बेहद अफ़सोस!
"इतिहास ये भी है"(तीन जिल्द और 1950 सफ़हात पर मुश्तमिल) और होम्योपैथी, एलोपैथी और यूनानी के तनाज़ुर में 700 सफ़हात पर मुश्तमिल किताब के मुसन्निफ़, राष्ट्रपति अवार्ड याफ़्ता शायर-ओ-अदीब और तारीख़दान,मिलनसार, महमान नवाज़, सिर्फ़ झुक कर ही नहीं बल्कि टूट कर मिलने वाले, मेरे अज़ीज़, मेरे करम फ़रमां डॉ जमील अहमद जमील आज सुबह इस दार-ए-फ़ानी से रुखसत हो कर हमेशा हमेशा के लिए मालिक ए हक़ीक़ी से जा मिले।
अल्लाह मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमाये, दरजात बुलन्द करे, जन्नत में आला मक़ाम अता फ़रमाये और तमाम मुताल्लिक़ीन को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाये। आमीन
ऐसा कहां से लाऊं के तुझ सा कहें जिसे
آہ! ڈاکٹر جمیل احمد
بے حد افسوس!
اتہاس یہ بھی ہے (تین جلدوں اور 1950 صفحات پر مشتمل) اور ہومیوپیتھی ایلوپیتھی اور یونانی کے تناظر میں سات سو صفحات پر مبنی کتاب کے مصنف راشٹر پتی انعام یافتہ شاعر و ادیب اور تاریخ دان، ملن سار، مہمان نواز صرف جھک کر ہی نہیں بلکہ ٹوٹ کر ملنے والے میرے عزیز میرے کرم فرما ڈاکٹر جمیل احمد جمیل آج صبح اس دارِ فانی سے رخصت ہو کر ہمیشہ ہمیشہ کے لیے مالکِ حقیقی سے جا ملے۔
اللہ تعالی سے دعا ہے کہ مرحوم
#multanisamaj
8010884848
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