Saturday, October 31, 2020

शमीम मुलतानी की अहलिया शहनाज़ बी का हुआ इंतेक़ाल जोहर में की जायगी सुपुर्द-ए-खाक


बड़े ही दुःख के साथ इत्तला दी जाती है कि पीर के पास मोहल्ला प्रतापनगर क़स्बा जलालाबाद जिला शामली उत्तरप्रदेश के रहने वाले जनाब शमीम साहब की अहलिया शहनाज बी उम्र लगभग 45 साल का आज बा तारीख 01 नवंबर 2020 को अलसुबह इंतेक़ाल हो गया वो काफी समय से बीमार से शहनाज़ बी अपने पीछे 4 लड़के आरिफ़, अरशद, अकरम,आरिस समेत 2 लड़कियां फरहा और नाबिया सहित सभी रिश्तेदारों को रोता बिलखता छोड़कर हमेशा हमेशा के लिये इस दुनिया से विदा हो गयी है। इनका मायका गाँव मोहन पुर जिला सहारनपुर का था। 

मायका वालो के नाम

नज़ीर अहमद मरहुमा ( वालिद) व 4 भाई मुनीर मनव्वर मतलूब अय्यूब गय्यूर है। मय्यत को जोहर की नमाज़ के बाद सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।।

मुलतानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट का हर औहदेदार और सदस्य इस परिवार के साथ है। अल्लाह इनकी मगफिरत फरमाये और ज़न्नत-उल-फिरदौस में आला मकाम अता फरमाये।

Thursday, October 29, 2020

⚘⚘ *ज़रूरी इत्तेला़ बराए बज़मे निकाह* ⚘⚘

 


🌹*بسم اللہ الرحمٰن الرحیم*🌹 


  *الصلتوۃ والسلام علیک یا رسولاللہ ﷺ* 




एहले मुल्तानी लोहार बिरादरान,


*अस्सलामु अलयकुम व रहमतुल्लाही व बरकातुहु* 


⚘⚘बहुत ही खुशी के साथ यह तहरीर किया जाता है कि मेरे भतीजे व मेरे भाई  *मरहूम उस्मान गनी डडियाल वल्द मरहूम मोहम्मद इब्राहिम डडियाल के फ़रजन्द मोहम्मद इरफ़ान डडियाल का निकाह मरहूम मोहम्मद हुसैन साहब जनतावाले की पोती ओर जनाब अब्दुल अजीज साहब जनतावाले की साहबजादी से ब तारीख 20 फरवरी 2021 बरोज सनिचर बाद नमाजे असर बमुकाम लोहार कालोनी,आयड़, उदयपुर* मे होना तय पाया है। *इंशाअल्लाह* 🌹💐🌹


आपसे इल्तिमास है तकरीब मे तशरीफ लाकर दुआओ से नवाजे।।🌹🌹🌹



      

            मिनजानिब

⚘⚘ *मोहम्मद फारूख डडियाल व एहले डडियाल खानदान* ⚘⚘

मोबाइल:- 09414472133

Tuesday, October 27, 2020

फ़ातिहा ख्वानी

 


मुकरमी जनाब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकतोहू 

वाज़ेह हो कि हमारे भाई मोहतरम   जनाब ग़ुलाम फ़ारूक़ साहब का बतारिख 29मोहरमुल्हराम 1422हिजरी मुताबिक़ 18सितम्बर 2020बरोज़ जुमा को क़ज़ाए इलाही से इंतेक़ाल हो गया है 

अल्लाह तआला मरहूम को जन्नतुल फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए व जुमला अफ़राद को सबरे जमील अता फरमाए (आमीन)


इसाले सवाब -सवा माह की फ़ातिहा 

10रबीउलअव्वल 1422हिजरी मुताबिक़ 28अक्टूबर 2020बरोज़ बुध बाद नमाज़ असर रखी गई है ,

लिहाज़ा आप हज़रात से गुज़ारिश है कि फ़ातिहा में शिरकत फरमाकर मरहूम के लिए दुआए मग़फ़िरत करें ,

ग़ुलाम सिददीक ,ग़ुलाम जीलानी पुंवार !


ग़ुलाम फरीद,ग़ुलाम मुस्तफा,ग़ुलाम फ़याज़ुद्दीन,ग़ुलाम रियाजुद्दीन,ग़ुलाम ग़यासुद्दीन,मौहम्मद यासीन,मौहम्मद आरिफ,मुल्तानी लौहार व अहले अज़ीज़ो अक़रबा !


शम्सुल हक़ ,हाजी ग़ुलाम मुस्तफ़ा ग़ुलाम सरवर,साबिर हुसैन,मौहम्मद रफ़ीक !


बमुक़ाम = अठाना दरवाज़ा नज़्द जामा मस्जिद जावद ,जिला नीमच (एम पी)

8871961045

9981100588

फ़ातिहा ख्वानी

 


अस्सलामु अलैकुम 

वाज़े होकि हमारे भाई मोहतरम जनाब मौहम्मद यूसुफ़ साहब भट्टी (रामपुरा वाले )का 25सफर मुताबिक़ 12-10-2020बरोज़ पीर को क़ज़ाए इलाही से इंतेक़ाल  हो गया है ,

अल्लाह तआला मरहूम को जन्नतुल फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए और अहलो अयाल को सबरे जमील अता फरमाए (आमीन )


(सवा माह की फातेहा )

1 रबीउससानी मुताबिक़ 17नवम्बर 2020 बरोज़ मंगल बाद नमाज़ असर रखी गई है 

लिहाज़ा आप हज़रात से गुज़ारिश है कि फ़ातिहा में शिरकत फरमाकर मरहूम के लिए दुआए मग़फ़िरत करें !

(ग़मजदगान )

मौहम्मद हुसैन, मौहम्मद यूनुस, मौहम्मद उमर,अब्दुल सलाम,मौहम्मद फ़ारुक़,मेहमूद हसन,मौहम्मद आसिफ,मौहम्मद आरिफ,जुमला भट्टी खानदान !

(अलमुकल्लिफ़ीन)

अब्दुल ग़फ़्फ़ार,उस्मान ग़नी, अब्दुल रशीद,अब्दुल सत्तार, अब्दुल जब्बार,अब्दुल अज़ीज़, नबी अहमद ,जुमला भट्टी खानदान !


बमुक़ाम : पारीक छात्रावास गुल अली नगरी गली नम्बर 9 भीलवाड़ा (राजस्थान )

9926813870

9785596245


Monday, October 26, 2020

किसानों की तरह ही मुलतानी लोहार बिरादरी को भी अन्नदाता का दर्ज़ा और क्रेडिट कार्ड, ,बैंकों से ब्याज़ मुक्त लोन व अन्य सुविधाएं मिले : मुलतानी ज़मीर आलम

 


यह न्यूज़ चैनल समर्पित है पैदाइशी इंजीनियर लोहार बढ़ई ( मुल्तानी समाज) को इस बिरादरी ने राजा महाराजाओं , मुगलों, बादशाहों को युद्ध में लड़ने के लिए अस्त्र शस्त्र से लेकर एक शहर से दूसरे शहर आने जाने के लिए आलीशान घोड़े बग्गीया जो आज की बीएमडब्ल्यू गाड़ियों को भी मात देती है ऐसी बग्गिया बना कर दी है।  इसके अलावा देश के किसानों को खेती करने के लिए आधुनिक यंत्र तो बनाकर दिए ही खेतो की सिचाई करने के लिये हरट से लेकर न जाने कितने प्रकार के कृषि यंत्रों की

