आज बाजार की तरफ से किसी ज़रूरी काम से गुजरना हुआ ,बाजार का जो हाल देखा दंग रह गया ।इतना बुरा हाल है बन्द शटर के अंदर घुस कर खरीदारी कर रही औरतो को देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ ,क्या जहालत है ।ईद की खरीदारी कर रही है औरते ,मेरी समझ मे ये नही आ रहा ये औरते कौन सी ईद मना रही है ।
मस्जिदे बन्द है,काम धंधे बन्द पड़े है ,लोग घरों में कैद है ,पूरे देश मे लाशो का अंबार लगा है ,कफ़न के लिए कपड़ा नसीब नही हो रहा ये कौन है जो नए कपड़ो की खरीदारी कर रहे है ,कौन सी ईद मना रहे है ।
सब को पता है कोरोना से कितना बुरा हाल हुआ पड़ा है फिर भी जान जोखिम में डाल कर कौन सी ईद मना रहे है।क्या ईद अगर नही मनाएंगे तो मुसलमान नही रहोगे क्या ।
और ताज्जुब आता है उन मर्दो को देख कर जो मोटरसाइकिल पर अपनी औरतो को लिए सुनी पड़ी गलियों में धक्के खाते घूम रहे है ,फिर अपनी औरत को शटर के अंदर घुसा कर खुद बाहर खड़े है हिफाज़त के लिए ।ये मनायेगे ईद
खुदा ना करे इस तरह घरों से निकल रहे है कोई कोरोना की चपेट में आ गया तो मना लेना ईद इन नए कपड़ो के चक्कर मे कफ़न की तैयारी कर लेना ।
सम्भाल जाओ खुदा के वास्ते सम्भलजाओ ,ज़िंदगी रहेगी तो फिर मना लेना ईद ।
मेरी सभी ज़िमेदारो से गुजारिश है कि अपनी अपनी मस्जिदों से ऐलान करवाये की कोई भी मर्द या औरत ईद की खरीदारी ना करे बल्कि जो खर्च ईद के लिए करना है उससे किसी गरीब की मदद करे ।
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