Thursday, December 18, 2025

🕊️ इंतेकाल की दुखद ख़बर स्वरूप नगर दिल्ली में मरहूमा मोमीना का इंतकाल, 19 दिसंबर को सुपुर्द-ए-ख़ाक

स्वरूप नगर, दिल्ली। मुस्लिम मुल्तानी लोहार एवं बढ़ई बिरादरी के लिए अत्यंत दुःख और अफसोस के साथ यह खबर दी जा रही है कि जनाब मंजूर हसन कुर्डी वाले (हाल बाशिंदा लोनी, जनपद गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश), जो दिल्ली पुलिस में सेवारत हैं, की अहेलिया तथा मीर हसन बावली वाले की बहन मरहूमा मोमीना का स्वरूप नगर, दिल्ली में इंतकाल हो गया है।

इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन।
अल्लाह तआला की यही मर्ज़ी थी।

मिली जानकारी के मुताबिक मरहूमा को कल ( आज ) दिनांक 19 दिसंबर 2025, दिन जुमा को सुबह 10:00 बजे स्वरूप नगर, दिल्ली स्थित कब्रिस्तान में मय्यत को सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

इस गमगीन मौके पर तमाम बिरादराने इस्लाम मरहूमा के लिए दुआगो हैं कि अल्लाह तआला उनकी मग़फिरत फरमाए, उनके दरजात बुलंद करे और उन्हें जन्नतुल फ़िरदौस में आला मुकाम अता फरमाए। साथ ही अल्लाह तआला अहल-ए-ख़ाना को इस भारी सदमे को सहन करने की ताक़त और सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन सुम्मा आमीन।

📞 अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें:

  • जहूर हसन कुर्डी: 9350576755
  • मीर हसन बावली: 9760425055 / 9412505529

🕯️ बिरादरी से अहम गुज़ारिश

तमाम अहबाब से गुज़ारिश है कि दुःख की इस घड़ी में मय्यत वालों के घर जाकर इस्लामी तहज़ीब और शरई आदाब का पूरा ख्याल रखें—

  • दुनियावी बातचीत और हंसी-मज़ाक से परहेज़ करें
  • खाने-पीने का बोझ न बनें
  • गले मिलने, लंबा मुसाफ़ा करने से बचें
  • पान, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा या किसी भी नशे का प्रयोग न करें
  • गमगीन माहौल, सादा लिबास और संजीदा रवैया अख़्तियार करें
  • धीमी आवाज़ में कलमा-ए-तैय्यबा पढ़ते हुए चलें
  • तफ़रीह या दिखावे से पूरी तरह परहेज़ करें

यह सब बातें न सिर्फ इंसानी बल्कि इस्लामी तालीम का भी अहम हिस्सा हैं।


📢 ज़रूरी ऐलान: इंतेकाल की खबर भेजने से जुड़ी हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि इंतेकाल की खबर अधूरी या देर से पहुंचने के कारण बिरादरी के लोग जनाज़े तक नहीं पहुंच पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि इंतेकाल की खबर भेजते समय निम्न जानकारियां अवश्य दें—

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शौहर का नाम
2️⃣ स्थायी व वर्तमान पता
3️⃣ दफन का सही समय व कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार व्यक्तियों के संपर्क नंबर
5️⃣ (यदि मर्द हों) मरहूम की फोटो
6️⃣ इंतकाल की वजह (यदि मुनासिब हो)
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम (भाई, बहन, औलाद आदि)

👉 इससे खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी को सही व समय पर जानकारी मिल सकेगी।


पत्रिका में प्रकाशित समस्त समाचार, लेख, विचार, प्रेस विज्ञप्ति एवं विज्ञापन संबंधित लेखक/संवाददाता/विज्ञापनदाता के निजी विचार हैं। इनसे पत्रिका, संपादक, प्रकाशक या प्रबंधन की सहमति आवश्यक नहीं मानी जाएगी।

किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) केवल दिल्ली रहेगा।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित
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अली मुल्तानी की खास रिपोर्ट