ईज़ाद की है। किसानों और लोहार, बढईयो का हमेशा चोली दामन का साथ रहा है। यदि राजा महाराजाओं और अन्नदाताओं यानी किसानों को यह बिरादरी अस्त्र शस्त्र और आधुनिक यंत्र की ईज़ाद करके देती रही है। इसलिये इस देश को सोने की चिड़िया बनाने में मुल्तानी समाज की भी अहम भूमिका रही है । जितना सम्मान और सुविधाएं अन्नदाताओं यानी

किसानों को दिया जाता है उतने ही सम्मान की हकदार  मुल्तानी लोहार बिरादरी भी है। लेकिन बड़े दुःख की बात है कि हर सरकार ने मुलतानी लोहार बिरादरी की हमेशा अनदेखी ही की है । जबकि किसानों को अन्नदाताओं का दर्जा दिया गया है। सरकारों को मुल्तानी लोहार बिरादरी का देशभक्त चेहरा दिखा कर अन्नदाताओं का दर्जा दिलाने और किसानों की तरह ही सभी सरकारी सुविधाएं दिलाकर मुलतानी लोहार बिरादरी को इस चैनल के माध्यम से समाज की मुख्यधारा में शामिल कराना ही हमारा अहम मकसद है।

फातिहा ख्वानी

 


अस्सलामु अलैकुम हमारे बड़े भाई मर्हुम अब्दुल जब्बार वल्द मर्हुम अब्दुल रहमान भट्टी का 20/09/2020 को कजा ए ईलाही से इन्तीकाल हो गया ईन्नाह लिल्लाह व इलही राजेउन हमने सब्र किया आप भी सब्र करे मर्हुम की सवा माह कि फातिहा 28/10/2020 बरोज बुध को बाद नमाज़े असर रख्खी गई हे आप से गुजारिश हे की इस फातिहा ख्वानी मे शीर्कत कर के मर्हुम को इसाले सवाब पहुचाए     गमजदा  नुर मोहम्मद भट्टी   अब्दुल समद भट्टी    मुकाम गुल अली नगरी भीलवाड़ा राजस्थान   mo 9413271530 9571727373

*बिरादराने अहले मुल्तानी

 


🌹💐🌹بسم اللہ الرحمٰن الرحیم🌹💐🌹

बड़ी खुशी के साथ तहरीर है कि मेरे छोटे भाई *अब्दुल सलाम नाकेदार* की नूरे नजर नूर फातिमा और जनाब *मरहूम मोहम्मद इस्माइल साहब मक्कड़* के साहबजादे *सईद अहमद के फर्जंद मोहम्मद आदिल* कि हां मिल भर आई वह  निकाह की तारीख की चिट्ठी मंदसौर भेजने के लिए तमाम *पंचों* से गुजारिश है तशरीफ लाएं और अपने हाथों से इस काम को अंजाम दे *तारीख 28-10-2020 बरोज बुद्ध वक्त बाद नमाज इशा रात 9:00 बजे रखा हे*           *मुकाम*           

       *15, दाऊदी नगर खजराना इंदौर*


 *फक्त अब्दुल सत्तार नाकेदार*

 *9302113196*           

*वा नाकेदार खानदान*

हाजी अब्दुल सत्तार मुलतानी को " मुलतानी समाज चैरिटबल ट्रस्ट ( रजि0 ) संस्था ने नीमच जिला चैयरमेन मनोनीत किया


बड़ी खुशी के साथ अवगत कराया जाता है तेजी से देश में लोहार,बढई बिरादरी के सम्मान में बढ़ते कदम , क्रांतिकारी ट्रस्ट व आई0एस0ओ0 प्रमाणित संख्या AN ISO 9001 2015 सर्टिफाइड संगठन मुलतानी समाज चैरिटबल ट्रस्ट ( रजि0 )  के रास्ट्रीय  चैयरमेन मा0 मुलतानी ज़मीर आलम जी ने दिनांक 26/10/20 , को नीमच मध्य प्रदेश निवासी जनाब हाजी अब्दुल सत्तार मुलतानी वल्द जनाब मो0 इस्माइल

मुलतानी निवासी नीमच को तंजीम के  रास्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी मो0 इक़बाल काजी जी की अनुसंशा व प्रदेश अध्यक्ष ज़नाब अब्दुल सत्तार ( सत्तार बोस ) की प्रसंशा से जिला चैयरमेन मनोनीत किया है । ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा0 मुलतानी ज़मीर आलम जी ने नवनियुक्त जिला चैयरमेन को बधाई देते हुए कहा कि ट्रस्ट , जनाब हाजी अब्दुल सत्तार (जिला चैयरमेन) के पद रहते हुए समस्त नीमच जिले में मुलतानी लोहार

बिरादरी की तरक्की और आपसी भाईचारे के साथ साथ बिरादरी को डिजिटल कराने की चलाई जा रही मुहिम को निः स्वार्थ भावना से ऊंच नीच से  हटकर देश की अखंडता, और सामाजिक प्रभुता को कायम रखते हुए , सबका साथ, सबका विकास , सबको न्याय ,  को लेकर ट्रस्ट के मिशन को मजबूत करते हुए और आगे बढ़ाएंगे 

साथ ही मा0 मुलतानी ज़मीर आलम जी व  वरिष्ठ पदाधिकारियों ने नवनियुक्त जिला चैयरमैन के उज्जवल भविष्य की कामनाएं की।।

तंजीम के बारे में ज्यादा जानकारी के लिये आप तंजीम की वेबसाइट www.multanisamaj.com पर विजिट ज़रूर करें।  बिरादरी की खबरों के लिये आप हमारी न्यूज़ वेबसाइट www. msctindia.com पर विजिट करें।

Sunday, October 25, 2020

मरहूम मुहम्मद इस्हाक़ साहब पंवारचित्तौड़ी दरवाज़ा वालो के छोटे भाई मरहूम मुहम्मद हाशम का तारीख 25/10/2020को क़ज़ा ए इलाही से इंतेक़ाल हो गया था

 


गमगीन खबर


जिनकी इसाले सवाब के लिए सवा माह की फातेहा ख्वानी तारीख 26/10/2020बरोज़ पीर शाम को रखी गई है 

आप सभी हज़रात शिरकत कर मरहूम के हक़ में दुआए मगफिरत फरमाए


बमुक़ाम

मेवाती मोहल्ला निम्बाहेड़ा

मुहम्मद अय्यूब: 

अब्दुल क़य्यूम:9314402841

अब्दुल हकीम:9414617606

Saturday, October 24, 2020

खबर इंतेकाल

 


जनाब दीन मोहम्मद साहब (दिन्ना) खराद मशीन वाले / बावली वाले, बडका मार्ग बडौत जिला बागपत उत्तर प्रदेश का आज तड़के साढे तीन बजे अपने घर पर ही इन्तकाल हो गया है । मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढई बिरादरी के इन बुजुर्ग हजरात के इन्तिकाल से बिरादरी को कभी ना पूरा होने वाला नुकसान हुआ है । अल्लाह मरहूम की मगफिरत फरमाएं । आमीन ।

हिंदू राष्ट्र समर्थित दृष्टिकोण पर आधारित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीयत उलमा ए हिंद ने किया निरस्त।


 जमीअत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सम्मेलन में शिक्षा नीति में शामिल धार्मिक भेदभाव के सारे तत्वों को रद्द करते हुए समस्त न्याय प्रिय और धर्मनिरपेक्ष तत्वों से अपील की गई कि अपने बच्चों के मासूम ज़हनों को धार्मिक भेदभाव के प्रदूषण से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करें।

