Thursday, February 27, 2025

निकाह को आसान और अनैतिक रिश्तों को मुश्किल बनाएं


आज हमारा समाज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहाँ एक तरफ़ फिजूलखर्ची और दिखावे की रस्मों ने निकाह को कठिन बना दिया है, तो दूसरी ओर कुछ सामाजिक बुराइयों ने हमारी बहन-बेटियों को धोखाधड़ी और शोषण का शिकार बना दिया है।

 *समस्या कहाँ है?* 

1️⃣ *महंगे निकाह और गैर-ज़रूरी रस्में* 

🔹 लाखों रुपये सिर्फ़ शादी की रस्मों पर खर्च हो जाते हैं, जबकि यही पैसा बच्चों की शिक्षा और भविष्य संवारने में लगाया जा सकता है।
🔹 दहेज़, बारात, लगुन, हल्दी, मेहंदी जैसी रस्में इतनी महंगी हो गई हैं कि माता-पिता बेटी की शादी के नाम से डरने लगते हैं।
🔹 सबसे बड़ी समस्या यह है कि निकाह के बाद लड़की वालों पर दावत की जिम्मेदारी डाल दी जाती है, जो पूरी तरह अनुचित है।
🔹 आर्थिक तंगी के कारण शादी में देरी होती है, जिससे लड़कियों की शादी की उम्र निकल जाती है।

2️⃣ *प्रेमजाल में फंसाने और धोखाधड़ी की घटनाएँ* 

🔹 कई मामलों में युवतियों को पहले प्रेमजाल में फंसाया जाता है, फिर उनके साथ धोखा किया जाता है।
🔹 कुछ घटनाओं में लड़कियों को ब्लैकमेल किया गया, ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला गया या उनके साथ अन्याय हुआ।
🔹 कई बार धोखे से शादी करके बाद में उन्हें प्रताड़ित किया गया या उनका शोषण हुआ।

💡 *समाधान: अगर निकाह में फिजूलखर्ची और अनावश्यक रस्मों को खत्म करके इसे आसान बनाया जाए, तो इन समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।* 

3️⃣ *सामाजिक और आर्थिक समझदारी की ज़रूरत* 

🔹 जो पैसा हम शादी के दिखावे पर खर्च करते हैं, वह हमारे ही समाज की तरक्की में लग सकता है।
🔹 गैर-ज़रूरी शादी समारोहों के लिए लाखों रुपये मैरिज हॉल, महंगे खाने और फिजूलखर्ची पर खर्च किए जाते हैं, जबकि इन्हें शिक्षा और रोजगार में निवेश किया जा सकता है।

समाधान क्या है? – समाज को बचाने के लिए बदलाव ज़रूरी

✅ *निकाह सिर्फ़ मस्जिद में हो – बिना किसी दिखावे के, सादगी से।* 
✅ *बेटी वालों पर शादी में फिजूलखर्ची का बोझ खत्म हो – शादी दोनों परिवारों की ज़िम्मेदारी है, सिर्फ़ लड़की वालों की नहीं।* 
✅ *दहेज़ और गैर-ज़रूरी रस्मों पर रोक लगे – शादी को बोझ नहीं, आसान बनाएं।* 
✅ *बारात और महंगी रस्मों की जगह निकाह में सादगी को अपनाएं।* 
✅ *महंगी रस्में जैसे लगुन, सगाई, हल्दी, मेहंदी बंद हों।* 
✅ *मैय्यत पर खाने की दावतें बंद की जाएं।* 
✅ *सबसे ज़रूरी बात – निकाह के बाद लड़की वालों पर दावत की ज़िम्मेदारी न हो।* 
✅ *शादी का बजट घटाएं और शिक्षा पर खर्च बढ़ाएं।* 
✅ *अपनी मेहनत की कमाई को सही दिशा में लगाएं – दिखावे में नहीं, समाज की भलाई में।* 

 *युवतियों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए विशेष कदम* 

✔ *निकाह में देरी न करें – जल्दी और आसान शादी करें।* 
✔ *लड़कियों को शिक्षित करें – ताकि वे आत्मनिर्भर बनें और किसी धोखे का शिकार न हों।* 
✔ *इस्लामी और आधुनिक शिक्षा दें – ताकि वे अपने हक़ और सुरक्षा के बारे में जागरूक रहें।* 
✔ *लड़कियों को आर्थिक रूप से मज़बूत करें – ताकि वे ज़रूरत पड़ने पर खुद फैसले ले सकें।* 
✔ *बच्चों को सही मार्गदर्शन दें – ताकि वे भावनात्मक रूप से मज़बूत बनें और कोई उनका गलत फायदा न उठा सके।* 
✔ *मीडिया और सोशल मीडिया पर फैल रही गलत एवं अश्लील जानकारी से बचें – और अपनी बहन-बेटियों को सच्चाई से अवगत कराएँ।* 
✔ *समाज में जागरूकता फैलाएँ और हर घर तक इस संदेश को पहुँचाएँ।* 

 *अब फैसला आपका है!* 

⚡ *क्या आप अपनी बहन-बेटियों को सुरक्षित देखना चाहते हैं?* 
⚡ *क्या आप चाहते हैं कि निकाह आसान हो और अनैतिक संबंधों से समाज बचे?* 
⚡ *क्या आप अपनी मेहनत की कमाई सही जगह खर्च करना चाहते हैं?* 
⚡ *क्या आप अपने समाज को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना चाहते हैं?* 

 *अगर हां, तो इस संदेश को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में अपना योगदान दें!* 
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बिरादरी से एक और ग़मजदा खबर अनीस अहमद ने भी इस फ़ानी दुनियां को हमेशा हमेशा के लिए कहा अलविदा

निहायत ही अफ़सोस के साथ इत्तला दी जाती है कि अनीस अहमद वल्द  मरहूम शकील अहमद साहब (भोपा वाले ) जिला मुजफ्फरनगर का आज दिन जुमेरात बा तारीख़ 27 फ़रवरी 2025 को 47 साल की उम्र में इंतकाल हो गया यह धामपुर शुगर मिल में मुलाजिम थे इनका जनाजा मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश) हस्पताल से मोहल्ला भूड , इस्लामाबाद क़स्बा खतौली जिला मुजफ्फरनगर लाया जा रहा है। इनका तदफीन बाद नमाज़ इशा किया जाएगा घर से मां या बाप के साए का चले जाना परिवार के लिए बहुत ही ज्यादा दुःख और बड़े नुकसान की खबर है, जिसकी भरपाई हो ही नहीं सकती घर में उनकी कमी हमेशा महसूस होती रहेगी। अल्लाह पाक मरहूम को जन्नत उल फ़िरदोश में आला से आला मुकाम अता फरमाएं, अल्लाह ताला उनके अहले खाना को सब्र ए जमील अता फरमाएं , लिहाजा जनाजे में शिरकत फरमाकर सवाबे दा दारेन हासिल करें।

