Wednesday, March 31, 2021

मुलतानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट के रास्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजस्थान व मध्यप्रदेश के प्रभारी व कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के जिला अध्यक्ष हाजी मो0 इक़बाल काज़ी जी के चचा जान का इंतेकाल हो जाने से समाज में शोक की लहर


मिली जानकारी के अनुसार अहमद नूर काज़ी वल्द मो0 यूसुफ काज़ी ( बीगोद वाले ) हाल निवासी ग्रीन पार्क , इंदौर मध्यप्रदेश का कल बा तारीख़ 31मार्च 2021 दिन बुध को अचानक तबियत बिगड़ जाने पर कजा-ए-इलाही से इंतेकाल हो गया। ज़नाब अहमद नूर काज़ी की उम्र लगभग 75 साल की थी । यह सन 1989 में परिवार सहित बीगोद ( राजस्थान ) से इंदौर ( मध्यप्रदेश ) आकर बस गए थे। इनके 7 औलादों में 2 लड़कियां और 5 लड़के मो0 आरिफ़, वाहिद नूर, शोएब नूर, शाहिद नूर, मो0 अशफाक सहित पूरा काजी खानदान, रिश्तेदारों और बिरादरी में बेशकीमती हीरा ( बुजुर्ग ) के हमेशा हमेशा के लिये इस दुनिया से चले जाने पर सब गमज़दा है। मुलतानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट के रास्ट्रीय उपाध्यक्ष व कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के जिला अध्यक्ष ने बताया कि मय्यत कल शाम बाद नमाज़ मग़रिब सुपुर्दे-ए-खाक कर दिया गया था। मुलतानी समाज चैरिटबल ट्रस्ट का प्रत्येक सिपाही दुःख की इस घड़ी में काज़ी परिवार के साथ खड़ा है। अल्लाह मरहूम की मग़फिरत फरमाये और ज़न्नत-उल-फिरदौश में आला से आला मक़ाम अता फरमाये।सोयम की फातिहा 1-4 -2021 बरोज जुमेरात बाद नमाजे जोहर घर के पास हुसैनी मस्जिद ग्रीन पार्क कॉलोनी में रखी गई है

उदयपुर में मुल्तानी पंचों की मीटिंग हुई इसमे कुछ अहम फैसले लिए गए शादी ओर मयत पे

Tuesday, March 30, 2021

4 अप्रैल को सम्मेलन में आने वालो की तादाद हजारों में हो सकती है।

 


कल दिनांक 30 मार्च 2021 बरोज़ मंगलवार को खतौली जनपद मुजफ्फरनगर ( उत्तरप्रदेश ) में दोपहर के बाद मिर्ज़ा/मुल्तानी वैलफेयर सोसायटी की एक अहम मीटिंग हुई। मीटिंग सरकार द्वारा दी गई परमिशन के बारे में और आने वाले लोगो की तादाद  बारे में विस्तृत चर्चा की गई। परमिशन 100 से 150 लोगो की हुई और उसके साथ साथ कई और बंदिशे भी जोड़ी गई। 4 अप्रैल को सम्मेलन  में आने वालो की तादाद हजारों में हो सकती है। लिहाजा एक बार फिर लोगो के साथ मशवरा होगा कि 100 से 150 लोगो के साथ सम्मेलन किया जाए तो बाकी आने वालो को कैसे इज्जत दी जाए।इस बारे में इंशाअल्लाह 1 अप्रैल को एक और मशवरा  कमेटी के लोगो के साथ होगा।

Monday, March 29, 2021

तालीम ही वो रास्ता है जिस पर चलकर बिरादरी समाज में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकती है : मा0 यासीन आजाद


बड़ौत 29 मार्च। नगर में सांय 8 बजे कुछ जिम्मेदार साथियों के साथ अगामी 4 तारीख को होने जा रहे अखिल भारतीय सम्मेलन में शिरकत करने के लिए बातचीत हुई। जिसमें अपने सम्बोधन में केन्द्र और राज्य सरकार से सम्मानित शिक्षक मा. यामीन आजाद ने कहा कि आज की राजनीतिक जद्दोजहद के बीच तालीम ही वो रास्ता है जिस पर चलकर बिरादरी समाज मेम ऊंचा मुकाम हासिल कर सकती है। 

      नगर के थाने के पास हुई इस मीटिंग में अखिल भारतीय सम्मेलन के एजेंडे शैक्षिक जागरुकता, राजनीतिक भागेदारी, सामाजिक रुझान और व्यवसायिक विचारधारा पर चर्चा हुई। मा. यामीन आजाद का कथन था कि बिरादरी राजनीति उठापठक के इस दौर में तालीम पर फोकस करे तभी सामाज में बेहतर मुकाम पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक तौर पर अल्पसंख्यकों के लिए अनेकों प्रावधान है जिसके तहत वो अपना शैक्षिक और सामाजिक स्तर ऊंचा उठा सकते है।      एडवोकेट शकील अहमद का कहना था कि राजनीति तौर पर हमेशा से ही ये बिरादरी हाशिए पर है। अगर तालीमी स्तर ऊंचा उठने के लिए सरकारी मदद से तालीमी इदारे बनाने पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए।

     बागपत के टटीरी इंटर कॉलिज में तैनात बहुत ही काबिल शिक्षक राशिद मुल्तानी ने कहा कि मुल्तानी वेलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सम्मेलन आज के वक्त की जरूरत है। इस प्रोग्राम में हमें बढचढकर हिस्सा लेना चाहिए। 

    मीटिंग की अध्यक्षता मा. यामीन आजाद ने की तथा संचालन शकील अहमद एडवोकेट ने किया। मीटिंग में रशीदिय हॉस्पिटल के डायरेक्टर डा. इरफान साहब, फारुख अहमद, सलीम मुल्तानी, राशिद अली आदि ने भी विचार रखे।

Sunday, March 28, 2021

कब्रस्तान में कब्रों को सलाम पेश करती गाय


सुमेरपुर जिला पाली राजस्थान के एक कदीम कब्रस्तान में गाँव की एक गाय हमेशा आती रहती है । गाय अमूमन कब्रस्तान की तरफ मुँह करके सिर झुकाकर सलाम पेश करती है।


हर मख्लूक अल्लाह की इबादत करती है । क्या पत्थर , क्या कंकर , क्या पहाड़ क्या नदियाँ। चिड़ियाँ ओर मछलियां भी जिक्रे इलाही करती है।


गाय को गौर से देखिए सलाम करते वक्त गाय पाँव भी झुका रही है। कब्रस्तान के ठीक सामने हनुमान मंदिर है गाय हार-फूल देखकर वहाँ तो नहीं जाती इसी कब्रस्तान की तरफ आती है?