 मदरसों के खिलाफ़ भड़काऊ बयानों के खिलाफ़ प्रस्ताव पारित : इस्लामी मदरसों की देश की तरक्की में बड़ी भूमिका, सरकार से कहा कि देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और धार्मिक शिक्षा की आज़ादी के संवैधानिक अधिकार का हनन करने वाली विचारधारा का हरगिज़ साहस न बढ़ाएं।

मदरसों के विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने पर सहमति, व्यवहारिक कार्यक्रम लागू करने से संबंधित कमेटी गठित। 


नई दिल्ली। 24 अक्टूबर 2020


जमीयत उलमा ए हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का महत्वपूर्ण सम्मेलन, अध्यक्ष, जमीयत उलमा ए हिंद, मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी की अध्यक्षता में मुफ़्ती किफायतउल्ला हाल, केंद्रीय कार्यालय जमीयत उलमा ए हिंद नई दिल्ली में आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप ज़ूम के माध्यम से भी कई सदस्यों और आमंत्रितों को सम्मेलन की कार्यवाही में भाग लेने में सफलता प्राप्त हुई। कार्यकारिणी के सम्मेलन में विशेषकर नई शिक्षा नीति, इस्लामी मदरसों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार, मदरसों में आधुनिक शिक्षा के लिए व्यवहारिक कार्यक्रम की तैयारी और सोशल मीडिया में इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ़ ज़हर उगलने जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।


पिछली कार्यवाही की जानकारी के बाद जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने देश के वर्तमान हालात विशेषकर भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा का सीएए को लागू करने से संबंधित वर्तमान बयान और इसी तरह आसाम सरकार की तरफ से सहायता प्राप्त मदरसों में धार्मिक शिक्षा की पाबंदी जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर विस्तार से प्रकाश डाला। राष्ट्रीय साधारण कार्यकारिणी ने इस तरह की सांप्रदायिक भेदभाव पर आधारित कार्यों पर तीव्र निंदा प्रकट करते हुए इसके ज़हरीले प्रदूषित प्रभाव के प्रभावों पर गौर किया।


राष्ट्रीय कार्यकारिणी में खासतौर से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विषय विचारणीय रहा। इससे संबंधित एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें इसको हिंदू धर्म और उसके तरीके को सारे नागरिकों पर जबरन थोपने वाला कदम बताया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि हमारे देश में वैचारिक और व्यवहारिक दोनों स्तर पर धार्मिक भेदभाव पूर्ण और परंपरागत सेकुलर व्यवस्था के बीच कशमकश इस वक्त अत्यधिक चरम सीमा पर है। हिंदू राष्ट्र समर्थित दृष्टिकोण ने राजनीतिक सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद अपने पुराने एजेंडे को एक-एक करके लगभग हर क्षेत्र में लागू करना शुरू कर दिया है। इस संबंध की महत्वपूर्ण कड़ी नई शिक्षा नीति है। देश में आमतौर पर शिक्षा स्तर को सुधारने और उद्योग धंधों, आर्थिक तरक्की के लिए शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के लिए कुछ लाभप्रद और सकारात्मक कदमों के बावजूद धार्मिक भेदभाव की छाप इस पर इस कदर प्रभावी हुई है  कि  कमियों की निशानदेही में एतदाल कठिन हो गया है। सभ्यता व संस्कृति, राष्ट्रीयता, शारीरिक व मानसिक और स्वास्थ्य एवं एकता और समानता आदि के नाम पर नई शिक्षा नीति में ऐसे परिवर्तन किए गए हैं जिसका मूलभूत निशाना हिंदू धर्म और उसके तौर-तरीके को जीवन के हर क्षेत्र में समस्त नागरिकों पर जबरन थोपना है। जो कि अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों की इस देश की आज़ादी और तरक्की में भागीदारी के इतिहास और मुश्रिकाना सोच के मुकाबले में तोहीद के अटल

विश्वास पर, प्रत्यक्ष रूप से सिर्फ विवादित ही नहीं बल्कि उस पर अत्यधिक बर्बर हमला है। इस परिदृश्य में सामूहिक जागरूकता की कोशिशों को जारी रखते हुए यह सम्मेलन नई शिक्षा नीति में शामिल धार्मिक  भेदभाव के  समस्त तत्वों को  रद्द करता है। और बिना किसी धार्मिक भेदभाव के न्याय प्रिय और सैकुलर तत्वों से अपील करता है कि अपने बच्चों के मासूम ज़हन को धार्मिक भेदभाव के प्रदूषण से बचाने के लिए हर संभव कदम उठाएं।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने प्रस्ताव में मुसलमानों से अपील की है कि जमीयत उलमा ए हिंद की पारंपरिक पुरानी कोशिशों पर गंभीरता से अमल करते हुए ज़्यादा से ज़्यादा अपने स्कूल स्थापित करें। जहां इस्लामी वातावरण में आधुनिक शिक्षा उपलब्ध की जाए।


 इसी तरह राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मेलन में इस्लामी मदरसों के खिलाफ़ कुछ मंत्रियों की तरफ से नकारात्मक प्रचार और साम्प्रदायिक टिप्पणियों निंदनीय बताते हुए इससे संबंधित स्वीकृत प्रस्ताव में कहा गया कि यह बात किसी भी छुपी नहीं है कि दीनी मदरसों में मानवीयता और राष्ट्रीय एकता की शिक्षा दी जाती है और अच्छे विचारों से विद्यार्थियों को सुसज्जित किया जाता है। मदरसों से जुड़े लोगों का देश की आज़ादी में प्रमुख योगदान रहा है और आज भी मदरसे के लोग विभिन्न मैदानों में देश और कौम की तरक्की के लिए अपनी अत्यधिक महत्वपूर्ण सेवाएं पेश कर रहे हैं। लेकिन यह बात निंदनीय है कि वर्तमान में कुछ मंत्रियों की तरफ से बेबुनियाद नकारात्मक टिप्पणियां की गई हैं जो अत्यधिक साम्प्रदायिक और भेदभाव है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी जमीअत उलमा ए हिंद इस पर तीव्र भर्त्सना करती है और सरकार से अपील करती है कि वह देश की धर्म निरपेक्ष मूल्य और धार्मिक शिक्षा की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का  हनन करने वाली विचारधारा का साहस न बढ़ाए। इस्लामी मदरसों के विद्यार्थियों को आधुनिक आवश्यकताओं से परिचित करने और मदरसों को अपनी परंपरा पर बाकी रखते हुए एन आई एस बोर्ड से जोड़ने जैसी समस्याएं भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विचारणीय रहीं। इस संबंध में राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने प्रस्ताव में कहा कि अगरचे मदरसों के पाठ्यक्रम में आधुनिक शिक्षा के विषयों को शामिल करना कठिन है लेकिन देश में ओपन स्कूली व्यवस्था ने ऐसी राष्ट्रीय संभावनाएं पैदा कर दी हैं कि दीनी मदरसे अपने पाठ्यक्रम को पूर्व की तरह अपनी परंपरा पर कायम रखते हुए विद्यार्थियों के लिए उचित स्तर पर आधुनिक शिक्षा का प्रबंध कर सकते हैं। इस पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी जमीअत उलमा ए हिंद ने इस संबंध में उचित व्यवहारिक कार्यक्रम तैयार करने के लिए निम्नलिखित लोगों पर आधारित कमेटी का गठन किया है जो मदरसों के लिए उनकी सुरक्षात्मक दृष्टिगत भविष्य के लिए एक माह में अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।

