Thursday, March 28, 2024

रमजान का पाक महीना चल रहा है. मुसलमानों के लिए यह महीना इबादत का है.रमजान में रोजा, नमाज और कुरान पढ़ने के साथ जकात और फितरा देना बहुत ही वाजिब है.

ईद की नमाज से पहले हर मुसलमान को जकात और फितरा अदा करना होता है असल में ये एक तरह से दान ही है. क्या होता है जकात और फितरा? असल में जकात फर्ज है, तो फितरा वाजिब है. जो हैसियतमंद है ऐसे लोगों के लिए जकात और फितरा निकालना फर्ज है. जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. रमजान के महीने में ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात देना हर मुसलमान के लिए जरूरी होता है.
क्या है जकात

हर उस मुसलमान के लिए जकात देना जरूरी है जो हैसियतमंद है. आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं. अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है. वैसे तो जकात पूरे साल में कभी भी दी जा सकती है, लेकिन ज्यादातर लोग रमजान के महीने में ही जकात निकालते हैं. असल में ईद से पहले जकात अदा करने का रिवाज है. जकात गरीबों, बेवाओं, यतीम बच्चों या किसी बीमार व कमजोर व्यक्ति को दी जाती है. औरत या मर्द के पास अगर सोने चांदी के जेवरात के तौर पर भी कोई प्रोपर्टी होती है तो उसकी कीमत के हिसाब से भी जकात दी जाती है.कौन देता है जकात अगर घर में पांच मेंबर हैं और वो सभी नौकरी या किसी रोजगार के जरिए पैसा कमाते हैं तो सभी पर जकात देना फर्ज माना जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी का बेटा या बेटी भी नौकरी या रोजगार के जरिए पैसा