नोट 🚫 मय्यत के बारे में और ज्यादा मालूमात के लिए इनके भाई रेहान मिर्ज़ा के मोबाईल नंबर - 9319157503 पर कॉल करें 
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Wednesday, February 26, 2025

खतौली से बिरादरी के लिए बेहद ही गमगीन ख़बर

निहायत ही अफ़सोस के साथ आपको यह इत्तला दी जाती है कि खतौली जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के बुढ़ाना रोड मोहल्ला इस्लाम नगर के रहने वाले जनाब रईसुद्दीन साहब वल्द जनाब मरहूम रियाजउद्दीन साहब ( किला परीक्षितगढ़) वालो का बीती रात लगभग 2 बजे इंतकाल हो गया है। यह लगभग 60 साल के थे और काफ़ी समय से सांस की बीमारी से जूझ रहे थे।  रईसुद्दीन साहब अपने पीछे अपनी अहलिया सहित 4 लड़के और दो लड़कियों सहित पौते पोतियां और नाते, नातिनों सहित सभी कुनबे वाले और रिश्तेदारों को रोता बिलखता छोड़कर इस फ़ानी दुनियां से हमेशा हमेशा के लिए विदा हो गए, अल्लाह ताला इनकी मगफिरत फरमाए, इन्हें जन्नत में आला से आला मकाम अता फरमाए और घर वालों को सब्र ए जमील अता फरमाए। मिली जानकारी के अनुसार आज दिन जुमेरात बा तारीख 27 फ़रवरी 2025 को बाद नमाज़ जोहर मय्यत को किया जाएगा सुपुर्दे खाक,लिहाजा जनाजे में शिरकत फरमाकर सवाबे दारेन हासिल करें,
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मिस्त्री अब्दुल वहीद की अहेलिया वसीला बी ने भी इस फ़ानी दुनियां को कहा अलविदा

ख़बर इंतेकाल- बहुत दुख, ग़म व अफसोस के साथ इत्तिला दी जाती है कि मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी में कोर्ट रोड बाग़पत, उत्तर प्रदेश में मिस्त्री अब्दुल वहीद की अहेलिया बहुत नेक वसीला बेग़म जोकि इरशाद , अंसार, इंतेज़ार, पप्पू इस्तेखार की वालिदा थी इनका लंबी बिमारी के चलते आज दिन बुध बा तारीख़ 26 फ़रवरी 2025 को शाम के वक्त इंतेकाल हो गया है । अल्लाह की ऐसी ही मर्ज़ी थी । इन्नालिल्लाहि व इन्नाइलैईहि राज़िऊन , मिली जानकारी के अनुसार कल 27 फ़रवरी 2025 की सुबह 10 बजे मय्यत को बाग़पत के पुराना कस्बा रोड वाले कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया जायेगा । हम मरहूमा की मगफिरत के लिये अल्लाह से दुआ करते हैं कि अल्लाह मरहूमा को जन्नतुल फिरदौस में आला से आला मुकाम आता फरमाएं । आमीन । सुम्मा आमीन । मुल्तानी समाज न्यूज बागपत, उत्तर प्रदेश से अली हसन मुल्तानी की रिपोर्ट 
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Tuesday, February 25, 2025

अंजुमन के बायलॉज के हर पेज़ के बारे में ध्यानपुर्वक पढ़े और समझे बड़े बुजुर्गों की मेहनत को ऐसे ही जाया नहीं होने देंगे : अलीहसन मुल्तानी

प्रेस विज्ञप्ति बहुत इज्जत अदब और अहतराम के काबिल मोहतरम जनाब मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरान अस्सलामु अ़लैईकुम जी । आपके पास अंजुमन का वो बायलॉज पेश करने जा रहा हूं जो हमारे बुजुर्गों ने हमारी, आपकी, आने वाली नस्लों की, तमाम बिरादरान हजरात की और अंजुमन की तरक्की के लिये रजिस्ट्रेशन कार्यालय मेरठ से सन 1994 रजिस्टर्ड करा रखा है आइये जानते हैं अंजुमन के बायलॉज में क्या और कितना लिखा है जो लिखा है हम वहीं लिखेंगें चाहे वो शब्द सही शुद्ध है या ग़लत और अशुद्ध है जो लिखा है वहीं लिखेंगें । स्मति पत्र ------ संस्था का नाम - अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान, संस्था का पता - स्थान व पोस्ट बड़ौत जिला मेरठ, संस्था का कार्य क्षेत्र - उत्तर प्रदेश, संस्था के उद्देश्य -प्राथमिक शिक्षा स्तर से स्नातकोत्तर स्तर तक की शिक्षा का प्रचार प्रसार ।                                

शिक्षा के लिये स्कूल कालेज विद्यालय की स्थापना तथा उनका प्रबन्ध संचालन करना, 
                           
शिक्षा सुधार हेतु शिक्षा विदों की गोष्ठियां आयोजित करके सरकार को उनसे अवगत कराना,        
                        
उन सभी साधनों का क्रियान्वयन जिनसे शिक्षा का प्रसार सम्भव हो ।                       
शिक्षा के लिये विद्यार्थियों को आवश्यक मार्गदर्शन देना ।              
                  
1- बिरादरी के लोगों के मन में राष्ट्रीयता की भावना पैदा करना ।              
          ‌            2- बिरादरी के लोगों का सामाजिक व सर्वांगीण विकास करना ।                
                        
3- बिरादरी के कमजोर व नि-सहाय लोगों की मदद करना ।                 
                          
4- अन्य वे समस्त कार्य जो सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 की धारा 21 के अंतर्गत आते हैं ।               
                 ‌
इसके बाद इस पेज पर सत्य प्रतिलिपि पटल सहायक कार्यालय डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज तथा चिट्स मेरठ की मुहर लगी है ।          
                         
 इस पेज पर बिरादरी के लोगों के 11 आदमियों के दस्तखत हैं, सभी दस्तखत हमारी समझ में नहीं आ रहे हैं ।       
                        
ये अंजुमन संस्था 1994/95 में रजिस्टर्ड हुई है इसका रजिस्ट्रेशन नंबर 277 है इसकी फाईल संख्या 38837 है ।             
                     
 इस पेज को समझने के एतबार से दोबारा पढ़ें समझ में ना आये तो मुहल्ले पड़ोस में सरकारी नौकरी वाले किसी आदमी या किसी अधिवक्ता/वकील से पढ़वाकर समझ लें जरूरी है ।               
                    