 1- मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी कन्वीनर।

2- मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी

 3- मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी

4 - मौलाना कलीम उल्लाह कासमी अंबेडकर नगर।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर जो जहर फैलाया जा रहा है उसका जवाब देने के लिए भी एक कमेटी गठित की गई। जो इस्लाम विरोधी प्रचार प्रसार के तोड़ के लिए व्यवहारिक कार्यक्रम तय करेगी। कमेटी के कन्वीनर मौलाना नियाज़ अहमद फारूकी होंगे। जब के सदस्य मौलाना सद्दीकुल्लाह  चौधरी, मौलाना मुफ़्ती सलमान मंसूरपुरी, मौलाना सलमान बिजनौरी, मौलाना शमसुद्दीन बिजली हैं ।इसके अलावा यह भी तय हुआ कि प्रबंध कमेटी के सम्मेलन 12 सितंबर 2019 के अनुसार सारी इकाइयों को जमीयत सद्भावना मंच स्थापित करने का प्रतिबद्ध बनाया जाए। कार्यकारिणी सम्मेलन में उत्तरी पूर्वी दिल्ली दंगों के सिलसिले में विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई। जिस पर संतोष प्रकट किया गया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने निकट भविष्य में इस दुनिया को छोड़ जाने वाले प्रमुख व्यक्तियों को शोक श्रद्धांजलि प्रकट की और उनके परिवार वालों के लिए दुआएं की।


इस सम्मेलन में अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी के अलावा मौलाना मुफ़्ती अबुल कासिम नोमानी, मोहतमिम दारुल उलूम देवबंद, (जूम एप के माध्यम से) मुफ़्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी जामिया कासमिया शाही मुरादाबाद, मौलाना कारी शौकत अली वेट, मुफ़्ती मोहम्मद राशिद आजमी दारुल उलूम देवबंद, मौलाना सलमान बिजनौरी दारुल उलूम देवबंद, मौलाना अली हसन मजाहीरी, मुफ्ती जावेद इकबाल किशनगंजी,  मौलाना नियाज़ अहमद फारूकी, शकील अहमद सैयद, मौलाना  सिद्दीकुल्लाह  चौधरी, डॉक्टर सायीदुद्दीन नांगलोई, मुफ़्ती अब्दुल रहमान नौगांवा सादात, मुफ्ती शमसुद्दीन बिजली बेंगलुरु, मुफ़्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, मुफ्ती अहमद देवला, मौलाना आक़िल गढ़ी दौलत और मौलाना हकीमुद्दीन कासमी शरीक हुए। जबकि जूम के माध्यम से मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, मौलाना बदरुद्दीन अजमल, मुफ्ती हबीबुर्रहमान इलाहाबाद, हाफ़िज पीर शब्बीर अहमद हैदराबाद, मौलाना मोहम्मद रफीक मजाहीरी, हाजी मोहम्मद हारून भोपाल, हाफिज नदीम सिद्दीकी महाराष्ट्र, मौलाना मुफ़्ती इफ्तिखार अहमद कर्नाटक, मौलाना रफीक मजाहिरी गुजरात, मौलाना अब्दुल कादिर आसाम, मौलाना शेख मोहम्मद याहिया आसाम, मौलाना मोहम्मद जाबिर कासमी उड़ीसा, क़ारी अय्यूब ने भाग लिया।


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प्रेषक-

नियाज़ अहमद फारूकी

सचिव, जमीयत उलमा ए हिंद।

Friday, October 23, 2020

मा0 अब्दुल हफीज़ ( मरहूम ) की अहलिया फहमीदा बी का भी इंतेकाल हुआ।


बड़े ही दुःख के साथ यह इत्तला दी जा रही है कि उत्तर प्रदेश के जिला बिजनोंर के क़स्बा व तहसील नजीजाबाद के मोहल्ला कलानान के रहने वाले मा0 अब्दुल हफीज ( मरहूम ) की अहलिया फहमीदा बी का आज बा तारिख़ 23 अक्टूबर 2020 को शाम तकरीबन 6-7 बजे के आसपास इंतेकाल हो गया है। फहमीदा बी काफी अर्से से बीमार थी ।

इनके शौहर मा0 अब्दुल हफीज साहब का भी लगभग 5 साल पहले इंतेकाल हो गया था। फहमीदा बी के 3 बेटे डॉ0 नईम साहब, एडवोकेट तसलीम साहब व मा0 सलीम साहब सहित 2 बेटियां फरजाना और रिहाना है। फहमीदा बी बहुत ही नेकदिल और मिलनसार होने के साथ साथ बहुत ही मेहमाननवाजी करने वाली औरतों में थी। इनको सुबह बा तारिख़ 24 अक्टूबर 2020 को सुबह लगभग 10 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा इस बारे में कोई भी जानकारी मरहुमा के पौते ज़नाब फहीम के मो0 न0 - 96757-65311 पर कॉल करके ली जा सकती है। मुलतानी समाज चैरिटबल ट्रस्ट ( रजि0) तंजीम का हर औहदेदार मरहूमा की मगफिरत और घरवालों को सब्र की दुआ करता है।


आप बिरादरी की हर तरह की खबर्रे हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 95286-80561 पर भी दे सकते है। तंजीम के बारे में ज्यादा जानकारी के लिये हमारी वेबसाइट www.multanisamaj.com पर लॉगिन करें।

Wednesday, October 21, 2020

मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट ( रजि0 ) संस्था के राष्ट्रीय चेयरमैन माननीय मुल्तानी जमीर आलम जी को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया


आज दिनांक 21 अक्टूबर 2020 को मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट रजिस्टर्ड संस्था के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन वे तीन राज्यों के प्रभारी


 जनाब हाजी मोहम्मद इकबाल काजी मुल्तानी और मध्य प्रदेश स्टेट के चेयरमैन जनाब अब्दुल सत्तार उर्फ सत्तार बॉस एवं उज्जैन मध्य प्रदेश से प्रदेश

जनगणना अधिकारी मोहम्मद फारुख मुल्तानी संस्था के राष्ट्रीय चेयरमैन माननीय मुल्तानी जमीर आलम जी के निवास पर पहुंचे और तीनों प्रदेश राजस्थान मध्य प्रदेश गुजरात में बिरादरी को ट्रस्ट के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ जनगणना और बच्चों के रिश्ते के बारे में अवगत

कराया ट्रस्ट के वाइस चेयरमैन ने बताया कि हम राजस्थान के भीलवाड़ा में मुल्तानी बिरादरी गुजरात मध्य प्रदेश राजस्थान के युवाओं को जागरूक करने और उनका उत्साहवर्धन करने के उद्देश्य से 12 नवंबर को मुल्तानी डे के खास मौक़े पर तीन दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन जा भीलवाड़ा ( राजस्थान ) में कर रहे थे परंतु कॉविड 19 महामारी के

चलते जिलाधिकारी भीलवाड़ा ने क्रिकेट टूर्नामेंट की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है वाइस चैयरमेन काजी जी ने बताया कि  ट्रस्ट 12 नवंबर मुल्तानी डे के खास मौके पर राजस्थान मध्यप्रदेश गुजरात में जिला स्तर पर मुल्तानी डे का केक काटकर खुशी मनाएगी साथ ही मुल्तानी डे पर सभी जगह वृक्षारोपण कार्यक्रमों का भी आयोजन किया

