एक वेल प्लांड सोची समझी साजिश, जनगणना 2025 , आपके खिलाफ एक चाल, जिसे समझने के लिए आप को अक्लमंद होना होगा, जज्बाती जानवर नहीं, जनगणना 2025: सोचिए मत, समझदारी से लिखिए, जनगणना 2025 आने वाली है। इस बार सबसे अहम सवाल पूछा जाएगा — "आपकी जाति क्या है?" और "आपका धर्म क्या है?" इसी सवाल के ज़रिए आपका भविष्य तय होगा — आरक्षण मिलेगा या नहीं, सामाजिक लाभ , सरकारी फायदा मिलेगा या नहीं। कुछ मैसेज सर्कुलेट किए जा रहे हैं, जिनमें लिखा है:
“जाति: मुस्लिम, धर्म: इस्लाम” लिखवाना चाहिए। हर जुमा की तक़रीर में लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाए।
यह एक सोची-समझी साज़िश है। ऐसा करने से आप OBC या अन्य आरक्षण कैटेगरी से बाहर कर दिए जाएँगे। भविष्य में अगर मुस्लिम-OBC रिज़र्वेशन लागू भी हुआ, तो भी आपकी जाति का ज़िक्र न होने से आपको उसका लाभ नहीं मिलेगा।सच्चाई यह है: सच्चाई से मुंह मत चोराइये
भारत में बहुत सी मुस्लिम जातियाँ — जैसे लुहार, तैली, जुलाहा, पुम्बे, धोबी, नाई, राईन, मनिहार, मीरासी आदि — पहले से OBC के तहत आती हैं।अगर आप "जाति: मुस्लिम" लिखवाते हैं, तो यह आरक्षण के लिहाज़ से "जनरल" में गिने जाने जैसा है।
तो करना क्या है? जाति में: अपनी वास्तविक जाति लिखवाइए, जैसे मुस्लिम - लुहार, मुस्लिम-तेली, मुस्लिम-जुलाहा आदि। धर्म में: इस्लाम ही लिखवाइए — यही आपकी पहचान है। ये दोनों बातें लिखवाने से न आपकी मज़हबी पहचान कमज़ोर होती है, न आपकी क़ौमी एकता। अगर आप सच में जात-पांत मिटाना चाहते हैं, तो शुरुआत घर से कीजिए। सरकारी रिकॉर्ड से नहीं, शादी-ब्याह में जाति और दहेज को मिटाइए। जाति का विरोध सिर्फ़ फॉर्म में नहीं, समाज में होना चाहिए। कागज़ी एकता दिखाने से न तो आपकी बेटियाँ बचेंगी, न आपके बेटे न आपका समाज, न आपका हक़ सोचिए, समझिए और फिर जवाब दीजिए। कहीं ऐसा न हो कि भावुकता में आकर आपका हक़ भी आपसे छीन लिया जाए।
कोई भी मैसेज फॉरवर्ड शेयर करने से पहले, अपने में से समझदार लोगों को एक बार जरूर दिखा लीजिए ,
"يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِن جَاءَكُمْ فَاسِقٌ بِنَبَإٍ فَتَبَيَّنُوا أَن تُصِيبُوا قَوْمًا بِجَهَالَةٍ فَتُصْبِحُوا عَلَىٰ مَا فَعَلْتُمْ نَادِمِينَ"
*"ऐ ईमान वालों! अगर कोई फ़ासिक (झूठ बोलने वाला) तुम्हारे पास कोई ख़बर लाए तो उसकी तहकीक कर लिया करो, ऐसा न हो कि तुम किसी क़ौम को नादानी में नुक़सान पहुँचा बैठो और फिर अपने किए पर पछताना पड़े।" (कुरआन, सूरह हुजुरात, 49:6)*
इस आयत से सीख: हर खबर, हर मैसेज को आंख बंद करके मान लेना इस्लाम के उसूल के खिलाफ़ है। तहकीक (verification) ज़रूरी है।
قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: "كَفَى بِالْمَرْءِ كَذِبًا أَنْ يُحَدِّثَ بِكُلِّ مَا سَمِعَ"
"एक आदमी के झूठा होने के लिए इतना ही काफी है कि वह हर सुनी-सुनाई बात को आगे बयान कर दे।" (सहीह मुस्लिम: हदीस नंबर 5)
कोई भी मैसेज फॉरवर्ड करने से पहले अपने समझदार, इल्मी लोगों को दिखाएँ। तहकीक करें, समझदारी से सोचें और फिर ही कोई बात दूसरों तक पहुँचाएँ।
इस मैसेज को सभी ग्रुप में शेयर कीजिए, इसकी फोटो कॉपी करवा कर बंटवाए, जुमा में पढ़ कर सुनाएं, "मुल्तानी समाज" न्यूज से प्रधान संपादक ज़मीर आलम मुल्तानी की रिपोर्ट
#multanisamaj
8010884848
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