Monday, May 10, 2021

इतिहास के पन्नों से, यह 1973 की बात है जब....... ....

 


पत्रकार अब्दुल क़ादिर मुलतानी

 इतिहास के पन्नों से........ 

यह 1973 की बात है अरब और इसराइल के बीच जंग होने वाली थी ऐसे में एक अमेरिकी सीनेटर एक अहम काम के सिलसिले में इसराइल आया था वह हथियार खरीद फरोख्त कमेटी का अध्य्क्ष भी था ,उसे फौरन इसराइल की वजीरे आजम गोल्ड मायर के पास ले जाया गया गोल्ड मायर ने एक घरेलू औरत की मानिंद सीनेटर का स्वागत किया और उसे अपने किचन में ले गयी, यहां उसने कमरे में सीनेटर को एक छोटे से डाइनिंग टेबल के पास कुर्सी पर बिठा कर चूल्हे पर चाय के लिए पानी रख दिया और खुद भी वहीं आ बैठी उसके साथ उसने तोपो ,जहाजों मिसाइलों बंदूकों बमों के सौदे की बात की अभी बात जारी ही थी कि उसे चाय पकने की खुशबू आई वह खामोशी से उठी और चाय दो कपों  में चाय भरकर एक प्याली सीनेटर  के सामने और दूसरी गेट पर खड़े अमरीकी गार्ड को  थमा दी और फिर दोबारा मेज पर आकर बैठ गयी और अमेरिकी सीनेटर से बात करने लगी चंद लम्हों के बाद भाव ताव तय हो गया  इस दौरान गोल्ड मायर उठी और दोनों कपों को उठाया और उन्हें धोकर वापस सिनेटर की तरफ पलटी और बोली मुझे यह सौदा मंजूर है आप लिखित वायदा के लिए अपने  सेक्रेटरी को मेरे सेक्रेटरी के पास भिजवा दें याद रहे इसराइल उस वक्त माली बहरान का शिकार था मगर गोल्ड मायर ने इतनी सादगी से इसराइल की तारीख में असलहे की खरीदारी का इतना बड़ा सौदा कर डाला हैरत की बात यह है कि खुद इसराइली कैबिनेट ने इस भारी सौदे को रद्द कर दिया उनका कहना था कि इस खरीदारी के बाद इसराइल को वर्षों तक दिन में एक वक्त खाने पर  इत्तेफाक रखना पड़ेगा गोल्ड गोल्ड मायर काबीना के लोगों की बात सुनी और कहा आपका कहना दुरुस्त है लेकिन अगर हम यह जंग जीत गए और हम ने अरबों को हरा दिया और भागने पर मजबूर कर दिया तो तारीख हमें फातेह करार देगी और तारीख में जब किसी कौंम को जीत का सेहरा पहनाया जाता है तो तारीख यह भूल जाती है जंग के दौरान जीतने वाले मुल्क के लोग या फौजी ने कितने खाने खाए अंडे खाए मटन खाए या भूखे रहे उसके दस्तरख्वान पर सहद मक्खन जाम था या नहीं उनके जूतों में कितने छेद है या उनकी तलवारों के नियाम कितनी फटी थी जीत सिर्फ जीत होती है गोल्ड मायर की दलील में वजन था इस्राइली केबिनेट को इस सौदे की मंजूरी देनी पड़ी और आने वाले वक्त में साबित कर दिया कि गोल्ड मायर का यह कदम दुरुस्त था और फिर दुनिया ने देखा उसी असलहा  बारूद और जहाजों से अरबों के दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे जंग हुई और अरब एक बूढ़ी औरत से शर्मनाक हार खा गए यह भी एक अजीब हकीकत है की उम्मत मुस्लिमों को बीसवीं सदी में टुकड़ों में तक्सीम कर देने में दो औरतों का हाथ रहा यानी अरबों को खत्म करने में गोल्ड मायर का और अजम को शिकस्त देने में इंदिरा गांधी का जंग के एक अरसा बाद वाशिंगटन पोस्ट के नुमाइंदे ने  गोल्ड मायर का इंटरव्यू लिया और सवाल किया अमेरिकी असला खरीदने के लिए आपके जहन में यह जो दलील आई थी वह फौरन आपके जेहन में आई थी यह पहले से हिकमत अमली तैयार थी गोल्ड मायर ने जवाब दिया यह जवाब चौंकाने वाला है वह बोली मैंने यह इस्तदलाल अपने दुश्मनों मुसलमानों के नबी 

