Wednesday, October 22, 2025

🌹 بسم اللہ الرحمن الرحیم 🌹अन्नीकाहू मिन सुन्नती – बिरादराने अहले मुल्तानी



اسلام علیکم ورحمت اللہ وبرکاتہ

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

बहुत ही खुशी के साथ यह तहरीर है कि

💐🌹अल्लाह के फज़लो करम से और हमारे आका मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहू अलैहि वसल्लम के सदका ए तुफैल से🌹💐

🌹 हमारे भाई हाजी उस्मान गनी मक्कड़ इमलीवाले 🌹 की पोतियों की शादी हस्बे जेल प्रोग्राम के मुताबिक तय की गई है!

🌹 इंशाअल्लाह 🌹

लख्ते जिगर:

🌹 नाजिया नूर 🌹
बिन्ते अब्दुल हकीम मक्कड़ इमलीवाले पारोली
💐 हमराह 💐
🌹 नेक फरजंद 🌹
अबरार हुसैन
इब्ने जनाब अहमद हुसैन साहब पूवांर, उदयपुर

🌹 लख्ते जिगर 🌹
🌹 अलसबा नूर 🌹
बिन्ते अब्दुल हकीम मक्कड़ इमलीवाले पारोली
💐 हमराह 💐
🌹 अब्दुल्ला 🌹
नेक फरजंद जनाब अब्दुल कदीर साहब मक्कड़ (भीचोर वाले) बीगोद

🌹🌹🌹

कार्यक्रम (इंशाअल्लाह):

  • 24 जमाद अल अव्वल 1447 हिजरी / 16 नवम्बर 2025 बरोज इतवार – दरमियान असर मगरिबनिकाह
  • 25 जमाद अल अव्वल 1447 हिजरी / 16 नवम्बर 2025 बरोज इतवारमगरिब बाददावत ए तआम

अद्दाईयान:

हाजी मोहम्मद इब्राहिम, हाजी अब्दुल रज्जाक, हाजी अब्दुल अजीज, हाजी उस्मान गनी, हाजी उस्मान उर्फ़ (बाबू), हाजी अब्दुर्रहमान, हाजी अब्दुल हमीद, अब्दुल गफूर, हाजी अब्दुर्रहमान, हाजी मोहम्मद इब्राहिम, हाफिज मोहम्मद सिद्दीक, अब्दुल कय्यूम, मोहम्मद युनुस, हाजी मोहम्मद जमालुद्दीन, हाजी मोहम्मद कमालुद्दीन, अब्दुल हकीम, अलारख हुसैन, मोहम्मद उमर, हाजी मोहम्मद सद्दीक, मोहम्मद हनीफ, मुबारिक हुसैन, मोहम्मद शरीफ, हाजी मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद शफीक, हाजी मोहम्मद आरिफ, हाजी मोहम्मद इरफान, मोहम्मद आसिफ

💐 अलमुकल्लेफिन 💐

हाजी मोहम्मद हनीफ उर्फ़ (बाबू), मोहम्मद अय्यूब, मोहम्मद याकूब, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद उमर, अब्दुल हकीम, अब्दुल हकीम, मोहम्मद सलीम, अब्दुल गफ्फार, मोहम्मद शकील, अब्दुल कदीर, अब्दुल रसीद, मोहम्मद नूर, मोहम्मद रईस, अब्दुल गफ्फार, मोहम्मद सद्दीक, मोहम्मद फारूक, अब्दुल गनी, मोहम्मद जफर, अब्दुल रसीद, अब्दुल समद, मोहम्मद इलयास, मोहम्मद उस्मान, अब्दुल वहीद, अब्दुल जब्बार, उस्मान गनी, वाहिद नूर, मोहम्मद बिलाल, अहमद नूर

🌹 चश्मे बराह 🌹

मोहम्मद शोएब, मोहम्मद रिहान, मोहम्मद आमान, मोहम्मद अदनान, मोहम्मद असद रजा, मोहम्मद ओवेस रजा, मोहम्मद हसनैन रजा, मोहम्मद कोनेन रजा, व अहले मक्कड़ खानदान पारोली

नन्ही गुजारिश:

