Wednesday, September 9, 2020

#ताबूते सकीना # क्या है, क़ुरआन व हदीस की रौशनी में,

 


#ताबूते_सकीना_क्या_है??


यह शमशाद की लकड़ी का एक सन्दूक था, जो #हज़रत_आदम عليه السلام पर नाज़िल हुआ था, यह आपकी आख़री ज़िन्दगी तक आपके ही के पास रहा, यहाँ तक कि यह #हज़रत_याकूब عليه السلام को मिला और आप के बाद आपकी औलादे बनी इस्राईल के क़ब्ज़े में रहा और #हज़रत_मूसा عليه السلام को मिल गया तो आप उस में तौरात शरीफ और अपना ख़ास-ख़ास सामान रखने लगे।


#ताबूते_सकीना_में_अन्दर_क्या_था?? 


इस मुक़द्दस सन्दूक में #हज़रते_मूसा عليه السلام का अ़सा और इनकी मुक़द्दस जूतियां और #हज़रत_हारून عليه السلام का इमामा, #हज़रत_सुलेमान عليه السلام की अंगूठी, तौरात की तख्तियां के चन्द टुकड़े, कुछ मन्न व सलवा, इसके अलावा हज़राते अम्बियाए किराम عليهم السلام की सूरतों के हुलिए वगैरह सब सामान थे।


यह बड़ा ही मुक़द्दस और बाबरकत सन्दूक था, बनी इस्राईल जब कुफ़्फ़ार से जिहाद करते थे और कुफ़्फ़ार के लश्करों की कसरत और उनकी शौकत देखकर सहम जाते और उनके सीनों में दिल धड़कने लगते तो वह इस सन्दूक को अपने आगे रख लेते थे तो इस सन्दूक से ऐसी रहमतों और बरकतों का ज़ुहर होता था कि मुजाहिदीन के दिलों में सुकून व इत्मिनान पैदा हो जाता था और मुजाहिदीन के सीनों में लरज़ते हुए दिल पत्थर की चट्टानों से ज़्यादा मज़बूत हो जाते थे और जिस कदर सन्दूक आगे बढ़ता था आसमान से ﻧَﺼْﺮٌ ﻣِّﻦ ﺍﻟﻠَّﻪِ ﻭَﻓَﺘْﺢٌ ﻗَﺮِﻳﺐٌ की बिशारते उज़मा नाज़िल हुआ करती और फ़तहे मुबीन हासिल हो जाया करती थी।


बनी इस्राईल में जब कोई इख़्तिलाफ़ पैदा होता था तो लोग इसी सन्दूक से फैसला कराते थे, सन्दूक से फैसले की आवाज़ और फ़तह की बिशारत सुनी जाती थी, बनी इस्राईल इस सन्दूक को अपने आगे रखकर और इसको वसीला बनाकर दुआएँ मानते थे तो इसकी दुआएँ मक़बूल होती थी और बलाओं, मुसीबतों और वबाओ कि आफ़ते टल जाया करती थी, अलगर्ज़ यह सन्दूक बनी इस्राईल के लिए ताबूते सकीना, बरक़त व रहमत का ख़ज़ाना और नुसरते खुदावन्दी के नुज़ूल का निहायत मुक़द्दस और बेहतरीन ज़रिया था, मगर जब बनी इस्राईल तरह-तरह के गुनाहों में मुलव्विस हो गए और इस लोगो में मुआशी व तुगयानी और सरकशी व गुनाहों का दौर दौरा हो गया तो इनकी बदआमालीयो की नहूसत से इन पर #अल्लाह का यह ग़ज़ब नाज़िल हुआ कि क़ौमें अमालका के कुफ़्फ़ार ने एक लश्कर के साथ इन लोगो पर हमला कर दिया, उन काफ़िरो ने बनी इस्राईल का क़त्लेआम करके इनकी बस्तियों को तबाहो-बर्बाद कर डाला, इमारतों को तोड़ फोड़ कर सारे शहर को तहस नहस कर डाला और इस मुबारक सन्दूक को भी उठा कर ले गए, इस मुक़द्दस सन्दूक को नजासतो के कूड़े खाने में फेंक दिया, लेकिन उस बेअदबी का क़ौमें अमालका पर यह बवाल आया कि यह लोग तरह तरह की बीमारियों और बलाओं के हुजूम में झोंक दीए गए, चुनाँचे क़ौमें अमालका के पाँच शहर बिल्कुल बर्बाद और वीरान हो गए, यहाँ तक कि उन काफ़िरो को यक़ीन हो गया कि यह मुक़द्दस सन्दूक की बेअदबी का अज़ाब हम पर पड़ गया है, तो उन काफ़िरो की आँखे खुल गई और उन लोगो ने इस मुक़द्दस सन्दूक को एक बैलगाड़ी पर लादकर बेलों को बनी इस्राईल की बस्तियों की तरफ हांक दिया।


फिर #अल्लाह_तआला ने चार फरिश्तों को मुक़र्रर फ़रमा दिया जो इस मुबारक सन्दूक को बनी इस्राईल के नबी #हज़रत_शमवील عليه السلام की ख़िदमत में लाए, इस तरह फिर बनी इस्राईल को खोई हुई नेअमत दोबारा इनको मिल गई और यह सन्दूक ठीक उस वक़्त #हज़रते_शमवील عليه السلام के पास आया जबकि #हज़रते_शमवील عليه السلام ने तालूत को बादशाह बना दिया था और बनी इस्राईल तालूत की बादशाही तस्लीम करने पर तैय्यार नही थे और यह शर्त ठहरी थी कि मुक़द्दस सन्दूक आ जाए तो हम तालूत की बादशाही तस्लीम कर लेंगे, चुनाँचे सन्दूक आ गया और बनी इस्राईल तालूत की बादशाही पर राज़ी हो गए।


(तफ़्सीर रूह-उल-बयान, ज़िल्द 1, सफ़ा 386)


क़ुरआन मजीद में #अल्लाह_रब्बुल_इज़्ज़त ने सूरह बक़रह में इस सन्दूक का तज़किरा फरमाते हुए इरशाद फ़रमाया:-


وَ قَالَ لَهُمْ نَبِیُّهُمْ اِنَّ اٰیَةَ مُلْكِهٖۤ اَنْ یَّاْتِیَكُمُ التَّابُوْتُ فِیْهِ سَكِیْنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَ بَقِیَّةٌ مِّمَّا تَرَكَ اٰلُ مُوْسٰى وَ اٰلُ هٰرُوْنَ تَحْمِلُهُ الْمَلٰٓىٕكَةُؕ-اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ۠


तर्जुमा:- "और इनसे इनके नबी ने फरमाया: इसकी बादशाही की निशानी यह है कि तुम्हारे पास वो ताबूत आ जाएगा जिसमे तुम्हारे रब की तरफ से दिलों का चैन है और मुअज़्ज़ज़ मूसा और हारून की छोड़ी हुई चीज़ों का बकिया है, फ़रिश्ते इसे उठाए हुए होंगे, बेशक़ इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानी है अगर तुम ईमान वाले हो।


(#सूरह_बक़रह, आयत 248)

No comments:

Post a Comment