#मोहम्मद_सल्लल्लाहो_अलेहे_वसल्लम से लिया था मैं जब पढ़ रही थी तो मजहब का मोवाज़ना मेरा पसंदीदा मौजू था उन्हीं दिनों में मैंने मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे  वसल्लम की संवाहे हयात पड़ी उस किताब में मुसन्निफ ने एक जगह लिखा था कि जब मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का वेसाल हुआ तो उनके घर में इतनी रकम नहीं थी कि चिराग जलाने के लिए तेल खरीदा जा सके लिहाजा उनकी बीवी आयशा सिद्दीका रजिअल्लाहो  ने उनकी जिरह बख्तर गिरवी रखकर तेल खरीदा लेकिन उस वक़्त भी मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम केे हुजरे की दीवारों में #नव_तलवार_लटक_रही_थी मैंने जब वाक्य पढ़ा तो मैंने सोचा कि दुनिया में कितने लोग होंगे जो मुसलमानों की पहली रियासत की कमजोर माली हालत के बारे में जानते होंगे लेकिन मुसलमानों ने आधी दुनिया फतह कर ली थी यह बात पूरी दुनिया जानती है इसलिए मैंने फैसला कर लिया कि अगर मुझे और मेरी कौंम को सालों भूखा रहना पड़े कच्चे मकानों में रहना पड़े जमीन पर खेमा बनाकर रहना पड़े तो भी मैं असलहा खरीदूंगी खुद को मजबूत साबित करने के लिए और फ़तह का एजाज पाने के लिए गोल्ड मायर ने इस हकीकत से पर्दा उठाया मगर साथ ही इंटरव्यू लेने वाले से अपील की इसे आफ रिकॉर्ड रखा जाए और इसे छापा ना जाए अखबारों में वजह थी कि मुसलमानों के नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का नाम लेने से जहाँ उसकी कौंम नाराज हो जाती वहीँ दूनियां के मुसलमानों के मौवक्कूफ को तकवीत मिलेगी, इस लिए वॉशिंगटन पोस्ट के नुमाइंदे ने यह वाकया हजम  कर लिया, फिर वक़्त धीरे धीरे गुजरता रहा यहाँ तक की ग़ोल्ड मायर का इंतेकाल हो गया और वह इंटरवियू लेने वाला भी मीडिया से दूर हो गया,,,, उस दौरान एक और नामा निगार  अमेरिका के बीस बड़े नामा निगारों के इंटरवियू लेने मर बीजी था ,,,,, उसी कड़ी में उस नामा निगार का नाम भी था जिस ने इसराइल की प्रधानमंत्री ग़ोल्ड मायर का इंटरवियू लिया था, जब इंटरवियू हुआ तो उस नामा निगार ने इस राज से  पर्दा उठाया की ग़ोल्ड मायर किस तरह से मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से प्रभावित थीं, उस नामा निगार ने यह कहा कि अब यह वाकया ब्यान करने में मूझे कोई शर्मिंदगी नहीं।

ग़ोल्ड मायर का बयान लेने वाले सहाफी ने कहा कि मैंने जब इस वाकये के बाद तारीखे  इस्लाम को पढ़ना चालू किया तो मैं अरब बददूओं की जंगी हिकमते अमलियां देख कर दंग रह गया हैरान हो गया,,,,, कियुं की मूझे मालूम हुआ की वह तारिक बिन ज़ेयाद जिसे जिब्राल्टर(जबल तारिक) के रास्ते स्पेन फतह किया था उसकी के आधे से ज़्यादा मुजाहिदों के पास पूरा लिबास भी नहीं था वह बहत्तर बहत्तर घण्टे एक छागल पानी और सूखी रोटी के चंद टुकड़ों पर गूजारा करते थे,,,,, यह वह मौका था जब ग़ोल्ड मायर का  ब्यान लेने वाला सहाफी कायल हो गया इस बात पर की

 तारीख फतूहात गिनती है दस्तरख्वान पर पड़े अंडे मटन मछली और जाम नहीं :

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