा ।

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अंजुमन मोहिब्बाने अहलेबैत की जानिब से दस्तारबंदी हुई.... ...... .....

 


अजमेर 28/4/2022

अंजुमन मोहिब्बाने अहलेबैत की जानिब से हाफिज साहब, पेश इमाम, मोअज़्ज़िन साहब व दिगर मोअज़्ज़िज़ हजरात का इस्तकबाल किया गया, 


इस मौके संस्था के अध्यक्ष व संयोजक मोहम्मद अहसान मिर्ज़ा ने बताया की संजरी मस्जिद शेखा मोहल्ला पर बाद मामूल आस्ताना 26 रमजान मुबारक गुरुवार को जलसा मुनअक़िद हुआ, 



जलसे का आगाज तिलावते कलामे इलाही से किया गया व नाअतो मनकबत के नजराने पेश किए गए,




 हाफिज कारी मौलाना इरशाद अलीमी ने लैलतुल कद्र के फजाइल  पर ख़िताब फरमाया,

 व सलातो सलाम पेश किया गया फातिहा के बाद मुल्क में अमन चैन खुशहाली आपसी भाईचारे व कौमी यकजहती के लिए दुआ की गई, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की,



हाफिज साहब, पेश इमाम, मोअज़्ज़िन साहब,  सहित तकरीबन 51 लोगों की दस्तारबंदी गुलपोशी व शाल ओढ़ाकर इस्तकबाल किया गया, 

इस्तकबाल, मोहम्मद हुसैन रजा, मोहर्रम अली, सज्जाद आलम मोईनी, तनवीर, मिर्जा मोईन अरशदी,  अमान खलील, शादाब, मुनव्वर भारती, इरशाद अलीमी, सहित अन्य लोगों की दस्तारबंदी गुलपोशी की गई, 

इस मौके पर आरिफ हुसैन, रियाज़ मिर्जा, सैयद फैसल हुसैन, नवाब हिदायतुल्लाह, महफूज मिर्जा, हाजी सैयद सलीम बना, गुलजार हुसैन, शाहनवाज मिर्जा, मोहम्मद इकबाल, अली कोसेन,  सहित संस्था के अनेक सदस्य मुस्लिम समाज के मोअज़्ज़िज़ हज़रात मौजूद रहे,


Tuesday, April 26, 2022

जहाँगीरपुरी, पूरे देश के मुसलमानों को इन्हें सेल्यूट करना चाहिये


कल पूरे देश और दुनियाँ की निगाहें जब दिल्ली जहाँगीरपुरी में हुकूमत की तानाशाही का तमाशा देखने में लगी थीं तब  #जमीअत_उलेमा_ए_हिन्द सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े पर खड़ी इन ग़रीब मज़लूमों की दूकानें बुलडोज़र से बचाने की जद्दोजहद कर रही थी....#अल्लाह ने कामयाबी दी और सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत जहाँगीरपुरी की कार्यवाही रोकने का स्टे आर्डर जमीयत के हाथ में दिया,    और फिर एक बार जमीयत के ज़िम्मेदारान ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अकेले मुसलमानों के साथ खड़े नज़र आये.! जिन पार्टियों ने हमारा वोट लिया  चाहे वो कांग्रेस हो, समाजवादी पार्टी या दिल्ली की आम आदमी पार्टी      उन्हें भी हमारी कोई फ़िक्र नहीं,  सिर्फ़ twitter और फ़ेसबुक को छोड़ कोई मैदान में नहीं आया.!   कपिल सिब्बल साहब का शुक्रिया के अदालत में उन्होंने हमारा साथ दिया और जमीयत की तरफ़ से उन्होंने जद्दोजहद की.!     पर बेहतर ये होता....जमीयत की इस पहल में हमारे साथ असद उद्दीन ओवैसी और वृन्दाकेरात की तरह और भी हमारा वोट लेने वाली पार्टियों के ज़िम्मेदारान कल हमारे लिये ज़मीन पर उतर आए होते, पर  अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ.!   वक़्त और देश का मुसलमान आने वाले वक़्त में उन सभी पार्टियों से जो मुसलमानों का सिर्फ़ वोट लेना चाहती हैं  हिसाब ज़रूर करेगा और इसके लिए अब इन सभी पार्टियों को तैयार रहना चाहिये.!

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1919 में जब अब्दुल बारी फ़िरंगी महली, अहमद सईद देहलवी, इब्राहीम सियालकोटी, किफ़ायत उल्लाह देहलवी और सना उल्लाह अमृतसरी और दीगर ज़िम्मेदारान ने जमीयत-ए-उलमा-ए-हिन्द तंज़ीम की स्थापना की थी तब शायद उनकी यही दूरदर्शी सोच रही होगी कि जब हिंदुस्तानी मुसलमानों के साथ कोई नहीं खड़ा होगा तब उनपर होरहे ज़ुल्म के ख़िलाफ़ उनकी हर लड़ाई जमीयत लड़ेगी.!

