Wednesday, November 26, 2025

नसीम बी (आपा जी ) का इंतकाल — मुल्तानी समाज की तरफ़ से गहरे रंज व ग़म के साथ इत्तिला

मुल्तानी समाज गहरे दुख और अफसोस के साथ यह इत्तिला दे रहा है कि मोहल्ला रैति सराय, क़स्बा थानाभवन, जिला शामली (उ. प्र.) की बुजुर्ग और खानदान की मुखबिर शख्सियत नसीम बी आपा जी (अहलिया — जनाब गुलज़ार साहब, मरहूम) का 26 नवंबर 2025, दिन बुधवार, रात लगभग 12 बजे क़ज़ा-ए-इलाही हो गया।

अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फिरत फ़रमाए, उनकी रूह को जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता करे और तमाम घर वालों को सब्र-ए-जमील दे।
إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعون


मरहूमा का तारूफ़ और खानदान की जानकारी

  • नाम: नसीम बी आपा जी
  • उम्र: 65 साल
  • ननिहाल: मोहल्ला खेल, क़स्बा थानाभवन, जिला शामली
  • पिता का नाम: जमील अहमद
  • औलाद:
    • एक बेटा (जिसका इंतकाल तीन साल पहले हो चुका)
    • पाँच बेटियाँ — सभी अपने-अपने घर बार में आबाद

मरहूमा की बेटियों का तफ़्सीलवार परिचय

1️⃣ नसरीन जहां — अहलिया जनाब नदीम साहब (नगले वालों के यहाँ), शामली
2️⃣ हसीन जहां — अहलिया जनाब हाजी इमरान साहब, मोहल्ला न्याज़पुरा, मुज़फ्फरनगर
3️⃣ यास्मीन जहां — अहलिया जनाब इसरार साहब, पानीपत
4️⃣ मोबिना जहां — अहलिया जनाब फैजान साहब, क़स्बा गंगोह
5️⃣ रुकैया जहां — अहलिया जनाब अफ़ज़ाल साहब, मुज़फ्फरनगर

अल्लाह तआला मरहूमा की सभी औलाद, घरवालों और अज़ीज़-ओ-क़ारिब को इस बड़े सदमे को सहने की ताक़त अता फ़रमाए। आमीन।


दफ़न का वक्त व मुक़ाम

मरहूमा की मय्यत को
आज दिन जुमेरात, तारीख़ 27 नवंबर 2025 — नमाज़-ए-असर के बाद
क़स्बा थानाभवन स्थित ‘गोरे-ग़रीबा कब्रिस्तान’ में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

(समय में किसी तब्दीली की सुरत में घर वाले मुनासिब तौर पर इत्तिला करेंगे।)


मुल्तानी समाज की अहम गुज़ारिशें

इंतकाल की खबर के साथ सही और मुकम्मल जानकारी देना बिरादरी के लिए बेहद ज़रूरी है।
खबर भेजते वक्त इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम व वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता
3️⃣ दफ़न का सही वक्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स का फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मरहूम पुरुष हों तो फोटो शामिल करें
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ घर के तमाम अहम रिश्तेदार — औलाद, भाई, बहन, माता-पिता

इससे खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी को सही व समय पर जानकारी पहुँचती है।


मरहूमा के लिए दुआ

🕊 "अल्लाह तआला नसीम बी आपा जी की रूह को जन्नत में आला मक़ाम अता फ़रमाए, उनकी तमाम मग़फिरत फ़रमाए, और उनके घरवालों, औलाद व सारे कुनबे को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन।"


संपर्क

  • मोहम्मद शकील साहब: 9927274868
  • मोहम्मद ग़फ्फ़ार साहब: 9675588585

✍️ मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए

ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका

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अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान: दो दशकों की ख़ामोशी पर उठते सवाल

लेखक: अलीहसन मुल्तानी, बड़ौत जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
(मुल्तानी समाज — विशेष रिपोर्ट)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत और दिल्ली से प्रकाशित, मुल्तानी इंजीनियर, मुस्लिम मुल्तानी लोहार तथा बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” की इस विशेष रिपोर्ट में आज हम बीते लगभग तीन दशकों में रजिस्टर्ड सोसायटी—
“अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान, बड़का मार्ग, बड़ौत (जिला बागपत, उप्र)”
की गतिविधियों को लेकर समाज में उठ रही चिंताओं और सवालों को सलीके से पेश कर रहे हैं।

