Saturday, December 26, 2020

रोज़ी सिर्फ अल्लाह के हाथ है ,ज़रूर पढ़ें एक इबरत हासिल करने वाली हिकायत.....

 


*दुकान पर गाहक अल्लाह भेजता है.....!!!*

इंग्लैंड, चीन और मलेशिया में मशहूर सुपर स्टोर्स में काम करने वाले एक लायक़ फ़ायक मेनेजर को बिन दाऊद सुपर स्टोर्स मक्का में काम करने का इत्तेफ़ाक़ हुआ, वो असल मे इंग्लैंड में पढ़ा था, और बिज़नेस मैनेजमेंट की किताबों में उसने हमेशा अपने कॉम्पिटिटर को नीचा दिखा कर आगे बढ़ना सीखा था। 

मक्का ए मुकर्रमा में कुछ अरसा उसने बतौर रिजनल मेनेजर के अपनी खिदमात अंजाम दी। इसी दौरान उसने देखा के एक दूसरे नाम के सुपर स्टोर की ब्रांच उसके स्टोर के बिल्कुल सामने खुलने की तैयारियां हो रही है। 

उसने सोचा ये लोग इधर आकर उसकी सेल्स पर असर डालेंगे। लिहाज़ा उसने फौरन बिन दाऊद सुपर स्टोर्स के मालिकान को एक रिपोर्ट पेश की जिसमे उसने नए सुपर स्टोर के बारे में कुछ मालूमात, मशवरे और आगे का प्लान बनाने की तजवीज दी। 

उसको ज़िन्दगी में हैरत का शदीद तरीन झटका लगा जब मालिकान ने उसको नए स्टोर के मुलाज़मीन का सामान रखवाने , और उनके चाय पानी का खास ख्याल रखने को कहा। उसकी हैरत को खत्म करने के लिए बिन दाऊद स्टोर्स के मालिकान ने कहा *वो अपना रिज़्क़ अपने साथ लाएंगे और हमारा रिज़्क़ हमारे साथ होगा। अपने लिखे गए रिज़्क़ में हम एक रियाल का इज़ाफ़ा नही कर सकते अगर अल्लाह चाहे। और नए स्टोर वालों के रिज़्क़ में हम एक रियाल की कमी नही कर सकते, अगर अल्लाह चाहे*

तो क्यों न हम अजर कमाएं और मार्किट में आने वाले नए ताजिर भाई को खुश आमदीद कह कर और खुशगवार फ़िज़ा क़ायम करें। 

दूसरा वाकिया मशहूर पॉल्ट्री कंपनी का है। अल-फ़कीया पॉल्ट्री कंपनी के मालिक ने मक्का मुकर्रमा में एक अज़ीमुशान मस्जिद ( मस्जिदे फ़कीया ) भी तामीर की है। इसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी अल वतनिया चिकन लाखों रियालों की मक़रूज़ होकर दिवालिया पन कर क़रीब पहुंच गई। फ़कीया कंपनी के मालिक ने जब ये सूरते हाल देखी तो अपनी मुखालिफ कंपनी के मालिक को एक खत भेजा और साथ मे एक दस लाख रियाल से ज़्यादा का चेक भेजा। उस खत में लिखा था ;

"मैं देख रहा हूँ के तुम दिवालियापन के करीब खड़े हो, मेरी तरफ से ये रक़म क़ुबूल करो, अगर और रक़म की ज़रूरत है तो बताओ। पैसों की वापसी की फिक्र मत करना, जब हो तब लौटा देना"  

अब देखिए के अरबपति शेख अल फ़कीया के पास अल वतनिया कंपनी खरीदने का एक सुनहरा मौका था, लेकिन उसने अपने सब से बड़े मुखालिफ की माली मदद करने को तरजीह दी। 

हासिल-ए-कलाम :- ऊपर बयान किए गए दो सच्चे वाकियात आपको इस्लामी तिजारत के उसूलों से आगाह कराते है। किसी मुखालिफ कंपनी से परेशान न हों, अगर आप अपना काम ईमानदारी से करते रहेंगे और लोगों पर अहसान करते रहेंगे तो अल्लाह सुब्हानहु व तआला आपका बाज़ू पकड़ कर आपको कामयाबी की मेराज तक पहुंचा देंगे। 

*याद रखें.......किसी की टांग खींचने से आपका रिज़्क़ ज़्यादा नही होगा*

*जो जिसके नसीब का है उसको मिल कर रहेगा, बस असबाब अख्तियार करना ज़रूरी है। क्योंकि हरकत में बरकत है।*

( अरबी मज़मून से तर्जुमा किया गया )

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