अल्हम्दुलिल्लाह आज रेशमी रूमाल की तहरीक से जंग-ए-आज़ादी का बिगुल बजाने वाले जंग-ए-आज़ादी के मुजाहिद मौलाना महमूदुल हसन के विरसे के तौर पर मौलाना अरशद मदनी साहब और मौलाना महमूद मदनी साहब  जमीयत के सरबराह के तौर पर इस ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभा रहे हैं.!     


जब भी हिंदुस्तान के मुसलमानों पर कोई आफ़त आयी जमीयत हर मोड़ पर खड़ी नज़र आई, चाहे पूरे देश में आतंकवाद के फ़र्ज़ी केस में मुस्लिम नौजवानों के मुक़दमों की लड़ाई हो, या बाबरी मस्जिद का मुक़दमा, चाहे असम में मुसलमानों पर होरहे ज़ुल्म की लड़ाई हो या NRC के तहत उन्हें बेदख़ल करने का मुक़दमा,  चाहे मुज़फ़्फ़रनगर के दंगा पीड़ितों के रिहायशी मकानात मुहैय्या कराने के इंतज़ामात हों या असम के मुसलमानों के रिहाइश के इंतज़ामात,  हर जगह हर लड़ाई जमीअत अपने ख़र्च पर लड़ रही है !  सरकारों से ज़्यादा मकानात दंगा पीड़ितों को जमीयत ने अपने खर्च पर बनवाकर दिया.!       


आज किसी भी शहर में कोई मामला हो जमीयत के ज़िम्मेदारान बग़ैर शोर शराबे के ख़ामोशी से मदद कर आते हैं और हमको आपको ख़बर भी नहीं होती.!    इन्हें न आपका वोट चाहिये न आपकी तारीफ़ !     बिना किसी मफ़ाद के ये हमारी लड़ाई लड़ते हैं !   अल्लाह जमीयत और उसके ज़िम्मेदारान को सलामत रक्खे.!      


पूरे देश के मुसलमानों  को आज इस तंज़ीम के ज़िम्मेदारान को सेल्यूट करना चाहिये, 

और दुआओं के साथ जमीयत को अपना मआशी तआउन भी करना चाहिये ताकि हमारी लड़ाई कभी कमज़ोर न पड़े.!


#शहज़ादा_कलीम

साइकिल की सवारी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था (GDP) के लिए बेहद हानिकारक है....!


सुनने में ये हास्यास्पद लग सकता है , परन्तु सत्य है....एक साइकिल चलाने वाला देश के लिए बहुत बड़ी आपदा है, क्योंकि.......वो गाड़ी नहीं खरीदता, वो लोन नहीं लेता, वो गाड़ी का बीमा नहीं करवाता, वो तेल नहीं खरीदता, वो गाड़ी की सर्विसिंग नहीं करवाता,वो पैसे देकर गाड़ी पार्किंग नहीं करता,वो ट्रैफ़िक फाइन नहीं देता ,और तो और वो मोटा (मोटापा) नहीं होता। जी हां .....यह सत्य है कि एक स्वस्थ व्यक्ति अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है, क्योंकि...वो दवाईयां नहीं खरीदता,वो अस्पताल व चिकित्सक के पास नहीं जाता , वो राष्ट्र की GDP में कोई योगदान नहीं देता। ठीक इसके विपरित एक फ़ास्ट फूड की दुकान 30 नौकरी पैदा करती है........10 हृदय चिकित्सक, 10 दंत चिकित्सक,10 वजन घटाने वाले...! नोट :-पैदल चलना इससे भी अधिक ख़तरनाक होता है, क्योंकि पैदल चलने वाला व्यक्ति तो साइकिल भी नहीं खरीदता...................!!

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मुसलमानों दहेज़ का लालच छोड़ कर अपने बेटों की शादियाँ वक़्त पे कर दो इससे आपके माश्रे में तमाम दिक्कतें खत्म होंगी गुनाह नही होगा


आपकी औलादें और आपका खानदान बढ़ेगा और अल्लाह के रसूल की सुन्नत ज़िंदा होगी मगर आज मुस्लिम समाज मे गैर मुस्लिम की रिवायात हावी हो गईं हैं जिससे आज हम सभी मुसलमान खुद को और कौम को परेशानी में डाल रहे हैं आज जब हम लोग किसी मुस्लिम लड़की का किसी भी तरह का रिश्ता गैर मुस्लिम से सुनते है तो खून खौल उठता है 

