Sunday, April 28, 2024

#विवाह #रिश्ते

लालची लड़के वाले नहीं, बल्कि लड़की वाले होते है | बड़ा घर, नौकरी, जमीन जायदाद, इकलौता हो, सास-ससुर न हो, राजकुमार हो, आदि-आदि, पहली सोच यही से लड़की के परिवार से उतपन्न होती है | यह एक ऐसा सामाजिक सच है, जिसमे अपने समाज की सारी सच्चाई छिपी है !|

रिश्ते तो पहले होते थे,
अब रिश्ते नही सौदे होते हैं,
बस यहीं से सब कुछ गड़बड़ हो रहा है,
किसी भी माँ-बाप मे अब इतनी हिम्मत शेष नही रही, कि बच्चों का रिश्ता अपनी मर्जी से तय कर सकें ...!

पहले खानदान देखते थे,
सामाजिक पकड़ और सँस्कार देखते थे, और अब ...,

मन की नही तन की सुन्दरता चाहिए,
सरकारी नौकरी, दौलत, कार, बँगला, साइकिल, या स्कूटर वाला राजकुमार अब किसी को नही चाहिये, सब की पसंद कार वाला ही है, भले ही इनकी संख्या 10% ही हो ...!

लड़के वालो को लड़की बड़े घर की चाहिए,
ताकि भरपूर दहेज मिल सके,
और लड़की वालोँ को पैसे वाला लड़का,
ताकि बेटी को काम करना न पड़े,
नौकर चाकर हो,
और परिवार भी छोटा ही हो ताकि काम न करना पड़े और इस छोटे के चक्कर मे परिवार कुछ ज्यादा ही छोटा हो गया है |

पहले रिश्ता जोड़ते समय लड़की वाले कहते थे कि मेरी बेटी घर के सारे काम जानती है और अब शान से कहते हैं हमने बेटी से कभी घर का काम नही कराया है | यह कहने में लोग शान समझते हैं, इन्हें रिश्ता नही बेहतर की तलाश है | रिश्तों का बाजार सजा है गाङियों की तरह, शायद और कोई नयी गाड़ी लांच हो जाये |
इसी चक्कर मे उम्र बढ रही है, अंत मे सौ कोड़े और सौ प्याज खाने जैसा है |
अजीब सा तमाशा हो रहा है 
अच्छे की तलाश मे सब अधेड़ हो रहे हैं ...!

अब इनको कौन समझाये कि एक उम्र मे जो चेहरे मे चमक होती है, वो अधेड़ होने पर कायम नही रहती, भले ही लाख रंगरोगन करवा लो, ब्युटिपार्लर मे जाकर ...!

एक चीज और संक्रमण की तरह फैल रही है, नौकरी वाले लङके को नौकरी वाली ही लङकी चाहिये, अब जब वो खुद ही कमायेगी तो क्यों आपके या आपके माँ बाप की इज्जत करेगी ...?

खाना होटल से मँगाओ या खुद बनाओ,
बस यही सब कारण है आजकल अधिकाँश तनाव के, एक दूसरे पर अधिकार तो बिल्कुल ही नही रहा,
उपर से सहनशीलता भी बिल्कुल नहीं,
इसका अंत होता हैं आत्महत्या और तलाक,
घर परिवार झुकने से चलता है,
अकड़ने से नहीं ...!

जीवन मे जीने के लिये दो रोटी और छोटे से घर की जरूरत है, बस और सबसे जरुरी जरूरत है आपसी तालमेल और प्रेम प्यार की,
लेकिन आजकल बड़ा घर व बड़ी गाड़ी ही चाहिए चाहे मालकिन की जगह दासी बनकर ही रहे |

आजकल हर घरों मे सारी सुविधाएं मौजूद हैं, कपङा धोने के लिए वाशिँग मशीन, मसाला पीसने के लिये मिक्सी, पानी भरने के लिए मोटर, मनोरंजन के लिये टीवी, बात करने मोबाइल, फिर भी असँतुष्ट ...,

पहले ये सब कोई सुविधा नहीं थी,
मनोरंजन का साधन केवल परिवार और घर का काम था, इसलिए फालतू की बातें दिमाग मे नहीं आती थी,
न तलाक न फाँसी,
आजकल दिन मे तीन बार आधा आधा घँटे मोबाइल मे बात करके, घँटो सीरियल देखकर, ब्युटिपार्लर मे समय बिताकर समय व्यतीत किया जाता हैं ...!

जब ये जुमला सुनते हैं कि घर के काम से फुर्सत नही मिलती, तो हंसी आ जाती है, बहनो के लिये केवल इतना ही कहूँगा, की पहली बार ससुराल हो या कालेज लगभग बराबर होता है, थोङी बहुत अगर रैगिँग भी होती है तो सहन कर लो, कालेज मे आज जूनियर हो तो कल सीनियर बनोगे, ससुराल मे आज बहू हो तो कल सास बनोगे ...!