मेरी भतीजी और पोतियों की शादी में जरूर शिरकत फरमाएँ, ताकि दूल्हा-दुल्हन को अपनी नेक दुआओं और आशीर्वाद मिल सके:
इरम फातेमा, अशरा नूर, अक्सा नूर, अशफिया नूर, अर्शिदा फातेमा, उम्में कुलसुम, अदीबा नूर, अलीशा नूर, अलीज फातेमा

पता:

लोहार मोहल्ला, पारोली, तहसील कोटड़ी, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान

फर्म:

🌴 इमलीवाला एंड ब्रदर्स पारोली
🌴 इमलीवाला एंड संस पारोली
🌴 गरीब नवाज इंजीनियरिंग वर्क्स पारोली
🌴 इमलीवाला एग्रिको पारोली
🌴 अक्शा आयरन पंडेर

संपर्क नंबर:

  • हाजी उस्मान गनी – 9664172429
  • हाजी मोहम्मद इब्राहिम – 9799160848
  • हाजी मोहम्मद जमालुद्दीन – 9414175959
  • हाजी मोहम्मद कमालुद्दीन – 9929581990
  • हाजी मोहम्मद हनीफ – 9460201490
  • अब्दुल हकीम – 9828317290
  • अब्दुल रसीद – 6376364806

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट।

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Tuesday, October 21, 2025

🌙 रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी में नई जान — बिरादरी के मशवरे ने एकता और खिदमत का नया पैग़ाम दिया

सहारनपुर। अल्लाह के फ़ज़ल और रहमत के साथ दिनांक 20 अक्टूबर 2025, दिन इतवार को मुल्तानी बिरादरी के ज़िम्मेदार साथियों की एक अहम और मुबारक बैठक हाजी तौकीर साहब के घर पर सहारनपुर में मुनक्कद हुई। इस ख़ास मुलाक़ात में मुल्तानी बिरादरी की एकता, तरक्की और खिदमत के मौज़ू पर तफ्सील से मशवरा हुआ।

इस मौके पर जनाब मोहम्मद असलम साहब, मोहम्मद फारूक साहब (मुल्तानी गाज़ियाबाद), मोहम्मद शाहनवाज़ मिर्जा (सरधना), मोहम्मद अफज़ल (खुशावली वाले, खतौली) और डॉ. शाजिया नाज़ एडवोकेट (देवबंद) तशरीफ़ लाए। वहीं मेज़बानी के फ़राइज़ अंजाम दिए हाजी तौकीर अहमद साहब ने, और उनकी सरपरस्ती के साथ हाजी कासिम साहब ने भी बैठक में अहम किरदार निभाया।

इस मौके पर मिर्जा मोहम्मद नसीम साहब (राजपुरा, पंजाब), हाजी मोहम्मद आरिफ साहब, और मोहम्मद अफज़ल (मुगल होटल वाले, सहारनपुर) भी हाज़िर रहे।
मशवरे के दौरान जनाब शाहनवाज़ मिर्जा ने अपनी पूरी टीम की राय से “रियल मुल्तानी लोहार वेलफेयर सोसाइटी” के बैनर तले खिदमत जारी रखने की सहमति दी।
इस नेक इरादे का खैरमकदम करते हुए हाजी नसीम साहब, नौशाद साहब, और जमीरउद्दीन साहब (खतौली) ने भी अपनी पुरज़ोर हामी भरी।
इसी तरह हाजी ताहिर साहब (मुजफ्फरनगर) ने भी अपनी टीम को रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी के साथ जोड़ने का ऐलान किया।

जो साथी किसी वजह से मौके पर शरीक नहीं हो सके — जनाब जमील अहमद साहब, मोबीन अहमद साहब, शानू मिर्जा साहब, रईस-ए-आज़म साहब (खतौली), वसीम साहब (देवबंद) और कामिल साहब (खतौली) — उन्होंने वीडियो कॉलिंग के ज़रिए अपने कीमती मशवरे से महफ़िल को रोशन किया।

