ईद की नमाज से पहले हर मुसलमान को जकात और फितरा अदा करना होता है असल में ये एक तरह से दान ही है. क्या होता है जकात और फितरा? असल में जकात फर्ज है, तो फितरा वाजिब है.  जो हैसियतमंद है ऐसे लोगों के लिए जकात और फितरा निकालना फर्ज है.
जो हैसियतमंद है ऐसे लोगों के लिए जकात और फितरा निकालना फर्ज है.  जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. रमजान के महीने में ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात देना हर मुसलमान के लिए जरूरी होता है.
जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है. रमजान के महीने में ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात देना हर मुसलमान के लिए जरूरी होता है.
हर उस मुसलमान के लिए जकात देना जरूरी है जो हैसियतमंद है. आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है,  जिसे जकात कहते हैं. अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है.
जिसे जकात कहते हैं. अगर किसी मुसलमान के पास तमाम खर्च करने के बाद 100 रुपये बचते हैं तो उसमें से 2.5 रुपये किसी गरीब को देना जरूरी होता है.  वैसे तो जकात पूरे साल में कभी भी दी जा सकती है, लेकिन ज्यादातर लोग रमजान के महीने में ही जकात निकालते हैं. असल में ईद से पहले जकात अदा करने का रिवाज है. जकात गरीबों, बेवाओं,
वैसे तो जकात पूरे साल में कभी भी दी जा सकती है, लेकिन ज्यादातर लोग रमजान के महीने में ही जकात निकालते हैं. असल में ईद से पहले जकात अदा करने का रिवाज है. जकात गरीबों, बेवाओं,  यतीम बच्चों या किसी बीमार व कमजोर व्यक्ति को दी जाती है. औरत या मर्द के पास अगर सोने चांदी के जेवरात के तौर पर भी कोई प्रोपर्टी होती है तो उसकी कीमत के हिसाब से भी जकात दी जाती है.कौन देता है जकात अगर घर में पांच मेंबर हैं और वो सभी नौकरी या किसी रोजगार के जरिए पैसा कमाते हैं तो सभी पर जकात देना फर्ज माना जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी का बेटा या बेटी भी नौकरी या रोजगार के जरिए पैसा
यतीम बच्चों या किसी बीमार व कमजोर व्यक्ति को दी जाती है. औरत या मर्द के पास अगर सोने चांदी के जेवरात के तौर पर भी कोई प्रोपर्टी होती है तो उसकी कीमत के हिसाब से भी जकात दी जाती है.कौन देता है जकात अगर घर में पांच मेंबर हैं और वो सभी नौकरी या किसी रोजगार के जरिए पैसा कमाते हैं तो सभी पर जकात देना फर्ज माना जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी का बेटा या बेटी भी नौकरी या रोजगार के जरिए पैसा कमाते हैं तो ऐसे मां-बाप अपनी कमाई पर जकात देकर नहीं बच सकते हैं. किसी भी घर में उसके मुखिया के कमाने वाले बेटे या बेटी के लिए भी जकात देना फर्ज होता है.
 कमाते हैं तो ऐसे मां-बाप अपनी कमाई पर जकात देकर नहीं बच सकते हैं. किसी भी घर में उसके मुखिया के कमाने वाले बेटे या बेटी के लिए भी जकात देना फर्ज होता है. 
क्या होता है फितरा , फितरा वो रकम होती है जो खाते-पीते, अमीर घर के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं. ईद की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है. फितरे की रकम भी गरीबों, बेवाओ और यतीम बच्चों और सभी जरूरतमंदों को दी जाती है.  जकात और फितरे के बीच बड़ा फ़र्क यह है कि जकात देना रोजे रखने और नमाज पढ़ने जितना ही जरूरी होता है, बल्कि फितरा देना इस्लाम के तहत ज़रूरी नहीं है.
जकात और फितरे के बीच बड़ा फ़र्क यह है कि जकात देना रोजे रखने और नमाज पढ़ने जितना ही जरूरी होता है, बल्कि फितरा देना इस्लाम के तहत ज़रूरी नहीं है. जैसे जकात में 2.5 फीसदी देना तय होता है, जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं होती. इंसान अपनी माली हैसियत के मुताबिक कितना भी फितरा दे सकता है.पूरी तरह गोपनीय होनी चाहिए जकात अगर कोई मुसलमान जकात देता है तो वह एकदम गोपनीय होना चाहिए. जकात लेने वाले .