अगर उस मुस्लिम लड़की की शादी वक़्त रहते कर दी जाती तो ऐसी जलालत और रुसवाई हमारी कौम की न होती इससे एक बात साफ है कि उसके इस गुनाह में कहीं न कहीं हम-आप भी दोषी हैं अगर उसके मां बाप के पास देने को दहेज नही था तो   हमारे समाज का कोई भी मुस्लिम अपने बेटे के साथ उसका रिश्ता कर देता जिससे दुनिया और मुस्लिम समाज मे एक बेहतर संदेश जाता 

आज तमाम गैर मुस्लिम तंजीमें अपने समाज से इस जलील रसुमात ( दान दहेज)को खत्म कर रहीं हैं वो अपने समाज की शादियाँ दहेज रहित समारोह में कर रहे हैं वहीं मुसलमानो की दहेज की भूख बढ़ती जा रही है 

और लड़कियों के मां बाप से गुजारिश है कि लड़की के बालिग़ होते ही उसके निकाह की तैयारी शुरू कर दो हुक्म है कि अगर बालिग लड़की घर मे बैठी है तो फरिश्ते उस कौम पे बददुवाएं और लानत भेजते है क्यों अपनी रहमत को जहमत बना रहे हो सारे नेक काम करते हो तो इस तरफ समाज और समाज के जिम्मेदारों का ख्याल क्यों नही जाता आज हमारे आपके घरों में न जाने कितने भाई बहन बालिग़ हैं और बिना निकाह के हैं क्यों नही उन लोगों के निकाह वक़्त पे करें जिससे समाज मे जिनाहकारी जैसे गुनाह से बच सके 

आज सारी दुनिया मुसलमानो की दुश्मन है और उससे बचने के लिए हम आप अपने स्तर से काम भी करते हैं दुनिया मे कहीं भी मुसलमानो पे ज़ुल्म हो तकलीफ हमे होती है तो ये भी तो एक ज़ुल्म है की हमारी आपकी बालिग़ बेटियां और बेटे घरों में बैठे निकाह का रास्ता देख रहे है तो उनके साथ ये ज़ुल्म कौन कर रहा है 

हमारी कौम को बाहरी दुश्मनो की जरूरत नही हम खुद अपनो के दुश्मन है बात कड़वी है मगर सच है 

आज अगर हम अपनी कौम की किसी तरह से मदद करना चाहते है तो क्यों न इस छोटी सी शुरुआत से शुरु किया जाए 

और दहेज के बायकॉट किया जाए और ऐसे रिश्तों के बारे में एक दूसरे को बताएं जिससे आपको दुनिया और आख़िरत में फायदा होगा 

इंशाअल्लाह

बात अगर अच्छी लगे तो आगे भेजते रहिये हो सकता है किसी भाई को बात पर अमल करने की तौफीक अल्लाह दे दे

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अल्लाह ने हम मख्लूक़ को पैदा क्यूँ किया ? ज़िन्दगी क्यों औऱ किस लिए है. !?


इंसानों की "हक़ीक़ी ज़िन्दगी" का तअ़ल्लुक़ अक़्ल से है और अक़्ल का तअ़ल्लुक़ "इल्म" से है। लिहाज़ा हक़ीक़त में ज़िन्दा इंसान वह है जिसका सफ़र और उसकी स्ट्रगल "इल्म" हासिल करने के लिये है। इंसान के लिये सब से बड़ा इल्म यह है की वह इस बात की तहक़ीक़ में लगे की उसे और उसकी क़ायनात को पैदा किस ने किया?  इस सवाल को हल करने के लिये स्ट्रगल और रेजिस्टेंस "ज़िंदगी" का सबूत है इसी तरह अपने पैदा करने वाले को पहचान कर उसका अहसान मंद और शुक्र गुज़ार हो कर उसकी इबादत करना "असल ज़िन्दगी" है और उसी ख़ालिक़ की पैदा की हुई "मख्लूक़" से महब्बत करना और उसकी खिदमत करना ज़िन्दगी का मक़सद है, और इस मख्लूक़ को नुकसान पहुचाने वालों से लड़ना, इस ज़िन्दगी की "रेजिस्टेंस" है। इंसान जिस की ज़िंदगी का मक़सद और उसकी रेजिस्टेंस सिर्फ उसके "जाति मक़सद" पूरा करना हो (खाना, पीना, बच्चे पैदा करना), असल में उसकी ज़िंदगी "जानवरो" जैसी है औऱ यही इस क़ायनात का इम्तेहान है की "पानी जैसी ज़िन्दा चीज़" से पैदा होने वाली मख्लूक़ में से कितने लोग "जिंदा" होने का सबूत देते हैं और कितने लोग "जानवर" बन जाते है।  यह इंसान का "मक़सद" है जो उसे इंसान होते हुवे भी जानवर बना सकता है। औऱ इसी इम्तेहान में कामयाब होने वाले "ज़िंदा" लोगों क लिये "जन्नत का मक़ाम" तैयार किया गया है।..