समय से शादी करो,
स्वभाव मे सहनशीलता लाओ,
परिवार में सभी छोटे-बड़ो का सम्मान करो, ब्याज सहित वापिस मिलेगा,
जीवन मे उतार चढाव आता है,
सोचो, समझो फिर फैसला लो,
बड़ों से बराबर राय लो,
उनके ऊपर और ऊपर वाले पर विश्वास रखो,

और हाँ,
इस पर अवश्य विचार करियेगा हम कहाँ से कहाँ आ गये ...?

"यह कहानी सभी पुरुष महिलाओं पर लागू नही होती, कुछ पुरुष तो कुछ महिलाएं इस तरह से मर्यादाएं नष्ट कर रही है | बाकी देश की समस्त महिलाएं एवं पुरुष सभी वंदनीय है |"

#राह_दे
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Saturday, April 27, 2024

मुल्तानी-डे के मुबारक मौके पर पर 12 गरीब लड़कियों की शादी का पूरा खर्चा उठाएगी यह तंजीम

देश की राजधानी दिल्ली से संचलित पैदायशी इंजिनियर मुल्तानी लोहार बिरादरी की देश की सबसे बड़ी और क्रान्तिकारी तंजीम ने बिरादरी से वायदा किया था कि कोरोना के बाद हमारी तंजीम 12 नवंबर को मुल्तानी - डे के मुबारक मौके पर हर साल 12 गरीब मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी की लड़कियों की शादी का खर्चा उठाएगी, पूरे देश की बिरादरी को लगभग 7 महीने पहले इसलिए इसलिए आगाह किया जा रहा है। कि आप सब अपने अपने गांव, कस्बे और शहर की गरीब और बेसहारा, यतीम शादी लायक लड़कियों के रजिस्ट्रेशन कराने शुरू कर दें , जो भी इस काम में तंजीम की मदद करेगा अल्लाह उनको भी इसका अजर देगें, इसलिए आप सभी हजरात से पुरखुलूश गुजारिश है कि ऐसी गरीब बच्चियां की 12 नवंबर ( मुल्तानी - डे ) के इस मुबारक मौके पर होने वाले इस प्रोगाम की तैयारियां शुरू करें और इस प्रोगाम को कामयाब बनाने में शादी के लिए जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन कराने शुरू करें। जिन लडकियों की शादी तंजीम कराएगी उन सभी लडकियों के रिश्ते लड़की के घर, परिवार, खानदान, रिश्तेदार खुद तय करेंगे, तंजीम सिर्फ़ शादी का खर्चा उठाएगी और जिस शहर की ज्यादा लड़कियां होगी उसी शहर या आसपास के शहर में एक ही बारात घर में सभी 12 लड़कियों की शादी का इंतजाम किया जाएगा, इस मुहिम में अपने अपने घर पर शादी के लिए कोई मदद, इमदाद, खर्चा नही दिया जाएगा, इस नेक काम में बिरादरी के जितने ज्यादा से ज्यादा तादाद में खिदमतगार हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खिदमत देना चाहे ऐसे शख्स हमारे मोबाईल नंबर पर मैसेज या कॉल करके अपना नाम लिखवा दें । 12 लड़कियो की एकसाथ शादी करना कोई छोटा काम नही और अगर आप और हम सब मिल जुलकर इकट्ठा होकर इसको अंजाम दे तो कोई बहुत बड़ा काम भी नही , लडकियों को ज़रूरी सामान, मेहमानों का खाना और तोहफ़े वगेराह सहित इस पूरे मिशन की मुकम्मल जानकारी इस प्रोजेक्ट के चेयरमैन नियुक्त होते ही उनके जरिए आप तक पहुंचती रहेगी,सिर्फ़ ओर सिर्फ मुल्तानी लोहार बिरादरी के इस गरीब लड़कियों की शादी के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए देखते है कितने सच्चे खिदमतदार आगे आकर हमारा हाथ पकड़कर साथ निभाते है।
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Tuesday, April 9, 2024

