Monday, June 15, 2020

अंतरदेशीय पत्र, मुल्तानी लोहार समाज की परंपरा, जो टेक्नोलॉजी के दौर में आज भी ज़िंदा है


 किसी जमाने में अंतरदेशीय पत्र  अपनो के सूचना पहुचाने के सशक्त माध्यम हुवा करते थे बाजार में कम्युनिकेशन की लगातार आ रही  नई नई टेक्नोलॉजी से डाक विभाग का अंतरदेशीय पत्र इतिहास बनता जा रहा है !
आज के दौर में मुल्तानी लोहार समाज ऐसा भी है जिसके शादी निमंत्रण अंतरदेशीय पत्र कार्ड के बिना नही माना जाता है !
यही परम्परा को मानते हुए बुज़ुर्ग आज 21वीं सदी में भी शादी का निमंत्रण अंतरदेशीय पत्र के बिना नहीं माना जाता है।
 वहीं अंतरदेशीय पत्र के बिना समाज के लोग शादी में शामिल होना भी पसंद नहीं करते। वर्षों से चली आ रही परम्परा को आज भी निभाया जा रहा है। मुस्लिम मुल्तानी लोहार समाज में शादी अंतरदेशीय पत्र के बिना अधूरी है।शादी के निमंत्रण के लिए महंगा कार्ड छपवा कर अपने रिश्तेदारों को भिजवाने के साथ यदि अंतरदेशीय पत्र नहीं भेजा जाता है तो रिश्तेदार के शादी में शरीक होने की कोई गारन्टी नहीं होती है। समाज के बड़ो व बुजर्गों  ने बताया कि आज भी मुल्तानी लोहार  समाज के 22 खेडो के  गांव व शहरों में जिसमें नीमच ,अजमेर, भीलवाड़ा उदयपुर, इंदौर, चितौडग़ढ़,  निम्बाहेड़ा,  सहित अन्य जिले शामिल हैं, इनमें अंतरदेशीय पत्र के बिना शादी का निमंत्रण अधूरा माना जाता है।
 
पहले हाथ से लिखते थे पत्र
शादी के निमंत्रण के लिए अंतरदेशीय पत्र को पहले हाथ से लिखा जाता था। समय बदलने के साथ अंतरदेशीय पत्र को प्रिंटिंग वालों से छपवाना शुरू किया। कार्ड को आज भी उर्दू में छपवाया जात है!!

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