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Monday, April 25, 2022

ईद के बाद यानी मई 2022 से मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट के चैयरमेन बदलने पर विचार : ज़मीर आलम मुल्तानी


देश की राजधानी दिल्ली से संचालित एवं संपूर्ण भारत में कार्यरत पैदायशी इंजीनियर मुल्तानी लौहार बिरादरी की देश की सबसे बड़ी व क्रांतिकारी तंजीम मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट ( रज़ि0 ) अगले महीने यानी ईद के फौरन बाद मई 2022 से ट्रस्ट के चैयरमेन बदलने पर विचार कर रहा है। हालांकि चैयरमेन का बदलाव 1 अप्रैल 2022 को होना था जिसके लिये वर्तमान चैयरमेन ज़मीर आलम मुल्तानी ने मार्च 2022 में अपना मन बनाकर कोर कमेटी को बता दिया था।

वर्तमान चैयरमेन ज़मीर आलम मुल्तानी काफ़ी समय से ट्रस्ट में बड़े बदलाव किये जाने बाबत चर्चा कर रहे थे। लेकिन यह अपना अतिमहत्वपूर्ण पदभार ही किसी अन्य को सौप देंगे ऐसा किसी ने भी नही सोचा होगा लेकिन जल्द ही वर्तमान चैयरमेन ज़मीर आलम मुल्तानी अपना पदभार यानी ट्रस्ट के रास्ट्रीय चैयरमेन का पदभार पूरे भारत से

बिरादरी के किस शख्स के सिर का बनेगा ताज इस पर अभी इन्होंने कुछ भी कहने से साफ इंकार करते हुए इतना ज़रूर बताया कि ट्रस्ट राष्ट्रीय चैयरमेन जैसा अतिमहत्वपूर्ण ओहदा देश के प्रत्येक राज्य यानी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश,राजस्थान व मध्यप्रदेश और गुजरात सहित महाराष्ट्र राज्य के बिरादरी भाईयों को भी इस पदभार से नवाजेंगे ताकि किसी भी राज्य को यह ना महसूस हो कि यह पक्षपात करके एक दो राज्यों में ही ट्रस्ट के मैन पदाधिकारी का पद जानबूझकर सौप रहे है।

2010 से मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट के राष्ट्रीय चैयरमेन जैसे अतिमहत्वपूर्ण पद पर रहते हुए ज़मीर आलम जी ने बिरादरी को भारत में एक अलग पहचान दी साथ ही अनेकों योजनाओं की शुरुआत की जिसमें प्रतिवर्ष 12 नवंबर को मुल्तानी-डे , 17 जून को यौमे तासिस ( मुल्तानी स्थापना दिवस ) 28 अगस्त को मुल्तानी जनगणना दिवस सहित प्रतिवर्ष 31 जनवरी से 14 फरवरी तक बिरादरी बचाओं महाअभियान की

शुरुआत की वैसे तो इन सब त्यौहारों को मनाने के लिये अलग अलग उद्देश्य है। जिसके लिये पूरे विस्तार से चर्चा करने की सख्त जरूरत है। लेकिन इनके जरिए चलाई गई सभी योजनाओं में दो योजनाएं जिसमें शादी लायक लड़के लड़कियों के रिश्तों को आसान बनाने और बिरादरी की डिजिटल जनगणना की पूरे भारत में सभी के द्वारा पसंद की गई

और इन्ही दोनोँ योजनाओं से ट्रस्ट पूरे भारत में अचानक सुर्खियों में आयी और पूरे भारत के मुल्तानी लौहार बड़ी तेजी से इस तंजीम की और अपनी दिलचस्पी दिखाने लगे तो आलम जी ने ट्रस्ट को पूरी तरह डिजिटल करके इसको सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जोड़ने के साथ साथ क़ई वेबसाइटों को डिजाइन कराया जिनमें

www.multanisamaj.com, www.msctindia.com, www.rishtokiduniya.com और www.themissionshakti.com बनवायी अभी कुछ दिनोँ पहले अचानक ही ज़मीर आलम जी के अपने पद को किसी अन्य को सौपने कि खबर कुछ पदाधिकारियों को लगी तो उनको बिल्कुल भी यकीन नही हुआ

कि कोई शख्स जिसने अपनी वर्षों की मेहनत और लगन से संस्था बनायी और जब संस्था अपने पूरे उफान पर पहुँची तो उसकी बागडोर किसी और को सौप दी हो लेकिन यह बिल्कुल सच है कि अगले महीने से मुल्तानी समाज।

