"इंशाअल्लाह अब हमारे भी स्कूल कॉलेज होंगे" हिजाब का मसला मुसलमानों के लिये एक बडा पैगाम है,अपने इस भारत देश में तकरीबन तीन लाख से ज्यादा मस्जिदे है,हर मस्जिद से हर जुमा के रोज सिर्फ एक हजार रुपये का चंदा अगर "शिक्षण फंड" के नाम से जमा कर लिया जाए तो हर हफ्ते का तीन हजार करोड,तो हर महीने का 12 हजार करोड रुपया जमा होगा,इस हिसाब से सिर्फ दस सालों मे देश के हर जिले मे मुसलमानों के अपने खुद के ही केजी से लेकर प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक,उच्च शिक्षण के लिये ना जाने कितने स्कूल और कॉलेजेस खडे होगे,और समाज का शिक्षण के प्रति आकर्षण भी बढेगा,सिर्फ उर्दू ही चाहियें ऐसा हरगिज़ नही,एक सब्जेक्ट उर्दु के साथ हिंदी/मराठी/इंग्लिश ऐसी सभी भाषाओं का शिक्षण होगा,यह सिर्फ झगडे पर झगडा बढाने से बेहतर उस पर रास्ता निकालना जरुरी होता है,जो बिल्कूल ही आसान है,
आज हमारे कौम मे लेडी डॉक्टर नही होने के वजह से हमारी बहन ,बेटियों को बडी परेशानी उठानी पडती है,
तो लेडी डॉक्टर भी हमारी ही बच्चीयां होगी, सोनोग्राफी भी हमारी ही बेटियां करेगी,मां,बहन,बेटीओं के अनेकों दवाखाने से लेकर शिक्षण और कई मसले मसाईल इंशाअल्लाह सभी सॉल्व होंगे,
हर शहर से कोई एक अल्लाह का नेक बंदा सिर्फ कदम उठाऐ,तो ? ..
इंशाअल्लाह आगे खुदबखुद अल्लाह बडा मददगार है।
@Multani Samaj
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