जाएगा इस अवसर पर इन पदाधिकारियों ने संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय ज़मीर आलम जी का पगड़ी पहनाकर व  उपहार  देकर सम्मानित करते हुए कहा कि पूरे देश के मुल्तानी लोहार बिरादरी को एक प्लेटफार्म जो आपने दिया वह काबिले तारीफ है आज तक भारत की

कैसे भी मुल्तानी लोहार बिरादरी की संस्था द्वारा पूरे भारत में इस तरह की कोई पहल नहीं की गई खासकर बिरादरी की जनगणना वह शादी लायक लड़के लड़कियों के रिश्तो को आसान बनाने बनाने का जो

महान कार्य मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जाना काबिले तारीफ है उन्होंने वायदा किया कि जल्द से जल्द मुल्तानी बिरादरी का

तीनों राज्यों गुजरात राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में जनगणना का कार्य पूरा करके रिपोर्ट मुख्यालय को सौंप दी जाएगी सभी ने माननीय आलम जी उपरोक्त सभी राज्यों के दौरे पर आने की दावत भी दी जिसको चेयरमैन साहब ने स्वीकार कर अगले माह तीनों राज्यों का दौरा करने का आश्वासन दिया।

Monday, October 19, 2020

जब हम सो रहे होते हैं,संघ की 59 हज़ार शाखाओं के एक करोड़ 25 लाख सदस्य एकत्रित हो चुके होते हैं..जब हम इधर उधर फ़ुज़ूल बातें कर रहे होते है,संघ 12 भाषाओं में 30 पत्रिकाएं प्रकाशित कर नियमित रूप से "दो लाख गावों" के लाखो करोड़ो पाठकों तक भेज चुका होता है...


संघ ने विगत दो सालों में अलग अलग जगह कार्यक्रम कर 4000 से ज़्यादा पत्रकार,ब्लॉगर्स और लेखकों को सम्मानित किया है जो मासूम ज़हनों तक उनके एजेंडे पहुंचा रहे है...55000 से अधिक उनके विद्यालय और 20 लाख से अधिक प्रशिक्षित फुलटाइम कार्यकर्ता भी 90 सालो से हिंदुस्तान को संघिस्तान बनाने में लगे हैं..

 

 मस्जिदे केवल नमाज़ के लिए नहीं होती,जहाँ नमाज़ के लिए ही बस इकट्ठा हो और उसके बाद सन्नाटा हो जाए,ताले लग जाएं..बल्कि हमारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन्हें हमारी समाजी,सियासी और दुनियावी फ़लाह का सेंटर भी बनाया था..मस्जिदे नबवी में सारे मुसलमान आपस में मिलते जुलते थे जहां सब्र तहम्मुल और समझदारी से समुदाय के लिए सारे ज़रूरी फैसले लिए जाते थे..!


            मगर अफसोस कि मुसलमान जैसे जैसे पस्ती में जाता गया,वैसे वैसे मस्जिदे सूनी होती चली गईं. मस्जिदों से ही दुनिया की पहली''अलअज़हर" जैसी कई यूनिवर्सिटीज निकली थीं.. .आज जब आरएसएस इस्लाम दुश्मनी के जाल व संघटन का विस्तार हमारे घर के अंदर तक कर चुका है तो बेहद ज़रूरी है कि मस्जिदे फिरसे एक्टिव हों..!


           मस्जिदों में तालीमयाफ्ता,विज़नरी,समझदार ईमाम उलेमा होने चाहिए..मस्जिदों में मुहल्ले के काबिल लोगो को रोज़ एकाध घण्टे  कैरियर-कॉउंसिलिंग,तिब्बी-नुस्खे, फैमिली- गाईडेन्स, कानूनी-मशवरे वगैरह की अपनी सेवाएं ज़रूर देनीचाहिए.. मस्जिदों को हमारे समाजी,सियासी इक्तेसादी(financial) मसलो के सॉल्यूशन का सेंटर बनाना ही चाहिए जैसा कि हमारे नबी,हमारे हीरो,हमारे कायद रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने करके दिखाया था..!


           कबतक हम यूँ दूसरों का मुंह ताकेंगे..खुद कुछ किये बगैर ईमाम मेहंदी का इंतेज़ार करेंगे..दुश्मन की साजिशों और कामयाबियों पर खाली मातम करते रहेंगे???

Sunday, October 18, 2020

अगर बच्चे मस्जिद में शरारत करें तो दरगुज़र करें क्योंकि ये बच्चे टी०वी, इन्टरनेट और मोबाइल छोड़ कर मस्जिद आते हैं कल यही बच्चे दीन को जिंदा रखेंगे,,,,,,,

 


अरे---- ये तो बच्चों की साइकोलॉजी होती है के खुली जगह देखकर भाग दौड़ करना और खेलना चाहते हैं,--- लेकिन होता ये है अक्सर लोग बच्चों के पिछे पड़ जाते हैं, इतना डांटते हैं और मारते हैं कि बच्चा आइंदा मस्जिद में जाने से ही इन्कार कर देता है!

हमारे नबी (स०अ०) तो अपने नवासे के कमर पर सवार होने पर सज्दा लम्बा कर दिया करते थे, कभी मस्जिद में आने से मना नहीं फ़रमाया। और आजकल के लोग इतने मुत्तकी और परहेज़गार हो ग‌ए हैं कि खलल पड़ जाए तो क़यामत ही आ जाती है---! ना सिर्फ बच्चों को डांटा जाता है बल्कि उसके वालिद को शिकायत लगाईं जाती है और कहा जाता है कि इसे मस्जिद में ना लाया करें,------ आज मना करोगो तो ये बच्चे कल क्यों आएंगे,,,,??? आज बुनियाद नहीं रखोगे तो इमारत कैसे बनेंगी----!?

आहिस्ता और प्यार भरे लफ़्ज़ों में इन बच्चों को समझाया जाए, जल्दीबाज़ी ना कि जाए,,,, बच्चे हैं कोई बड़े तो नहीं जो एक बार कहे से मान जाए, याद रखें हिक्मत और तदबीर से। इससे भी ज्यादा जरूरी सब्र है।

बे नमाज़ी जवान को मस्जिद में लाना बहुत मुश्किल है लेकिन आपके पास कुछ फ़सल है इसे तो पका लें, कुछ अरसा बर्दाश्त करें और यकीन जानें ये बच्चे कभी नमाज़ नहीं छोड़ेंगे क्योंकि बचपन से ये नमाज़ के आदी होंगे----- लेकिन अगर बचपन में डांट डपट कर भगाया जाता रहा फिर उन्हें वापस लाना नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल ज़रूर होता है।


इमाम ए मस्जिद और ऐसे लोग रहम करे, और अगर मस्जिद की पिछली सफों से बच्चों की आवाज नहीं आतीं तो फ़िक्र भी करें।

                               

क्या आप जानते हैं, इस्लामी महीना ,सन और तारीख की शुरुआत कब हुई ,

मुसलमान अपने कैलेंडर की शुरुआत हुज़ूर  रहमते आलम सल्लल्लाहो अलेहि वसल्लम के अज़ीमुश्शान सफर से करते हैं !जिस को सफर हिजरत से इस्लाम में याद किया जाता है !