 अंजुमन को लेकर मेरे लेख व विचार साक्ष्यों के साथ बिल्कुल सही व सत्य हैं  ये बायलॉज के एक-एक शब्द में तालीम, बिरादरी, राष्ट्रीयता, व सेवा-भाव की बातें साफ-साफ लिखी हैं लिखने और दिखाने के लिये दो दर्जन पेज अभी बाकी हैं देखते रहिये पढ़ते रहिए समझते रहिये और एक दूसरे को बताते दिखाते व समझाते रहिये अंजुमन का बायलॉज ।               
                      
अभी आगे बहुत कुछ है अंजुमन के बायलॉज में ‌-------------- । गरीब मजदूरों की अंजुमन में साहूकार मालदार, दखल ना दें । और ये है अंजुमन के बायलॉज का पेज़ नंबर दो,  बहुत इज्जत अदब और अहतराम के काबिल मोहतरम जनाब मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरान अस्सलामु अ़लैईकुम जी । अंजुमन के बायलॉज का पेज़ नंबर 1
को मैंने आज सुबह ही आप बिरादरान  की खिदमत में हाजिर किया है और अंजुमन के बायलॉज का दूसरा पेज़ आप हजरात की खिदमत में फिलवक्त हाजिर है इसमें लिखा है कि - 
   
संस्था की प्रबन्ध कारिणी समिति की सूची, नाम, पद, व्यवसाय जिनको संस्था के नियमों के अनुसार कार्यभार सोंपा गया निम्न हैं ।                    
 
क्रम संख्या , 
 
नाम,  
 पिता का नाम                     
 
पता                       
 
पद                        
 
व्यवसाय 
 
सब की समझ में आ जाये इसलिये ज----रा सा बदलते हुए लिख रहा हूं जी -                
 
 1- नाम हाजी मुहम्मद इदरीस पुत्र इमामू दीन,         
 
पता- मुहल्ला पुरियान, गली मुस्लिम फण्ड वाली, बड़ौत (मेरठ)       
 
पद सदर,
 
 व्यवसाय- मजदूर                              
 
2- नाम फखरूद्दीन       पुत्र नसीबू दीन,         
 
पता- कोकब विहार, बड़ौत मेरठ           
 
पद- नायब सदर 
 
व्यवसाय - मजदूर 
 
3- नाम मुहम्मद यासीन 
 पुत्र हाजी इमामू दीन 
 पता- जाट कालिज रोड, निकट कैप्टन घासी राम द्वार, बड़ौत (मेरठ) 
 
पद- सेकेट्री 
 
व्यवसाय- मजदूर  
 
4- मुहम्मद शब्बीर पुत्र हाजी अमीरूदीन
 
पता- बावली रोड, पट्टी चौधरान, बड़ौत (मेरठ) 
 

 पद- नायब सेकेट्री 
 
व्यवसाय- मजदूर 
 
5- नाम मुहम्मद इकबाल पुत्र ख़ैराती 
 
पता - बावली रोड़, पट्टी चौधरान, निकट छोटी मस्जिद, बड़ौत (मेरठ) 
 
पद- खजांची 
 
 व्यवसाय- मजदूर 
 
6- मंगता पुत्र हाजी नसीबूदीन 
 
पता- ग्राम व 
डाकघर लहौड्डा (मेरठ) 
 
पद- स्पीकर 
 
व्यवसाय- मजदूर 
 
7- नाम हकीमू दीन पुत्र जीमू 
 
पता- बिनौली रोड, विष्णु सिनेमा बड़ौत (मेरठ) 
 
पद- सदस्य
 
व्यवसाय- मजदूर 
 
8- नाम अलीहसन पुत्र मौजूदीन 
 
पता- कोकब विहार बड़ौत (मेरठ)  
 
पद- सदस्य 
 
व्यवसाय मजदूर 
 
9- नाम हाजी मौजूदीन पुत्र इमामूदीन
 
पता- सहारनपुर रोड़, निकट विनय पैट्रोल पम्प बड़ौत (मेरठ) 
 
पद- सदस्य 
 
व्यवसाय- मजदूर 
 
10- नाम रफीक अहमद, पुत्र मौजूदीन
 
पता- ग्राम व डाकघर ढिकाना,  (मेरठ) 
 
पद- सदस्य 
 
व्यवसाय- मजदूर 
 
11- मुहम्मद यामीन पुत्र इमामूदीन 
 
पता- ग्राम व डाकघर बरवाला (मेरठ) 
 
पद- सदस्य 
 
व्यवसाय मजदूर 
 
6- हम निम्न हस्ताक्षर कर्ता घोषित करते हैं कि हमने एक सभा का गठन किया है । और सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 की धारा 21 के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराना चाहते हैं। स्थान-  
 
दिनांक 
 

 इस पेज पर और इससे पहले पेज पर 11 लोगों के दस्तखत के साथ  चिट्स एवं फण्डस रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ की मुहर लगी है जी । 
 
गौर तलब हो कि इस निवेदक कमेटी में अभी तक कोई ऐसा नाम नहीं आया है जो फिलवक्त की अंजुमन की कब्जाधारी कमेटी की तस्दीक करता हो ।
  
 दूसरी बात ये कि अंजुमन बनाने की कमेटी के निवेदक कारोबारी हैसियत से मेरठ के रजिस्ट्रार कार्यालय में खुद को मजदूर कबूल कर रहे हैं ।  मोहतरम बिरादरान ध्यान दें- 
 
अंजुमन के अंगने में साहूकारों का क्या काम है ।          अंजुमन गरीबों की है अमानत ये गरीबों के ही नाम है । 
पेज नंबर -3
,और ये है अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान संस्था बड़ौत के बायलॉज का पेज़ नंबर 3 
 
नियमावली ------------- 
 
संस्था का नाम- 
 अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान  
 
संस्था का पता-  
स्थान व पोस्ट, बड़ौत जिला मेरठ । 
संस्था का कार्य क्षेत्र- 
उत्तर प्रदेश । 
  
संस्था के उद्देश्य 
  
संस्था कि सदस्यता तथा सदस्यों के वर्ग 
   
 आजीवन सदस्य 
 
जो सदस्य संस्था को एक बार में  1000 रुपये नगद अथवा इतने ही मूल्य की संपत्ति दान में देगा वह संस्था का आजीवन सदस्य कहलायेगा । 
 
उन्हें केवल एक बार ही शुल्क जमा करना होगा ।
 
स्वेच्छा से यदि चाहें तो संस्था को किसी भी रूप में आर्थिक मदद कर सकते हैं । 
 
विशिष्ट सदस्य 
 
जो सदस्य संस्था को एक बार में 500 रुपए नकद अथवा इतने ही मूल्य की संपत्ति दान में देंगें वह संस्था का आजीवन सदस्य होंगा । उन्हें भी जीवन पर्यन्त एक ही बार शुल्क जमा करना होगा । 
 
