रमज़ान के अवसर पर अल कुरआन एकेडमी कैराना में तरावीह की नमाज़ का आयोजन किया गया। तरावीह की नमाज़ एकेडमी टीम मेंबर हाफिज मुहम्मद माज ने पढ़ाई। यह नमाज़ पूरे रमज़ान जारी रही। इस तरावीह में हर दो रकात के बाद पढ़ी गई कुरआन की आयतों में कुछ चुनिंदा आयतों का अर्थ और आज के दौर में उनकी प्रासंगिकता भी बताई गई।इस तरीक़े से नमाजियों में कुरआन की समझ भी पैदा हुई। कुरआन की सूराह 13 आयत 17 का अर्थ बताया गया कि जो लोग इस दुनिया में मानवता को फायदा पहुंचाते हैं, ऐसे ही लोग ज़मीन में इज्ज़त की की जिंदगी पाते हैं , जो लोग मानवता को फायदा नहीं पहुंचाते , इस ज़मीन से मिट जाते हैं। अत: कुरआन की रौशनी में तमाम नमाजियों से अपील की गई कि वे खुद को देश के लिए शिक्षा , व्यापार , विज्ञान , तकनीक आदि के मैदानों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी सिद्ध करें और देश की अर्थव्यवस्था को मौजूदा संकट से निकालने में अपना भरपूर योगदान दें। हाफिज माज का कहना था कि देश के मुसलमान अगर कुरआन की इस आयत को आपनी जिंदगी में उतार लें तो देश में मौजूद उनके तमाम चैलेंज ख़ुद बखुद ही ख़तम हो जायेंगे। खावर सिद्दीकी का कहना था कि अगर देश के मुसलमान ऐसा कर सकें तो मुसलमानों को नफरत जैसी किसी चीज़ की शिकायत भी नहीं रहेगी। नमाज़ की अदायगी में मुबीन मलिक, शिबली मलिक, अल कुरआन एकेडमी के एडमिनस्ट्रेटर परवेज़ आलम , आदि विशेष तौर पर मौजूद रहे। कुरआन पूरा होने पर हाफिज मुहम्मद माज को एकेडमी की ओर से एक मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।नमाजियों को कुरआन की आयतों का अर्थ एकेडमी के डायरेक्टर मुफ्ती अतहर शम्सी ने बताया। नमाज़ के साथ ही कुरआन का मतलब बताए जाने पर सम्पूर्ण शहर में अल कुरआन एकेडमी की प्रशंसा की जा रही है।
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