रमजान के महीने के दिनों को अल्लाह ने तीन हिस्सों में बांटा है पहले दस दिन अल्लाह की ओर से बरकत वाले दिन होते हैं । दूसरे दस दिन अल्लाह की ओर से रहमत वाले दिन होते हैं । तीसरे नो या दस दिन मग़फिरत वाले दिन होते हैं । तीसरे मग़फिरत वाले दिनों में मुसलमान लोग अल्ल्लाह की खास मुहब्बत हासिल करने के लिये एतकाफ यानि एकांत में बैठकर दुनियां-दारी से बिल्कुल अलग होकर कसरत से अल्लाह की इबादत करते हैं ।इस्लामिक मान्यता व मज़हब के मुताबिक साल का सबसे अफजल महीना रमजान का महीना होता है । रमजान के महीने के वैसे तो सभी दिनों का अपना महत्त्व है लेकिन मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने के जुमें (शुक्रवार) के दिनों को खास दिनों की श्रेणी में रखा गया है । और अलविदा का जुमा साल के सब जुमों में सबसे खास जुमा माना जाता है । अलविदा का जुमा रमजान महीने का आखिरी जुमा होता है इस दिन की इबादत अल्लाह के दरबार में बहुत मायने रखती है । अलविदा के जुमें के दिन को लेकर कुछ अशिक्षित लोगों ने मान्यता बना रखी है कि अलविदा के जुमें के दिन नया कपड़ा पहनने का या नये जूते चप्पल पहनने का अल्लाह के यहां हिसाब नहीं देना पड़ेगा या इस दिन सहरी व रोज़ा इफ़्तारी के वक्त जो खाना खाया या जो पानी वगैरा पिया उसका कोई हिसाब नहीं होगा जबकि ये सब ग़लत व झूठ है । लोगों की अपनी बनाई हुई बातें हैं इन बातों से मजहब ए इस्लाम का कोई लेना-देना नहीं है जो कि मज़हब ए इस्लाम में कहीं भी साबित नहीं है । रमजान के महीने में हर जरुरतमंदों व गरीबों का ख़ासतौर पर ख़्याल व ध्यान रखने व मदद करने का हुक्म है । रमजान के महीना बीत जाने के अगले दिन ईद मनाई जाती है । ईद भाई-चारा प्यार मुहब्बत कायम करने का दिन है अल्लाह का शुक्र अदा करने का दिन है अल्लाह की ओर से इंसानों और मुसलमानोंं के लिये रमजान का इनाम ईद है । प्रेषक व लेखक - अलीहसन मुल्तानी बड़का मार्ग बड़ौत ।
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