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🌙 कम उम्र में हिफ़्ज़-ए-क़ुरआन की अज़ीम सआदत

✨ हाफ़िज़ मोहम्मद ज़ियान भट्टी बने क़ुरआन के अमीन, इंदौर में दावत-ए-दस्तारबंदी का ऐलान

इंदौर (मध्य प्रदेश) में कम उम्र में क़ुरआन-ए-पाक हिफ़्ज़ करने की अज़ीम नेअमत हासिल करने वाले हाफ़िज़ मोहम्मद ज़ियान भट्टी की दस्तारबंदी 18 दिसंबर 2025 को मदरसा मुख़्तारुल उलूम में आयोजित की जाएगी। यह मौक़ा इल्म, तक़वा और रूहानियत का पैग़ाम लेकर आया है।

इंदौर (म.प्र.)

तमाम अहले-ईमान के लिए यह खबर दिली मसर्रत और रूहानी सुकून का सबब है कि अल्लाह तआला के फ़ज़्ल-ओ-करम और उसके हबीब हज़रत मुहम्मद ﷺ के सदक़े-तुफ़ैल, मरहूम अब्दुल वहाब साहब भट्टी के पोते और परिवार के चश्म-ओ-चराग़ हाफ़िज़ मोहम्मद ज़ियान भट्टी ने कम उम्र में क़ुरआन-ए-पाक हिफ़्ज़ करने की अज़ीम सआदत हासिल कर ली है।

क़ुरआन-ए-पाक का हाफ़िज़ बनना महज़ इल्मी मुक़ाम नहीं, बल्कि यह अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की वह खास अमानत है जो सब्र, तक़वा, परहेज़गारी और आला अख़लाक़ की बड़ी ज़िम्मेदारी अपने साथ लेकर आती है। अल्लाह तआला बहुत कम लोगों को अपने पाक कलाम का हामिल बनने का शरफ़ अता फरमाता है, और हाफ़िज़ मोहम्मद ज़ियान इस नेअमत से सरफ़राज़ हुए हैं।

इस मुबारक मौके पर दुआ है कि अल्लाह तआला हाफ़िज़ मोहम्मद ज़ियान को क़ुरआन पर अमल करने वाला बनाए, दीन व दुनिया दोनों में कामयाबी अता फरमाए, और उन्हें अपने वालिदैन व असातिज़ा के लिए सदा की ठंडक-ए-आँख बनाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।

🌹 दावत-ए-दस्तारबंदी 🌹

तारीख़: 18 दिसंबर 2025 (जुमेरात)
वक़्त: सुबह 10:00 बजे
मक़ाम: मदरसा मुख़्तारुल उलूम, धार रोड, बांक, इंदौर

तमाम अहबाब से अदब के साथ गुज़ारिश है कि इस मुबारक और यादगार मौके पर तशरीफ़ लाकर अपनी मौजूदगी और दुआओं से इस रूहानी महफ़िल को रौनक़ बख़्शें।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
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अब्दुल कादिर मुल्तानी की खास रिपोर्ट

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Monday, December 15, 2025

रिश्तों को जोड़ने और ज़रूरतमंदों की मदद की पाक मुहिम — खामोशी से, ख़ुलूस के साथ

मोहतरम हज़रात, समाज में टूटते रिश्तों को जोड़ने और ज़रूरतमंद परिवारों की मदद के लिए एक खामोश लेकिन असरदार मुहिम शुरू की गई है। इस मुहिम का मक़सद सिर्फ नए रिश्ते जोड़ना ही नहीं, बल्कि उन पुराने रिश्तों की दरारों को भी भरना है जिनमें वक्त या हालात की वजह से दूरी आ गई थी।

अलहम्दुलिल्लाह, इस नेक काम में हाजी तौकीर साहब, हाजी क़ासिम साहब, मिर्ज़ा नसीम साहब और अफ़ज़ाल मुगल साहब पूरी टीम के साथ तन, मन और धन से आगे बढ़कर रहबरी कर रहे हैं। आपसी मसलों को सुलझाना, भरोसे को फिर से कायम करना और समाज में मोहब्बत की फिज़ा बनाना — यही इस मुहिम की असल पहचान है।