नबीए पाक ने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के हुक्म से और दीने इस्लाम की सर बुलंदी के लिए अपने बाप दादाओं के इलाक़ाई वतन बैतुल्लाह के पड़ौस को छोड़कर खजूर वाली सरज़मीन मदीना मुनव्वरा की तरफ सफर फ़रमाया 

इस बारे में रिवायतें तो कई हैं मगर हज़रत अबू मूसा रदिअल्लाहु तआला अन्हु की वो रिवायत कि ये एक सूबे के हाकिम और गवर्नर थे !उन्होंने अमीरुल मोमिनीन के पास खत लिखा या अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने इनको खत लिखा जिस पर तारीखें नहीं लिखी हुई थीं तो हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म ने ये खयाल कर के हुज़ूर के सहाबए किराम को बुलाया और उन से मशवरा तलब फ़रमाया कि हमारी भी कोई सन और तारीख होनी चाहिए !

मशवरा शुरू हुआ तो कुछ लोगों ने राय दी कि मुसलमानों की तारीख की शुरुआत पैग़म्बरे आज़म सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मुक़ददस पैदाइश से होनी चाहिए मगर हज़रत उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने इस राय को पसंद नहीं फ़रमाया !

मजलिस में से एक राय यह भी सामने आई कि रहमते आलम सल्लल्लाहो अलेहि वसल्लम के विसाल से सन और तारीख शुरू की जाए, इस बात को भी हजरत उमर रदिअल्लाहु तआला अन्हु ने पसंद नहीं फरमाया क्योंकि आपका विसाल सारी दुनिया के लिए और खासकर सहाबए किराम के लिए एक बड़ा हादसा था इस तरह फिर हर साल ग़म वगैरह याद आएंगे इसलिए यह राय भी कबूल नहीं फरमाई ! इसके बाद इस बात पर इत्तेफाक हुआ कि हिजरत से तारीख मुकर्रर होनी चाहिए यानी रसूले करीम सल्लल्लाहो अलेहि  वसल्लम ने मक्का मुकर्रमा से मदीना ए पाक की तरफ हिजरत फ़रमाई वो तारीख तय हो हालांकि इस तारीख में बड़े फायदे नजर आ रहे थे जैसे

 # मुसलमानों को हिजरत के बाद क़ुव्वत मिली कि वह पूरी दुनिया पर छा गए 

# हिजरत के बाद हक़्क़ो बातिल  का फर्क सामने आ गया

# हिजरत के बाद कुछ इस्लामी एहकाम शुरू हुए जैसे नमाज ए जुमा ईदों की नमाज

 # मुसलमानों को इबादत की आजादी मिली 

# मक्के में मुसलमान डर डर कर अल्लाह की इबादत कर रहे थे और मदीने में किसी का खौफ नहीं,

# मदीनाए पाक में मुसलमानों ने इत्मीनान का सांस लिया और यहीं से पूरी दुनिया में मुसलमानों का दबदबा छाने लगा 

# इस्लाम की मुकम्मल तस्वीर लोगों के सामने आई और यहूदो नसारा  भी इस मजहबे मुहज़्ज़ब में दिलचस्पी लेने लगे 

# क़ुरआने करीम का सीखने सिखाने के लिए बेहतरीन माहौल मिला 

# दूसरे मजहब वालों तक दीन की खूबियां पहुंचने लगी 

# मदीना मुनव्वरा में पहली इस्लामी हुकूमत क़ायम हुई जिसके सरबराहे आला हुज़ूर  रहमते आलम सल्लल्लाहो अलेहि  वसल्लम ही रहे!

 सन तो तय हुआ मगर यह मसला सामने था कि किस महीने से इस्लामी तारीख़ की शुरुआत हो! हजरत अब्दुल रहमान बिन औफ़ रदिअल्लाहो अन्हु ने फरमाया रजब शरीफ के महीने से इस्लामी महीने की शुरूआत हो यह रजब मुबारक महीना है और हुरमत वाले महीनों में यह महीना गिना जाता है

 हजरत अबु तल्हा रदिअल्लाह तआला अन्हु ने रमजानुल मुबारक की राय दी, क्योंकि यह महीना बड़ी फजीलत वाला है इस महीने में सुन्नत और नवाफिल का सवाब फ़र्ज़ों के बराबर और एक फ़र्ज़ का सवाब 70 फ़र्ज़ों  के बराबर ,

कुछ सहाबए  किराम ने रबीउल अव्वल शरीफ की राय दी क्योंकि वह सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की विलादत पाक का महीना है और अल्लाह के रसूल सल्लल लाहो अलैहि व सल्लम ने हिजरत भी इसी महीने में फरमाई सैयदना हजरत उस्मान गनी रदिअल्लाह अन्हु और हजरत अली रदिअल्लाह अन्हो ने मुहर्रमुल हराम शरीफ से इस्लामी महीने का आगाज होना चाहिए यह राय दी! और जब यह सारे मशवरे सैयदना हजरत उमर रदिअल्लाह अन्हु ने सुने तो हजरत उमर रदिअल्लाहु अन्हु ने इसी राय को पसंद फरमाया! 

# इसलिए कि रहमते आलम सल्लल लाहो अलैहि वसल्लम ने हिजरत करने का इरादा इसी महीने में फरमाया था! 

# क्योंकि इससे पहले जिल हज्ज के महीने में मदीने वालों ने आका अलैहिस्सलाम के दस्ते अक़दस पर "बेअते उक़्बा सानिया" की थी # मोहर्रम शरीफ में ही हजरात सहाबए किराम को हिजरत की इजाजत मिल गई थी!

 हजरत उमर रदिअल्लाह अन्हु ने इस मौके पर यह इरशाद फरमाया कि

#हाजी लोग हज का फ़र्ज़ अदा करने के बाद मोहर्रम ही के महीनों में अपने घरों को पहुंचते हैं इसलिए मुहर्रमुल हराम से ही इस्लामी साल की शुरुआत होनी चाहिए तो इस पर तमाम सहाबए किराम का इत्तेफाक हो गया!!

 अल्लाह का फ़ज़्लो करम हुआ कि हजरत उमर फ़ारूक़े आजम जैसे एक बहुत बड़े मुदब्बिर के सामने यह मसला हल हो गया! कि हम मुसलमानों की भी तारीख़ है सन है और महीना है अब हमें किसी और के दरवाजे को खटखटाने की जरूरत नहीं रहेगी, लेकिन अफसोस कितने ही मुल्कों के मुसलमान खासकर हमारे मुल्क के मुसलमानों पर आज भी दिसम्बर और जनवरी, संडे और मंडे का भूत सवार है यहां तक कि वह अपनी इस्लामी रसूमात शादी ब्याह, मौत मैयत और हज और कारोबारी तारीखों में भी इस्लामी सन तारीख और महीना नहीं लिखते कितने ही ऐसे मुसलमान हैं जिनको इस्लामी सन और तारीख याद भी नहीं शायद ही कुछ मुसलमानों को इस्लामी 12 महीनों के नाम याद हों! सूबाए  राजस्थान में यह मुशाहिदा हुआ है कि कितने ही मुसलमान इस्लामी महीना तारीख और सन घर की औरतों से पूछ कर लिखते हैं, यही वजह रही होगी की शादी कार्ड वगैरह में इस्लामी महीनों के सही नाम ही नहीं लिखे जाते! यहां यह बात याद रखने की है कि जो क़ौम अपना महीना सन और तारीख भूल जाती है जमाना उसको सदियों पीछे धकेल देता है हमें अपनी इस्लामी तारीख और महीनों के नाम ,सन को याद रखने चाहिए ताकि हम अपना इस्लामी तशख़्ख़ुश (पर्सनालिटी)बाक़ी रख सकें! मैं समझता हूं कि जिंदा कौमों की यही अलामत है !!


