ट्रेन आती है, सवारियों को उतरने नहीं देंगे। खुद पहले घुसेंगे, कहीं ट्रेन चली न जाए..... कहीं हम रह ना जाएँ या कहीं हमें खिड़की वाली सीट ना मिले।
सड़क पर थोड़ी भी जगह दिख जाए कहीं भी, घुस जाएंगे, कुछ सेकंड में ही हॉर्न बजाने लगेंगे, चीखने-चिल्लाने लगेंगे, जैसे घर पर बम डीफ्यूज करने जाना है, एक सेकंड की भी देरी हुई तो ब्लास्ट हो जाएगा।
लॉकडाउन की बात हो तो बाज़ार में टूट पड़ेंगे सामान जमा करने के लिए, जैसे दुनिया खत्म हो रही हो।
किसी दिन 2-3% बाज़ार गिर जाए, तो बेचो, सब बेचो, जैसे निफ्टी-सेंसेक्स कल खत्म हो जाएंगे |
हमारी इसी आदत के कारण कोरोना भी कंट्रोल/मैनेज नहीं हो पा रहा।
केवल 2% लोगों को हॉस्पिटल में रखने, ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है, केवल 5% को रैम्डेसिवर की ज़रूरत होती है |
शुरू में तो प्राइवेट हॉस्पिटल पैसे कमाने के लिए लोगों को एडमिट होने के लिए बोलते थे, लेकिन अब लोग पैनिक की जकड़ में हैं। सोचते हैं, कहीं बाद में बेड न मिले, ऑक्सीजन न मिले!!! अपने लक्षण बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं और एडमिट होने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ तो नेता-मंत्री-कमिश्नर से जुगाड़ करके भी बेड ले रहे हैं।
ऐसे भी बहुत-से लोग हैं, जो बिलकुल स्वस्थ हैं, फिर भी 3-6 गुना ज़्यादा पैसा देकर इंजेक्शन खरीद रहे हैं, इस डर से कि बाद में अगर हो गया तो इंजेक्शन पता नहीं मिले ना मिले!!!
हमारी इन्हीं सब आदतों/हरकतों के कारण ही कमी है, वरना ज़रूरतमंदों के लिए कोई कमी नहीं होती |
जब आप घबराहट पैदा करने वाले पोस्ट विडियो/ फोटो शेयर करते हैं तो आप इसी को बढ़ावा देते हैं, कृपया ऐसा न करें |
◆ चिंता नहीं, जागरूकता फैलाएँ। सब चिताएं कोरोना की नहीं होतीं, हमारे देश में रोज़ाना 35 हज़ार लोगों की स्वाभाविक मृत्यु होती है |
◆ 99.4% लोग ठीक हो जाते हैं, लोगों का हौसला बढाएं , घबराहट नहीं |
एक जिम्मेदार और समर्पित नागरिक की तरह व्यवहार करें l
🙏🙏
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