बीते कुछ दिनों में टीम ने कई बच्चियों की शादियों में मदद की, जिससे समाज में उम्मीद की एक नई किरण जगी है। इसके बाद कई और ज़रूरतमंद लोगों ने संपर्क किया है। ज़िम्मेदारियां बढ़ रही हैं, और आगे भी बढ़ेंगी। इसी वजह से अब और ऐसे साथियों की ज़रूरत है जो इस कार-ए-ख़ैर में बिना नाम और शोहरत के शामिल होना चाहते हों।

यहां किसी नाम की नुमाइश नहीं, बल्कि ऊपर आसमान में देखने वाले रब पर यक़ीन है, जिसने नेक अमल पर इनाम का वादा किया है। मदद करने वालों के लिए एक अलग “इलीट पैनल / क्लब” बनाया जा रहा है, ताकि ज़रूरतमंदों की इमदाद पूरे एहतियात और इज़्ज़त के साथ की जा सके। इस पैनल में शामिल लोग आपसी मशवरे से मदद करेंगे, जबकि आम ग्रुप में सिर्फ सूचना दी जाएगी।

खास बात यह है कि इस मुहिम में कोई फंड, कोई कमीशन और कोई कटौती नहीं है। हम टारगेट तय करते हैं और 100 प्रतिशत इमदाद मुस्तहक तक पहुंचाई जाती है। छोटी-छोटी रक़में मिलकर बड़े मसले हल करती हैं — क्योंकि बूंद-बूंद से ही सागर बनता है।

जो लोग इस नेक काम में हिस्सा लेना चाहते हैं, वे फोन या व्हाट्सएप के ज़रिये संपर्क कर सकते हैं:
हाजी तौकीर साहब – सहारनपुर
हाजी क़ासिम साहब – सहारनपुर
अफ़ज़ाल मुगल – सहारनपुर
मुहम्मद वसीम – देवबंद
जनाब ताहिर – मुज़फ्फरनगर
हाजी नसीम – खतौली
रईस आज़म – खतौली
जनाब मोबीन साहब – दिल्ली

यह अपील किसी व्यक्तिगत मक़सद के लिए नहीं, बल्कि खुदा के बंदों की मदद के लिए है। किसी का नाम ज़बरदस्ती शामिल नहीं किया जा रहा — हर शख़्स खुद सोच-समझकर इस मुहिम का हिस्सा बने।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार/बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए
जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से
पत्रकार मोहम्मद वसीम की खास रिपोर्ट।

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Saturday, December 13, 2025

मुल्तानी नौजवानी का जोश, खेल का जुनून और बिरादरी की शान — भीलवाड़ा में आज “चैम्पियंस ट्रॉफी 2025” का महा मुकाबला

तमाम 22 खेड़े की मुल्तानी बिरादरी के बुज़ुर्गों, नौजवानों और खेल प्रेमियों को पूरे अदब और मोहब्बत के साथ इस शानदार खेली जलसे में शरीक होने की दावत दी जाती है। आज का यह आयोजन न सिर्फ एक खेल प्रतियोगिता है, बल्कि मुल्तानी नौजवानी की एकता, हुनर और हौसले का इज़हार भी है।

आज, दिन इतवार 14 दिसंबर को भीलवाड़ा शहर में एक ज़बरदस्त और रोमांच से भरा महा मुकाबला होने जा रहा है, जिसमें मुल्तानी बिरादरी के नौजवान खिलाड़ी पूरे जोश, जज़्बे और जुनून के साथ मैदान में उतरेंगे। इस टूर्नामेंट की खास बात यह है कि इसमें न सिर्फ स्थानीय, बल्कि बाहर के शहरों से भी मजबूत टीमें हिस्सा ले रही हैं।