Saturday, October 17, 2020

मदरसों पर नफ़रत फ़ैलाने से पहले हर भारतीय को इन मदरसों का इतिहास ज़रूर जानना चाहिये.!


काश असम के शिक्षा मंत्री और Tv चैनलों के बिकाऊ एंकर  पहले इन मदरसों का इतिहास (तारीख़) पढ़ लेते..!


शायद उन्हें पता नहीं ..1867 के पहले 

अंग्रेज़ों का एक फ़रमान जारी हुआ..


जहाँ भी उलेमाओं को पाओ क़त्ल कर दो..

वरना हिन्दुस्तान पर हुकूमत करना आसान नहीं 

होगा

50 हज़ार से ज़्यादा उलेमाओं का अंग्रेज़ों ने 

ढूँढ ढूँढ के क़त्ल कर दिया...


आलम ये था कि दिल्ली और आसपास के 

शहरों में ...कोई ऐसा नहीं बचा...जो लोगों के मरने

के बाद जनाज़े की नमाज़ पढ़ा सके.....10-10 दिन मय्यत को रखकर जनाज़े की नमाज़ पढ़ाने वालों को ढूँढा जाता था....जब कोई नहीं मिलता था ...और मय्यत से बदबू आने लगती थी ...तब थक हार कर  बिना जनाज़े की नमाज़ के मय्यत को दफ़ना दिया जाता था.!


बचे खुचे 2-4 उलेमाओं ने मशवरा किया के अंग्रेज़ों से ये लड़ाई हम ऐसे नहीं लड़ सकते.....हमें सबसे पहले लोगों को जोड़ना होगा..!


इसी फ़िक्र के चलते 1867 में देवबंद में एक छोटा सा मद्रसा शुरू किया गया....जिसमें उस वक़्त सिर्फ़ ....एक मुदर्रिस (पढ़ाने वाला) और एक तालिब-ए-इल्म (पढ़ने वाला) था.....1867 में क़ायम उसी छोटे से मद्रसे को आज पूरी दुनियाँ दारुलउलूम देवबंद के नाम से जानती है.!


जिन्होंने तारीख़ (इतिहास) पढ़ी होगी उन्हें पता होगा कि देवबंद के उस छोटे से मद्रसे का उस वक़्त का इकलौता तालिब-ए-इल्म कोई और नहीं ....शेख़-उल-हिन्द मौलाना महमूद हसन देवबंदी थे, जिन्होंने रेशमी रूमाल तहरीक यानी जंग-ए-आज़ादी की बुनियाद रक्खी और राजा महेंन्द्र प्रताप को उसका अध्यक्ष बनाया...


ये वही....शेख़-उल-हिन्द मौलाना महमूद हसन देवबंदी थे जिन्होंने गाँधी जी को आज़ादी की लड़ाई का नेता बनवाया....और माल्टा की जेल में क़ैद रहने के बाद निकलने पर 1925 में अमृतसर की एक कानफ़्रेंस में जिसकी सदारत (अध्यक्षता) गाँधी जी कर रहे थे.....


गाँधी जी को महात्मा का ख़िताब दिया.....उस दिन से ...मोहनदास करम चंद्र गाँधी...महात्मा गाँधी कहे गये..!


ये उन्हीं मदरसों की शाख़ थी जिसने देश को पहला राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद,  देश का पहला शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद,  राजाराम मोहन राय जैसा थिंकर,  और देश को परमाणु सम्पन्न कराने वाला मिसाइल मैन ए.पी.जे. अब्दुल कलाम दिया.!

शहर के शिप्रापथ इलाके में शनिवार दोपहर रीको इंडस्ट्रीयल एरिया में स्थित आईसीआईसीआई बैंक के बाहर कार सवार बदमाशों ने फायरिंग कर साढ़े 31 लाख रुपए लूट लिए। यह रकम दो बक्सों में भरी हुई थी। दोपहर करीब 2 बजे यह वारदात तब हुई जबकि एक निजी सिक्यूरिटी कंपनी की गाड़ी आईसीआईसीआई बैंक से कैश को लेकर दूसरी ब्रांच जा रही थी। फायरिंग में सिक्यूरिटी गार्ड कमल सिंह गुर्जर के गोली लगी, जबकि दूसरे कर्मचारी भीम सिंह पर बदमाशों ने गाड़ी चढ़ा दी। इससे दोनों घायलों को एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

जयपुर आईसीआईसीआई बैंक के बाहर लूट:बदमाशों ने सिक्यूरिटी गार्ड को गोली मारी, एक कर्मचारी पर कार चढ़ा दी और 31.50 लाख रुपए लूटकर भागे

मुलतानी समाज चेरिटेबल ट्रस्ट (रजि0 ) संस्था की भीलवाड़ा राजस्थान में पहली मीटिंग रास्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी मो.इकबाल काजी व प्रदेश उपाध्यक्ष हाजी अब्दुल हमीद लजवान के नेतृत्व में सम्पन्न हुई।


मीटिंग में भीलवाड़ा जिला अध्यक्ष अब्दुल रऊफ उस्ता ने अपनी कार्यकरणी का विस्तार करने का प्रस्ताव रखा सभी ने मंजूरी देते हुए इसमें जुड़ने की सहमति दी इस बैठक में हाजी शरीफ साहब उस्ता

हफीज सद्दीक साहब अब्दुल गनी लजवान मो.इदरीश काजी मो.अकरम उस्ता मो.वसीम उस्ता मो.उमर मक्कड़ मो.इरफान मक्कड़ मो।हारून खैरादी हाजी मो. शरीफ मोटियार अ.गफ्फार मोटियार  ओर भी काफी

तादाद में मुलतानी बिरादर भाई मौजूद थे सभी ने मुबारकबाद दी व इस काम की सरहाना की । इसी दरमियान रास्ट्रीय अध्यक्ष मा0 मुलतानी जमीर आलम साहब से वीडियो कॉलिंग पर सभी उपस्थित भाइयो की बात हुई मा0 मुलतानी जमीर आलम साहब ने सभी को मुबारक बाद दी और ज्यादा से ज्यादा तादाद में  ट्रस्ट से जुड़ने की अपील की

Friday, October 16, 2020

कोटा राजस्थान के शोएब आफताब आलम ने रचा इतिहास ,NEET में 100%नम्बर लाने वाले पहले स्टूडेंट ,




भारत के #मेडिकल एडमिशन के लिए आल इंडिया एग्जाम NEET के इस बार के टॉपर है कोटा राजस्थान के #शोएब_आफताब_आलम


#शोएब ने मेडिकल एंट्रेंस में वो #इतिहास रचा है जो आज तक कोई नहीं रच पाया। उन्होंने 720 में से 720 नम्बर हासिल किए। #NEET में 100% नम्बर लाने वाले #शोएब_आफताब मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम के भारतीय इतिहास के पहले स्टूडेंट हैं। हो सकता है आगे भी ऐसे ब्राइट स्टूडेंट आएं लेकिन #शोएब_आलम हीस्ट्री में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।


 सोशल मीडिया पर "शोएब आफताब" का कोई ज़िक्र नहीं। ना तो उनके नाम का हैसटैग ट्विटर पर ट्रेन्ड किया ना ही उनको लेकर कोई पोस्ट वायरल हुई।


यह बेहद आश्चर्यजनक है।


हैरानी तो यह है कि सोशलमीडिया पर बात बात पर सीना फुलाते मुसलमान भी "शोएब आफताब" को लेकर सन्नाटे में थे।


क्युँ भाई ? आपको पता नहीं कि "शोएब आफताब" कौन है ? या शोएब आफताब राऊरकेला (उड़ीसा) का रहने वाला बेहद गरीब घर का बच्चा है जिसकी पढ़ाई लिखाई भी दूसरों के रहमों करम पर थी इसलिए वह किसी प्रशंसा का पात्र नहीं ?