चैरिटेबल ट्रस्ट के राष्ट्रीय चैयरमेन का ताज किसी दूसरे सर पर होगा कौन होंगे वो खुशनसीब अभी इसकी घोषणा उन्होंने नही की है।

लेकिन नए चैयरमेन की ईद के फौरन बाद ताजपोशी होनी लाजमी है। अब देखते है

कि ट्रस्ट के नए मनोनीत होने वाले रास्ट्रीय चैयरमेन ट्रस्ट के कामकाज को वर्तमान चैयरमेन की भांति ही लेकर चलेंगे या कुछ नया भी करेंगे।

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Friday, April 22, 2022

पवित्र माह रमज़ान के तीसरे जुमे की नमाज़ अमन शांति से हुई सम्पन्न,पुलिस बल तैनात रहा,कड़ी धूप में रोजेदारों ने रमजान के तीसरे जुमे की नमाज की अदा, देश में अमन चैन के लिए मांगी दुआ


कैराना। रमज़ान के तीसरे जुमे की नमाज मस्जिदों में अदा की गई। कड़ी धूप में भी रोजेदारों ने जुमे की नमाज अदा कर देश में अमन चैन की दुआ मांगी। बता दें कि कोरोना की पाबंदी के बीच 2 सालों से देश में एक साथ नमाज पढ़ने की पाबंदी लगी हुई थी। पाबंदी हटने के बाद रमजान के तीसरे जुम्मे की नमाज मस्जिदों में अदा की गई। इस दौरान देश में अमन चैन की दुआ मांगी गई। कोरोना पाबंदियों के बाद 2 साल बाद रमजान के जुम्मे की नमाज में 2 साल बाद फिर से रौनक लौट आई। मुकद्दस रमजान मे की गई रोजे की इबादत ना सिर्फ इंसान के जिस्म को कुव्वत पहुंचाती है। बल्कि उसको रुहानी सुकून भी आता करती है। रमजान के महीने में इंसान सुबह 4:00 बजे शहरी से लेकर शाम 7:00 बजे तक खाने की पाबंदियों को लेकर पूरा दिन रोजा रखता है। अल्लाह ताला अपने उन बंदों की अपनी बारगाह में बक्श देता है। जिन बंदों ने रमजान के मुकद्दस महीने में रोजा रख पूरा दिन खाने पीने से सब्र किया। और कुरान की तिलावत की, अल्लाह ताला से नमाज अता कर दुआ मांगी।

रमजान के मुकद्दस महीने के 30 दिन तक यदि कोई बुराई को छोड़ दे तो वह बुराई से हमेशा दूर हो जाता है। रमजान के रोजे की इबादत इंसान के नफ़्स को पाक साफ कर देती है। कारी अनीश फरमाते हैं कि जो लोग रमजान के मुकद्दस महीना बरकत का महीना है। इस महीने में इंसान अपने अल्लाह से जो मांगना चाहे वह मिलता है। उन्होंने कहा कि रमजान के मुकद्दस महीने के रोजे रखने से बहुत सी बीमारी दूर होती है। इस मुकद्दस महीने में अल्लाह ताला अपने बंदो को निहमत अता फरमाता है।

उन्होंने कहा कि दिन भर भूखा प्यासा रहने का मतलब रोजा नहीं है। बल्कि अपने नफ़्स पर काबू कर बुराइयों को छोड़ने का नाम रोजा है। इस मुकद्दस महीने में शैतान को अल्लाह ताला पिंजरे में बंद कर देते हैं। ताकि वह अल्लाह के बंदों को रोजा रखने वह नमाज पढ़ने मे रुकावट ना बन सके।

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पिरान कलियर शरीफ़ पर ना जाने किस की बुरी नज़र पड़ गई है। की आए दिन कोई ना कोई नशे सम्बन्धित खबरें खाई बाड़ी जैसी घिनौनी हरकतें इस आस्था कि नगरी का नाम डुबाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है।

 


एक विश्वविख्यात नाम ऐसा जहां पर देश विदेश से सभी धर्मों के लोग बड़ी श्रद्धा पूर्वक आते हैं, और अपने मन की मुरादे पाते हैं। अपने आप में अपनी अलग पहचान बनाएं रखने वाले इस क्षेत्र में क्या हो रहा है आजकल जिसकी सुध लेने वाला कोई ना जनप्रतिनिधि ना किसी भी विभाग का कोई अधिकारी ऐसा क्या चल रहा है इस क्षेत्र में जो विकास के नाम से वांछित और क्राइम और नशा खोरी खाई बाड़ी जैसी चीजों में आज उड़ रहा है नाम इस विश्वविख्यात क्षेत्र का जी हां आज हम बात कर रहे हैं सरकार साबिर ए पाक के एक गांव पिरान कलियर शरीफ़ की जो अपनी पहचान कराने के लिए शायद किसी का भी मोहताज़ नहीं है। पिरान कलियर शरीफ़ आस्था के नाम से जाना जाने वाला एक गांव है। जहां गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल कायम है। दूर दराज से हटकर देश विदेश से भी अत्याधिक संख्या में यहां पर जायरीन अपनी मन्नत मुरादें लेकर पिरान कलियर शरीफ़ स्थित दरगाहों पर आते हैं।  और श्रद्धापूर्वक अपनी मुरादें पाकर ख़ुशी ख़ुशी अपने घर को जातें हैं।