समाज के विशिष्ट व्यक्ति को ही संस्था का विशिष्ट सदस्य बनाया जायेगा, विशिष्ट सदस्य भी आजीवन सदस्य माने जायेंगे । 
 
संरक्षक सदस्य 
 
जो सदस्य संस्था को 251 रुपए नकद अथवा इतने ही मूल्य की संपत्ति दान में देगा वह संस्था का संरक्षक सदस्य कहलायेगा। संरक्षक सदस्य वही बनाया जायेगा जिसने समाज की नि:स्वार्थ सेवा की हो । इनका दर्ज भी आजीवन सदस्य के रूप में होगा । 
 
इस पेज पर सिर्फ 3 ही लोगों के दस्तखत हैं जी जो कि समझ में नहीं आ रहे हैं।  इस पेज पर भी डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय की मुहर लगी है जी । 
 
 गौरतलब हो कि 1000 रुपए  देने वाला भी आजीवन सदस्य लिखा है जी । 
 
 500 रुपये देने वाला भी आजीवन सदस्य लिखा है जी । 
 
251 रुपए देने वाला भी आजीवन सदस्य ही लिखा है जी तो है ना कमाल की बात ।  
 
चाहो तो दोबारा पढ लो या बार-बार पढ़ लो ।  
 
मेरी बात सच है । क्योंकि सबूत आपके सामने है ।  
 
अगले पेज में 50 रुपए वाले सदस्य  भी आयेंगे । पढ़ते और समझते रहिए एक दूसरे को भी समझाते रहिये अंजुमन का बायलॉज 
 
 अपनों को भी और दूसरों को भी समझाते रहिये अंजुमन का बायलॉज ।  
 पेज़ नंबर -4
और ये अंजुमन के बायलॉज का पेज़ नं 4, ये पेज 3 नंबर पेज का ही आगे का भाग है  । इसे क्रमश-2 की श्रेणी में रखा गया है । इस पेज में लिखा है
 
 साधारण सदस्य 
 
जो सदस्य संस्था को 50 रुपए वार्षिक अथवा इतने ही मूल्य की संपत्ति दान में देगा वह संस्था का आजीवन सदस्य माना जायेगा । लेकिन किसी भी प्रस्ताव में वोट देने का अधिकार उसे ही होगा जो लगातार 3 वर्ष सदस्य रह चुका हो ।
 
एक आजीवन सदस्य 10 साधारण तथा सदस्यों के बराबर होगा । तथा वोट की गिनती आजीवन सदस्यों के रूप में मानी जायेगी ।
 
  बिरादरान हजरात पेज नंबर 4 का ये उल्लेख हमारी समझ में तो आया नहीं आप बिरादरान हजरात की समझ में आ जाये तो गुज़ारिश है कि हमें भी बताना जी ।  
 
सदस्य बनाने की शर्तें- 
 
जिसकी आयु 18 वर्ष की हो गई हो गौरतलब है कि इस हिसाब से तो बिरादरी के लाखों लोग अंजुमन की वोट बनने से महरूम हैं जी ।
 
किसी भी न्यायालय से दण्डित ना हो, 
 
प्रबन्धक द्वारा अनुमति दी गई हो ।  गौरतलब हो कि अंजुमन  की किसी भी मेंबरशिप की रसीद पर प्रबन्ध की संतुति अनुमति नहीं है और ना ही अंजुमन की मेंबरशिप की रसीदों पर प्रबन्धक के दस्तखत या मुहर लगी हुई है । इसका मतलब तो ये हुआ कि अंजुमन की मेंबरशिप की तमाम रसीदें गलत व फर्जी हैं । ये हम नहीं कह रहे हैं ये तो अंजुमन के बायलॉज का उल्लेख है जी ।
 
सदस्यता पृथकता 
 
किसी भी न्यायालय से दण्डित होने पर 
 
नियमानुसार शुल्क जमा ना करने पर 
 
संस्था के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने पर गौरतलब हो कि अंजुमन की तमाम कमेटीयां संस्था के उद्देश्यों के विपरीत ही कार्य कर रही हैं जैसे अंजुमन में अंजुमन के सदस्यों की एजेंडे के साथ मिटिंग ना बुलाना, जैसे अंजुमन में सालाना ऑडिट व बजट पेश ना करना, जैसे-अंजुमन के साल दर साल गेट बंद होना, गेट पर ताले का लगा रहना, जैसे अंजुमन का 35 साल से आज तक का हिसाब ना देना , ये सब तो अंजुमन के लिखित बायलॉज के विपरीत ही हो रहा है । इस हिसाब से तो अंजुमन की कमेटीयों को कानूनी सजा मिलनी चाहिये ।
 
संस्था को आर्थिक या किसी प्रकार की हानि पहुंचाने पर 
 
यहां ध्यान दिलाना चाहता हूं कि अंजुमन की कमेटीयों ने अंजुमन के सामान की चोरी करके अंजुमन को आर्थिक हानि पहुंचाई है लिहाजा अंजुमन  की कमेटीयों  के सभी लोग अंजुमन से पृथक करने योग्य हैं यानि अंजुमन से निकालने लायक हैं । 
 
प्रबन्धक के आदेशों का पालन ना करने पर । 
 
गौरतलब हो कि अंजुमन की कमेटीयां प्रबन्धक का आदेश मानने की बजाय उल्टा प्रबन्धक को ही आदेश देते हैं इसीलिए 15 अगस्त 2024 को अंजुमन में हंगामा हुआ और अंजुमन में हर वक्त ताला लगा रहता है । 
 
दिवालिया अथवा पागल होने पर 
 
अंजुमन की कमेटीयों वास्तव में पागल ही हैं इसीलिए अंजुमन की कमेटीयां अंजुमन में बिरादरी को नहीं घुसने दे रही हैं 
 
बुलाई गई लगातार 3 मीटिंगों में ना आने पर  
 
गौरतलब है कि कम से कम एक साल में दो मीटिंग तो बिल्कुल अनिवार्य हैं 35 दुनि 70 , 70 मीटिंग यानि 24 गुना मिटिंग तो अंजुमन की कमेटीयां खुद रिजेक्ट कर चुकी है । अंजुमन की कमेटीयों के लोग तो अंजुमन के मेंबर बने रहने के लायक भी नहीं हैं । ये तो बायलॉज कह रहा है जी । हम नहीं कह रहे हैं ।
 साधारण सभा 
प्रबन्धक कारिणी सभा  
 
ये पेज पूरा हुआ इस पेज पर  3 लोगों के दस्तखत हैं जी और रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ की मुहर लगी है जी ।  
 
अंजुमन के बायलॉज में आगे बहुत कुछ है जी पढ़ते रहिए , समझते रहिये, एक दूसरे को बताते और समझाते रहिये ।
पेज नंबर 
,और ये अंजुमन के बायलॉज का पेज़ नं 4, ये पेज 3 नंबर पेज का ही आगे का भाग है  । इसे क्रमश-2 की श्रेणी में रखा गया है । इस पेज में लिखा है
 
 साधारण सदस्य 
 
जो सदस्य संस्था को 50 रुपए वार्षिक अथवा इतने ही मूल्य की संपत्ति दान में देगा वह संस्था का आजीवन सदस्य माना जायेगा । लेकिन किसी भी प्रस्ताव में वोट देने का अधिकार उसे ही होगा जो लगातार 3 वर्ष सदस्य रह चुका हो ।
 
एक आजीवन सदस्य 10 साधारण तथा सदस्यों के बराबर होगा । तथा वोट की गिनती आजीवन सदस्यों के रूप में मानी जायेगी ।
 
  बिरादरान हजरात पेज नंबर 4 का ये उल्लेख हमारी समझ में तो आया नहीं आप बिरादरान हजरात की समझ में आ जाये तो गुज़ारिश है कि हमें भी बताना जी ।  
 
सदस्य बनाने की शर्तें- 
 
जिसकी आयु 18 वर्ष की हो गई हो गौरतलब है कि इस हिसाब से तो बिरादरी के लाखों लोग अंजुमन की वोट बनने से महरूम हैं जी ।
 
किसी भी न्यायालय से दण्डित ना हो, 
 
प्रबन्धक द्वारा अनुमति दी गई हो ।  गौरतलब हो कि अंजुमन  की किसी भी मेंबरशिप की रसीद पर प्रबन्ध की संतुति अनुमति नहीं है और ना ही अंजुमन की मेंबरशिप की रसीदों पर प्रबन्धक के दस्तखत या मुहर लगी हुई है । इसका मतलब तो ये हुआ कि अंजुमन की मेंबरशिप की तमाम रसीदें गलत व फर्जी हैं । ये हम नहीं कह रहे हैं ये तो अंजुमन के बायलॉज का उल्लेख है जी ।
 
सदस्यता पृथकता 
 
किसी भी न्यायालय से दण्डित होने पर 
 
नियमानुसार शुल्क जमा ना करने पर 
 
संस्था के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने पर गौरतलब हो कि अंजुमन की तमाम कमेटीयां संस्था के उद्देश्यों के विपरीत ही कार्य कर रही हैं जैसे अंजुमन में अंजुमन के सदस्यों की एजेंडे के साथ मिटिंग ना बुलाना, जैसे अंजुमन में सालाना ऑडिट व बजट पेश ना करना, जैसे-अंजुमन के साल दर साल गेट बंद होना, गेट पर ताले का लगा रहना, जैसे अंजुमन का 35 साल से आज तक का हिसाब ना देना , ये सब तो अंजुमन के लिखित बायलॉज के विपरीत ही हो रहा है । इस हिसाब से तो अंजुमन की कमेटीयों को कानूनी सजा मिलनी चाहिये ।
 
संस्था को आर्थिक या किसी प्रकार की हानि पहुंचाने पर 
 
यहां ध्यान दिलाना चाहता हूं कि अंजुमन की कमेटीयों ने अंजुमन के सामान की चोरी करके अंजुमन को आर्थिक हानि पहुंचाई है लिहाजा अंजुमन  की कमेटीयों  के सभी लोग अंजुमन से पृथक करने योग्य हैं यानि अंजुमन से निकालने लायक हैं । 
 
प्रबन्धक के आदेशों का पालन ना करने पर । 
 
गौरतलब हो कि अंजुमन की कमेटीयां प्रबन्धक का आदेश मानने की बजाय उल्टा प्रबन्धक को ही आदेश देते हैं इसीलिए 15 अगस्त 2024 को अंजुमन में हंगामा हुआ और अंजुमन में हर वक्त ताला लगा रहता है । 
 
दिवालिया अथवा पागल होने पर 
 
अंजुमन की कमेटीयों वास्तव में पागल ही हैं इसीलिए अंजुमन की कमेटीयां अंजुमन में बिरादरी को नहीं घुसने दे रही हैं 
 
बुलाई गई लगातार 3 मीटिंगों में ना आने पर  
 
गौरतलब है कि कम से कम एक साल में दो मीटिंग तो बिल्कुल अनिवार्य हैं 35 दुनि 70 , 70 मीटिंग यानि 24 गुना मिटिंग तो अंजुमन की कमेटीयां खुद रिजेक्ट कर चुकी है । अंजुमन की कमेटीयों के लोग तो अंजुमन के मेंबर बने रहने के लायक भी नहीं हैं । ये तो बायलॉज कह रहा है जी । हम नहीं कह रहे हैं ।
 साधारण सभा 
प्रबन्धक कारिणी सभा  
 
ये पेज पूरा हुआ इस पेज पर  3 लोगों के दस्तखत हैं जी और रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ की मुहर लगी है जी ।  
 
अंजुमन के बायलॉज में आगे बहुत कुछ है जी पढ़ते रहिए , समझते रहिये, एक दूसरे को बताते और समझाते रहिये । 
पेज नंबर 5वैसे तो ये अंजुमन का 5 वां पेज है लेकिन अंजुमन की नियमावली का तीसरा भाग है । तो चलिए शुरू करते हैं अंजुमन के बायलॉज का 5 वां पेज देखते हैं क्या लिखा है -  
 
साधारण सभा का विस्तृत रूप 
 
गठन- सभी सदस्यों को मिलाकर साधारण सभा का गठन किया जायेगा 
 
बैठकें- सामान्य बैठक वर्ष में एक बार तथा विशेष बैठक कभी भी बुलाईं जा सकती है तथा आक्समिक बैठक भी कभी भी बुलाईं जा सकती है 
 
बिरादरान हजरात यहां में कहना चाहूंगा कि सदर की सहमती के मुताबिक अंजुमन की कमेटीयों द्वारा एक एजेंडा तय किया जाता है ।फिर उस एजेंडे को अंजुमन के लैटर हैड पर लिखकर अंजुमन के सभी मेंबरों तक पहुंचा कर मेंबररों से रिसिव भी कराया जाता है ताकि ये पता रहे कि किस मेंबर की दिलचस्पी अंजुमन के कामों में और बातों में है ताकि वक्त आने पर उस मेंबर की ज़िम्मेदारी को घटाया या बढ़ाया जा सके  
 
यहां तो देखने में आया है कि अंजुमन की कमेटीयां बिरादरी व अंजुमन के मेंबर ना तो साल में एक बार बैठक  बुलाती है , ना ही कभी मेंबरों की या बिरादरी की विशेष बैठक ही अंजुमन की कमेटीयां कभी भी नहीं बुलाती हैं । ना ही आक्समिक बैठक ही अंजुमन की कमेटीयां कभी बुलाती हैं । ख़ैर आगे बढ़ते हैं
 