अब आप पूछेंगे कि यह "शोएब आफताब" कौन है ?


शोएब आफताब ने वह कर दिया है जिसे भारत के इतिहास में आजतक कोई ना कर सका।


NEET (National Eligibility cum Entrance Test) 2020 की परिक्षा के 720 अंक में से OMR (Optical mark recognition) शीट के आधार पर 720 अंक प्राप्त करके इस साल NEET में शोएब आफताब ने टाॅप कर दिया है।


पहले समझिए कि OMR क्या है


दरअसल परिक्षार्थी द्वारा परीक्षा में भरे OMR शीट (आन्सर शीट) को NEET की अधिकारिक वेबसाइट पर अधिकारिक परिणाम घोषित होने के कुछ दिन पहले ही डाल दिया जाता है। उस शीट को विशेषज्ञों द्वारा इक्जामीन करने पर शोएब आफताब को फुल मार्क्स प्राप्त हुए हैं।


टाॅप करना ऐतिहासिक नही है , टाॅप तो हर वर्ष ही कोई ना कोई करता ही है , ऐतिहासिक है फुल मार्क्स 720 पाना जिसे आजतक NEET के इतिहास में कोई नहीं कर सका।


कौन है "शोएब आफताब" ?


राऊरकेला ( उड़ीसा) के रहने वाले शोएब आफताब एक बेहद गरीब घर के रहने वाले हैं जो पढ़ाई के लिए कोटा आकर "सर्वोदय सीनियर सेकेंडरी स्कूल" में ऐडमीशन लिये।


मुसलमानों द्वारा संचालित इस स्कूल ने शोएब आफताब की पढ़ाई लिखाई की सारी ज़िम्मेदारी उठाई और एमबीबीएस की परिक्षा में संपुर्ण अंक प्राप्त करके शोएब आफताब ने वह एहसान भी चुका दिया।


यद्धपि अधिकारिक घोषणा 16 अक्टूबर को होने जा रही है। इसके लिए शोएब आफताब को अग्रिम बधाई।


कहने का अर्थ केवल इतना है कि यदि आप पढ़ना चाहें तो आपको कोई रोक नहीं सकता। जो नहीं पढ़ पाता उनके पास सिर्फ बहाने होते हैं।


पढ़िए और अपने साथ साथ अपने समाज को शिक्षित करिए , यही फिलहाल वक्त की ज़रूरत है।

नीमच आगामी नवरात्री और ईद मिलादुन्नबी को लेकर सौपा ज्ञापन मुस्लिम समाज ने दिखाई कोमी एकता

आगामी नवरात्री और  ईद मिलादुन्नबी को लेकर सौपा ज्ञापन मुस्लिम  समाज ने दिखाई क़ौमी एकता

 


नीमच आगामी  नवरात्री तथा ईद  मालदुन्ननबी  को  लेकर मुस्लिम  समाज  ने कोमी  एकता  के साथ आज शुक्रवार को दोपहर  2:30  बजे  आने वाले  त्यौहार  जशने  ईद मिलादुन्नबी  के जुलुस और गरबा  आयोजन  हेतु  अनुमति  के लिए ज्ञापन तहसीलदार पिकी साठे को सौप कर कलेक्टर से मांग  की गई की गई की  कोरोना  का  मापदंडो  का पालन  करते  हुए 

नवरात्री  मे गरबा आयोजन और ईद  मालदुन्ननबी  के जलसो  की अनुमति  प्रदान करें  ! बताया गया की कोरेना काल मै  पुरे  देश  ने अपने  सभी  धार्मिक  आयोजनों  को  त्याग कर शासन, प्रसाशन  को पूर्णतः  समर्थन  करते आए है । वही अब प्रशासन को भी  हमारी  धार्मिक भावनाओ का ध्यान  रखना चाहिए  ।

  जब बात आती  हे देश मे राजनीती  की तो सारे  कायदे कानूनों  को ताख  मे रख  सोशल  डिस्टेंस तोड़ कर राजनैतिक  प्रचार प्रसार  हेतु     बड़ी बड़ी  सभाओ का आयोजन किया  जाता  हे ।

वहां  कोरोना  रोक  थाम के नियमो की धचिया उड़ाई  जाती  हे और  जब  बात  आती  हे धार्मिक  आयोजनों की तो उस  पर  अजीब  मापदंड  निर्धारित  किये जाते  है अतः प्रशाशन  से निवेदन किया जाता  हे  की हिन्दू  धर्म और  मुस्लिम धर्म  के  लोगो को धार्मिक स्वतंत्रता  के  साथ धार्मिक आयोजन करने की अनुमति प्रदन  करें

इस अवसर पर वसीम खान मनीष कदम , राजीव भास्कर खालिद  हुसैन  मोहसिन  खान,  इमरान  खान, साजिद  हुसैन,आसिफ खान,  मोसिन   कुरैशी  शैलेन्द्र  सिंह ठाकुर आदि  लोग  उपस्थित थे 


पुराने मुस्लिम कारोबारियों की रिवायत थी के वो सुबह दुकान खोलने के साथ एक छोटी सी कुर्सी दुकान के बाहर रखते थे। जूं ही पहला ग्राहक आता दुकानदार कुर्सी उस जगह से उठाता और दुकान के अंदर रख देता था।

 


लेकिन जब दूसरा ग्राहक आता दुकानदार अपनी दुकान से बाहर निकल कर बाज़ार पर एक नज़र डालता जिस दुकान के बाहर कुर्सी पड़ी होती वो ग्राहक से कहता की " तुम्हारी ज़रूरत की चीज़ उस दुकान से मिलेगी,, मैं सुबह का आग़ाज़ (बोनी) कर चुका हूँ।


कुर्सी का दुकान के बाहर रखना इस बात की निशानी होती थी के अभी तक इस दुकानदार ने आग़ाज़ नही किया है।


ये मुस्लिम ताजीरों का अख़लाक़ और मोहब्बत थी नतीजतन इन पर बरकतों का नुज़ूल होता था।


अरबी से तर्जुमा

लायंस क्लब अजमेर, की और से कोरोना जागरूकता अभियान के अंतर्गत दरगाह शरीफ के सामने मास्क वितरित किये गए ,

 


*लायंस क्लब अजमेर *  कोरोना जागरूकता अभियान के अंतर्गत *दिनांक 16 अक्टूबर 2020 को 1:30 बजे गरीब नवाज की दरग़ाह शरीफ के सामने*, जरूरतमंद जायरीनों को मास्क वितरित किए गए एवं कोविड 19 से बचाव के लिए जागरुकता अभियान   के लिए पंपलेट बांटे।  *लायंस रियाज अहमद मंसूरी *के नेतृत्व में* इस सेवा कार्य मे 

लायंस,प्रदीप बंसल

लायंस, सजी मेथु

लायंस, नवरत्न सोनी

समाज सेवी,अब्दुल फ़रीद,

समाज़ सेवी,फजलू रहीम

समाज़ सेवी,अल्ताफ़ घोसी

समाज़ सेवी,अल्ताफ़ घोसी

आरिफ घोसी   मो शफी   रमेश चन्द   साजन

आदि ने इस सेवा कार्य मे भाग लिया

 ।*राकेश शर्मा -  अध्यक्ष,लायंस क्लब वेस्ट अजमेर*