यह रिपोर्ट किसी पर इल्ज़ाम नहीं, बल्कि समाज की सोच और भावनाओं का सजग दस्तावेज़ है

1999 से 2025 तक—कई राष्ट्रीय व स्थानीय मौकों पर अंजुमन की अनुपस्थिति

लंबे वक़्त से समाज के लोगों का ये कहना है कि 1999 के कारगिल युद्ध से लेकर 2025 तक राष्ट्रीय और सामाजिक परिस्थितियों में अंजुमन की भूमिका नगण्य रही है।

कारगिल युद्ध 1999
देशहित में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।

बाबरी मस्जिद फैसले 2010 व 2019
अमन-चैन की अपील या कोई सामाजिक पहल दर्ज नहीं हुई।

मुज़फ्फरनगर कवाल काण्ड 2013
क्षेत्र में तनाव के समय अंजुमन की सक्रियता नहीं दिखी।

चिकनगुनिया महामारी 2016
जनता मुश्किल में थी लेकिन अंजुमन नदारद रही।

नोटबंदी 2016
लोगों को राहत देने की कोई गतिविधि सामने नहीं आई।

पुलवामा हमला 2019
देश शोक में था, पर अंजुमन की प्रतिक्रिया अनुपस्थित रही।

कोविड महामारी 2020
यह समय सामूहिक सेवा का था, लेकिन अंजुमन कहीं दिखाई नहीं दी।

2025 पहलगांव हमला और पंजाब बाढ़
राष्ट्रीय दर्द के इन मौकों पर भी कोई बयान या सहयोग दर्ज नहीं हुआ।

स्थानीय गतिविधियों में भी नज़रअंदाज़

1995 से 2025 तक दर्जनों दीनी जलसे और इजलास हुए—अंजुमन की मौजूदगी नहीं रही।

हर साल सैकड़ों हाजी हज यात्रा पर रवाना होते हैं—अंजुमन कभी खिदमत में नहीं दिखी।

समाज की कई ज़रूरतों पर भी वर्षों से कोई गतिविधि दिखाई नहीं दी।

समाज में उठ रही आवाज़ें

कई वरिष्ठ लोगों का मानना है कि अंजुमन अपने उद्देश्य से भटक चुकी है।
इसी संदर्भ में मुहम्मद समीर वल्द सईद अहमद वल्द हाजी अब्दुल रसीद का बयान काफ़ी चर्चा में है:

> “अंजुमन को खंडहर बना दिया गया है।”



समाज के कई लोग इस कथन को मौजूदा स्थिति का प्रतिबिंब मानते हैं।

क्या अब नई शुरुआत व समय की ज़रूरत है?

अंजुमन एक रजिस्टर्ड सोसायटी है—और समाज का मानना है कि इसका सक्रिय होना समय की मांग है।
युवाओं को जोड़कर, ईमानदार नेतृत्व लाकर और पारदर्शी काम शुरू करके अंजुमन फिर से अपने पहले वाली पहचान हासिल कर सकती है।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट किसी की आलोचना नहीं, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए उठाई गई चिंताओं का संकलन है।
उम्मीद है कि अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान अपने पुराने वजूद को ताज़ा करेगी, और आने वाले समय में समाज, क्षेत्र और देशहित की गतिविधियों में आगे बढ़कर काम करेगी।

संपर्क व स्रोत

लेखक: अलीहसन मुल्तानी
स्थान: बड़ौत, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
पत्रिका: मुल्तानी समाज
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Monday, November 24, 2025

🕊️ इंतकाल की अफसोसनाक खबर — बिरादरी से एक और रोशन चिराग रूख़्सत हुआ

निहायत ही दुःख और अफसोस के साथ तमाम बिरादराना हज़रात को यह इत्तला दी जाती है कि बीती रात बरोज़ पीर, तारीख़ 24 नवंबर 2025 को बुढ़ाना रोड कस्बा खतौली, जिला मुज़फ्फरनगर (उ.प्र.) की सम्मानित हस्ती जनाब रशीद अख़्तर साहब वल्द हाजी जमालुद्दीन साहब (मरहूम) खेड़े वालो, का कज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया।

अल्लाह तआला मरहूम पर अपनी रहमतों की बारिश फ़रमाए, उनकी मग़फ़िरत फ़रमाए और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए। आमीन।

🕯️ सुपुर्द-ए-खाक का एलान
मरहूम की मय्यत को आज, बरोज़ मंगल, 25 नवंबर 2025 सुबह 11 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब, अकरिबा और बिरादरी के लोगों से गुज़ारिश है कि जनाज़े में पहुँचकर सवाब-e-दारेन हासिल करें।

नोट 🚫 मय्यत के सिलसिले में और ज्यादा मालूमात के लिए जनाब अफजाल साहब कुशावली वालो के मोबाईल नंबर - 8077790947 पर राब्ता क़ायम करके पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है।


📌 एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि इंतकाल की खबर देर से या अधूरी जानकारी के साथ मिलती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि खबर भेजते वक़्त निम्न बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम / मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता – मूल निवासी और मौजूदा पता
3️⃣ दफ़ीने का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार लोगों के 1–2 फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम की तस्वीर
6️⃣ इंतेकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे औलाद, भाई-बहन, माँ-बाप आदि

इन तमाम जानकारियों के साथ खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी तक सही और समय पर पहुंचती है।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

पत्रिका में प्रकाशित किसी भी प्रकार की ख़बर, लेख, विचार, संपादकीय, प्रेस विज्ञप्ति या विज्ञापन लेखक/संवाददाता/विज्ञापनदाता के व्यक्तिगत विचार हैं।
इनसे पत्रिका के संपादक, प्रकाशक, प्रबंधन या संस्थान की सहमति अथवा समर्थन अनिवार्य रूप से अभिप्रेत नहीं है।

प्रकाशित सामग्री की सत्यता, विश्वसनीयता या किसी भी प्रकार के दावे के लिए संबंधित लेखक/विज्ञापनदाता स्वयं उत्तरदायी होंगे।
पत्रिका एवं प्रबंधन किसी भी कानूनी, सामाजिक या वित्तीय जिम्मेदारी से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।

किसी भी विवाद, शिकायत या न्यायिक कार्यवाही की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) केवल दिल्ली रहेगा।


✍️ ज़मीर आलम
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका — “मुल्तानी समाज”

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Sunday, November 23, 2025

🌙 इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन — मोहम्मद इक़बाल साहब के इंतकाल पर मुल्तानी समाज की ख़ास रिपोर्ट

बड़ी अफ़सोसनाक और रंज़ो-ग़म के साथ यह इत्तिला तमाम बिरादराने इस्लाम तक पहुंचाई जाती है कि आज दिन इतवार, 23 नवंबर 2025 को जनाब मोहम्मद इक़बाल साहब वल्द जनाब अब्दुल मजीद (हाथी करोदा वाले), हाल मुक़ीम मोहल्ला नौ कुआँ, शामली (उ.प्र.) का तकरीबन पौने दो बजे दिन में कज़ा-ए-ईलाही से इंतकाल हो गया।

मरहूम मोहम्मद इक़बाल साहब उम्र 70 साल, बीते कुछ अरसे से बीमारियों में मुब्तिला थे।
अल्लाह तआला मरहूम की मगफिरत फरमाए, उनकी कब्र को रौशन करे और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।


🌿 मरहूम का परिवार

मरहूम अपने पीछे:

  • 5 लड़के,
  • 2 लड़कियाँ,
    सहित पूरे कुनबे, रिश्तेदारों और अज़ीज़ो-कारिब को रोता-बिलखता छोड़कर इस फानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत हो गए।

🕌 अंतिम संस्कार (दफीना) की व्यवस्था

मरहूम की मय्यत बाद नमाज़-ए-इशा सुपुर्द-ए-ख़ाक की जाएगी।
जो भी हज़रात शिरकत कर सकें, मरहूम के लिए दुआ-ए-मगफिरत अवश्य फ़रमाएँ।


📞 तफ़सीलात के लिए संपर्क करें

अगर मय्यत या दफीने के बारे में और जानकारी चाहिए तो:
मिस्त्री इकराम साहब — 9528835553


📢 एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजते समय इन हिदायतों का खास ख्याल रखें

अक्सर देखा गया है कि खबर देर से पहुँचती है या अधूरी होती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े में शामिल नहीं हो पाते।
“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते समय ये बातें ज़रूर लिखें—