पर अब इस आस्था कि नगरी पिरान कलियर शरीफ़ पर ना जाने किस की बुरी नज़र पड़ गई है। की आए दिन कोई ना कोई नशे सम्बन्धित खबरें खाई बाड़ी जैसी घिनौनी हरकतें इस आस्था कि नगरी का नाम डुबाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है। सूत्रों की मानें तो कुछ स्थानीय निवासी और कुछ बाहरी व्यक्तियों द्वारा इस आस्था कि नगरी को कलंकित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कोई खाई बाड़ी करके तो कोई स्मैक जैसा घिनौना खेल खेल कर तो कोई बाहरी व्यक्ति गांजा पत्ती तो कोई मेडिकल का नशा बेचने मे कोई भी गुरेज नहीं कर रहें हैं।

केवल हराम का पैसा कमाने के चक्कर में ये लोग इस पवित्र आस्था कि नगरी के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिनको देख कर भी जहां क्षेत्रवासी अनदेखा कर रहे हैं। वहीं दूसरी और इस आस्था कि नगरी में थाना पिरान कलियर और अन्य विभाग भी मौजूद होने के बाद भी इन ग़लत कार्य को अंजाम देने वालों को रोकने में असफल नज़र आ रहे हैं। पर यही हाल इस आस्था कि नगरी पिरान कलियर शरीफ़ का रहा तो वो दिन दूर नहीं की जब क्षेत्रीय निवासियों का ख़ुद यहां पर रहना दुरभर हो जाएगा।

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Thursday, April 21, 2022

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव के जन्म दिवस के मौके पर हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हुई चादर पेश

 


अजमेर 

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव एवं अजमेर उत्तर विधानसभा कांग्रेस प्रत्याक्षी महेन्द्र सिंह रलावता जी के जन्म दिन के मौके पर 


 कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव एस एम अकबर के नेतृत्व मैं हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह मैं हाज़री देकर चादर और फूल पेश किए गए।रलावता जी की लम्बी उम्र के लिए और सेहत तंदरुस्ती के साथ खुशियां और कामयाबी की दुआ की गई



 ख़ादिम सयैद रब चिश्ती और उनके बेटे एस एन मुजतबा चिश्ती ने दुआ की 

इस मौके पर वाहिद खान,,फरीद खान,

सरताज़ खान,अकबर काठात,

साबिर अली,डॉ सोहैल चिश्ती, 

इमरान मोहम्मद, अब्दुल लतीफ,

 लतीफ खान,मुबारिक हुसैन,

दिलशाद अंसारी,सलीम अब्बासी,

मोहम्मद रफ़ीक़ शाह,मोहम्मद अजीज़ ,

फ़ाज़िल सिद्दीकी,गुफरान आलम,

शरफू मनिहार,मोहम्मद सुल्तान खान,

सहित बड़ी संख्या मैं अल्पसंख्यक विभाग के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Monday, April 11, 2022

हर पढ़ा लिखा आदमी अपनी अपनी मस्जिद के नादान ट्रस्टियों को समझाए कि मस्जिद में सी,सी,टी,वी कैमरा ज़रूर लगवाएं,


एसी फ्रीज,कूलर,तो कभी भी लग सकता है,हालात ठीक नही हैं। हमारी मस्जिदें निशाने पर हैं। लाखों रुपये टाइल,बाथरूम,कालीन,पर खर्च कर देते हैं लेकिन ज़रूरी चीजें नही करते।एक खादिम मस्जिद के दरवाजे पर ज़रूर रखें जो अंदर जाने वालों का बैग,थैला,झोला चेक कर लिया करे,मस्जिद का माइक सिर्फ अज़ान के लिए इस्तेमाल करें,तक़रीर,सलाम,के लिए अंदर का साउंड यूज़ करें,किसी भी अनजान आदमी को मस्जिद में ठहरने न दें, जब तक कि यकीन न हो जाये कि ये वाकई ज़रूरत मंद मुसाफिर है।