ईद के त्यौहार को लेकर स्वच्छता अभियान चलाया गया

बिड़ोली शामली : ईद के त्यौहार को मद्देनजर रखते हुए ग्राम प्रधान कपिल कुमार व ग्राम सचिव के नेतृत्व में ईद पर्व को लेकर गांव बिडोली में स्वच्छता अभियान चलाया गया जो सफाई  कर्मी द्वारा गांव में सफाई का कार्ये किया गया मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार को शामली के विकास खंड ऊन के अंतर्गत ग्राम पंचायत बिड़ोली सादात झिमरान बिड़ोली व अन्य गांवों में स्वच्छता अभियान चलाया गया जो सफाई कर्मी द्वारा गांव की गलियों, मार्गों, सार्वजनिक स्थलों की सफाई के साथ नालियों के कचरे को साफ करने में जुटे नजर आए। सफाई कर्मी, शौकीन,विशाल कुमार,अजय कुमार, अक्षय कुमार, शीशपाल कुमार, ट्रैक्टर ड्रावर पवन कुमार,आदि का सहयोग रहा।
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Friday, April 5, 2024

अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है

रमजान का पाक महीना चल रहा है. मुसलमानों के लिए यह महीना इबादत का है.रमजान में रोजा, नमाज और कुरान पढ़ने के साथ जकात और फितरा देना बहुत ही वाजिब है. ईद की नमाज से पहले हर मुसलमान को जकात और फितरा अदा करना होता है असल में ये एक तरह से दान ही है. क्या होता है जकात और फितरा? असल में जकात फर्ज है, तो फितरा वाजिब है. जो हैसियतमंद है ऐसे लोगों के लिए जकात और फितरा निकालना फर्ज है. जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. रमजान के महीने में ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात देना हर मुसलमान के लिए जरूरी होता है.

क्या है जकात

 हर उस मुसलमान के लिए जकात देना जरूरी है जो हैसियतमंद है. आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं. अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है. वैसे तो जकात पूरे साल में कभी भी दी जा सकती है, लेकिन ज्यादातर लोग रमजान के महीने में ही जकात निकालते हैं. असल में ईद से पहले जकात अदा करने का रिवाज है. जकात गरीबों, बेवाओं, यतीम बच्चों या किसी बीमार व कमजोर व्यक्ति को दी जाती है. औरत या मर्द के पास अगर सोने चांदी के जेवरात के तौर पर भी कोई प्रोपर्टी होती है तो उसकी कीमत के हिसाब से भी जकात दी जाती है.

कौन देता है जकात अगर घर में पांच मेंबर हैं और वो सभी नौकरी या किसी रोजगार के जरिए पैसा कमाते हैं तो सभी पर जकात देना फर्ज माना जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी का बेटा या बेटी भी नौकरी या रोजगार के जरिए पैसा कमाते हैं तो ऐसे मां-बाप अपनी कमाई पर जकात देकर नहीं बच सकते हैं. किसी भी घर में उसके मुखिया के कमाने वाले बेटे या बेटी के लिए भी जकात देना फर्ज होता है. 
क्या होता है फितरा , फितरा वो रकम होती है जो खाते-पीते, अमीर घर के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं. ईद की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है. फितरे की रकम भी गरीबों, बेवाओ और यतीम बच्चों और सभी जरूरतमंदों को दी जाती है. जकात और फितरे के बीच बड़ा फ़र्क यह है कि जकात देना रोजे रखने और नमाज पढ़ने जितना ही जरूरी होता है, बल्कि फितरा देना इस्लाम के तहत ज़रूरी नहीं है. जैसे जकात में 2.5 फीसदी देना तय होता है, जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं होती. इंसान अपनी माली हैसियत के मुताबिक कितना भी फितरा दे सकता है.पूरी तरह गोपनीय होनी चाहिए जकात अगर कोई मुसलमान जकात देता है तो वह एकदम गोपनीय होना चाहिए. जकात लेने वाले . हैसियत से कमजोर व्यक्ति को ये एहसास नहीं होना चाहिए कि उसे सार्वजनिक रूप से इमदाद देकर जलील किया जा रहा है. ऐसे में जकात का महत्व कम हो जाता है. इस्लाम के जानकार कहते हैं कि अल्लाह ताला ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है. गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए हर बा हैसियत मुसलमान के लिए जकात और फितरा देना जरूरी होता है.किसे नहीं दे सकते हैं जकात किसे जकात दे सकते हैं, यह भी साफ तौर पर बताया गया है. शौहर अपनी बीवी को और बीवी अपने शौहर को जकात नहीं दे सकती है. भाई-बहन, भतीजा-भतीजी, भांजा, चाचा, फूफी, खाला, मामा, ससुर, दामाद में से जो जरूरतमंद और हकदार हैं, उन्हें जकात देने में कोई हर्ज है. हदीस में यह भी कहा गया है कि जकात का पैसा अगर किसी जरूरतमंद के बीच चला जाता है तो देने वाले को उसका सवाब मिलता रहता है.हमारी तंजीम साल 2011 से रजिस्टर्ड है और तंजीम के पास पूरे साल जरूरतमंद लोगों की लाइन लगी रहती है और कुछ लोग तो पूरी उम्मीद के साथ हमारी तंजीम के दफ़्तर में आकर रोते गिड़गिड़ाते है। मदद के लिए मिन्नते करते है। चूकी हमारी तंजीम ने आज तक एक रुपए का भी चंदा किसी से नहीं मांगा तो ऐसे में किसी भी जरूरतमंद की मदद करने में तंजीम को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस पाक रमजान के महीने से हमारी तंजीम ने जकात और फितरा लेकर जरूरतमंदों तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ली है। अगर आप चाहते है कि आपका हलाल कमाई से कमाया रुपया सही जगह पहुंचे तो आप हमारी तंजीम के एकाउंट में यह पैसा जमा करा दें । एकाउंट की डिटेल स्क्रीन पर दिखाई जा रही है।Account Name:- Multani Samaj Charitable Trust

