Friday, November 29, 2024

शादी में फ़ज़ूल ख़र्चों को रोकेगा कौन ?...

आज कल शादी ब्याह के मौकों पर किए जा रहे फ़ज़ूल  खचों को  लेकर कर एक बहस चल रही है । यह बहस हम लोगों को बहुत पहले करनी थी । लेकिन देर आयद दरुस्त आयद । इस बात की तो खुशी है कि हम लोगों में बेदारी तो आ गई लेकिन ( मुझे माफ़ करना ) यक़ीन  नहीं कि  इस मसले में हम कामयाब हो जायंगे । क्योंकि यह बीमारी हमारे अंदर नासूर कि तरह इतनी ज़्यादा पनप चुकी है  कि इसका इलाज कहीं नज़र नहीं आ रहा है। और यह भी सच है ( एक बार फिर मुझे माफ़ करना ) कि यह बीमारी अमीर लोगों कि दिखावा करने कि ज़िद ने पैदा की है।  अभी हाल में ही एक अमीर शख्स ने अपने बेटे की शादी की है। उसका नाम जान बूझ कर नहीं लिख रहा हूँ । शादी के तीन चार दिन बाद वो शख्स एक महफिल में बैठ कर कह रहा था । फला आदमी ने अपने बेटे की शादी में बीस तरह के सालन बनवाए थे । मैने अपने बेटे की शादी में पच्चीस तरह के खाने बनवा कर उस की नाक नीचे कर दी। मैं सब अमीर लोगों की बात नहीं कर रहा हूँ । सिर्फ उन अमीर लोगों की  बात कर रहा हूँ जो मेरी इस तहरीर पर मुझ से खफा होने वाले है । एक बार फिर माफी ॥ 
आज यह अमीर लोग रिश्ता तय करने में जितना खर्च कर देते है।  इतने में दो ग़रीब लड़कियों की शादी हो जाए।  पहले ज़माने  में जब ग़रीबी बहुत थी तो कोई शख्स  अपनी लड़की की तारीख भेजता था तो सब खानदान वाले इकट्ठा हो जाते थे और सब लोग  ( सब ही लोग ग़रीब होते थे ) मिल कर शादी का  इंतज़ाम करते थे । इसी तरह लड़के वाले के यहाँ जब तारीख खुलती थी वहाँ भी तमाम लोग इकट्ठा हो जाते थे । क्योंकि वहाँ सब खानदान वालों को इंतज़ाम मिलकर करना होता था। आहिस्ता आहिस्ता यह भी ज़रूरी रस्म बन गई। जब किसी की लड़की का रिश्ता तय हो  जाता था तो लड़के वालों के यहाँ से ईद पर लड़के वालों के यहाँ से लड़की के लिए मेहंदी आती थी। सिर्फ मेहंदी और कुछ नहीं ( महबूब की मेहंदी ) । जो अब इतनी खर्चीली रस्म बन गई है आप सब को मालूम है। जब लड़की की  शादी हो  जाती थी तो ईद पर लड्की के माँ  बाप या  भाई के घर से शीर का सामान आता था । ईद के  मानी खुशी होती है तो भाई अपनी बहन को शीर का सामान भेजते थे जिस का मतलब यह था की बहन महसूस करे की वो ईद की खुशी में अपने घर वालों के साथ है जिस को सिद्धा ( ईदी ) कहा जाता था । उस सामान में सिर्फ शीर का सामान ही होता था। जो आज कितना तब्दील हो चुका है सब ही को पता है। 
आज इस  खर्चीली शादी का सब से ज़्यादा असर दरमियाना हैंसियत वालों  (middle class) पर पड़ रहा है।  
   अब सवाल यह है इस ग़लत हरकत को  रोका कैसे जाए ? क्यूँ न अब यह ज़िम्मेदारी भी उन ही लोगों को दी जाए  जिन लोगों ने यह वबा फ़ैलाई है। अगर यह अमीर हिम्मत और आपस में मशवरा करके इन तमाम फजूल खर्चों से किनारा कर लें तो यक़ीनन बाक़ी लोगों के लिए आसानी हो जाएगी । और बिरदरी पर इन लोगों का बहुत बड़ा अहसान भी होगा । और काम इनके लिए कोई बेइज्जती की वजह नहीं नही बनेगा ॥यह अपनी दौलत का मुजाहिरा कहीं और कर सकते हैं । सैकड़ों रास्ते हैं।  मुझे एहसास है कि मेरी इस तहरीर से काफी लोग नाराज़ हो सकते हें । अगर अकसीरयत ( आधे से ज्यादा लोगों को) मेरी तहरीर ग़लत लग जाए तो फिर भूल जाइए के आप बिरादरी के अंदर से यह बीमारी खत्म कर सकते है,।
#multanisamaj 
8010884848

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