जहां तक हो सके मस्जिद की बदमाश भृष्ट कमेटी को हटा कर उसमें पढ़े लिखे लोग रखे जाएं, जिसमे वकील,डॉक्टर, टीचर,या सामाजिक सख्सियत ही हों। वरना जाहिल ट्रस्टी बेड़ा ग़र्क़ कर देंगे आपको बाद में सिर्फ अफसोस होगा। और नादान लोगों  को तो बिल्कुल सदर न बनाएं, किसी पढ़े लिखे और कानूनी जानकार को ही सदर बनाएं , कुछ सदर तो इतने खतरनाक होते हैं कि इमाम और मुअज़्ज़िन से बदत्तमीजी भी करते हैं। उनको अल्लाह के घर का खादिम नही अपना गुलाम समझते हैं । इल्ला माशा अल्लाह। इस्लाम को चौदह सौ साल पीछे से ही नही बल्कि चौदह सौ साल आगे से भी देखना चाहिए, जिस क़ौम के पास मुस्तक़बिल का #प्लान नही होता वह क़ौम #बर्बाद हो जाती है।

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Sunday, April 10, 2022

सऊदी अरब साम्राज्य में हज और उमराह मंत्रालय ने अब घोषणा की है कि इस साल का हज निम्नलिखित नियमों के अनुसार आयोजित किया जाएगा:


1. इस साल का हज उन लोगों के लिए खुला है जो 65 वर्ष से कम उम्र के हैं और मुख्य कोविड प्राप्त कर चुके हैं -19 टीकाकरण सऊदी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अनुमोदित।  राज्य के बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों को राज्य में प्रस्थान के 72 घंटों के भीतर किए गए परीक्षण से एक नकारात्मक कोविड -19 पीसीआर परीक्षा परिणाम प्रस्तुत करना आवश्यक है।  2. सऊदी अरब साम्राज्य में हज और उमराह मंत्रालय ने भी निर्देश दिया है कि सभी तीर्थयात्रियों को स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करना चाहिए और हज की रस्में करते समय अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सभी एहतियाती उपायों का पालन करना चाहिए। 

ऊपर बताई गई स्थिति को देखते हुए, 65 वर्ष से अधिक आयु के सभी हज आवेदक (30 अप्रैल, 2022 तक) हज 2022 के लिए अपात्र होंगे। इसके परिणामस्वरूप उन महिला तीर्थयात्रियों की हज सीट रद्द कर दी जाएगी, जिनके मेहरम  30 अप्रैल, 2022 को 65 वर्ष की आयु से ऊपर होगा। यह 70+ वर्ष की आयु के "साथी" को भी प्रभावित करेगा।  (ए) (बी) इच्छुक तीर्थयात्रियों द्वारा नए हज आवेदन ऑनलाइन किए जा सकते हैं।  9 अप्रैल, 2022 से 22 अप्रैल, 2022 तक निम्नलिखित शर्तों पर :- मशीन से पढ़ने योग्य वैध भारतीय अंतर्राष्ट्रीय पासपोर्ट 22 अप्रैल, 2022 को या उससे पहले जारी किया गया हो और 31 दिसंबर, 2022 तक वैध हो। (ii) (i) आवेदक नहीं है 

65 वर्ष की निर्धारित आयु सीमा से अधिक (30.04.2022 या उससे पहले) और सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय, सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अनुमोदित मुख्य कोविद -19 टीकाकरण प्राप्त किया है; (iii) उन महिला तीर्थयात्रियों के नए मेहरम साथी के रूप में  जो पहले से ही हज के लिए आवेदन कर चुके हैं लेकिन उनके वर्तमान मेहरम की हज सीट अधिक उम्र के कारण "अपात्र" हैं, जैसा कि केएसए द्वारा निर्धारित किया गया है (iv) जो हज करते समय अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सभी एहतियाती उपायों का पालन करने के लिए तैयार हैं।  हज आवेदकों को हज 2022 के लिए अपने आवेदन वापस लेने की भी अनुमति है यदि वे नए दिशानिर्देशों के कारण जाने के इच्छुक नहीं हैं। - (2) - यह संभावना है कि सऊदी अरब के राज्य में हज और उमराह मंत्रालय  आगे और अधिक चंगा निर्धारित करेगा  और प्रशासनिक दिशा-निर्देश, विशेष रूप से, रमजान के पवित्र महीने के दौरान उमराह तीर्थयात्रियों के प्रबंधन के साथ उनके चल रहे अनुभव को देखते हुए।  इसे नियत समय में अधिसूचित किया जाएगा

Regard

💐💐💐💐

*हाजी शाहिद मोहम्मद*

            मेम्बर 

राजस्थान स्टेट हज कमेटी

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Wednesday, April 6, 2022

जिस जिस ने भी मस्जिद या मदरसे को ज़मीन दी है या जिन मदरसों ने ज़मीन ली है और या कही भी कब्रिस्तान है अगर उसका रजिस्ट्रेशन नही हुआ हो तो अल्लाह के वास्ते करवा देना और अगर किसी मुस्लिम भाई का मकान का इकरारनामा हो खाली तो उसकी बैनामे( रजिस्ट्रेशन) करवा दो।


