Saturday, July 8, 2023

शादी के बाद SDM बनीं,पति के लिए IPS की नौकरी भी छोड़ी, Jyoti Maurya मैटर पर क्‍या बोलीं एसडीएम डॉ0 बुशरा बानो


अफसर ज्‍योति मौर्य की शादी, सक्‍सेस और लव स्‍टोरी सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर पत्‍नी को शादी के बाद पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाने को लेकर खूब मीम्‍स और वीडियो भी शेयर हो रहे हैं।एसडीएम पत्‍नी ज्‍योति मौर्य, सफाईकर्मी पति आलोक मौर्य और कथित प्रेमी होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे के मामले को लेकर ऐसा कहने वालों की भी कमी नहीं कि 'शादी के बाद अफसर बनने वालीं हर महिला ज्‍योति मौर्य जैसी नहीं होतीं'


इस बात का एक उदाहरण उत्‍तर प्रदेश में SDM Dr. Bushara Bano भी हैं। इन्‍होंने तो शादी के बाद पति की मदद से न केवल पीसीएस बल्कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा तक क्रैक कर डाली थी। वो भी दो बार। डॉ. बुशरा बानो की मिसाल तो इस बात पर भी दी जा सकती है कि इन्‍होंने यूपीएससी पास करने के बाद पति व बच्‍चों के लिए भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) की नौकरी तक ठुकरा दी थी।


ज्‍योति मौर्य पर क्‍या बोलीं एसडीएम बुशरा बानो*



एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्‍यू में एसडीएम बुशरा बानो अपनी सक्‍सेस स्‍टोरी के साथ-साथ ज्‍योति मौर्य के मामले पर भी बोलीं। कहा कि यह पूरी तरह से एक निजी मामला है। ज्‍योति मौर्य साल 2016 की पीसीएस अफसर हैं। उन पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए कमेटी बनी हुई है। मीडिया उनके पारिवारिक मसले पर ज्‍यादा ही दखल दे रहा है, जो उचित नहीं है।

पीसीएस अफसर ज्‍योति मौर्य मैटर के बाद सोशल मीडिया पर पढ़ने को मिला कि 35 पतियों ने पीसीएस की तैयारी कर रही अपनी पत्नियों को घर वापस बुलाया। ज्‍योति मौर्य का केस सही है या गलत है। यह तो जांच में ही पता चलेगा, मगर उस एक मामले को लेकर *सभी महिलाओं को टारगेट करना सही नहीं। पति-पत्‍नी का रिश्‍ता भरोसे पर टीका है।

ऐसा कोई पहला मामला नहीं है। ऐसे भी कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें पुरुष अफसर ने अपनी पत्‍नी के साथ इस तरह का व्‍यवहार किया है। ज्‍योति मौर्य के मामले के आधार पर 'बेटी बचाओ-बेटी पढाओ' के नारे का भी गलत अर्थ निकालना मुर्खतापूर्ण है।

बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, लेकिन बहू को मत पढ़ाओ' जैसा मीम्‍स सोशल मीडिया पर शेयर व लाइक करने वाली बात शर्मनाक है। ऐसे लोगों को पढा-लिखा नहीं कहा जा सकता।

किसी की निजी जिंदगी को सार्वजनिक करना बहुत बड़ा सामाजिक अपराध है। ऐसा नहीं करना चाहिए। उस मसले का उनके घर तक रहने दो। इस तरह का माहौल मत बनाओ जिससे भविष्‍य में अन्‍य बेटियों के भी पढ़ने में भी दिक्‍कत आए।

#कौन हैं एसडीएम बुशरा बानो

बुशरा बानो उत्‍तर प्रदेश के कन्नौज जिले के सोर्क कस्वा की रहने वाली हैं।

वर्तमान में यूपी के फिरोजाबाद जिले के टुंडला में एसडीएम पद पर सेवाएं दे रही हैं।

बुशरा बानो ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा दो बार पास की।

पहली बार 2018 में IRTS और दूसरी बार में 2020 में IPS सर्विस कैडर अलॉट हुआ।


बुशरा बानो ने यूपीएससी 2020 में 234वीं और 2018 में 277वीं रैंक हासिल की थी।

SDM बुशरा बानो क्‍यों नहीं बनीं IPS?


बुशरा बानो दो बच्‍चों की मां हैं। दोनों बच्‍चों का जन्‍म सिजेरियन सर्जरी से हुआ है। इसके अलावा बुशरा की दो और बड़ी सर्जरी हुईं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 पास करने के बाद बुशरा बानो को सर्विस कैडर तो आईपीएस मिला, मगर होम कैडर यूपी अलॉट नहीं हुआ।


दो छोटे बच्‍चे और पति के साथ रहने के लिए बुशरा बानो ने आईपीएस जैसी प्रतिष्ठित नौकरी को ज्‍वाइन ही नहीं किया।

गर्भवती थीं तब PCS-UPSC एक साथ पास की

जून 2018 में बुशरा बानो PCS और UPSC के इंटरव्‍यू के दौरान दूसरे बच्‍चे की मां बनने वाली थीं।

