शादी मे मैने देखा कि औरत मर्द खडे होकर,मिलजुलकर चील कव्वों की तरह खाना खा रहे थे और काफी तादाद मे खाना जा़या हो रहा था पर्दा व लिहाज़ दारी का कोई सवाल ही नही था ।
क्या यही सुन्नत-ए-रसूल है?
लगता है कौ़म अल्लाह ताला से अज़ाब मांग रही है ।
नबी-ए-करीम ने फरमाया के दस्तरख्वान लगाकर खाना खिलाया व खाया करो ।
नोट:-इस झूठी शान को खत्म करना है तो जो दावत करने आये उससे मालूम करें के खाना किस तरह खिलाया जायेगा ।
क्योंकि खाना खाकर लौटते समम लोग बुराई करते हैं खाने के बाद बुराई करना कोई अक़्लमन्दी नही ।अगर आपको सही लगे तो कौ़म की भलाई के लिये Share ज़रुर करें ।
मिनजानिब :- ज़मीर आलम मुल्तानी
फाऊंडर
मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट ( रजि0 )
भजनपुरा, नई-दिल्ली
8010884848
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