ये सरकार 2022 से लेकर 2027 तक उन सभी मस्जिदों और मदरसों और उन मुसलमान के घरों को गिरवा कर ज़मीन दोज़ करवाने का बिल सबसे पहले विधानसभा में पास करने और करवाने जा रही है और सभी उर्दू अध्यापकों की जांच करवाने का काम करेगी और सब मुसलमान दुकानदार को अब gst रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य रूप से करवाना होगा

वरना उसे बिजनेस नही करने दिया जाएगा। ये आप की हमारी सबकी ज़िम्मेदारी है जब भी कोई सरकारी ऑफ़सर या कोई लेखपाल या कोई थाने से पुलिस वाले आए तो सब एक साथ मोहल्ला, बस्ती सोसायटी बोले उनसे सवालात करें।

उनको कानून के दायरे समझने की कोशिश करके उन्हें वापिस भेजे और सब एक साथ मिलकर रहे आने वाले कुछ ही दिनों में बहुत बुरे कानून भारत के मुसलमानों के लिए खास कर उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के लिए बनने जा रहे है

सब संविधान और भारत की कितनी धारा हैं घर मे सब को सिखाये और रात 10 बजे के बाद का कोई भी काम अपने मुहल्ले से बहार न जाये ।

अधिक जानकारी के लिये नीचे दिए गए नम्बरों पर कॉल करें। ज़मीर आलम मुल्तानी राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एसोसिएशन व डायरेक्टर ज़मीर ग्रुप ऑफ़ कम्पनी

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Tuesday, April 5, 2022

अल्लाह ताला के बेशुमार इनामात व एहसनात में से एक बहुत बड़ा इनाम माहे रमज़ान है : नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट


लखनऊ : सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ के रहने वाले रॉयल फैमिली के नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने कहा की अल्लाह ताला के बेशुमार इनामात व एहसनात में से एक बहुत बड़ा इनाम माहे रमज़ान है। इस मोबारक महीने को अता करके अल्लाह ने हम सभों पर बहुत बड़ा एहसान किया है। रमजान मुबारक का यह महीना रहमत व बरकत वाला होता है और इस महीने में रोजा हर एक सख्श पर फर्ज किया गया है जो इस्लाम  का मानने वाला है। नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने  आगे कहा की इस महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के बंद कर दिए जाते हैं। अल्लाह ने इस महीने में एक ऐसी रात मुकर्रर की है जो हजारों महीनो की रातों से बेहतर है और वो रात शबे कद्र है। यह मुकद्दस रात है जिसकी फजीलत बयान करने के लिए अल्लाह ने कुरान ए पाक में एक पूरा सुरा नाजिल फरमाई है। हजरत इमाम हसन (A.S) की पैदाइश भी इसी माह में हुई है। इस माह जहां सारी खुशियां हैं वहीं हजरत अली (A.S.) की शहादत का बहुत बड़ा गम भी है। रमज़ान का महीना नेकी कमाने का है और इस मुकद्दस महीने में जहां तक हो सके इबादत में मशरूफ होना चाहिए और नेकियां कमाने चाहिए। मोबाइल : 9450657131

@M.S News

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अजमेर, पुलिस थाना गंज में हुई सीएलजी मीटिंग, आगामी त्यौहारों को लेकर की गई मीटिंग

 


अजमेर (राजस्थान) 4/4/2022

पुलिस थाना गंज में सीएलजी मीटिंग संपन्न हुई 

 मीटिंग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं वर्तमान में दरगाह वृत   अधिकारीका प्रभार भी संभाल रही मैडम प्रियंका राजवंशी ने भारी संख्या में उपस्थिति को संबोधित करते हुए वर्तमान में चल रहे पवित्र नवरात्र एवं पवित्र रमजान तथा आगामी त्यौहारों महावीर जयंती, गणगौर पर्व, हनुमान जयंती, रामनवमी, ईद आदि सभी महत्वपूर्ण त्योहारों को सोहद्र और हर्षोल्लास से मिलजुल कर मनाने की अपील की!



 मीटिंग में उपस्थित अजमेर शहर जिला सीएलजी समिति सदस्य दिलीप भाई टोपीवाला ने सभी उपस्थित सीएलजी सदस्यों की तरफ से प्रशासन को आश्वस्त किया कि सभी सीएलजी सदस्य प्रशासन का हमेशा की तरह से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करेंगे एवं अजमेर की गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखेंगे!