Thursday, January 25, 2024

शादी में आएं, पर खाना नही मिलेगा रस्मो रिवाज के मकड जाल में उलझे समाज में इंदौर के इस खानदान के हौसले को सलाम

यह निकाह 26 जनवरी 2024 को बाद नमाज़ ए असर, हबीब मस्जिद, कादर कॉलोनी, खजराना, इंदौर में होगा। इस शादी कार्ड में दिए गए नंबर पर दुल्हन के भाई दानिश शेख ने दूरभाष पर वार्ता के दौरान इस कार्ड और निकाह की पुष्टि की है_
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■ *_पत्रकार ज़मीर आलम मुल्तानी_*
     _दूरभाष:8010 884 848_
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_राजधानी 【दिल्ली प्रदेश】 अमीर लोग जो रस्में अपनाते हैं देखा-देखी गरीबों में पहले वो फैशन और बाद में उनकी मजबूरी बन जाती है और यहीं से जन्म लेती है मसनुई जिंदगी और फिर इस मसनुई जिंदगी के मकड़ जाल में समाज इस कदर उलझ जाता है, कि लोग क्या कहेंगे-? इस खौफ के चलते जब बिटिया की शादी का वक्त आता है और आर्थिक संपन्नता से महरूम परिवार ब्याज तथा महंगे कर्ज लेकर अपनी झूठी शान के लिए लोगों को लजीज व्यंजन, कोरमा बिरयानी आदि खिलाते हुए नम आंखों के साथ बिटिया को तो रुखसत कर देता है मगर उस शादी में की खाने आदि की फिजूल खर्ची पर हमेशा के लिए दब जाता है और सिसक सिसक कर जिंदगी जीता है शादी के निमंत्रण पर खाना खाकर गया कोई मेहमान फिर उसके दर्द को आकर नहीं पूछता, जिससे वो बेचारा जिंदगी भर कर्ज के बोझ में दबा रहता है_
यह बात आज हमने इसलिए लिखी कि सोशल मीडिया पर शादी का एक कार्ड भारत भर में वायरल हो रहा है जिसमें दुल्हा-दुल्हन के वालदैन के नाम तो है, मगर दुल्हन और दूल्हे का नाम नहीं है। शादी के इस कार्ड में हबीब मस्जिद, कादर कॉलोनी, खजराना, इंदौर का पता है। जिसमें सखावत शेख का लड़का और अब्दुल रऊफ की लड़की का निकाह है। दूल्हा अब्दुल कलाम हाफिज ए कुरान है जो एक बड़ी और प्राईवेट कंपनी में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत है दुल्हन शादी का शेख भी एक संपन्न परिवार की बिटिया है मगर इस परिवार ने तमाम तर फिजूलखर्ची को ताक पर रखते हुए निकाह को आसान बनाने के लिए खुद से इसकी पहल की है  आज इन झूठे रस्मो रिवाजो और मसनुई जिंदगी के मकड़ जाल में फंसने के चलते मध्यम दर्जे के परिवारों की हजारों  बेटियां बिना निकाह किए ही घरों मे बैठी हैं। इसलिए इंदौर के इस शेख परिवार की इस अच्छी शुरुआत और इनके हौसलों को हम सलाम करते हैं और साथ ही समाज के तमाम लोगों से यह आह्वान भी करते हैं कि वो निकाह को आसान बनाएं, हर तरह की फिजूल खर्ची से खुद भी बचे तथा औरों को भी फिजूल खर्ची करने से रोके और संपन्न परिवार खुद आगे आकर मध्यम दर्जे और गरीब परिवारों की बेटियों को अपने बहु बनाकर,उन्हें बेटियों का सम्मान दें, तो बहुत हद तक समस्या का समाधान आसानी के साथ हो सकता है।
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