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत/शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता — मूल निवास और वर्तमान निवास।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त, दिन और कब्रिस्तान।
4️⃣ घर के जिम्मेदार एक-दो लोगों के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल है तो मरहूम का फोटो।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम — औलाद, भाई, बहन, माँ-बाप आदि।

इन जानकारी से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी तक सही खबर पहुंचाना आसान रहेगा।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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सामग्री की सत्यता और विश्वसनीयता के लिए लेखक/विज्ञापनदाता स्वयं उत्तरदायी होंगे।
किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र केवल दिल्ली माना जाएगा।


📌 “मुल्तानी समाज” — मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी की आवाज़

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ख़ास रिपोर्ट:
ज़मीर आलम
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Thursday, November 20, 2025

“SIR फ़ॉर्म: आपकी पहचान, आपका कल — लापरवाही नहीं, जागरूकता की पुकार”

आज के दौर में जब नागरिकता, पहचान और मताधिकार सबसे अहम संवैधानिक अधिकार हैं, ऐसे समय में SIR फ़ॉर्म को लेकर समाज में बढ़ती लापरवाही वाक़ई चिंता का विषय है। कुछ लोग इसे मामूली काग़ज़ समझकर टाल रहे हैं, जबकि यही दस्तावेज़ आने वाले कल में आपकी भारतीय नागरिकता और वोटर पहचान का सबसे महत्वपूर्ण आधार बनने वाला है।

जिस दस्तावेज़ पर आपके वोट, पहचान और भविष्य की नींव रखी जा रही हो—उसमें ज़रा-सी भी कोताही बेहद भारी साबित हो सकती है।


SIR फ़ॉर्म क्यों है ज़रूरी?

SIR फ़ॉर्म सीधे-सीधे आपकी नागरिकता और मताधिकार से जुड़ा है।
यदि 7 फ़रवरी 2026 को प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची में आपका नाम नहीं मिलता, तो आप भारत के मतदाता नहीं माने जाएंगे और आपकी नागरिकता भी संकट में पड़ सकती है।


9 दिसंबर 2025 – सबसे अहम परीक्षा

इस दिन प्रारंभिक ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी।
अगर इस सूची में आपका नाम न मिले, तो आपकी पहचान की बड़ी जाँच इस क्रम में होगी—

1️⃣ SDM स्तर की जाँच

दस्तावेज़ संतोषजनक — आपका नाम आगे बढ़ेगा।
नहीं तो फाइल DM के पास जाएगी।

2️⃣ DM स्तर की जाँच

DM संतुष्ट — राहत मिल सकती है।
असंतुष्ट — मामला राज्य के CEO के पास पहुँच जाएगा।

3️⃣ जयपुर – मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास अंतिम सुनवाई

अगर CEO को आपके दस्तावेज़ पर भरोसा है— नाम जुड़ सकता है।
अगर CEO असंतुष्ट — अंतिम सूची से आपका नाम हट जाएगा और फिर नागरिकता तक प्रभावित हो सकती है।


लापरवाही क्यों घातक है?

आज बहुत से लोग परेशान हैं कि उनके माता-पिता, दादा या रिश्तेदारों का नाम 2003 की सूची में नहीं है —
अब उन्हें अपनी पहचान साबित करने के लिए तमाम दफ़्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

इसी हक़ीक़त को एक शेर में यूँ बयां किया गया है—

**“लम्हों ने खता की,

सदियों ने सज़ा पाई।”**

आज की लापरवाही कल आपके बच्चों को अंधेरे में धकेल सकती है।


वेबसाइट ओवरलोड — समय सीमित

अभी पोर्टल खुला है, लेकिन लगातार बढ़ते ट्रैफ़िक के कारण कभी भी धीमा या बंद हो सकता है।
BLO भी अपनी सरकारी ड्यूटी के साथ यह काम कर रहे हैं, इसलिए वे बार-बार कह रहे हैं—

“4 दिसंबर से पहले–पहले SIR फ़ॉर्म ज़रूर जमा कर दें।”

आज BLO साहब हर घर का चक्कर लगाकर लोगों को समझा रहे हैं, मगर यदि कल कोई गड़बड़ी हुई,
तो तहसील तक भागते-भागते हम ही परेशान होंगे।


अब सबसे बड़ा सवाल — क्या करना चाहिए?