मैंने सुमेरपुर के निवासियों से भी इस मामले में पूछताछ की

बेशक़ अल्लाह की हर मख्लुक अपने पालनहार की इबादत करती है। 


आज शबे कद्र है यानि 'निजात वाली रात' अगर हमने सिर्फ ईशा ओर फज्र की नमाज भी अदा कर दी तो अल्लाह तमाम रात की इबादत का सवाब अता करेगा क्योंकि उसकी रहमत बहुत बड़ी है।

#जावेद शाह खजराना (लेखक)

पूर्व राजसभा सांसद अमीर आलम खान के भांजे को नम आँखों से दी गयी अंतिम विदाई रात लगभग साढ़े 9 बजे किया गया सुपुर्दे -ए खाक


मिली जानकारी के अनुसार पूर्व राज्यसभा सांसद ज़नाब अमीर आलम साहब के सगे भांजे और पूर्व विधायक नवाज़िश आलम साहब के ( फूफी जाद भाई  )  ख़ालिद मियां का कल बा तारिख़ 28 मार्च 2021 दिन इतवार को एस्कोर्ट अस्पताल में  सुबह इंतेकाल हो गया  था। वो कुछ दिनों से बीमार थे। बताया जा रहा है कि 20-22 दिन पहले उनको हार्ट में तकलीफ़ हुई थी तो उनको स्थानीय डॉक्टरों ने दिल्ली के लिये रेफर कर दिया था ।

         मोहल्ला बिलोचियांन कस्बा गढ़ी पुख्ता निवासी मतलूब अली खां ( प्रधान जी ) के 2 बेटे और 3 बेटियों में मरहूम ख़ालिद खान दूसरे नंबर पर थे। ख़ालिद खाँ बहुत ही मिलनसार और खुशमिजाजी के लिये मशहूर थे। यही कारण था कि हर कोई उनकी आखिरी बार शक्ल देखने के लिये बेचैन था भीड़ ज्यादा हो जाने पर  अंतिम दर्शन के लिये उनके जनाज़े को प्रधान जी के घर से पूर्व मंत्री जी ( मृतक के मामा ) की कोठी पर रखा गया गम के कहर से टूटे पड़े सांसद अमीर आलम अपना गम छिपाने के लिये और परिजनों का साहस बनाने के उद्देश्य से अपने ग़म को छुपाने का प्रयास करते रहे। जबकि उनके चेहरे से भांजे के चले जाने का दुःख साफ झलक रहा था। बार बार भांजे की शक्ल देखने का अरमान उनके दिल में था तो वो हर  आने जाने वालों को खुद जाकर अंतिम दर्शन कराते रहे ( ताकि इस बहाने वो खुद भी अंतिम दर्शन करते रहे ) अपने कलेजे पर पत्थर रखकर वो परिजनो सहित रिश्तेदारों और नगरवासियों सहित सभी का साहस बढ़ाते दिखाई दिये  कोरोना कॉल के चलते ज्यादा भीड़ न इकट्ठी हो पाए इसके लिये पूर्व मंत्री अमीर आलम साहब ने परिजनों से सिर्फ़ नजदीकी रिश्तेदारों को ही इंतेकाल की खबर देने का हुक्म दिया हुआ था। इसलिये जो तादाद लाखों में पहुँच जाती उसको सिर्फ हज़ारों में रखा गया । कम से कम लोगो इंतेकाल की खबर देने के बावजूद उनके चाहने वालो की संख्या इतनी हो गयी कि जनाने के पीछे चलने वालों को जनाज़ा दिखाई नही दे रहा था। 

        इनके जनाज़े के पीछे सिर्फ रिश्तेदार ही नही सभी समुदायों के लोग पहले ही कब्रिस्तान के लिये रवाना हो चुके थे और जनाजे के पहुँचने का इंतेज़ार कर रहे थे। ख़ालिद मियां के इंतेकाल से पूरे कस्बे में गम का माहौल है। हर तरफ़ इनके इंतेकाल की ही चर्चे है। महमानों का अभी भी आना जाना लगा हुआ है। बड़े भाई ज़नाब गुलाम रसूल खां ( नवाब मियां ) और ज़नाब अमीर आलम (मंत्री जी ) परिजनों , खानदान वालो, रिश्तेदारों और हर उनके चाहने वालों को दुःख की इस घड़ी में साहस और हिम्मत बढ़ाने में लगे हुए है।

पूर्व राजसभा सांसद अमीर आलम खान के भांजे का इंतेकाल


मिली जानकारी के अनुसार पूर्व राज्यसभा सांसद ज़नाब अमीर आलम साहब के सगे भांजे और पूर्व विधायक नवाज़िश आलम साहब के ( फूफी जाद ) भाई ख़ालिद मियां का आज बा तारिख़ 28 मार्च 2021 दिन इतवार को एस्कोर्ट अस्पताल में  सुबह इंतेकाल हो गया वो कुछ दिनों से बीमार थे। बताया जा रहा है कि  22 दिन पहले उनको हार्ट में तकलीफ़ हुई थी तो उनको स्थानीय डॉक्टरों ने दिल्ली के लिये रेफर कर दिया था ।

         मोहल्ला बिलोचियांन कस्बा गढ़ी पुख्ता निवासी मतलूब अली खां ( प्रधान जी ) के 2 बेटे ज़नाब शाहनवाज खान व ख़ालिद खान दूसरे नंबर पर थे। ख़ालिद खाँ बहुत ही मिलनसार और खुशमिजाजी के लिये मशहूर थे। पूरे क़स्बे में बड़ो में बड़े और बच्चों में बच्चें बनकर हँसी मजाक करना उनकी आदतों में शुमार था। लगभग 60 साल की उम्र वाले ख़ालिद खां अपने पीछे अपनी वालिद वालिदा, बहनों, सहित अपनी अहलिया और 2 बच्चों और भरे पूरे खानदान , रिश्तेदारों और मिलने जुलने वालो को छोड़कर इस दुनिया से हमेशा हमेशा के लिये रुखसत हो गए है। 

