कहने लगा मेरे अब्बू बीमार थे तो मेरे ससुराल वाले उनको देखने के लिए आए थे मगर कुछ लाए नहीं,
न फल, न ही कोई रुपया पैसा देकर गए..
मेरे बाप ने कहा कि आज ये लोग ऐसे हैं तो कल क्या करेंगे, मैने रिश्ता ही तोड़ दिया.....
मगर मैने उससे कहा कि यार यह बताओं कि उस लड़की के घर वालो के हालात कैसे थे?
कहने लगा गरीब लोग हैं,कामकाज करते हैं तो दो वक्त की रोटी बमुश्किल खाते हैं.....
मैंने कहा कि मेरे भाई जब आप उनकी गुरबत के बारे मे सबकुछ जानते हैं तो क्या आप यह जानते हैं कि जिससे रिश्ता तोड़ा है उन माँ-बाप पर क्या गुजरी। ???
उस बेचारी लड़की पर क्या गुजरी, कि मुझे सिर्फ़ गुरबत की वजह से छोड़ दिया गया??
मेरे दोस्तों! आज अगर बेटी वालो का रिश्ता टूट जाए तो लोग तरह तरह की बाते करते हैं कि शायद उनकी बेटी मे कोई कमी हो और अगर बेटे वाले का रिश्ता टूट जाए तो वह फख्र से कहता है कि यार मुझे पसंद नहीं थी,
मैने छोड़ दिया।
अरे जाहिल इनसान अगर पसंद नहीं थी तो रिश्ता तय नहीं करना था,
और रिश्ता पसंद नहीं था तो चुपचाप खामोशी से मना कर देता,
किसी लड़की में ऐब निकालकर, उसकी कमी लोगों में बताना, इसका ढिंढोरा पीटने का हक़ तुझे किसने दिया,
ख़ुदा न करे... कल को अगर तेरी बेटी बहन के साथ भी कुछ ऐसा ही हो तब तुझ पर क्या गुज़रेगी
खुदारा बेटी वालो पर ऐसा जुल्म ना करें,जो लड़के अभी जवान हैं वो कभी भी किसी लड़की को उसकी गुरबत की वजह से छोडकर उसके जज्बात से न खेलें।
यह औरत ही वह हस्ती है जो हमें दुनिया मे लाने का ज़रिया है और यह औरत ही वह हस्ती है जिसके कदमों से हमें जन्नत मिलेगी,बस रूप बदल लेती है कभी माँ का,कभी बीवी का,कभी बहन का तो कभी बेटी का,
लेकिन होती तो औरत ही है.
बेनाम..
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