पहले यूपीएससी की रिजल्‍ट आया। AIR 277 पाकर IRTS के लिए चुनी गईं। फिर पीसीएस के रिजल्‍ट में 6वीं रैंक हासिल कर SDM बनीं।


साल 2020 में उत्‍तर प्रदेश के फिरोजाबाद सदर में बतौर एसडीएम ज्‍वाइन किया।

साल 2020 में फिर यूपीएससी पास की। इस बार आईपीएस बनीं।

आईपीएस के लिए चुने जाने के बावजूद घरेलू परिस्थितियों को देखते हुए बुशरा बानो ने एसडीएम बनकर यूपी में ही सेवाएं देते रहना ज्‍यादा उचित समझा।

 पत्‍नी को अफसर बनाने के लिए पत्‍नी ने छोड़ी विदेश की नौकरी


बुशरा बानो स्‍कूल-कॉलेज में टॉपर रहीं। बीएसससी व एमबीए की डिग्री भी हासिल की।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि ली। एएमयू में शोध के दौरान आगरा में हिंदुस्तान और आनंद इंस्टीट्यूट में पढ़ाना शुरू किया।


उसी दौरान बुशरा बानो की शादी सउदी अरब के जाज़ान विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर असमेर हुसैन से हुई।

शादी के बाद बुशरा बानो भी पति के साथ सउदी अरब चली गईं और पति के साथ विश्‍वविद्यालय में बतौर सहायक प्रोफेसर पढ़ाने लगीं।

सउदी अरब में मन नहीं लगा तो असफर बनने का ख्‍वाब लेकर इंडिया लौट आई। पत्‍नी को अफसर बनाने के लिए पति भी सउदी अरब की नौकरी छोड़ भारत आ गए।


 


*गिरफ्तार हो सकते हैं आलोक मौर्य, ज्योति मौर्य के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंसने की संभावना*


एसडीएम ज्योति मौर्य का विवाद गहराता ही जा रहा है। सोशल मीडिया पर तो लोगों ने एसडीएम ज्योति मौर्य के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है। कई लोग उनकी जांच की मांग कर रहे हैं तो कुछ लोग पद से हटाने की बात कर रहे हैं।

लेकिन इन सब के बीच ज्योति मौर्य भी अब बेहद सख्त हो गई हैं। उन्होंने थाने में अपने पति आलोक मौर्य के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया है। अब कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि शादी के 13 साल हो गए तो क्या ऐसे में ज्योति मौर्य द्वारा लगाए गए दहेज केस में वह फंस सकते हैं।



*ज्योति मौर्य के गंभीर आरोप*


ज्योति मौर्य ने आलोक मौर्य के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया है। ज्योति मौर्य ने 50 लाख रुपए के लिए दहेज उत्पीड़न करने का भी आरोप लगाया है। दहेह का केस पूरे परिवार पर लगाया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ दिन में आलोक मौर्य को पूछताछ के लिए बुला सकती है। इस दौरान अगर उनके खिलाफ कोई भी सबूत पाए जाते हैं तो आलोक मौर्य गिरफ्तार हो सकते हैं।


 


*आलोक मौर्य के खिलाफ आईटी एक्ट में भी FIR दर्ज*


एसडीएम ज्योति मौर्य ने कहा कि मैं पहले से ही अपने पति के खिलाफ IT एक्ट में FIR दर्ज करा चुकी हूं। ये चैट मई महीने का ही है। उसमें पुलिस जो भी तथ्य इकट्ठा करना चाहेगी करेगी। आलोक मौर्य आईटी एक्ट के तहत भी फंस सकते हैं।



*क्या कहता है दहेज का कानून*


दहेज उत्पीड़ का केस धारा 498-ए के तहत होता और इसके तहत अगर लड़का या उसका परिवार दहेज मांगने का दोषी पाया जाता है तो उसके अंतर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना लग सकता है।


*दहेज केस शादी के कितने साल तक लगता है*


कई लोग सोचते हैं कि शादी के सात साल बाद कोई दहेज केस नहीं लगता है। तो जान लें यह गलतफहमी है। दहेज केस किसी भी समय लग सकता है। इसके लिए कोई निर्धारित सीमा नहीं है। हां मृत्यु के मामले में सात साल वाला सिस्टम अप्लाई होता है। यानी कि महिला की मृत्यु शादी के 7 साल बाद होती है तो दहेज हत्या का केस नहीं चलेगा।



*दहेज हत्या क्या है*


यदि किसी महिला की मृत्यु शादी के 7 साल के भीतर हो जाती है और अगर लड़की वालों की तरफ से दहेज या उत्पीड़न केस लगाया जाता है तो इसे दहेज हत्या माना जाता है। इसमें आईपीसी की धारा 304B भारतीय दंड संहिता की, 1860 के तहत सजा होती है। दहेज हत्या के लिए सजा सात साल के कारावास की न्यूनतम सजा या आजीवन कारावास की अधिकतम सजा है।

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