 सूचना- सामान्य बैठक के लिये सूचना बैठक करने से 15 दिन पूर्व, तथा विशेष बैठक के लिये सूचना 3 दिन पूर्व , और आक्समिक बैठक के लिये सूचना 24 घंटे पूर्व अध्यक्ष/प्रबन्धक के हस्ताक्षरित पत्र द्वारा दी जायेगी । शीघ्र सूचना भेजने के लिये स्पेशल मैसेंजर भेजा जायेगा । 
 
कोरम- किसी भी बैठक के लिये कोरम कुल संख्या का 2/3 होगा । यदि उन्हीं विषयों पर कोरम पूर्ण ना होने पर पुनः बैठक बुलाई जाती है तो कोरम पूर्ण ना होने की पाबन्दी न होगी ।
 
बस इतना ही कहना चाहूंगा कि ना ठाट में, ना खाट में और ना ही 360 में कभी भी अंजुमन के मेंबरों को या बिरादरी को अंजुमन  में बुलाया ही नहीं गया  है ।

 साधारण सभा के अधिकार - कर्तव्य  
 
प्रत्येक 5 वर्ष बाद प्रबन्धककारिणी का चुनाव कराना 
 
वार्षिक आय व्यय बजट पास करना 
 
इससे साबित होता है कि अंजुमन की कमेटीयों को हर साल अंजुमन का हिसाब देना है लेकिन अफसोस है कि पिछले 35 साल का हिसाब अंजुमन की कमेटीयों ने नहीं दिया है ।  
 
ख़ैर आगे बढ़ते हैं-

 नियमों विनियमों में परिवर्तन करना 
 
प्रबन्ध कारिणी में  रिक्त स्थानों की पूर्ति करना,  
 
संस्था की नीति निर्धारण करना  
 
प्रबन्धक सभा का विस्तृत रूप  
 
 गठन- प्रबन्धकारिणी का गठन साधारण सभा द्वारा किया जायेगा   
 
यहां मैं बताना चाहूंगा कि साधारण सभा का मतलब है कि सदर का चुनाव वोटों द्वारा आम बिरादरी ही करेगी । 
 
 इस पेज पर भी 4 आदमियों के समझ में ना आ वाले लोगों के दस्तखत हैं और इसके अलावा रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ की मुहर लगी हुई है जी ।  

अंजुमन के बायलॉज के पेज और भी हैं जी,  देखते व पढ़ते रहिये अंजुमन का बायलॉज दूसरों को भी बताते व सुनाते रहियेगा अंजुमन का बायलॉज 
पेज नंबर - 6
,और ये है अंजुमन का पेज़ नंबर 6 , अंजुमन की नियमावली के अनुसार भाग संख्या 4 तो आइये जानते हैं कि अंजुमन के बायलॉज के इस पेज में क्या लिखा है - 
 
बैठक- 
 
प्रबन्धक कारिणी की सामान्य बैठक वर्ष में दो बार तथा विशेष बैठक कभी भी बुलाईं जा सकती है । 
 
इसका मतलब ये है कि एक साल में दो बार अंजुमन में बिरादरी का इजलास होना चाहिए । जो कि आज तक एक बार भी नहीं हुआ है । चलिये आगे बढ़ते हैं आगे पढ़ते हैं - 
 
सूचना - सामान्य बैठक के लिए 15 दिन पूर्व तथा विशेष बैठक के लिए सूचना 3 दिन पूर्व तथा आक्समिक बैठक के लिए सूचना 24 घंटे पूर्व स्पेशल मैसेंजर द्वारा दी जायेगी  
 
कोरम- सभी बैठकों हेतु कुल संख्या का 2/3 उपस्थित सदस्यों  से माना जायेगा। 
 
कार्यकाल- प्रबंध कारिणी  का कार्यकाल 5 वर्ष होगा, तथा विशेष परिस्थितियों में प्रबन्धकारिणी का कार्यकाल 2 वर्ष बढ़ाया जा सकता है ।  साधारण सभा के अनुमोदन पर दो वर्ष दो बार और बढ़ाया जा सकता है ।  
 
प्रबंध कारिणी के अधिकार कर्तव्य - संस्था का प्रबन्ध संचालन करना 
 संस्था के उद्देश्यों, नीतियों में आवश्यक परिवर्तन संशोधन करना 
 
 मतलब इसका ये है कि जरूरत पड़ने पर अंजुमन के सदर अंजुमन के नियम बदल सकते हैं ।   
 
वार्षिक आय-व्यय बजट तैयार कर  साधारण सभा में पास कराना । 
  
 मतलब इसका ये है कि अंजुमन में बिरादरी की आम मिटिंग करके बीते साल का खर्चा हिसाब बिरादरी को समझाकर बिरादरी से  पास कराना जो कि आज तक नहीं हुआ है और इसी बात की अलीहसन मुल्तानी की अंजुमन कमेटी से बिरादरी के लिये लड़ाई जारी  है ।  
 
अन्य प्रबन्ध कारिणी में होने वाले रिक्त स्थान की पूर्ती करना केवल 6 माह के लिये । 
 
यहां 6 माह तो क्या  जिंदगी भर के लिये थोक में बना रखे हैं । अंजुमन कमेटी के नाजायज, जिद्दी और दबंग लोग बना रखे  हैं 
 
 अन्य वे सभी महत्वपूर्ण कार्य जो संस्था को चलाने में आवश्यक हों  ।
 
इस पेज पर भी 3 ही आदमियों के दस्तखत हैं जी और रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ की मुहर लगी है ।
, पेज नं0 -7
और ये है बिरादरी की अंजुमन के बायलॉज का पेज़ नंबर 7 बायलॉज की नियमावली के पेज नंबर 5 का भाग है तो आइये देखते हैं इसमें क्या लिखा है जी - 
 
प्रबन्धकारिणी समिति के पदाधिकारियों के अधिकार व कर्तव्य 
 
अध्यक्ष- संस्था की किसी भी प्रकार की होने वाली बैठकों की अध्यक्षता करना, संस्था का सर्वोच्च पदाधिकारी होगा, संस्था का सर्वोच्च अधिकारी होने के नाते अपने सभी अधिकारों का प्रयोग प्रबन्धक की सलाह पर करेगा । 
 
मतलब इसका ये हुआ कि अंजुमन के किसी भी काम के बारे में सदर अंजुमन में बड़ा होने के बावजूद भी अकेले अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकेगा । इसीलिए अभी तक हमने अकेले सदर को कुछ नहीं कहते हैं इसलिए हम कहते हैं कि अंजुमन का नाश-सत्या नाश अंजुमन की पूरी कमेटीयों ने ही कर रखा है । सदर तो सिर्फ गाड़ी है इसे चलाने वाला तो कोई और ही होता है । ख़ैर आगे बढ़ते हैं-  
 
