Friday, December 25, 2020

क्यों बिलबिला रहे हो भैया !


पुलिस की बर्बरता देखकर तुम शोर मचाते हो कि पुलिस में सब संघी भरे पड़े हैं !!!

न्यायालय का फ़ैसला आता है तो चिल्लाते हो कि वहाँ भी सब संघी घुसे हुए हैं !!!

मीडिया का प्रोग्राम देख कर कहते हो सभी पत्रकार संघी हैं !!!!

तो इसमें अचरज किस बात का ?

अरे भैया !!! संघ ने इसके लिए पिछले 95 सालों अर्थात 1925 से बहुत कड़ी मेहनत की है और तुम ????

तुमने पिछले 95 सालों से सिर्फ़ काफ़िर, मुनाफ़िक़, बिदअती, गुस्ताख़ ए रसूल, गुस्ताख़ ए सहाबा, गुस्ताख़ ए औलिया का आपस में सर्टिफिकेट बाँटा है और क्या किया है ?

33 करोड़ देवी-देवताओं को मानने वालों को संघ ने पिछले 95 सालों में एक प्लेटफार्म लाकर दुनिया की सबसे मज़बूत जमाअत बना दिया और तुम एक अल्लाह, एक रसूल, एक क़िबला, एक क़ुरआन और एक ही दीन के मानने वाले आपस में शिया-सुन्नी, बरेलवी-देवबंदी, अहले हदीस-हनफ़ी वग़ैरह के नाम पर लड़ते रहे, स्टेज सजा कर एक दूसरे के ख़िलाफ़ मुनाज़िरे करते रहे और आग उगलते रहे !!!

आज कुछ प्रतिशत को छोड़ कर लगभग सारे हिन्दू सरसंघचालक (मोहन भागवत) को अपना रहनुमा मान चुके हैं लेकिन तुम्हारी करोड़ों की भीड़ का कोई भी रहनुमा नहीं है.

पिछले 95 सालों में संघ ने हिन्दू समाज की बहुत सी कुरीतियों को ख़त्म किया है जबकि तुम उनकी फेंकी गई कुरीतियों को अपने समाज और घरों में ले आये !!!

संघ ने 95 सालों में हिन्दुओं में शिक्षा को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया और तुम जाहिल के जाहिल ही बने रहे !!!!

जब सुबह संघ की शाखाओं में ट्रेनिंग हो रही होती है तब तुम आराम से सो रहे होते हो !!!

जब संघ के युवा स्कूलों और कालेजों में पढ़ रहे होते हैं तब तुम्हारे लाडले बाइक में टपोरी गीरी कर रहे होते हैं !!!

जब संघ के बुजुर्ग रात में बैठकर युवाओं के भविष्य के बारे में प्लानिंग कर रहे होते हैं तब तुम्हारे बुजुर्ग चाय की दुकानों में गप्पें हाँक रहे होते हैं या किसी बैठक में अलिफ़ लैला के क़िस्से सुना रहे होते हैं!!!!

जब संघ के युवा जॉब की तैयारी कर रहे होते हैं तब तुम्हारे युवा लूडो और दूसरे गेम खेल रहे होते हैं !!!!

तो फिर हवलदार से लेकर आईजी, डीआईजी, एसपी, डीएसपी तक की पोस्ट में उनके आदमी होंगे या तुम्हारे ?

चपरासी से लेकर जज तक उनके आदमी होंगे या तुम्हारे ?

प्रोफ़ेसर, लॉयर, स्कॉलर, साइंटिस्ट, इकॉनामिस्ट, इंडस्ट्रियलिस्ट, जर्नलिस्ट, फ़िज़ीशियन, सर्जन वग़ैरह वो होंगे या तुम ?

पहले खुद को सुधारो फिर दूसरों पर सवाल खड़े करो !!!

बात कड़वी ज़रूर है लेकिन सच्चाई यही है !!!! 


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