मशवरे के दौरान माहौल पूरी तरह खुशनुमा, भाईचारे से लबरेज़ और अल्लाह की रहमतों से मुअत्तर रहा।
इस ऐतिहासिक फैसले के साथ रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी के परिवार में एक बड़ा इज़ाफ़ा हुआ है, जिसने मुल्तानी बिरादरी में नई रूह फूंक दी है।

जैसे ही यह खबर इलाके में पहुँची, बिरादरानों में खुशी की लहर दौड़ गई
एक-दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद दी गई और हाजी मोहम्मद आरिफ साहब ने दुआ की कि —

“अल्लाह हमें एकजुट होकर खिदमते-खल्क करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए, और हमारी बिरादरी को तरक्की, इत्तेहाद और मोहब्बत की राह पर कायम रखे।”

दुआओं और मुहब्बत के इस खुशनुमा माहौल में मशवरा मुकम्मल हुआ।
यह दिन मुल्तानी बिरादरी की एकता और बेहतरीन मुआशरती मिसाल के तौर पर याद रखा जाएगा।

✍️ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत

देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका — “मुल्तानी समाज” के लिए
ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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💞 जब मोहब्बत इम्तिहान से गुज़री — “उमर और ज़ैनब” की दास्तान जिसने इंसानियत और वफ़ा को नया मतलब दिया 💞

✍️ ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
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💠 जब मोहब्बत ने तकलीफ़ों से टकराने की ठान ली

कहते हैं कि मोहब्बत जब सच्ची होती है, तो वह मुश्किलों से डरती नहीं, बल्कि उन्हें मात देती है।
ऐसी ही एक मोहब्बत की दास्तान है “उमर और ज़ैनब” की — दो मासूम दिलों की कहानी, जिसने दुनिया को यह यकीन दिलाया कि वफ़ा आज भी ज़िंदा है

साल 2011 में पाकिस्तान के लाहौर की पंजाब यूनिवर्सिटी में दो नौजवान छात्र-छात्रा, उमर और ज़ैनब, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दाखिल हुए।
एक ही क्लास, एक जैसे ख्वाब, और धीरे-धीरे दोनों के दिलों में पनपी वो मासूम मोहब्बत, जो वक्त के साथ मुकम्मल रिश्ता बनने जा रही थी।


💍 मोहब्बत ने जब निकाह का वादा किया

सालों की दोस्ती और अपनापन आखिरकार रिश्ते में बदलने जा रहा था।
दोनों परिवारों की सहमति से 10 अगस्त 2018 की तारीख निकाह के लिए तय हुई।
हर तरफ खुशियां थीं, तैयारियां चल रही थीं, और दोनों अपने नए जीवन के ख्वाब देख रहे थे।
मगर किसे पता था कि ज़िंदगी एक ऐसा मोड़ लेने वाली है, जो हर दिल को हिला देगा।


💔 खुशियों के बीच आई वह तकलीफ़

निकाह से सिर्फ 10 दिन पहले, ज़ैनब को अचानक तबियत में तकलीफ महसूस हुई।
डॉक्टरों से जांच करवाई गई, तो रिपोर्ट देखकर सबके होश उड़ गए —
ज़ैनब को कैंसर था, और वो भी आखिरी स्टेज पर

घर में सन्नाटा पसर गया। रिश्तेदारों ने कहा, “शादी रोक दो, इलाज पर ध्यान दो।”
लेकिन उमर ने वह फैसला लिया, जो किसी आम इंसान के बस की बात नहीं थी।
उसने कहा —

“मैं उससे मोहब्बत करता हूं, उसकी बीमारी से नहीं डरता। मैं उससे निकाह करूंगा और उसे ज़िंदगी दूंगा।”


🌹 निकाह, इलाज और सात करोड़ की जंग

10 अगस्त के दिन, उमर ने शरिया के मुताबिक ज़ैनब से निकाह किया।
निकाह के कुछ ही दिन बाद दोनों इलाज के लिए चीन रवाना हुए।
इलाज इतना महंगा था कि करीब सात करोड़ रुपये की ज़रूरत पड़ी।

उमर ने अपनी मोहब्बत का वास्ता देकर हर दरवाज़ा खटखटाया —

  • उसके भाइयों ने अपना विदेशी कारोबार बेच दिया,
  • मां ने अपने सारे गहने बेच डाले,
  • ज़ैनब के मां-बाप ने भी सब कुछ लगा दिया,
  • और पूरे पाकिस्तान के नेकदिल लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया।

यह सिर्फ एक इलाज नहीं था — यह इंसानियत, मोहब्बत और वफ़ा की जंग थी।


🌺 जब मोहब्बत ने मौत को हराया

कई महीनों के संघर्ष, इलाज और प्रार्थनाओं के बाद आखिरकार वह दिन आया,
जब डॉक्टरों ने कहा —
“ज़ैनब अब कैंसर से बाहर है।”

अब बस दो साल तक दवाइयां जारी रहेंगी।
उमर के चेहरे पर तसल्ली थी, ज़ैनब की आंखों में शुक्र था,
और दुनिया ने एक मिसाल देखी — वो मोहब्बत जो ज़िंदगी से भी ज़्यादा सच्ची निकली।


💬 ज़िंदगी का सबक

इस दास्तान से दो बातें साफ होती हैं —

  1. बीमारी और तकलीफ में साथ देना ही असली मोहब्बत है।
  2. वादा निभाने वाला इंसान ही सच्चा आशिक़ होता है।

आज जहां बहुत से लोग मामूली वजहों से रिश्ते तोड़ देते हैं,
वहीं उमर ने दुनिया को दिखा दिया कि वफ़ा आज भी इंसानियत की सबसे खूबसूरत पहचान है।


💞 आखिर में...

ज़ैनब वाक़ई खुशक़िस्मत है, जिसे उमर जैसा पति मिला।
और उमर, वो नाम है जो आने वाली नस्लों के लिए एक मिसाल बन चुका है।
जब भी मोहब्बत की दास्तानें लिखी जाएंगी —
उमर और ज़ैनब का नाम ज़रूर लिया जाएगा। ❤️


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Monday, October 20, 2025

🌙 इत्तेहाद-ए-ग़म — एक प्यारे इंसान का बिछड़ जाना 🌙

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन

निहायत ही दुःख और अफ़सोस के साथ तमाम बिरादराने इस्लाम को यह इत्तला दी जाती है कि हमारे अज़ीज़, खुश-मिज़ाज, मिलनसार और मेहमाननवाज़ शख़्सियत जनाब जमील अहमद साहब वल्द सैदुद्दीन साहब, मुकीम गांव कल्याणपुर, तहसील बुढ़ाना, जिला मुज़फ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) का आज दिन मंगल, 21 अक्टूबर 2025 की सुबह कज़ा-ए-इलाही से इंतेकाल हो गया है।

मरहूम अपनी ज़िंदगी में नेक अख़लाक़, दीनी सोच और इंसानियत के पैरोकार थे। अल्लाह तआला मरहूम की मग़फ़िरत फरमाए, उनके दर्जात बुलंद करे, उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील से नवाज़े।
आमीन या रब्बुल आलमीन।

मरहूम की नमाज़-ए-जनाज़ा आज नमाज़-ए-जुहर के बाद 1:30 बजे, कल्याणपुर में अदा की जाएगी, और वहीं पर तदफ़ीन अमल में आएगी।

आप तमाम हजरात से गुज़ारिश है कि मरहूम के लिए दुआ-ए-मग़फ़िरत करें और उनके घरवालों से हमदर्दी का इज़हार करें।


🕋 ज़रूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी होने की वजह से लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें —

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शोहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता – कहाँ के रहने वाले थे और फिलहाल कहाँ रह रहे थे।
3️⃣ तदफ़ीन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार अफ़राद (1-2) के मोबाइल नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी ज़रूर भेजें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे माँ-बाप, भाई, बहन, औलाद वग़ैरह।

इन तमाम मालूमात से खबर मुकम्मल और सही बनेगी, ताकि बिरादरी के लोग जनाज़े और तदफ़ीन में शरीक होकर अख़ेरत की दुआओं में हिस्सा ले सकें।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका — "मुल्तानी समाज"

के लिए
ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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गम और शोक की खबर — जनाब महमूद साहब का इंतकाल