प्रबन्धक- संस्था का संचालन करना संस्था का महत्वपूर्ण अधिकारी होगा अपने सभी अधिकारों का प्रयोग करेगा । 
 
सभी प्रकार की बैठकों हेतु एजेंडा तथा सूचना पत्र पर हस्ताक्षर से जारी किये जायेंगे । 
 
यहां हम कहना चाहते हैं कि हस्ताक्षर युक्त एजेंडा राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, यूपी के किसी मेंबर के पास अंजुमन कमेटीयों की ओर से कभी नहीं पहुंचाया गया सवाल बनता है कि आखिर अंजुमन  में ऐसा क्यूं हुआ है ? और ऐसा क्यूं हो रहा है ? और अंजुमन में ऐसा कब तक चलेगा ? ख़ैर आगे बढ़ते हैं और आगे पढ़ते हैं - 
 
संस्था को चलाने हेतु कर्मचारियों अधिकारियों की नियुक्ति, पदोवनीत, उन्नति, तथा पद मुक्ति आदि आदेश प्रबन्धक द्वारा जारी किया जायेगा ।  
 
यहां गौरतलब हो कि हम निरंतर हर दिन हर वक्त कह रहे हैं कि अंजुमन में एक मेनेजर एक मुनीम एक चौकीदार और एक सफाई करने वाला कम से कम एक-एक कर्मचारी रखना अंजुमन का संवैधानिक अधिकार है और बिरादरी की जरूरत भी है । जब अंजुमन बिरादरी के काम आयेगी तो बिरादरी अंजुमन का खर्चा भी उठायेगी जो अंजुमन अपने दफ्तर का खर्चा भी नहीं उठा पायेगी वो अंजुमन अपने समाज व बिरादर की क्या ख़ाक मदद और रहबरी कर पाएगी ? बिरादरी के हक़ में हमारी इन्हीं बातों को लेकर तो अंजुमन कमेटीयों के लोग  हमसे नाराज़ और सदमे में हैं । और हमें गलत ठहराने की नाकाम कोशिशें कर रहे हैं । अंजुमन की कमेटी के लोगों ने 33 साल से अंजुमन के बायलॉज को बिरादरी से इसीलिए ही तो छुपा कर रखा हुआ था कि अंजुमन में बिरादरी के हक़ों का बिरादरी के अधिकारों का बिरादरी को पता ना चल जाये । ख़ैर चलिये आगे बढ़ते हैं आगे पढ़ते हैं-  
 
संस्था की उन्नति हेतु कार्य करना 
 
यहां हम कहना चाहेंगे की संस्था की उन्नति तो बहुत दूर की बात है अगर अंजुमन की कमेटीयों को हम अंजुमन में सफाई रखने के लिये कहते हैं तो इन गंधीले लोगों को सफाई की बात कहना भी इन्हें गाली लगती है । अंजुमन की उन्नति तो ये क्या ख़ाक करेंगें इन नालायकों ने तो अंजुमन में ताला ही डाल रखा है ।  ताला ही जड़ रखा है । अंजुमन में ताला ही ठोंक दिया है । जो किसी लायक ना हो उसे नालायक कहते हैं अंजुमन की कमेटीयों के लोग समाज सेवा और अंजुमन सेवा में किसी लायक नहीं हैं इसलिए नालायक हैं । मेरी सब बातें अंजुमन के बायलॉज से साबित हो रही हैं जो हमारे और आपके बुजुर्गों ने बनाया है पास कराया है ।  
 
नये सदस्यों को बनाने हेतु सदस्यता पत्र जारी करना । 
 
यहां हम कहेंगे कि अंजुमन की कमेटीयों को अनपढ़ कह दें तो शायद अच्छा लगेगा और जाहिल कह दें तो बुरा लगेगा हालांकि बात दोनों एक ही हैं । अंजुमन की कमेटीयों द्वारा बिरादरी के  सदस्यता पत्र कार्ड बनाना तो दूर अंजुमन की जाहिल कमेटीयों ने तो आज तक अंजुमन के मतदाता कार्ड भी बिरादरान के लिये नहीं बनायें हैं जरा सोचो कि कितना अच्छा लगेगा जब हर घर पर अंजुमन मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी की अंजुमन के ना की हर घर के गेट पर नेम प्लेट लगेगी और उस नेम प्लेट पर अंजुमन का मेंबर होने का बायोडाटा लिखा होगा । लेकिन अंजुमन की तो वोटर लिस्ट में भी  पहचान और शिनाख्त की कमियां हैं । अंजुमन की कमेटीयों को बिरादरी को नुक्सान पहुंचाने वाले अनपढ़ और जाहिल ना कहें तो क्या कहें ? ख़ैर चलिये आगे बढ़ते हैं आगे पढ़ते हैं-   
 
उपाध्यक्ष- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसके अधिकारों का निर्वहन करना । 
 
उप-प्रबन्धक- प्रबन्धक की अनुपस्थिति में उसके अधिकार एवं कर्तव्यों का निर्वाह करना ।  
 
यहां हम कहना चाहेंगे कि हमारी सीधी-सादी भोली-भाली कमाने खाने वाली अपने काम से काम का मतलब रखने वाली बिरादरी को तो ज्यादातर पता ही नहीं है कि अंजुमन में प्रबन्धक भी होते हैं और उप-प्रबन्धक-भी होते हैं और किसका क्या अधिकार  और किस का क्या काम होता है । हम गुज़ारिश के साथ कहना चाहेंगे की जागो बिरादरान जागो अब तो सब कुछ खुलकर आपके सामने रख दिया गया है अब तो जागो !!  ख़ैर चलो आगे बढ़ते हैं आगे पढ़ते हैं-  
 
सचिव व अध्यक्ष के निर्देशों का पालन करना । 
 
 इस पेज पर भी तीन ही लोगों के दस्तखत हैं जी । इस पेज पर भी रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ के उप रजिस्ट्रार की मुहर लगी हुई है जी ।  
 
गौरतलब हो कि इतनी गहरी पोल खोलना और बिरादरान की खिदमत में रखना खुद समझना और बिरादरी को भी समझाने की कोशिश करना अंजुमन की कमेटीयों को बहुत बुरा लग रहा होगा ! बहुत नागवार गुजर रहा होगा ! आप बिरादरान की मुहब्बतें ही हमारी ताकत हैं । हमारी जान-माल को अंजुमन की कमेटीयां से खतरा है जी । आप हजरात से हमारे लिये साथ सहयोग और दुआ ए ख़ैर की गुजारिश है जी । बायलॉज अभी बाकी है पढ़ते रहिये और  आगे बढते व समझते रहिये एक दूसरे तक पहुंचाते और समझाते रहिये । ये सब मुआमला पूरी मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी का मामला है सबका मुआमला है जी बिरादरी को इसकी बेहद समझने की जरुरत है जी
पेज नंबर -7
,मोहतरम बिरादरान ये अंजुमन के पुराने बायलॉज का अंतिम 7 वां पेज है जी अभी तक जो आपने पढ़ें हैं वे तमाम पेज अंजुमन के पुराने बायलॉज के ही हैं जी - चलिये पढना शुरू करते हैं -  
 
