Sunday, October 2, 2022

रेत पर पड़ी हज़ारो मछलियो को कैसे बचाएं ? लाखो मुसलमानों के हालात कैसे बदलें

 


एक आदमी समुंदर के किनारे टहल रहा था उसने दूर से देखा कि कोई शख़्स नीचे झुकता है और कुछ उठाकर समुंदर मे फेंक देता है ,

 वो क़रीब गया तो देखता है कि हज़ारों मछलियां किनारे पर पड़ी तड़प रही हैं, शायद किसी बड़ी मौज मछलियो को रोत पर छोड़ गई हो और यह आदमी एक एक या दो दो मछली को उठा उठा कर समुंदर में फेंक कर उनकी जान बचाने की कोशिश कर रहा था।

उसे इस शख़्स की बेवकूफ़ी पर हंसी आई और हंसते हुए उससे पूछा: इस तरह क्या फ़र्क पड़ेगा हज़ारो मछलियां हैं चंद मिनट में मर जाएंगी कितनी को बचा पाओगे?


 यह सुन कर वो शख़्स इसकी तरफ़ देखता हुआ फिर नीचे झुका और एक मछली को उठा कर समुंदर मे उछाल दिया, वह मछली पानी में जाते ही तेजी से तैरती हुई आगे निकल गई फिर उसने सुकून से पूछने वाले से कहा "इस मछली को फ़र्क पड़ा", यह जवाब सुनते ही दूसरा शख़्स भी उसके साथ जुड़ गया एक एक मछली की जान बचाता रहा और इस सिलसिले से हज़ारों मछलियों को ज़िन्दगी मिल गई। 

इस कहानी से हमें यह समझ आता है कि हमारी छोटी सी कोशिश से अचानक भले ही मजमूई हालात न बदलें मगर किसी एक या चंद के लिए वो कोशिश फ़ायदेमंद साबित हो सकती है।


 इसी बात को लेकर #मुल्क में कई तंजीमें/समाज / संस्थाये  मुल्क स्तर पर सूबाई स्तर, जिला स्तर, ओर कुछ इलाकाई स्तर पर  अपना काम अपनी सलाहियत के मुताबिक कर रही है, हमें मालूम है हम अचानक पूरे हालात नहीं बदल सकते     

हम सालों से काम कर रहे हैं बहुत कुछ बदला है और हमें मालूम है हमारी जद्दोजहद का फ़ायदा और कामयाबी शायद हमें न देखने को मिले मगर हमार अगली नस्ल ज़रूर देखेगी #इसलिए_आज हम डरेंगे नहीं, हम हटेंगे नहीं, हम ना उम्मीद नही होंगे, हम रुकेंगे नहीं जिसे जैसे रोकने की कोशिश करनी है करते रहें, हम सोच हैं हम कोई तंज़ीम नहीं।

उम्मत के तमाम लोगों से मैं यही कहना चाहूंगा कि दिल बड़ा रखें और हैसियत के मुताबिक कोशिश करते रहें,        

यह फ़िक्र न करें कि आपकी कोशिश से समाज में कितनी तबदीली आई? आप बस अपना हिसाब करें और सोचें कि आपने अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी कहां तक अदा करी?

 अल्लाह हमें अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने वाला बना दे...


क़ौम की खिदमत कोई क्या खाक करेगा

अल्लाह जिससे चाहे उसी से काम लेता है


किसी की टांग खिंचने से बहेतर है उसका हाथ पकड़ कर चले


"कोम की खिदमत आपकी हमारी इन्सानियत है ।"


या अल्लाह क़ौम ए मुस्लिम की मदद फ़रमा...आमीन

 #MSCT 

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