सरकार गैरो की,पुलिस प्रशासन गैरो का,आर्मी गैरो की,वकील गैरो के,जज गैरो के,मीडिया गैरो की सब कुछ गैरो के हाथ में है तो मुसलमान क्या कर सकता है? ऐसी हज़ारो बातो पर मुसलमान रोते हुए नज़र आएंगे। लेकिन एक सच्ची और बेहद कडवी बात तो ये है के इस हालात का ज़िम्मेदार कोई और नही खुद मुसलमान ही है। अपनी पीठ किसी को नज़र नहीं आती। हम अपने रब को नाराज़ करके बैठे हैं। नौजवानों में नमाज़ का अता-पता ही नही है। नौजवान बर्थडे मना रहे हैं, केक काट रहे हैं (( यहुदीयों तरीका )) शादियों में जिस काम से कुरान ने हमें रोका उन्हीं काम को करके फख्र महसूस कर रहे हैं। शादियों में फिज़ूल खर्चा,नाच- गाना,बेहयाई वगैरह पुरे मुस्लिम माअशरे में आम हो गई है।
मुस्लिम बहुल इलाकों में नशेड़ी, गंजेडी, चरसी, सटोरी बड़ी आसानी से नज़र आ जाएंगे मगर उनहे इस काम से रोकने वाला कोई मर्द नज़र नही आएगा। मुस्लिम नौजवानों की काफी बडी तादाद ज़िनाह खोरी में मुब्तिला है। बाज़ारो में खुले सर लदे मेकअप अपने हुस्न और जिस्म की नुमाइश करती मुस्लिम औरते और लड़कियां भी आसानी से नज़र आएंगी जिनका पर्दे से दूर- दूर तक कोई वास्ता नही है। आजकल तो बुर्के भी फिटिंग वाले आ गए हैं जिसे पहनने के बाद जिस्म छुपता तो है पर आसानी से जिस्म की नुमाइश हो जाती है और शर्म और हैरत की बात ये है के कुछ शादीशुदा औरतें इसे पहन भी रही है और उनके शोहरो की आंख पर पट्टी बंधी है। स्कूल-कॉलेजो में मुस्लिम लड़के लडकियों से और मुस्लिम लड़कियां लड़कों के साथ घुमती फिरती,हंसी-मज़ाक करती हुई आसानी से नज़र आ जाएंगी।गरीब भूखा मरे तो कोई बात नही पर कव्वाली पर पैसे ना उडाए तो मज़ा नही आता। आधे से ज़्यादा गरीब मुस्लिम तबका समूह लोन जैसी गंदगी की गिरफ्त में है।
सूदखोरी,ब्याजखोरी तो रोज़ की ज़िन्दगी का एक काम बन चुका है। शराब पीते,गाली-गलौज करके अपने आपको दादा बहादुर बताने वाले एक झापड़े के गुमराह नौजवान भी हमारी कौम में हैं। मोबाइल पर स्टेटस देखो तो आपको झूठे इश्क़ की कहानियों वाले गाने वाले स्टेटस आसानी से दिखेंगे और गंदी फिल्मों से मोबाइल भरे पड़े मिलेंगे। क्या ये सब करने के बावजूद हम ये सोचे की हमे अल्लाह की मदद आए पुरी दुनिया पर हमारी हकूमत हों तो ऐसा कभी हो सकता है?अगर वाकई हम चाहते हैं के अब भारत और पुरी दुनिया के मुसलमानों का हाल बदले तो सब से पहले अपने आप को हमें बदलना होगा। में बदलूंगा तो मेरा घर बदलेगा, मेरा घर बदलेगा तो मेरा मोहल्ला बदलेगा, मेरा मोहल्ला बदलेगा तो मेरा शहर बदलेगा और फिर मेरा देश बदलेगा और फिर कौम की भलाई होगी। (इन शा अल्लाह) इसलिए आज से हमें खुद को अल्लाह के हुक्मों पर लाओं नबी ए करीम (( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)) की सुन्नतो पर अमल करना होगा,तब जाकर हमारी ज़िन्दगी और आखिरत सुधरेगी और आफियत वाले फैसले होंगे। (इन शा अल्लाह) Copied
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