टूर्नामेंट में शामिल टीमें

इस ऐतिहासिक मुकाबले में कुल 8 टीमें आमने-सामने होंगी—

  • भीलवाड़ा शहर से — 3 टीमें
  • उदयपुर शहर से — 2 टीमें
  • निम्बाहेड़ा से — 1 टीम
  • अजमेर से — 1 टीम
  • पारोली से — 1 टीम

अब देखना यह है कि कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच “चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 🏆” किस टीम के सर पर सजेगी और कौन मुल्तानी खेल प्रतिभा का परचम बुलंद करेगा।

नारा जो जोश भर दे

“खेलेगा मुल्तानी — जीतेगा मुल्तानी”

यह नारा आज हर खिलाड़ी के हौसले और हर दर्शक की तालियों में गूंजेगा।

आयोजन स्थल

📍 पता: Big Hit, चित्तौड़ रोड, भीलवाड़ा (राजस्थान)

बिरादरी के तमाम लोगों से गुज़ारिश है कि ज़्यादा से ज़्यादा तादाद में पहुंचकर अपने नौजवान खिलाड़ियों की हौसला अफ़ज़ाई करें, ताकि उनका मनोबल और बुलंद हो और खेल के मैदान में मुल्तानी शान निखर कर सामने आए।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए
भीलवाड़ा, राजस्थान से पत्रकार अब्दुल क़ादिर मुल्तानी की ख़ास रिपोर्ट

भीलवाड़ा में आयोजित टूर्नामेंट कैंसिल हुई ऐन मौके पर एक दुखद खबर ने सभी को हैरत में डाल दिया। हमारे प्यारे अब्दुल कय्यूम (पितास वाले) अब इस दुनिया में नहीं रहे।

हम उनकी की रूह को सकून के लिए दुआ करते हैं और उनके परिवार को सब्र और मगफिरत देने की दुआ करते हैं। अल्लाह उन्हें जन्नत में आला मकाम दे। आमीन।

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नौजवानी में बुझ गया एक चिराग़ — मोहतरम वसीम साहब का इंतकाल

बेइंतहा अफ़सोस, गहरे दुख और रंजो-ग़म के साथ यह दिल दहला देने वाली इत्तिला तमाम अहले-इस्लाम और बिरादराने मुल्तानी तक पहुंचाई जाती है कि

मोहतरम जनाब महबूब साहब (नगला वाले) के फरज़ंद, जनाब वसीम साहब (उम्र लगभग 26–27 वर्ष) का कल दिन शनिवार, 13 दिसंबर 2025 को ईशा की नमाज़ के दरमियान क़ज़ा-ए-ईलाही से इंतकाल हो गया।

नौजवानी की दहलीज़ पर खड़ा यह होनहार नौजवान यूँ अचानक हम सबको छोड़कर अपने रब के हुज़ूर हाज़िर हो गया। मरहूम के कुछ भाई गुजरात स्टेट में राइस मिल के कारोबार से जुड़े हुए हैं। इस अचानक सदमे से पूरा खानदान, रिश्तेदार और बिरादरी ग़म में डूबी हुई है।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन।
अल्लाह रब्बुल करीम की यही मर्ज़ी थी, और उसी पर सब्र करना हमारा ईमान है।

तदफ़ीन की जानकारी

मरहूम की तदफ़ीन आज दिन इतवार, 14 दिसंबर 2025 को
सुबह 11:30 बजे अदा की जाएगी,
सपुर्द-ए-ख़ाक इंशाअल्लाह

मजीद मालूमात के लिए

अब्दुल हमीद साहब (ट्रोनिका सिटी) से राब्ता क़ायम करें
📞 98181-54086


एक ज़रूरी ऐलान व अहम हिदायत

अक्सर देखा गया है कि इंतकाल की खबर या तो देर से पहुंचती है या अधूरी होती है, जिसकी वजह से बहुत से लोग जनाज़े और तदफ़ीन में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से अदब के साथ गुज़ारिश करती है कि जब भी इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वालिद/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता (स्थायी व वर्तमान निवास)
3️⃣ तदफ़ीन का सही वक़्त और क़ब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के ज़िम्मेदार शख़्स का संपर्क नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हो तो मरहूम की फोटो
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम (भाई, बहन, वालिदैन, औलाद आदि)

👉 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी को सही वक़्त पर सही मालूमात मिल पाती है।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer):
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ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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अल्लाह तआला मरहूम को जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए, पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन। 🤲

बिरादरी की अमानत और अंजुमन की जवाबदेही

सोचने का वक्त अब भी बिरादरी की अमानत और अंजुमन की जवाबदेही

 है… वरना पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचेगा

बिरादरी और अंजुमन किसी एक व्यक्ति की जागीर नहीं होती, बल्कि यह आने वाली नस्लों की अमानत होती है। अगर कोई शख्स अपने घर या दफ्तर में बैठकर भी सिर्फ 10 मिनट निकालकर बिरादरी और अंजुमन के मसलों पर सोचने को तैयार नहीं है, तो उसे आत्ममंथन करना चाहिए कि वह वाकई बिरादरी का हमदर्द है भी या नहीं।

आज अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान, बड़का मार्ग बड़ौत (जनपद बागपत, उत्तर प्रदेश) से जुड़े जिन गंभीर सवालों ने सिर उठाया है, वे किसी व्यक्तिगत टकराव का नतीजा नहीं, बल्कि वर्षों की लापरवाही, गलत फैसलों और जवाबदेही से बचने की प्रवृत्ति का परिणाम हैं।

गलतियां कमेटियों की, आरोप एक व्यक्ति पर

सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि अंजुमन की कमेटियों और समितियों द्वारा की गई लगभग हर बड़ी चूक का ठीकरा एक व्यक्ति—अलीहसन मुल्तानी—के सिर फोड़ा जा रहा है।
नक्शा पास न कराना हो, बायलॉज के मुताबिक काम न होना हो, रोज़नामचा रजिस्टर न बनाना हो, 33 वर्षों का हिसाब न देना हो, गलत वोटर लिस्ट छपवाना हो, बिना चुनाव सदर बनाना हो, या फिर आरटीआर, बैलेंस शीट, ऑडिट और बजट जैसे अनिवार्य दस्तावेज़ न तैयार करना—इन तमाम मामलों में जिम्मेदारी कमेटियों की थी, लेकिन आरोप किसी और पर लगाए जा रहे हैं।

अंजुमन की संपत्ति और पारदर्शिता पर सवाल

आरोप यह भी हैं कि अंजुमन का गलत ढंग से बना भवन—जिसमें हवा, रोशनी और गैलरी तक का सही इंतज़ाम नहीं—बिना वैध नक्शे के खड़ा कर दिया गया।
अंजुमन का सामान बिना बिरादरी से पूछे बेचा गया, फर्जी लोगों से मेंबरशिप रसीदें कटवाई गईं, लाखों-करोड़ों रुपये के कथित फर्जी चंदे के जरिए धन का दुरुपयोग हुआ, यहां तक कि अंजुमन की दुकानों को कुछ ओहदेदारों ने अपने नाम नगर पालिका में दर्ज करा लिया।

इन सबके बीच सवाल यह भी है कि जब बिरादरी इतना बड़ा भवन बनवा सकती है, तो नक्शा पास कराने की फीस, आर्किटेक्ट और इंजीनियर की फीस क्यों नहीं दे सकती थी? क्या बिरादरी ने कभी कमेटी को नक्शा पास न कराने के लिए मना किया था?

सरकारी जांच और बढ़ता खतरा

आज के दौर में, जब केंद्र और राज्य सरकारें मुस्लिम समाज की संपत्तियों की गहन जांच कर रही हैं, ऐसे में दस्तावेज़ी तौर पर कमजोर अंजुमन किसी भी समय बड़े संकट में फंस सकती है।
नगर पालिका परिषद बड़ौत, विकास प्राधिकरण बागपत और जिला प्रशासन को कथित तौर पर चकमा देकर किया गया अवैध निर्माण अब सिर्फ सरकार, संविधान, न्यायालय और प्रशासन की रहमदिली पर टिका हुआ है।

आखिर जिम्मेदार कौन?