बहुत सरल बात है—
अपने और अपने हर घर के सदस्य का SIR फ़ॉर्म तुरंत भरें, चाहे ऑनलाइन करें या ऑफलाइन।
यही आपकी नागरिकता और आपके वोट के अधिकार को सुरक्षित रखने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है।


✒️ विशेष रिपोर्ट

अब्दुल क़ादिर मुल्तानी, राजस्थान
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
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“घर की रौनक बुझ गई — जवान बहू शबनम बी की अचानक मौत ने पूरे खानदान को सदमे में डाल दिया…”*

आज का दिन बिरादरी और खास तौर पर मोहम्मद इरशाद उर्फ़ इलू के घराने के लिए एक गहरा सदमा लेकर आया।

निहायत ही दुःख और रंज के साथ यह इत्तला दी जाती है कि जनाब हाजी मोहम्मद उमर साहब (बूढ़पुर वाले) के बहू और मोहम्मद इरशाद उर्फ़ इलू की अहलिया मरहूमा शबनम बी (उम्र 35 साल) आज तड़के क़ज़ा-ए-इलाही से इस फ़ानी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गईं।

जुमे का मुबारक दिन, तारीख़ 21 नवंबर 2025—लेकिन इलू परिवार और बिरादरी के लिए यह दिन हमेशा एक गहरे ज़ख़्म की तरह याद रहेगा।
एक जवान, नेक-सिरत, खुश-मिज़ाज बहू… जिसकी मौजूदगी से घर में चहल-पहल रहती थी, आज उसी घर की चौखट पर सन्नाटा पसरा हुआ है।

🌿 अचानक मौत… और टूटते हुए सपने

ऐसे हादसे जब अचानक पेश आते हैं तो घर का हर कोना गवाही देता है कि किस तरह एक मुस्कुराती हुई ज़िंदगी पल भर में ख़ामोश हो जाती है।
मरहूमा शबनम बी की उम्र ही क्या थी—सिर्फ़ 35 साल।
जिंदगी तो जैसे अभी शुरू ही हुई थी…
लेकिन अल्लाह को कुछ और मंज़ूर था।

उनके छोटे-छोटे काम, उनका हंसना-बोलना, घरवालों का ख्याल रखना, रिश्तेदारों से बैठना… सब यादों के रूप में पीछे छूट गया।
खानदानी मोहब्बत और अदब से रहने वाली यह बहू आज अपने पीछे सवालों और सदमों से भरा माहौल छोड़ गई।
इलू परिवार के लिए यह सिर्फ़ एक मौत नहीं, बल्कि घर का उजाला बुझ जाने जैसा गम है।

🕌 नमाज़-ए-जनाज़ा और दफ़न

मरहूमा की मय्यत को बाद नमाज़ जुमा
बड़का रोड गोरे ग़रीबा कब्रिस्तान, बड़ौत, जिला बागपत
में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

बिरादरी के तमाम लोग से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाब-ए-दारेन हासिल करें और घरवालों के दुख को हल्का करने में अपना हिस्सा डालें।

🤲 दुआएं और ताज़ियत

अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फ़िरत फरमाए,
उनकी कब्र को रोशन करे,
और घरवालों—खासकर उनके शौहर मोहम्मद इरशाद उर्फ़ इलू—को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन

📞 मालूमात के लिए संपर्क

मरहूमा से संबंधित किसी भी तफ्सील के लिए
मोहम्मद इलियास साहब (मोबाइल: 9911998311) से राब्ता करें।


📢 एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम हिदायतें

(जैसा कि “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका का बिरादरी से तआवुन की गुज़ारिश है)

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता—असली और मौजूदा।
3️⃣ दफ़न का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार दो लोगों के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम की तस्वीर।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घरवालों के नाम—जैसे औलाद, माँ-बाप, भाई-बहन आदि।

यह हिदायतें इसलिए ताकि खबर मुकम्मल तरीके से बिरादरी तक पहुंचे और कोई जनाज़े से महरूम न रह जाए।


📰 डिस्क्लेमर

पत्रिका में प्रकाशित लेख, समाचार, विचार, टिप्पणी आदि लेखक या संवाददाता के अपने विचार होते हैं।
पत्रिका, संपादक, प्रकाशक या प्रबंधन इनके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।
किसी भी विवाद की सूरत में न्याय क्षेत्र केवल दिल्ली रहेगा।


**✍️ ज़मीर आलम

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Wednesday, November 19, 2025

