एक सौदागर (बिज़नेस मेन) बा-गरज़ तिजारत घर से निकला ! रास्ते में एक जंगल पड़ा! उसने देखा की एक अपाहिज़ लोमड़ी हैं! जिसके हाथ और पैर बिलकुल नहीं हैं! वैसे अच्छी खासी मोटी-ताज़ी,,,,
सौदागर ने ख़्याल किया की यह तो चलने फिरने से माज़ूर है,,, फिर यह #ख़ाती कहां से हैंं?
इतने में उसने देखा की शेर एक जंगली नीलगाय का #शिकार करके उसी तरफ आ रहा है,,,,
सौदागर डर के मारे एक पेड़ पर चढ़ गया!
शेर लोमड़ी के करीब ही #बैठकर खाने लगा!
खा-पीकर बाकी वहीं छोड़कर चला गयाा!
लोमडीनें अपनी जगह से #खिसकना शुरू किया! आहिस्ता-आहिस्ता उस की तरफ बड़ी और शेर की छोड़े हुई शिकार से अपना पेट भर लिया
सौदागर ने यह माजरा देखकर सोचा की खुदा-त’आला जब इस किस्म की #अपाहिज़ लोमड़ी को भी बैठे-बिठाये रिज़्क़ देता हैं तो फिर मुझे घर से निकलकर दूर-दराज़ इस रिज़्क़ के लिए भटकने की क्या ज़रूरत मैं भी घर बैठ़ता हूं….!! यह सोचकर फिर वापस घर चला आया और बेकार घर बैठ गया! कई दिन गुजर गए मगर आमदनी की कोई सूरत नज़र ना आयी! एक दिन घबराकर बोला…, #इलाही!!!!
अपाहिज़ लोमडी को तो रिज़्क़ दे..! और मुझे कुछ ना दे! यह क्या बात हुई,,,,,???
उसे एक ग़ैबी आवाज़ आयी कि, नादान!
तुझे हमने २ #चीज़ें दिखाई थी! एक मोहताज लोमड़ी जो दूसरों केे शिकार पर नज़र रखती हैं!
एक शेर जो शिकार करता हैं खुद भी #खाता और दूसरे मोहताजों को भी #खिलाते हैंं!
ए बेवकुफ! तूने #मोहताज लोमड़ी बनने की कोशिश की मगर बहादुर शेर बनने की कोशिश ना की! तुम #अपाहिज लोमड़ी बनकर घर में बैठे हो,,,,, #शेर क्यों नहीं बनते? ताकि खुद भी कमाकर खाओ और मोहताजों को भी #खिलाओ! यह सुनकर सौदागर फिर सौदागिरी को चल पड़ा!
#मसनवी शरीफ
इन्सां को कभी #बेकार ना बैठना चाहिए! बल्कि उसे चाहिए की जाएज़ तौर पर कमाकर अपना गुजारा भी करे और मोहताजों पर भी खर्च करें!....
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