यह सवाल बार-बार सामने आता है कि इतनी बड़ी-बड़ी गलतियों का जिम्मेदार कौन है?
अलीहसन मुल्तानी का कहना है कि वर्षों पहले बिरादरी ने अयोग्य, बेईमान और गैर-जिम्मेदार लोगों के हाथ में अंजुमन की चाबी सौंपकर भारी भूल की। अगर हालात ऐसे ही रहे और अंजुमन कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंस गई, तो भविष्य में नई अंजुमन बनाना सिर्फ मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन भी हो सकता है।

सोचिए… और जरूर सोचिए

यह वक्त आरोप-प्रत्यारोप से आगे बढ़कर ईमानदार आत्ममंथन का है। अंजुमन किसी एक व्यक्ति के खिलाफ या पक्ष में नहीं, बल्कि पूरी बिरादरी के भविष्य का सवाल है।
अगर आज भी जवाबदेही तय नहीं हुई, पारदर्शिता नहीं आई और सही दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।


प्रेषक:
अलीहसन मुल्तानी
(आपका खादिम, आपका बेटा, आपका भाई)
पूर्व विधायक प्रत्याशी, क्षेत्र 51 बड़ौत, उत्तर प्रदेश

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Friday, December 12, 2025

बेइंतिहा अफ़सोस और रंज–ओ–ग़म के साथ एक दुखद इत्तला

बेहद अफ़सोस और दिली रंज–ओ–ग़म के साथ तमाम अहल-ए-इमान और बिरादराने इस्लाम को यह दुखद इत्तिला दी जाती है कि

आज दिन शनिवार, 13 दिसंबर 2025 को रहमानी चौक, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) की एक मारूफ़ शख्सियत, मशहूर शायर जनाब साहिल फ़रीदी साहब (मरहूम) के भाई इमाम साहब का आज सुबह क़ज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन।
हम सब अल्लाह तआला के हैं और उसी की तरफ़ लौटकर जाना है।

मरहूम इमाम साहब की शादी ख़तौली में हुई थी। उनका इंतकाल उनके अहल-ए-ख़ाना, रिश्तेदारों और चाहने वालों के लिए एक न भरने वाला सदमा है। अल्लाह तआला मरहूम को मग़फ़िरत अता फ़रमाए, उनकी क़ब्र को जन्नत के बाग़ों में से एक बाग़ बनाए और पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन।

नमाज़-ए-जनाज़ा व तदफ़ीन की जानकारी:
🕑 नमाज़-ए-जनाज़ा: आज दोपहर 2:00 बजे
📍 स्थान: मारूफुल कुरआन, राणा पैलेस के पास
⚰️ तदफ़ीन: क़ब्रिस्तान घोटटे शाह, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश

तमाम अज़ीज़ों, दोस्तों और बिरादरी के लोगों से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत फ़रमाकर मरहूम के लिए दुआ-ए-मग़फ़िरत करें और अहल-ए-ख़ाना के ग़म में शरीक हों।


एक ज़रूरी ऐलान

इंतकाल की खबर भेजते समय अहम हिदायतें

अक्सर देखने में आता है कि इंतकाल की खबर देर से या अधूरी जानकारी के साथ पहुंचती है, जिसकी वजह से बहुत से लोग जनाज़े या तदफ़ीन में शामिल नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से अदब के साथ गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की सूचना भेजें, तो निम्न बातों का ख़ास ख़्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (स्थायी निवास व वर्तमान पता)।
3️⃣ दफ़न का सही वक़्त और क़ब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के ज़िम्मेदार शख़्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ हो तो मरहूम की तस्वीर (अगर मुनासिब हो)।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब समझा जाए)।
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, वालिदैन, औलाद आदि।

👉 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी के लोगों तक सही और वक़्त पर सूचना पहुंच पाती है।


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अल्लाह तआला मरहूम इमाम साहब को जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता फ़रमाए और तमाम पसमांदगान को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन।