Monday, September 28, 2020

गलती कहाँ है?


अगर पानी का नल चालू हो और उसके नीचे कितना भी बड़ा बर्तन रखा हो वो कभी न कभी जरूर भर जाता है और अगर नहीं भरता तो समझ लीजिए कि बर्तन में छेद हो गया है जो बर्तन को भरने नहीं दे रहा, उसके लिए दो तारिके हैं या तो बर्तन बदल दो या छेद भर दो।


अगर आप गौर करेंगे तो इस्लामी कानून के हिसाब से हर साल हजारों करोड़ रुपए गरीबों के लिए सदका ज़कात के नाम पर निकलता है।


सवाल ये पैदा होता है कि हर साल हजारों करोड़ रुपए अगर गरीबों के लिए जा रहा है तो फिर मुसलमानों के अंदर से गरीबी खत्म क्यों नहीं हो रही आज भी सबसे ज्यादा भिखारी इसी कौम  से आते हैं।


और अगर ये पैसा दीनी तालीम पर खर्च हो रहा है तो लगभग 95% मुसलमानों को दीनी तालीम में काबिल हो जाना चाहिए था, जबकि हकीकत ये है कि दीनी तालीम तो छोड़ो 90% मुसलमानों को कुरान शरीफ पढ़ना भी नहीं आता तो आखिर ये पैसा जाता कहां है?


आखिर छेद कहां पर है कि न ही गरीबी खत्म हो रही है और न ही जहालियत ।

जब तक इस छेद को ढूंढ कर इसे बंद नहीं किया जाएगा तब तक कौम के हालात नहीं सम्भलेंगे........गौर ज़रूर करना ....क्यूंकी बिना गौर किये हुये हमारे हालात नहीं बदलने वाले, और ना ही किसी भी तरह से हमारी नई नसलें सुधरने वाली, इसके लिए हमे अपने दीन और ईमान पर मेहनत करना पड़ेगी ......


# KadvaSach 👏🏼👏🏼👏🏼...

No comments:

Post a Comment