कोषाध्यक्ष- 
 
 संस्था के आय-व्यय का लेखा-जोखा रखना । 
 
मोहतरम जनाब उपरोक्त कॉलम को दोबारा पढ़ें इसमें लिखा है कि आय-व्यय का लेखा जोखा रखना । ये ही तो हम पूछ रहे हैं कि अंजुमन का 33 साल का आय-व्यय का लेखा जोखा कहां है अंजुमन के लेखा- जोखा को कौन खा गया ?? लेखा-जोखा को आसमान उठा ले गया या ज़मीन निगल गई ?? क्या बिरादरी का पैसा मेहनत की खून-पसीना की कमाई का नहीं है जो बिरादरी के पैसे का हिसाब नहीं दिया जा रहा है !! बिरादरी द्वारा अंजुमन में दिये गये पैसों का लेखा-जोखा कहां है ?? बिरादरी द्वारा अंजुमन में दी गई सभी चीजों का और पैसों का हिसाब तो देना ही पड़ेगा !! गौरतलब हो कि बायलॉज के पिछले पेजों पर आप हजरात ने पढ़ा है कि 1000 रुपए या इतने ही रु की सम्पत्ति, 500 रुपए या इतने ही रुपए की सम्पत्ति, 251 रुपए या इतने ही रुपए की संपत्ति, 50 रु या इतने ही रुपए की संपत्ति देकर अंजुमन की सदस्यता ली जा सकती है । जब अंजुमन में संपत्ति को भी अपनाने का प्रावधान है तो अंजुमन में किसी संपत्ति को बेचने का हक़ अंजुमन की कमेटी को  किसने दिया । सामान बेचने का अधिकार बायलॉज ने तो दिया नहीं !! अगर अंजुमन की कमेटी को सामान बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाये कि अंजुमन की कमेटीयां प्रस्ताव पास कर अंजुमन का सामान बिरादरी की बिना इजाजत बेच सकती है तो कल ये ही अंजुमन  की कमेटीयां प्रस्ताव पास करके अंजुमन को भी बेच सकती हैं । फिर बिरादरी क्या करेगी  ??????? हम कहना चाहते हैं कि अंजुमन के बायलॉज की रोशनी में सारी बातें खुलकर बिरादरान के सामने आ रही हैं बिरादरान को बहुत सोच-समझकर फैसला लेना होगा !!  ख़ैर अंजुमन के बायलॉज को लेकर आगे बढ़ते हैं और आगे पढ़ते हैं- 
 
संस्था का कोष जमा करना  
 
यहां अंजुमन की कमेटी को ये राहत मिल रही है कि अंजुमन का कोष कहां जमा कराना है जैसे अपने घर में जमा कराना है अपनी जेब में जमा कराना है या अपने पेट में जमा कराना है कोष कहां जमा कराना है ये जगह खुलनी चाहिये थी । वैसे में बता दूं कि ये कोष किसी सरकारी बैंक में शामलात खाते में जमा कराना था ताकि लेन-देन में पाकीज़गी बनी रहे । 
 
अध्यक्ष तथा प्रबंधक के निर्देशानुसार कार्य करना । 
 
आय-व्यय का लेखा-जोखा रखने तथा तैयार करने का दायित्व कोषाध्यक्ष का होगा । तथा वर्ष में एक बार किसी योग्य ऑडिटर द्वारा ऑडिट कराया जायेगा 
 
मोहतरम जनाब बिरादरान अंजुमन को लेकर हमारी तमाम सारी ऑडियो वीडियो लेख पोस्ट देखियेगा कि हमने सबसे ज्यादा सालाना ऑडिट व बजट पर ही जोर दिया है कि अंजुमन की कमेटीयां पिछले 33 वर्षों के बिरादरी के सामने अंजुमन के आडिट व बजट पेश करें ।ये ही हमारी मांग है और यहीं से हिसाब की शुरुआत होगी ।  
 
ख़ैर चलिये आगे बढ़ते हैं बायलॉज को आगे पढ़ते हैं-  
 
संस्था का कोष- 
 
किसी भी राष्ट्रीय कृत बैंक में संस्था का खाता संस्था के नाम खोला जायेगा तथा प्रबंधक व कोषाध्यक्ष द्वारा संस्था का पैसा निकाला जायेगा । 
 
 संस्था के अभिलेख- 
 
संस्था के निम्न अभिलेख होंगे- सदस्यता रजिस्टर 
 
कार्यवाही रजिस्टर 
 
कैश बुक 
 
स्टाफ बुक । 
 
बिरादरान हजरात किसी ने कभी ये किताबें खोलकर देखी हों या किसी ने अंजुमन में ये किताबें खोलकर दिखाई हों तो या किसी ने ये किताबें अंजुमन में बनाई हो तो जरा सोचिए कि हम क्या कह रहे हैं और क्या कहना चाहते हैं ??  
 
विघटन- संस्था का विघटन और संपत्ति से निस्तारण की कार्यवाही सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 की धारा 13/14 के अंतर्गत की जायेगी ।  
 
हज़रत इस पेज पर भी तीन ही लोगों के दस्तखत हैं जी । इसके अलावा रजिस्ट्रार कार्यालय मेरठ की मुहर लगी है जी । 
 
आप बिरादरान हजरात को याद दिलाना चाहता हूं कि अंजुमन की रजिस्ट्रेशन संख्या 277 व फाईल संख्या 28837 वर्ष 1994/95 है जी मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी के किसी हजरात को बायलॉज की जरूरत हो तो हमारे से ले सकता है जी । अगर मेरठ से ही लाना चाहे तो मेरठ में गढ़ रोड पर अजय हॉस्पिटल है, अजय हॉस्पिटल के लगभग सामने  एक काफी चौड़ी गली है बिल्कुल सीधा चलकर करीब एक किलोमीटर चलकर एक तिराहा सा आयेगा एडवोकेट संजय से मिलकर या रजिस्ट्रार कार्यालय में खुद जाकर शुल्क जमा करके अंजुमन के बायलॉज की नकल निकलवा सकते हो । अंजुमन से संबन्धित सभी काग़ज़ात मिल जायेंगें । प्रेषक- अलीहसन मुल्तानी, आपका बेटा, आपका भाई, आपका खादिम, किशनपुर बिराल वाला, अंजुमन के पास, मुल्तानी वाली गली, बड़का मार्ग, बड़ौत जिला बाग़पत