अजमेर । सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, दरगाह कमेटी के कर्मचारी जो दरगाह परिसर में साफ सफाई व अन्य सफाई कर्मी व कर्मचारी कार्य करते है इनकी बनाई" दरगाह कमेटी कर्मचारी विकास संगठन अजमेर राजस्थान" द्वारा आज दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान को एक मांग पत्र सौंपा
इस मांग पत्र में उनकी मांगें इस प्रकार हैं
1. दरगाह कमेटी के कर्मचारियों का वेतनमान सन 2009 के बाद अब तक रिवाईज नहीं किया गया है और महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। महंगाई की अपेक्षा दरगाह कमेटी के कर्मचारियों की मासिक तन्ख्वाह बहुत ही कम है जिससे गुजारा नहीं हो पाता है,
2. केन्द्र व राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों को सातवा वेतनमान दे दिया है जिसमें न्यूनतम वेतन रुपये 25,000/- प्रतिमाह मिल रहा है जबकि दरगाह कमेटी के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन रुपये 10,000/- प्रतिमाह से भी कम है।
3. दरगाह कमेटी कर्मचारियों की पेंशन सन 2016 से प्रारम्भ कर दी गई थी जो अचानक बिना किसी कारण के बंद कर दी गई, इसे पुनः लागू किया जाये,
4. दरगाह कमेटी के कर्मचारियों को पूर्व में जो मेडिकल सुविधा के रूप में रुपये 150/- प्रतिमाह दिये जाते थे उसे बढ़ाकर पुनः पूर्व की भांति ही तनख्वाह में शामिल कर दिया जाये,
5. जो कर्मचारी कई वर्षों से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत है उन्हें नियमित जाये,
6. जिन कर्मचारियों को उम्र की अधिकता की वजह से अब तक फिक्स से ग्रेड में नहीं किया गया किया है उन्हें आयु में छूट देते हुए ग्रेड में किया जाये, अतः हम यह मांग पत्र प्रस्तुत करते हुए निवेदन करते हैं कि एक माह में इस मांग पत्र पर कर्मचारियों के हित में सकारात्मक कार्यवाही नहीं की जाने की सूरत में संगठन / समस्त कर्मचारी आगामी उर्स के आयोजन में सहयोग नहीं करने पर मजबूर होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी आपकी होगी,
मैं मेरा बाप मेरे दादा कई वर्षों से दरगाह कमेटी में लावारिस महत्व को नहलाने का और दफनाने का काम करते हैं हमें भी कुछ खास तनखा नहीं दी जाती पहली बात तो हमें मुलाजिम ही नहीं समझा जाता मस्जिदों में जो इमाम को इमदाद दी जाती है वह हमारी तनखा है 15 सो रुपए महीना और ड्यूटी है 24 घंटे की और हम कोई शिकायत का मौका भी नहीं देते फिर भी हमारी तनख्वाह क्या हमें तो ना डेली वेज में लगा रखा है ना कच्चो में है ना पक्का में है बस चल रही है गाड़ी अल्लाह भरोसे अगर ऐसा ही चलता रहा किसी दिन में अचानक बिना बताए दरगाह कमेटी का यह मुर्दाघर यह मैयत खाना छोड़ कर भाग जाऊंगा यह ढूंढते भी रह जाएंगे तो मिलूंगा नहीं
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