मैंने स्कूल के खेल के मैदान में एक स्थानीय फुटबॉल मैच देखा था।
वहा बैठने के बाद, मैंने एक लड़के से पूछा कि," स्कोर क्या है?"
उसने एक मुस्कान के साथ उत्तर दिया- "वे हमसे 3-0 से आगे चल रहे हैं।"
मैंने कहा, "सच में!"
"मेरे कहने का मतलब है कि आप निराश न हों।" मैंने उसे सांत्वना देने की कोशिश करी।
"निराश!!" लड़के ने हैरान नज़र से मुझे घूरा।
मैं निराश क्यों होऊँगा जबकि रेफरी ने खेल खत्म होने की अंतिम सीटी अभी तक नहीं बजाई है।
मुझे टीम और टीम प्रबंधकों पर पूरा विश्वास है, हम निश्चित रूप से विजय प्राप्त करेंगे।
वाकई, मैच उस लड़के की टीम के पक्ष में 5-4 से समाप्त हुआ।
उसने एक सुंदर मुस्कान के साथ धीरे से मेरी ओर हाथ हिलाया और चला गया।
मेरा मुँह आश्चर्य से खुला रह गया; ऐसा आत्मविश्वास; इतना जबरदस्त विश्वास!
उस रात जैसे ही मैं घर वापस आया, उसका सवाल मेरे मन में घूम रहा था:
"मुझे निराश क्यों होना चाहिए? जबकि रेफरी ने अंतिम सीटी नहीं बजाई है।"
जिंदगी एक खेल की तरह है....
अंत तक डटे रहो!
क्यों निराश होते हो, जबकि अभी जीवन बाकी है।
क्यों आशा खोते हो जबकि अभी अंतिम सीटी नहीं बजी।
सच्चाई यह है कि बहुत से लोग खेल समाप्ति की आखिरी सीटी खुद ही बजा देते हैं और हार मान लेते हैं।
जब तक जिंदगी है, कुछ भी नामुमकिन नहीं और तब तक आपके लिए कभी भी देर नहीं होती।
हाफ टाइम फुल टाइम नहीं होता।
स्वयं सीटी बजाकर कभी भी खेल को खत्म मत होने दे।
*"ख़ुद का आत्मावलोकन और आत्मविश्लेषण करते समय सतत सतर्क रहें कि मैं किस तरह से ख़ुद को अधिकाधिक सुधार सकता हूँ?"* अस्लामु वालेकुम, आपका दिन अच्छा हो। 💐💐
@Multani Samaj
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