✍️ ज़मीर आलम की कलम से, मुल्तानी समाज, दिल्ली

सूप गाँव, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश) के निवासी जनाब महमूद हसन साहब, वल्द जनाब मोहम्मद यूसुफ़ साहब, उम्र लगभग 71 साल जो फिलहाल गोहाना रोड, मेहराना, जिला पानीपत, हरियाणा में रह रहे थे।  कई दिनों से बीमारी से जूझ रहे थे। अफ़सोस के साथ यह इत्तला दी जाती है कि उनका आज, दिन पीर बा — तारीख़ 20 अक्टूबर 2025 की रात लगभग 9 बजे, कज़ा-ए-ईलाही से इंतकाल हो गया।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन
“हम सब अल्लाह के हैं और उसी की ओर लौट कर जाने वाले हैं।”

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, उनके नेक आमाल को कुबूल करें, और उनके घरवालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन या रब्बुल आलमीन।

मिली जानकारी के मुताबिक, मय्यत का सुपुर्द-ए-खाक कल, दिन मंगल बा — तारीख़ 21 अक्टूबर 2025 (सुबह 10 बजे) किया जाएगा।

📌 मय्यत और जनाज़े की जानकारी:

मय्यत को गांव मेहराना, जिला पानीपत, हरियाणा के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।सभी बिरादरी और रिश्तेदारों से इल्तज़ा है कि जनाज़े में शामिल होकर दुआएँ और सवाब-ए-दारन हासिल करें।


📞 अधिक जानकारी के लिए संपर्क:

जनाब शकूर अहमद

मोबाइल नंबर: 9671955918

मय्यत और जनाज़े से जुड़ी पूरी जानकारी के लिए उनसे राब्ता किया जा सकता है।

🕊️ इंतकाल की खबर भेजने वालों के लिए अहम हिदायतें:

अक्सर देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी होने के कारण लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम लिखें।
2️⃣ पूरा पता — कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ दफीन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम ज़रूर बताएं।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फोन नंबर शामिल करें।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है, तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो) का ज़िक्र करें।
7️⃣ घर के बाकी अहल-ए-ख़ाना के नाम — जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।

👉 इन सभी जानकारियों के साथ खबर भेजने से यह मुकम्मल और भरोसेमंद रहेगी, और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने में आसानी होगी।


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एक अज़ीज़ का बिछड़ना — बिरादरी के लिए ग़म और दुआओं का वक्त

✍️ ज़मीर आलम की कलम से

सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), 20 अक्टूबर 2025, दिन सोमवार।
निहायत ही अफसोस और रंज के साथ यह इत्तला दी जाती है कि हमारे बिरादरी के बुजुर्ग और मोहतरम शख्सियत जनाब मोहम्मद राशिद साहब, वल्द हाजी असगर साहब (ठेकेदार), जो कि याहया शाह, पक्का बाग, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले थे और फिलहाल लॉर्ड महावीरा स्कूल, चिलकाना रोड, बजाज कॉलोनी, सहारनपुर में रह रहे थे, आज बरोज़ पीर, 20 अक्टूबर 2025 की शाम को कज़ा-ए-इलाही से इंतेकाल फरमा गए।

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन
“हम सब अल्लाह के हैं और उसी की ओर लौट कर जाने वाले हैं।”

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, उनके नेक आमाल को कुबूल फरमाए और उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए।
साथ ही अल्लाह तआला उनके घरवालों और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील से नवाज़े।
आमीन या रब्बुल आलमीन।

फिलहाल तदफीन का वक्त मुकर्रर नहीं हुआ है।
जिम्मेदारों के जरिए ताज़ा जानकारी मिलते ही “मुल्तानी समाज” के माध्यम से खबर अपडेट कर दी जाएगी, इंशा’अल्लाह।
तमाम बिरादराने इस्लाम से इल्तिज़ा है कि मरहूम के लिए इसाले सवाब और मग़फिरत की दुआएँ फरमाएं।


🕊️ एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने वालों के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी होने के कारण बहुत से लोग जनाज़े और तदफीन में शामिल नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से यह दरख्वास्त करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें 👇