A/C No. 13332191075333

IFSC:- PUNB0225600

Bank Name:- Punjab National Bank

Branch:- Yamuna Vihar, Delhi 

अपने अभी यार दोस्तों, कुनबे रिश्तेदारों और सभी मुस्लिम भाईयों को यह वीडियो भेजकर ज्यादा से ज्यादा मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए कहें।।इस बारे में और ज्यादा मालूमात के लिए तंजीम के फाउंडर ज़मीर आलम मुल्तानी और सदर मोहम्मद आलम के मोबाइल नंबर पर कॉल करके राब्ता कायम करें ।

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7503296786

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Wednesday, April 3, 2024

सबसे छोटा खुत्बा

अगर 30,000 शहीद, 70,000 घायल हुए और 2 मिलियन बेघर फिलिस्तीन लोग उम्मा को जगा  नहीं सकते तो मेरे लफ्जों का क्या असर होगा? मैं और क्या कहूं और किसके लिए? अपनी सफों  को सीधा करो,  दुआ  करो। फिलीस्तीनी विद्वान शायख महमूद हसनत अपने सबसे छोटे खुत्बा (उपदेश) में।
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Tuesday, April 2, 2024

इस्लामिक मान्यता व मज़हब के मुताबिक साल का सबसे अफजल महीना रमजान का महीना होता है ।

रमजान के महीने के दिनों को अल्लाह ने तीन हिस्सों में बांटा है पहले दस दिन अल्लाह की ओर से बरकत वाले दिन होते हैं । दूसरे दस दिन अल्लाह की ओर से रहमत वाले दिन होते हैं । तीसरे नो या दस दिन मग़फिरत वाले दिन होते हैं । तीसरे मग़फिरत वाले दिनों में मुसलमान लोग अल्ल्लाह की खास मुहब्बत हासिल करने के लिये एतकाफ यानि एकांत में बैठकर दुनियां-दारी से बिल्कुल अलग होकर कसरत से अल्लाह की इबादत करते हैं ।इस्लामिक मान्यता व मज़हब के मुताबिक साल का सबसे अफजल महीना रमजान का महीना होता है । रमजान के महीने के वैसे तो सभी दिनों का अपना महत्त्व है लेकिन मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने के जुमें (शुक्रवार) के दिनों को खास दिनों की श्रेणी में रखा गया है । और अलविदा का जुमा साल के सब जुमों में सबसे खास जुमा माना जाता है । अलविदा का जुमा रमजान महीने का आखिरी जुमा होता है इस दिन की इबादत अल्लाह के दरबार में बहुत मायने रखती है । अलविदा के जुमें के दिन को लेकर कुछ अशिक्षित लोगों ने मान्यता बना रखी है कि अलविदा के जुमें के दिन नया कपड़ा पहनने का  या नये जूते चप्पल पहनने का अल्लाह के यहां  हिसाब नहीं देना पड़ेगा या इस दिन सहरी व रोज़ा इफ़्तारी के वक्त जो खाना खाया या जो पानी वगैरा पिया  उसका कोई हिसाब नहीं होगा जबकि ये सब ग़लत व झूठ है । लोगों की अपनी बनाई हुई बातें हैं इन बातों से मजहब ए इस्लाम का कोई लेना-देना नहीं है जो कि मज़हब ए इस्लाम में कहीं भी साबित नहीं है । रमजान के महीने में हर जरुरतमंदों व गरीबों का ख़ासतौर पर ख़्याल व ध्यान रखने व मदद करने का हुक्म है । रमजान के महीना बीत जाने के अगले दिन ईद मनाई जाती है । ईद भाई-चारा प्यार मुहब्बत कायम करने का दिन है अल्लाह का शुक्र अदा करने का दिन है अल्लाह की ओर से इंसानों और मुसलमानोंं के लिये रमजान का इनाम ईद है । प्रेषक व लेखक - अलीहसन मुल्तानी बड़का मार्ग बड़ौत ।
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