 जैसे जकात में 2.5 फीसदी देना तय होता है, जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं होती. इंसान अपनी माली हैसियत के मुताबिक कितना भी फितरा दे सकता है.पूरी तरह गोपनीय होनी चाहिए जकात अगर कोई मुसलमान जकात देता है तो वह एकदम गोपनीय होना चाहिए. जकात लेने वाले . हैसियत से कमजोर व्यक्ति को ये एहसास नहीं होना चाहिए कि उसे सार्वजनिक रूप से इमदाद देकर जलील किया जा रहा है. ऐसे में जकात का महत्व कम हो जाता है.
 हैसियत से कमजोर व्यक्ति को ये एहसास नहीं होना चाहिए कि उसे सार्वजनिक रूप से इमदाद देकर जलील किया जा रहा है. ऐसे में जकात का महत्व कम हो जाता है.  इस्लाम के जानकार कहते हैं कि अल्लाह ताला ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है. गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए हर बा हैसियत मुसलमान के लिए जकात और फितरा देना जरूरी होता है.
इस्लाम के जानकार कहते हैं कि अल्लाह ताला ने ईद का त्योहार गरीब और अमीर सभी के लिए बनाया है. गरीबी की वजह से लोगों की खुशी में कमी ना आए इसलिए हर बा हैसियत मुसलमान के लिए जकात और फितरा देना जरूरी होता है. किसे नहीं दे सकते हैं जकात किसे जकात दे सकते हैं, यह भी साफ तौर पर बताया गया है.
किसे नहीं दे सकते हैं जकात किसे जकात दे सकते हैं, यह भी साफ तौर पर बताया गया है.  शौहर अपनी बीवी को और बीवी अपने शौहर को जकात नहीं दे सकती है. भाई-बहन, भतीजा-भतीजी, भांजा, चाचा, फूफी, खाला, मामा, ससुर, दामाद में से
शौहर अपनी बीवी को और बीवी अपने शौहर को जकात नहीं दे सकती है. भाई-बहन, भतीजा-भतीजी, भांजा, चाचा, फूफी, खाला, मामा, ससुर, दामाद में से जो जरूरतमंद और हकदार हैं, उन्हें जकात देने में कोई हर्ज है. हदीस में यह भी कहा गया है कि जकात का पैसा अगर किसी जरूरतमंद के बीच चला जाता है तो देने वाले को उसका सवाब मिलता रहता है.
 जो जरूरतमंद और हकदार हैं, उन्हें जकात देने में कोई हर्ज है. हदीस में यह भी कहा गया है कि जकात का पैसा अगर किसी जरूरतमंद के बीच चला जाता है तो देने वाले को उसका सवाब मिलता रहता है. हमारी तंजीम साल 2011 से रजिस्टर्ड है और तंजीम के पास पूरे साल जरूरतमंद लोगों की लाइन लगी रहती है और कुछ लोग तो पूरी उम्मीद के साथ हमारी तंजीम के दफ़्तर में आकर
हमारी तंजीम साल 2011 से रजिस्टर्ड है और तंजीम के पास पूरे साल जरूरतमंद लोगों की लाइन लगी रहती है और कुछ लोग तो पूरी उम्मीद के साथ हमारी तंजीम के दफ़्तर में आकर रोते गिड़गिड़ाते है। मदद के लिए मिन्नते करते है। चूकी हमारी तंजीम ने आज तक एक रुपए का भी चंदा किसी से नहीं मांगा तो ऐसे में किसी भी जरूरतमंद की मदद करने में तंजीम को
 रोते गिड़गिड़ाते है। मदद के लिए मिन्नते करते है। चूकी हमारी तंजीम ने आज तक एक रुपए का भी चंदा किसी से नहीं मांगा तो ऐसे में किसी भी जरूरतमंद की मदद करने में तंजीम को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस पाक रमजान के महीने से हमारी तंजीम ने जकात और फितरा लेकर जरूरतमंदों तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ली है।
 बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस पाक रमजान के महीने से हमारी तंजीम ने जकात और फितरा लेकर जरूरतमंदों तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ली है। अगर आप चाहते है कि आपका हलाल कमाई से कमाया रुपया सही जगह पहुंचे तो आप हमारी तंजीम के एकाउंट में यह पैसा जमा करा दें । एकाउंट की डिटेल स्क्रीन पर दिखाई जा रही है।
 अगर आप चाहते है कि आपका हलाल कमाई से कमाया रुपया सही जगह पहुंचे तो आप हमारी तंजीम के एकाउंट में यह पैसा जमा करा दें । एकाउंट की डिटेल स्क्रीन पर दिखाई जा रही है।
A/C No. 13332191075845
IFSC:- PUNB0225600
Bank Name:- Punjab National Bank
Branch:- Yamuna Vihar, Delhi 
8010884848
7503296786
www.multanisamaj.com
 
 
No comments:
Post a Comment