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम लिखें।
2️⃣ पूरा पता लिखें – वह कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ तदफीन का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम अवश्य बताएं।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के मोबाइल नंबर शामिल करें।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है, तो मरहूम का एक पासपोर्ट साइज़ फोटो भेजें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो) का ज़िक्र करें।
7️⃣ घर के अहल-ए-ख़ाना – जैसे भाई, बहन, औलाद, माँ-बाप के नाम भी बताएं।

👉 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने में आसानी होगी।


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रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी – एकता, मोहब्बत और खिदमत का नया सफ़ा

सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), 20 अक्टूबर 2025, दिन इतवार।

आज का दिन मुल्तानी बिरादरी के इतिहास में एक नई रौशनी लेकर आया। सहारनपुर की सरज़मीं पर हाजी तौकीर अहमद साहब के घर पर एक अहम और पायेदार बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें बिरादरी के कई जिम्मेदार और सरगर्म साथी तशरीफ लाए।

इस खुशनुमा और खालिस बिरादराना माहौल में जनाब मोहम्मद असलम साहब, मोहम्मद फारूक साहब (मुल्तानी गाजियाबाद), मोहम्मद शाहनवाज मिर्जा (सरधना), मोहम्मद अफजल साहब (खुशावली, खतौली) और डॉ. शाजिया नाज एडवोकेट (देवबंद) ने शिरकत की।
मौके पर हाजी कासिम साहब, हाजी मोहम्मद आरिफ साहब, मोहम्मद अफजल (मुगल होटल वाले, सहारनपुर) और मिर्जा मोहम्मद नसीम (राजपुरा, पंजाब) भी मौजूद रहे।

हाजी कासिम साहब और हाजी तौकीर अहमद साहब की सरपरस्ती में हुए इस मशवरे का मकसद था — बिरादरी में एकता, तालीम और तरक्की के नए रास्ते तलाशना
मशवरे के दौरान जनाब शाहनवाज मिर्जा ने अपनी पूरी टीम की सहमति से घोषणा की कि वे आगे से रियल मुल्तानी लोहार वेलफेयर सोसाइटी के बैनर तले खिदमत करेंगे।

इस फैसले की ताईद करते हुए जनाब हाजी नसीम साहब, जनाब नौशाद साहब, जनाब जमीरउद्दीन साहब (खतौली) और जनाब हाजी ताहिर साहब (मुजफ्फरनगर) ने भी अपनी सहमति जाहिर की।
यह फैसला सुनते ही उपस्थित सभी साथियों के चेहरों पर मुस्कान और आंखों में उम्मीद की चमक दिखाई दी।

जो साथी किसी मसरूफियत की वजह से मौके पर हाजिर नहीं हो सके — जनाब जमील अहमद साहब, जनाब मोबीन अहमद साहब, जनाब शानू मिर्जा साहब, रईस-ए-आज़म साहब खतौली और वसीम साहब देवबंद, कामिल साहब खतौली — उन्होंने भी वीडियो कॉलिंग के ज़रिये इस बैठक में शिरकत की और अपने कीमती मशवरे से महफिल को नवाज़ा।

इस ऐतिहासिक मशवरे के नतीजे में रियल मुल्तानी वेलफेयर सोसाइटी को न सिर्फ एक बड़ी कामयाबी मिली बल्कि मुल्तानी बिरादरी के परिवार में मोहब्बत, यकजहती और खिदमत का एक नया जोश भी पैदा हुआ।
यह खबर पूरे इलाके में बिजली की तरह फैल गई, और बिरादरी के हर कोने से खुशी, दुआओं और मुबारकबादों का सिलसिला शुरू हो गया।

इस मौके पर हाजी आरिफ साहब ने दुआ की कि —

“अल्लाह तआला हमें एकजुट होकर खिदमत-ए-खल्क की तौफीक अता फरमाए, और हमारी इस बिरादरी को तरक्की, तालीम और इत्तेहाद की बुलंदियों तक पहुंचाए।”

दुआओं और मुहब्बतों के इस माहौल में मशवरा मुकम्मल हुआ।
यकीनन, यह दिन मुल्तानी बिरादरी के लिए एकता और तालीम की नई शुरुआत साबित होगा।


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✍️ हफीजुर्रहमान की खास रिपोर्ट
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