        ख़ालिद मियां के इंतेकाल की खबर जैसे ही क़स्बे में पहुँची तो हर और रोना बिलखना शुरू हो गया जो जिस हालत में था उसी हालत में प्रधान जी के घर की तरफ दौड़ पड़े। चारों और उनके चाहने वालों का हुजूम इकट्ठा हो गया। मय्यत के जनाज़े की नमाज़ बाद नमाज़ ईशा बड़े मकान पर अदा की जाएगी और मय्यत को गुलाबी मस्जिद वाले क़ब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा । अल्लाह इनकी मग़फिरत फरमाये और ज़न्नत-उल-फिरदौश में आला मक़ाम अता फरमाये और घरवालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाये। आमीन .सुम्मा आमीन

Friday, March 26, 2021

मुझे पसंद हैं वो लोग जो मुझे पसंद नही करते।

 


आज के समाजसेवियों  का ये परिचय असली है।

इनके चेहरे तो नकली हैं,लेकिन अभिनय असली है।।


खुद के बारे में ना किसी पीर से पूछो,ना फकीर से पूछो।

एक बार अपनी आंखे बन्द करके,अपने जमीर से पूछो।।


जब "जमीर" गुलामी का आदि हो जाए तब ताकत कोई मायने नहीं रखती है......


 *मुझे पसंद हैं वो लोग जो मुझे पसंद नही करते।*

*कम से कम अपना होने का दिखावा तो नही करते हैं।।*


 *"हेमन्त जैमन "दबंग"*

मिर्ज़ा/मुलतानी वेलफेयर सोसायटी के दूसरे अखिल भारतीय सम्मेलन की तैयारी जोरों पर ....


पैदायशी इंजीनियर मुलतानी लुहार बिरादरी का एक सम्मेलन बातारीख 04 अप्रैल 2021 बरोज इतवार को होना प्रस्तावित है। जिसके लिये पूरे

हिंदुस्तान में बिरादरी को कार्यक्रम में तशरीफ़ लाकर बिरादरी के बहुत ही अहम फैसलों पर गौर-ओ-फिक्र के साथ फैसला लिया जाना और

बिरादरी में फैली कुरीतियो को दूर करना, शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ाना व राजनीति में बिरादरी की हिस्सेदारी बढ़ाना  जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी है।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने के मकसद से आज दिनांक 26 मार्च 2021 को देवबंद में सत्तार साहब के निवास पर एक समीक्षा मीटिंग की गयी ।।

Wednesday, March 17, 2021

हुज़ूर ग़रीब नवाज़ के साहबज़ादे ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर दरगाह शरीफ अजमेर से चादर मुबारक हुई रवाना.....

 


अजमेर, 17/3/2021, 3 शाबानुल मोअज़्ज़म 1442 हिजरी


 शेह्ज़ादाए हिन्दोस्तान हज़रत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती सरवाड़

 शरीफ के उर्स मुबारक के मौके पर हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन

 चिश्ती की बारगाह से चादर मुबारक सरवाड़ शरीफ के लिए निकली


इस मौके पर क़व्वाली के साथ खुद्दाम साहेबान व अक़ीदतमंदान भी

 शरीक हुए, व हर साल की तरह इस साल भी हज़ारों अक़ीदतमंद

 पैदल भी सरवाड़ शरीफ के लिए निकले, 


ज्ञात रहे की पिछले साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से उर्स

 में नहीं जाने की वजह से इस साल अकीदतमंद ज़्यादा जोश ख़रोश

 से शरीक हुए

Tuesday, March 16, 2021

भीलवाड़ा में मुलतानी बिरादरी ने लिये क़ई अहम फ़ैसले


भीलवाड़ा (राजस्थान) 16/3/2021बरोज मंगलवार  भीलवाडा मुलतानी समस्त पंच की मीटिंग मुलतानी जमात खाने  में बाद नमाज ईशा अब्दुल मजीद उर्फ छोटे बाबू भाई की सदारत में सफल हुई।उसमे निम्न लिखित बातों पर गौर फिक्र कर आम राय से फैसला लिया गया वो इस प्रकार है #

1, भीलवाडा व भीलवाडा के बाहर भी बारात में डीजे बाजे ढोल नाच गाना बन्द किये गये !

2, तारीख की चिट्ठी एक आदमी लेकर जाए (जवाई,या कोई और) !

3, बाहर से चिठ्ठी लाने वालों को एक जोड़ा ही देवें चाहे वो ज्यादा लोग आएें !

4, मौत व मय्यत के बाद पहली जुमेरात में 11 कीलो  गोश्त से ज्यादा नही बनेगा ।दाल कीमा या आलू गोश्त बना ले !

5, पहली जुमेरात में गांव से जिसे बुलाये उस घर से एक आदमी ही जाएगा।गांव की बहन बेटी जवाई व उसके बच्चे शरीक हो सकते है ! 

6, दूसरी तीसरी चौथी जुमेरात में बुलावा नही होगा और ना ही बिरादरी का कोई फर्द जाएगा !

 7, सवा महीने की फातिहा में मावे की मिठाई व बकरे का गोश्त व मुर्गे का गोश्त बन्द किया गया !

 8,सवा माह की फातिहा के दूसरे दिन मेहमानों की रोटी में भी गोश्त बन्द किया गया !

उपरोक्त नियमो का उलंग्न करने वाले के यहां पर उसके प्रोग्राम में बिरादरी शिरकत नही करेगी ।व अगर कोई फर्द नियम नही मान कर चला जाता है तो उसके यहाँ पर भी किसी प्रोग्राम में बिरादरी नही जाएगी।

"मीन जनिब समस्त पंच भीलवाडा"

अल्लाह रब्बुल इज्जत हमें ओर आपको इस पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे , आमीन

Monday, March 15, 2021

वसीम रिज़वी को सरकार ने भेजा नोटिस

 


भारत सरकार ने भेजा वसीम रिज़वी को नोटिस। कहा 21 दिन के भीतर अपने अल्फ़ाज़ वापस ले और बिना शर्त मांगे माफी नही तो होगी सख़्त करवाई 

बिरादराने अहले मुल्तानी

 


🌹*بسم اللہ الرحمٰن الرحیم*🌹

       🌼 *निकाह* 🌼


*बिरादराने अहले मुल्तानी*

السلام علیکم ورحمۃ اللہ وبرکاتہ


आपसे मुखलिसाना    इलत्तिमास   है के   जनाब अब्दुल गफूर साहब मोटियार के बड़े फरजंद जनाब अब्दुल सत्तार साहब मोटियार कीे लड़की सानिया नूर का  निकाह   जनाब मोहम्मद फारूक साहब मोटियार  के बड़े फरजंद जनाब मोहम्मद आरिफ मोटियार  ( मेरता सिटी वाले)के फरजंद  अब्दुल रऊफ का निकाह  25 सव्वाल 1442 हिजरी मुताबिक 7 जून 2021 को होना करार पाया है      

         

       *सानिया नूर* 

                     💚

                     *अब्दुल रऊफ*

    ओर 

               जनाब अब्दुल गफूर साहब मोटियार के बड़े फरजंद जनाब अब्दुल सत्तार साहब मोटियार के  लड़के मोहम्मद शाहरुख  का  निकाह   जनाब मोहम्मद फारूक साहब मोटियार  के लड़के  मोहम्मद सलीम  (मेरता सिटी वाले )की लड़की शाहीन बानो    का निकाह  27 सव्वाल 1442 हिजरी मुताबिक 9 जून 2021 को होना करार पाया है     


       *मोहम्मद शाहरुख*

                           💚

                    *शाहीन बनो*

         

(नोट ) मोहम्मद शाहरुख का निकाह  मेरता सिटी में होगा 



       *मुकाम पारोली*

लिहाजा इस प्रोग्राम मे शिरकत फरमा कर ममनूनो मशकूर फरमाए...

ऐन नवाजिश करमो इनायत...



ख़ैर ख़ाह

हाजी अब्दुल सकूर साहब  

अब्दुल गफूर साहब  अब्दुल रहीम साहब अब्दुल सत्तार साहब अब्दुल करीम अब्दुल कादर मंज़ूर अहमद  

एहले  मोटियार खानदान पारोली  भीलवाड़ा राजस्थान  मोबाइल no. 9799286641.9571344356.8769962375

आज कल एक अजीब रिवाज क़ायम हो गया है,,किसी घर मे अगर मय्यत हो जाए तो...,

 


पहले,,,,हर शख्स जाते ही एक सिपारा या यासीन शरीफ़ पढ़कर,,,मरहूम के लिए इसाले सवाब करता था,,,, "आजकल" सिर्फ़ और सिर्फ़ बातें

पहले ,,,हर शख्स नमाज़े जनाज़ा मे शामिल होता था "आजकल" ज़्यादातर आस पास खड़े रहते हैं जैसे कोई *तमाशा* हो रहा हो,,,, अगर पूछो तो जवाब मिलता है "नापाक" हूँ,,,,अफ़सोस

पहले,,, सोयम के दिन से मरहूम के इसाले सवाब के लिए,,,,,,यतीमों मिस्कीनो, गरीबो को अपनी "हैसियत" के हिसाब से खाना खिलाया जाता था,,, "आजकल" आम लोगो की दावत वह भी मस्जिद में "एलानिया" और आधे लोग खाना "पकवाने" में मशगूल,,,, न तिलावते क़ुरआन, न दूसरे वज़ाइफ न दुआ में शामिल

पहले ,,क़रीबी रिश्तेदार, पड़ोसी मय्यत के दिन से लेकर "चालीसवें"

तक,,,,रोज़ाना तिलावते क़ुरआन और वज़ाइफ ,,,,के ज़रिए मरहूम के लिये "इज्तेमाई" इसाले सवाब करते थे,, "आजकल" दसवाँ, बीसवाँ और चालीसवें के नाम पे सिर्फ़ और सिर्फ़ "दावत" खाने आते हैं,,,,, न कोई तिलावते क़ुरआन न कोई वज़ाइफ,,,,, और उसपर "सितम" यह इन दावतों में यतीमों, मिस्कीनों, गरीबो को कोई जगह नहीँ,,,,, (कुछ घरों को छोड़कर)

कहीँ कहीँ,,,, तो ऐसे मामले पेश आते हैं,,,,, मरीज़ के "इलाज" के लिए "क़र्ज़" लिया जाता है  (मजबूरी)  में,,,,जब इलाज के लिये क़र्ज़ लिया गया तो "कफ़न दफ़न" किस तरह किया गया होगा सोचने का "मुक़ाम" है,,,,,ज़मीन जायदाद होती है तो बेचकर "क़र्ज़" उतारा जाता है,,,,अगर किसी के पास बेचने के लिये कुछ नहीँ तो,,,,लिया गया क़र्ज़ "सूद ब्याज़" समेत लौटाना पड़ता है।


बात कुछ कड़वी है,,,,लेकिन देखने मे यही आ रहा है,, *ग़लत लगे तो इस्लाह फ़रमाए*

*खूबसूरत लड़की की तस्वीर इस मैसेज में सिर्फ़ इसलिये लगायी गयी है। ताकि कुछ लोग इसे गौर से पढ़ ले !!

Sunday, March 14, 2021

धामपुर ( बिजनोंर ) के वक़ार मुलतानी केरम टूर्नानेंट में बने विजेता


मिली जानकारी के अनुसार धामपुर जिला बिजनोंर ( उत्तरप्रदेश ) में आयोजित यू0पी0 केरम प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 

       इस प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में हमारी ही बिरादरी के मोहल्ला बन्दूकचियान के होनहार युवक वक़ार मुलतानी ने अपनी कला और अच्छे प्रदर्शन से फाइनल राउंड में जीत दर्ज़ कर विजेता का तमग़ा हासिल किया ।


मुलतानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी और सदस्य वक़ार मुलतानी के अच्छे मुस्तकबिल की दुआ करते है। और उम्मीद करते है। कि वक़ार मुलतानी ऐसे ही बिरादरी का नाम हर क्षेत्र में रोशन करते रहेंगे ।

Saturday, March 13, 2021

बेटी की शादी के लिए 51000 रुपये शासन की ओर से दिया जाता है जो सीधे बेटी के वालिद के बैंक खाते में जमा होते हैं योजना से लाभान्वित होने के लिए शादी से एक महीने पहले आवेदन करना होता है


मध्यप्रदेश अल्पसंख्यक विकास कमेटी के सभी साथियों से खास गुजारिश है कि अभी अगले तीन महीने शादियों का सीजन रहने वाला है अपने वार्ड मोहल्ले बस्तियों में आप पता कर लें किन परिवारों में बेटी की शादी होने वाली है उन सभी परिवारों के कर्मकार मंडल पंजीयन को चेक कर लें पंजीयन है या नहीं यदि हां तो वैधता को जांच लें और यदि नहीं है तो उनके नवीन पंजीयन की कार्यवाही बिना समय गवाए तुरंत करे पंजीकृत परिवार को बेटी की शादी के लिए 51000 रुपये शासन की ओर से दिया जाता है जो सीधे बेटी के वालिद के बैंक खाते में जमा होते हैं योजना से लाभान्वित होने के लिए शादी से एक महीने पहले आवेदन करना होता है 

1 *पंजीयन की फोटो कॉपी* 

2 *वालिद का आधार कार्ड* 

3 *बैंक पासबुक की फोटो कॉपी* 

4 *लड़के व लड़की दोनों के आधार कार्ड व फोटो* 

5 *उम्र 18 वर्ष से अधिक होना* 

6 *शादी का कार्ड* 

7 *शादी के एक महीने पहले आवेदन करना*

यह आवेदन शहरों में नगरपालिका नगर परिषद् व ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत जनपद पंचायत में जमा करवाए या लोक सेवा केन्द्र में जमा करवाए सभी साथी मिलकर एक साथ इस काम को अंजाम देना है यदि हम अपने अपने जिलों में 100 परिवारों को इसमें शामिल कर लेते हैं तो अवाम तक 51 लाख रुपये पहुंच जाएगे उम्मीद है सभी भाई इस लक्ष्य को पुरी जिम्मेदारी मेहनत मशक्कत और लगन से पुरा कर अपनी अवाम को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर करेंगे अल्लाह हम सभी को इस नेक खिदमत में कामयाबी अता फरमाये आमिन या रब्बूल आलमिन 

           

          

Friday, March 12, 2021

ताजमहल में शाहजहां का तीन दिनी उर्स शुरू


अप्रैल से महंगा हो सकता है ताजमहल का दीदार, जानें- अभी कितने रुपये करने पड़ते हैं खर्च

आगरा: आने वाले दिनों में ताजमहल का दीदार करना महंगा हो सकता है. आगरा विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में बुधवार को ताजमहल के टिकट मूल्य के लंबित प्रस्ताव पर चर्चा हुई. एडीए सचिव राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, प्राधिकरण ने ताजमहल की पथकर निधि बढ़ाने को लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा है, जिससे शासन द्वारा प्रस्ताव पास होने पर आगामी एक अप्रैल से ताजमहल की टिकट दर बढ़ सकती है.


मालूम हो कि ताजमहल में अभी भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 50 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 1100 रुपये है. वहीं, शाहजहां-मुमताज की कब्र देखने के लिए पर्यटकों को मुख्य गुंबद में जाने के लिए 200 रुपये का अतिरिक्त टिकट खरीदना होता है. एडीए के प्रस्ताव पर मुहर के बाद ताजमहल का प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 30 रुपये बढ़कर 80 रुपये जबकि विदेशियों के लिए 100 रुपये बढ़कर 1200 हो जाएगा. यही नहीं अब मुख्य गुबंद पर जाने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों को 400 रुपये खर्च करने होंगे. शासन से प्रस्ताव पास होने के बाद ही ये दरें बढ़ाई जाएंगी.

ताजमहल में शाहजहां का तीन दिनी उर्स शुरू


मुगल बादशाह शाहजहां का 366 वां उर्स ताजमहल में बुधवार सुबह से शुरू हो गया है. दोपहर में गुस्ल की रस्म हुई. तीन दिवसीय उर्स में पर्यटकों को तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें देखने का अवसर मिलेगा. उर्स के तीसरे दिन शुक्रवार को ताजमहल खुला रहेगा. इस्लामिक कैलेंडर के तहत होने वाले उर्स का आयोजन दस से 12 मार्च तक किया जा रहा है.


इस संबंध में खुद्दाम ए रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरउद्दीन ताहिर ने बताया कि उर्स के दूसरे दिन गुरुवार को शाहजहां की कब्र पर संदल चढ़ाया जाएगा और तीसरे दिन शुक्रवार को सुबह से शाम तक हाथ के पंखे और चादरपोशी की जाएगी. उन्होंने बताया कि कमेटी द्वारा 1331 मीटर सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी. इनके अलावा अन्य छोटी-बड़ी चादर कब्र पर चढ़ाई जाएंगी. इस संबंध में ताजमहल प्रभारी अमरनाथ गुप्ता ने बताया कि उर्स के पहले और दूसरे दिन दोपहर दो बजे से ताजमहल में सभी को निशुल्क प्रवेश दिया जायेगा. उर्स के तीसरे दिन शुक्रवार को ताजमहल खुला रहेगा और उस दिन पूरे दिन प्रवेश निशुल्क रहेगा.

बस स्टैंड , रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, सरकारी ऑफिसो पर बनी ....


बहुत  जरूरी एलान। 

 एयरपोर्ट अथॉरिटी तमाम मुसलमान भाई और बहनों से  गुजारिश करती हैं कि वह किसी भी एयरपोर्ट मैं बनी नमाज पढ़ने की जगह पर कुछ वक़्त गुजारे यह जगा खाली पड़ी है और इस्तेमाल नहीं की जाती हैं क्योंकि यहां कोई नमाज पढ़ने नहीं आता एयरपोर्ट अथॉरिटी का कहना है अगर ऐसा ही रहा तो वह इन नमाज पढ़ने की जगह को दूसरी चीजों के लिए इस्तेमाल करेंगे और दूसरे इबादत खाने बना देंगे इसलिए  मेहरबानी करके अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से कहें इन नमाज पढ़ने की जगह हो में 5 से 10 मिनट के लिए नमाज की अदायगी कर ले जिस की वजह से आपका सफर  पुर सकून और पुर अमन हो। बराय मेहरबानी इस मैसेज को अपने दूसरे भाई बहनों और व्हाट्सएप ग्रुप पर जरूर शेयर करें

अल्लाह  आपको इसका अजर देगा।

मुलतानी ज़मीर आलम   💐💐🤲🤲

कुरआन के बारे में दुष्प्रचार फैलाने का यह तरीक़ा बहुत ही पुराना है कि कुरआन की जिन आयतों में जंग के मैदान में अत्याचारियों के प्रति युध्द का जिक़्र (उल्लेख) है उन आयतों को अलग-अलग सूरतों (अध्यायों / पाठों) में से और अलग-अलग जगह से सन्दर्भ के बाहर (Out of context) निकाल कर ऐसा दिखाने का कुप्रयास किया जाता है कि क़ुरान हिंसा के लिए प्रेरित करता है।


सवाल :- क्या क़ुरान की 24 आयतें दूसरे धर्म वालो से झगड़ा करने एवं हिंसा के लिए प्रेरीत करती हैं ?




जबकि जब आप इन आयतों को इनके सन्दर्भो के साथ पढ़ेंगे या आगे पीछे की आयत ही पढ़ लेंगे तो आप जान लेंगे की यह दावा कितना झूठा है।


जैसे उदाहरण के तौर पर कुरआन 9:5 का हवाला देकर यह कहा जाता है कि कुरआन गैर मुस्लिमों को मारने का हुक्म देता है। जबकि इसकी अगली और पिछली आयात यानी 9: 4 और 9: 6 ही पढ़ लेने से इसका सन्दर्भ पता चल जाता है कि यह युद्ध के मैदान की आयत है और उसमें भी अल्लाह का हुक्म यह है अगर इस (युद्ध के) दौरान भी अगर कोई मुस्लिमो से पनाह (शरण) मांगे तो उसे पनाह दी जाए।


दरअसल सिर्फ़ कुरआन ही नहीं बल्कि विश्व के हर प्रमुख धर्म ग्रन्थ में इस तरह की बाते, यानी की युद्ध के मैदान, अत्याचार और अत्याचारियों के विरुद्ध मौजूद हैं। लेकिन अगर इसी तरह इन ग्रन्थों से इन *श्लोकों / आयतों / वर्सेज* को सन्दर्भ के विपरीत (Out of context) अलग-अलग निकाल कर एक जगह इकट्ठा कर दिखाया जाए। तो *विश्व का हर धर्म ग्रन्थ हिंसा को बढ़ावा देता दिखाई देगा।*


और ऐसे ही कुरआन की इन 24 आयतों के बारे में किया जाता रहा है। हालाँकि यह स्वाभाविक है कि इस तरह तो प्रथम दृष्टया (Prima facie) कोई भी इन्हें पढ़कर ग़लतफ़हमी का शिकार हो जाएगा। लेकिन अगर वह कुरआन और मुहम्मद (स.अ.व.) की जीवनी का अध्ययन करेगा तो वह ज़रूर सच जान लेगा। 


उदाहरण के तौर पर: ऐसे ही 1950 के दौरान फैलाए जा रहे इसी कुप्रचार का शिकार होकर *स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य* ने इस्लाम को हिंसा और आतंकवाद से जोड़ते हुए इस्लाम के खिलाफ एक किताब लिखी जिसका आधार यही 24 आयतों के प्रति कुप्रचार रहा । लेकिन जब उन्हें बाद में सत्य का ज्ञान हुआ तो उन्होंने ख़ुद अपनी लिखी किताब पर खेद व्यक्त करते हुए उसे *शून्य घोषित* किया और ईश्वर एवं मुस्लिम से माफी मांगते हुए किताब लिखी *"इस्लाम आतंक या आदर्श?"* जिसमें उन्होंने खुद के अध्ययन और अनुभव के आधार पर बताया कि किस तरह कुप्रचार के उलट इस्लाम एक आदर्श धर्म है जो किसी भी तरह की हिंसा या आतंकवाद को बढ़ावा नही देता है।


उसकी प्रस्तावना में वे लिखते हैं कि (उन्हीं के शब्दों में) :-


*_मैंने कई साल पहले दैनिक जागरण में श्री बलराज मधोक का लेख “दंगे क्यों होते हैं?’’ पढ़ा था। इस लेख में हिन्दू-मुस्लिम दंगा होने का कारण कुरआन मजीद में काफिरों से लड़ने के लिए अल्लाह के फरमान बताए गए थे। लेख में कुरआन मजीद की वे आयते भी दी गई थी।_*


*_इसके बाद दिल्ली से प्रकाशित एक पैम्फलेट (पर्चा) ‘कुरआन की चौबीस आयतें, जो अन्य धर्मावलंबियों से झगड़ा करने का आदेश देती हैं’ किसी व्यक्ति ने मुझे दिया। इसे पढ़ने के बाद मेरे मन में जिज्ञासा हुई कि मैं कुरआन पढूं। इस्लामी पुस्तकों की दुकान से कुरआन का हिन्दी अनुवाद मुझे मिला।_*


*_कुरआन मजीद के इस हिन्दी अनुवाद में वे सभी आयतें मिली, जो पैम्फलेट (पर्चे) में लिखी थी। इससे मेरे मन में यह ग़लत धारणा बनी कि इतिहास में हिन्दू राजाओं व मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुर्इ मार-काट तथा आज के दंगों और आतंकवाद का कारण इस्लाम हैं। दिमाग़ भ्रमित हो चुका था, इसलिए हर आतंकवादी घटना मुझे इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी।_*


*_इस्लाम, इतिहास और आज की घटनाओं को जोड़ते हुए मैने एक पुस्तक लिख डाली ‘इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास’ जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद “The History Of Islamic Terrorism” के नाम से सुदर्शन प्रकाशन, सीता कुंज, लिबर्टी गार्डेन, रोड नम्बर-3, मलाड (पश्चिम), मुंबई -400064 से प्रकाशित हुआ।_*


*_हाल ही में मैने इस्लाम धर्म के विद्वानों (उलेमा) के बयानों को पढ़ा कि इस्लाम का आतंकवाद से कोई सम्बन्ध नहीं है। इस्लाम प्रेम,_* 


*_सद्भावना व भाईचारे का धर्म है। किसी बेगुनाह को मारना इस्लाम धर्म के विरूद्ध हैं। आतंकवाद के खिलाफ फतवा (धर्मादेश) भी जारी हुआ।_*


*_इसके बाद मैंने कुरआन मजीद में जिहाद के लिए आई आयतों के बारे में जानने के लिए मुस्लिम विद्वानों से सम्पर्क किया, जिन्होने मुझे बताया कि कुरआन मजीद की आयत भिन्न-भिन्न तत्कालीन परिस्थितियों में उतरी।_*


*_इसलिए कुरआन मजीद का केवल अनुवाद ही न देखकर यह भी देखा जाना ज़रूरी हैं कि कौन-सी आयत किस परिस्थिति में उतरी, तभी उसका सही मतलब और मकसद पता चल पाएगा।_*


*_साथ ही ध्यान देने योग्य हैं कि कुरआन इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद (स.अ.व.) पर उतारा गया था। अत: कुरआन को सही मायने में जानने के लिए पैगम्बर मुहम्मद (स.अ.व.) की जीवनी से परिचित होना भी ज़रूरी हैं। विद्वानों ने मुझसे कहा, ‘‘आपने कुरआन मजीद की जिन आयतों का हिन्दी अनुवाद अपनी किताब से लिया हैं, वे आयतें उन अत्याचारी काफ़िर और मुशरिक लोगों के लिए उतारी गई जो अल्लाह के रसूल (स.अ.व.) से लड़ाई करते और मुल्क में फसाद करने के लिए दौड़ते फिरते थे। सत्य धर्म की राह में रोड़ा डालनेवाले ऐसे लोगों के विरूद्ध ही कुरआन में जिहाद का फरमान हैं।’’_*


*_उन्होने मुझसे कहा कि इस्लाम की सही जानकारी न होने के कारण लोग कुरआन मजीद की पवित्र आयतों का मतलब समझ नहीं पाते। यदि आपने पूरे कुरआन मजीद के साथ हजरत मुहम्मद (स.अ.व.) की जीवनी भी पढ़ी होती, तो आप भ्रमित न होते।_*


*_मुस्लिम विद्वानों के सुझाव के अनुसार मैने सबसे पहले पैगम्बर हजरत मुहम्मद (स.अ.व.) की जीवनी पढ़ी। जीवनी पढ़ने के बाद इसी नजरिए से जब मन की शुद्धता के साथ कुरआन मजीद शुरू से अन्त तक पढ़ा, तो मुझे कुरआन मजीद की आयतों का सही मतलब और मकसद समझ में आने लगा।_*


*_सत्य सामने आने के बाद मुझे अपनी भूल का एहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था और इसी कारण ही मैंने अपनी उक्त किताब ‘इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास’ में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा हैं जिसका मुझे हार्दिक खेद (दुःख) हैं और इसलिये मैं अपने भुल एवं दुःख व्यक्त करते हुए फिर से एक नयी पुस्तक लिखी जिसका नाम है "इस्लाम आतंक या आदर्श?" इस पुस्तक में मैंने इस्लाम के अपने अध्ययन को बखूबी पेश किया है।_*


*_और साथ ही मैं अल्लाह से, पैगम्बर मुहम्मद (स.अ.व.) से और सभी मुस्लिम भाइयों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगता हूँ तथा अज्ञानता में लिखे व बोले शब्दों को वापस लेता हूँ। जनता से मेरी अपील हैं कि मेरी पहली पुस्तक ‘इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास पुस्तक में जो लिखा हैं उसे शून्य समझें और मेरी नयी पुस्तक "इस्लाम आतंक या आदर्श?" का अध्ययन करें और साथ ही अन्य लोगों तक पहुँचाएँ, धन्यवाद ।। (स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य)_*


वैसे तो हर व्यक्ति को ख़ुद कुरआन और मुहम्मद (स.अ.व.) की जीवनी का स्वयं अध्ययन करना चाहिए।  लेकिन जो इतना समय न निकाल सके और इन 24 आयतों को लेकर भ्रम की स्थिति में है उसे कम से कम स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य की लिखी इस किताब का ज़रूर अध्ययन करना चाहिए जो कि बहुत ही आसानी से हर जगह उपलब्ध है ।

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वसीम रिज़वी इस्लाम से निष्कासित व्यक्ति है और उसे इस्लाम से जुड़े किसी भी मुद्दे पर बात करने का कोई अधिकार नहीं है।

 


क्या क़ुरआन में संशोधन किसी कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है?


उत्तर प्रदेश के एक *ख़ारजी* व्यक्ति *वसीम रिज़वी* ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की है। *उसने क़ुरआन मजीद से 26 आयतों को बाद में जोड़ी हुई बताकर हटाने की माँग की है।* पूरे देश के मुस्लिम समुदाय में इसको लेकर नाराज़गी और ग़ुस्सा देखा जा रहा है।


यह आदमी *मुस्लिम विरोधी ताक़तों का एजेंट* है। 2019 के *लोकसभा चुनाव* के दौरान इसने *राम की जन्मभूमि* नाम से एक फ़िल्म बनाई थी *जिसमें बताया था कि एक मुस्लिम धर्मगुरु अपने ही बेटे की तलाक़शुदा बीवी से हलाला करता है।* उस वक़्त भी मुसलमानों ने उसका विरोध किया था, तब सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म को पास करने से इंकार कर दिया था। *बाद में उसने यह फ़िल्म यूट्यूब पर रिलीज़ की जो अब भी मौजूद है।* हाल ही में इसने *उम्मुल मोमिनीन सय्यिदा आइशा (रज़ि.)* पर भी एक फ़िल्म बनाने का ऐलान किया है जिस पर मुसलमानों ने ऐतराज़ जताया है।


*टाइमिंग देखिये,* मार्च-अप्रैल 2021 में बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं जहाँ मुस्लिम वोटर्स 30% हैं। बीजेपी यहाँ सत्ता पाने के लिये चिरपरिचित हिंदू कार्ड खेल रही है। *एक बात याद रखिये, हिंदुत्ववादी राजनीति उस वक़्त ही नाकाम होती है जब मुसलमान उसकी कोई उग्र प्रतिक्रिया नहीं देते।* लेकिन बदक़िस्मती से ऐसा होता नहीं है।


अब आइये हम वापस लौटते हैं, इस ब्लॉग के टाइटल पर, *क्या क़ुरआन में संशोधन किसी कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है?* इसका जवाब है, *नहीं! क़ुरआन तो क्या किसी भी धार्मिक किताब में संशोधन करना सुप्रीम कोर्ट का विषय ही नहीं है।* 


हम आपकी जानकारी के लिये बता दें कि *हिन्दू धर्मग्रंथ "मनुस्मृति"* में *शूद्रों के बारे में जो-कुछ लिखा है, उस पर दलित समुदाय को आपत्ति है।* संविधान निर्माता *डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने "मनुस्मृति" की प्रतियां जलाई थी, लेकिन वे भी मनुस्मृति में क़ानून का सहारा लेकर संशोधन नहीं करवा पाए और मनुस्मृति आज भी ज्यों की त्यों मौजूद है।*


इसलिये हमारी आपसे अपील है, बेवजह जज़्बात में आकर मुस्लिम-विरोधी ताक़तों का काम आसान मत कीजिये। *यक़ीन जानिये, यह रिट सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज होगी। सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप इसलिये नहीं कर सकता क्योंकि क़ुरआन का नुस्ख़ा सर्वसम्मत है, दुनिया का हर मुसलमान, चाहे वो किसी भी मसलक का हो, यह मानता है कि यह किताब हूबहू वही है, जो अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)* पर नाज़िल हुई।


सबसे बेहतर काम यह है कि *वसीम रिज़वी* नामक इस *ख़ारजी* पर देश के *हर शहर में मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत करने का मुक़द्दमा किया जाए।* जब दर्जनों शहरों से इसके ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारण्ट निकलेंगे तब यक़ीन जानिये ये उसकी मदद करने वो लोग भी नहीं आएंगे, जिनका यह आदमी मोहरा है। वसीम रिज़वी, पिछले कई बरसों से ऐसी हरकतें कर रहा है। उसका पूरे देश में सोशल बायकॉट किया जाए। *सभी मसलकों के उलमा इस बात का ऐलान करें कि वसीम रिज़वी इस्लाम से निष्कासित व्यक्ति है और उसे इस्लाम से जुड़े किसी भी मुद्दे पर बात करने का कोई अधिकार नहीं है।*


याद रखिये, *जब दुश्मन का लोहा गरम हो तो अपना हथौड़ा ठंडा रखना चाहिये क्योंकि ठंडा हथौड़ा, गरम लोहे की "शेप" बिगाड़ देता है।* इसके साथ ही आपसे यह भी अपील है कि इस ब्लॉग को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करके नफ़रत की राजनीति को नाकाम करने में हमारी मदद करें।

Saturday, March 6, 2021

मुलतानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि0) व मुलतानी अहंग्रान सेवा सोसायटी द्वारा भीलवाड़ा (राजस्थान ) में बिरादरी के खिलाड़ियों और युवाओँ में खेलों के प्रति जोश और रुझान बढ़ाने के मकसद से दो दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट

पैदायशी इंजीनियर मुलतानी लुहार की देश की सबसे बड़ी और क्रांतिकारी तंजीम मुलतानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि0) व मुलतानी अहंग्रान सेवा सोसायटी द्वारा भीलवाड़ा  (राजस्थान ) में बिरादरी के खिलाड़ियों और युवाओँ में खेलों के प्रति जोश और रुझान बढ़ाने और खिलाड़ियों की हौसला अफज़ाई करने के मकसद से दो दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट की आज शुरुआत की जिसमें ट्रस्ट के चैयरमेन ज़मीर आलम मुलतानी ने सिक्का उछाल कर मैच की शुरुआत की और ट्रस्ट के रास्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी मो0 इक़बाल काज़ी व मध्यप्रदेश प्रमुख सत्तार बोस, ने एक एक बॉल खेलकर खिलाड़ियों को मैदान में उतारा ।





























 टॉस जीतकर सबसे पहले बल्लेबाजी की शुरुआत नीमबाड़ा की टीम ने की और यह मैच इंदौर ने जीता दूसरा मैच नीमच से भीलवाड़ा के साथ हुआ जिसको भीलवाड़ा ने जीता तीसरा मैच दांतल से पारोली ने जीता और समाचार लिखें जाने तक चौथा मैच जावद से इंदौर तक खेला जा रहा था। आज के इस क्रिकेट टूर्नामेंट को ऑनलाइन देखने वालों में अजीबोगरीब माहौल देखा गया क्योंकि इस मैच का सीधा प्रसारण किया जाना था । लेकिन स्टेडियम में किसी भी तरह का नेटवर्क सही से काम न कर पाने की वजह से अपने घरों पर रहकर ही मैच का मजा लेने वालों के अरमान अधूरे ही रह गए। आज के इस कार्यक्रम में हाजी मो0 फारुख संरक्षक मुलतानी अहंग्रान सेवा समिति , हाजी मोहम्मद हुसैन रास्ट्रीय सचिव, अब्दुल सत्तार बोस ( चैयरमेन ) मध्य प्रदेश, जिला अध्यक्ष भीलवाड़ा अब्दुल रऊफ, जिला महासचिव मोहम्मद आरिफ़, जिला खजांची मोहम्मद वसीम, टेनिस बॉल जिला अध्यक्ष मोहम्मद इमरान, गफ्फार ठेकेदार, हाजी उस्मान गनी, सहित पूरा स्टेडियम दर्शकों से भरा पड़ा था। कल दिनांक 07 मार्च 2021 को इस टूर्नामेंट का समापन होगा जिसमें हिन्दू-मुस्लिम एकता को बरकरार रखते हुए चारों धर्मो से एक एक धर्मगुरु को इस कार्यक्रम के समापन पर आमंत्रित किया गया है।

मोइनुद्दीन मुलतानी (भीलवाड़ा राजस्थान )