सच लिखने की सज़ा—मुझे चुप कराने के लिए धमकियों का सिलसिला जारी…

https://youtu.be/0USOXT_oBDs?si=tiNhUsALYuXKZMse

(एक पत्रकार की ख़ामोशियों के पीछे छिपी कड़वी हक़ीक़त)


कभी–कभी कलम उठाना आसान होता है, लेकिन उसे सच के साथ चलाना बेहद मुश्किल। आज मैं, ज़मीर आलम, उसी कड़वी सच्चाई का सामना कर रहा हूँ—जहाँ अपने ही बिरादरी के चंद लोग, जो खुद को खिदमतगार कहते हैं, मेरे सच से इतने बौखला गए कि अब वे मुझे धमकियों के सहारे चुप कराना चाहते हैं।

मुझे लगातार यह धमकी दी जा रही है कि “या तो चैन से पत्रकारिता छोड़ दो, वरना हम तुम्हें चैन से बैठने नहीं देंगे।”
सबसे अफ़सोस की बात यह है कि यह सब किसी गैर ने नहीं बल्कि हमारी ही बिरादरी की एक तंजीम के कुछ शोहदेदारों ने पूरी चालाकी और होशियारी के साथ किया।


📌 मामला शुरू कहाँ से हुआ?

कुछ दिन पहले, हमारे चैनल पर एक शादी का वीडियो—जो खुद बिरादरी के लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया था—समाचार के रूप में चलाया गया।
शीर्षक था:
“अब बिरादरी की शादियों में खिदमतगार नहीं, कैमरा और कुर्सी तलाशते ओहदेदार नज़र आते हैं।”

सच्चाई कड़वी थी—इसलिए चुभ गई।
यही वो चिंगारी थी, जिसके बाद मेरे ख़िलाफ़ एक सुनियोजित साज़िश शुरू कर दी गई।


⚠️ दबंग, बाहुबली और साहूकार हाजी जी का इस्तेमाल

इन्हीं शोहदेदारों ने मुज़फ्फरनगर के एक दबंग और बाहुबली हाजी जी को भड़का कर मेरे पीछे लगा दिया।
उनकी धमकी भरी ऑडियो में बार-बार मुझे टॉर्चर किया गया—
“तुमने मेरी शादी की वीडियो ख़बर में क्यों चलाई?”

जबकि मैं इस शादी में मौजूद तक नहीं था।
वीडियो तो उन्हीं शोहदेदारों ने बनाई, उन्हीं ने वायरल की, और उनकी आवाजें आज भी वीडियो में साफ़ सुनाई देती हैं।

जब वीडियो वायरल हुई, तब किसी दबंग हाजी जी को आपत्ति नहीं हुई।
आपत्ति तब हुई जब सच्चाई ख़बर बनकर सामने आई।


❗बार–बार सवाल, धमकियां और उकसावे

अब हालात यह हैं कि रोज़ाना धमकी भरी ऑडियो, वाट्सऐप कॉल और छींटाकशी की जाती है—
“16 गरीब लड़कियों की शादी कहाँ कराई? बच्चों के एडमिशन कहाँ कराए? सबूत दो!”

मैं पूछता हूँ—
क्या मैंने कभी किसी मंच, प्रेस नोट, पोस्ट या बयान में कहा कि मैंने ऐसा किया?
क्या किसी को इससे पहले कभी ऐसा दावा सुनाई दिया?

सवाल उन लोगों से होना चाहिए जिन्होंने वीडियो वायरल की…
लेकिन निशाना मैं हूँ—क्योंकि मैंने सच बोलने की हिम्मत की।


🙏 मेरी अपील (ग़म और अदब के साथ)

मेरी किसी से दुश्मनी नहीं।
ना ही मैं किसी के घर, शादी या इज़्ज़त को निशाना बनाता हूँ।

लेकिन मैं झूठ, ड्रामा, राजनीति और बिरादरी को बपौती समझने वाली मानसिकता के आगे झुकने वाला भी नहीं।

मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ—
मुझे धमकियाँ देना बंद करें।
यदि मानसिक दबाव, डिजिटल टॉर्चर और उकसावे का सिलसिला जारी रहा…
तो मुझे मजबूरन कानूनी कदम उठाने पड़ेंगे।


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✍️ “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए

मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से
नवेद मिर्ज़ा की ख़ास रिपोर्ट

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