Monday, August 23, 2021

मैं डाक्टर फातिमा हूं : कल एक ख़ुदकशी का इमरजेंसी केस आया , मरीज का नाम मुंतहा था


 वो एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की थी । बेहोशी में थी। उसको उठा कर उसके मां बाप ही लाए थे, मां बाप भी माशा अल्लाह बेहतरीन पर्सनैलिटी के मालिक थे मगर उस वक़्त बेटी के इस अमल ने उनकी हालत को क़ाबिल ए रहम बना रखा था। ट्रीटमेंट के बाद लड़की की हालत ख़तरे से बाहर थी। लड़की की मां को मैंने अपने ऑफिस में बुलवाया।लड़की की मां ने जो मुख़्तसर कहानी सुनाई वो कुछ यूं थी - मुंतहा ने टेक्सटाइल इंजीनियरिंग कर रखी है, पढ़ाई के बाद मुंतहा से शादी के मामले में उसकी पसंद के मुताल्लिक़ पूछा तो मुंतहा ने बाक़ी लड़कियों की तरह फैसले का अख़्तियार मां बाप को दे दिया। मुंतहा के मां बाप ने कहीं रिश्ते की बात चलाई तो एक फ़ैमिली मुंतहा को देखने आइई । नाश्ता पानी और ख़िदमात से मुस्तफीद होने के बाद औरतें  मुंतहा के कमरे में आईं ,किसी ने मुंतहा को चलकर देखने की फरमाइश की, किसी ने बोलने और किसी ने उसकी हाथ की चाय पीने की ख्वाहिश जाहिर की, इसके बाद कुछ रोज़ बाद बिना कोई बात बताए रिश्ते से इंकार कर दिया । मुंतहा के लिए ये पहली बार थी जब वह रिजेक्ट हुई। एक रोज़ फिर मुंतहा को देखने के लिए एक फ़ैमिली आई। उन्होंने भी खाने से फ़ारिग़ होने के बाद मुंतहा के हाथ से चाय पीने की फरमाइश ज़ाहिर की और चाय के बाद इजाज़त चाही , तीन दिन इंतज़ार में रखने के बाद ये कहते हुए इनकार कर दिया कि लड़की को मेहमान नवाजी नहीं आती  उसने लड़के की मां को टेबल से उठाकर हाथ में  चाय पेश नहीं की बल्कि आम मेहमानों की तरह टेबल पर रख दी । इस इनकार पर मुंतहा के साथ साथ इस बार वालिदैन भी अंदर टूट गए। फिर एक नई फ़ैमिली आई। उस फ़ैमिली की ख़वातीन के बैठते ही मुंतहा ने उनके जूते तक अपने हाथ से उतारे। वहीं बैठे बैठे हाथ धुलवाए और फिर चाय पेश की। उस फ़ैमिली ने हफ्ते भर बाद ये कहते हुए इनकार कर दिया कि  बेटी पर जिन्नात का साया है वरना कोई मेज़बान पहली बार घर आए मेहमान की इतनी ख़िदमात कहां करता है ? इस तरह आठ साल गुजर गए। कल एक फ़ैमिली आई उन्होंने मुंतहा को बाक़ी हर लिहाज़ से ठीक क़रार दिया मगर ये कहते हुए इनकार कर दिया कि मुंतहा की उमर ज़्यादा हो गई है और एहसान जताते हुए कहा के अगर आप ज़्यादा मजबूर हैं तो हमारा एक 38 साला बेटा जिसकी अपनी दुकान है उसके लिए मुंतहा को क़ुबूल कर लेते है । इतना कहते हुए मुंतहा की मां सिसकियां लेकर रोने लगी। उसके बाद से सारा दिन मुंतहा सीने से लगकर रोती रही , कहती रही इन लोगों के मेयार तक आते आते मेरी उमर ज़्यादा हो गई है और वह कहती थी कि मेरा मनहूस साया मेरी बहन को भी वालिदेन की दहलीज़ पर बूढ़ा कर देगा" । होश में आने पर सिसकते हुए मुंतहा ने कहा :- " पापा बेटियां बोझ होती हैं आपने क्यूं बचाया मुझे ?? मुझे मरने देते मेरा मनहूस साया इस घर से निकलेगा तो गुड़िया की शादी होगी, नहीं तो वह भी आपकी दहलीज़ पर पड़ी पड़ी बूढ़ी हो जाएगी" मुंतहा का बाप चुपचाप आंसू बहा रहा था जब मैंने हालात आउट ऑफ कंट्रोल होते देखे तो मुंतहा को नींद का इंजेक्शन दे दिया और मुंतहा के मां बाप को लेकर ऑफिस में आ गई। मैंने मुंताहा और उसकी छोटी बहन का रिश्ता अपने दोनो भाइयों  के लिए मांग लिया । मुंतहा के मां बाप की आंखें अचानक बरसने लगी मगर इस बार आंसू खुशी के थे। मेरे दोनों भाई पेशे से लंदन में डॉक्टर हैं, मैंने भाइयों और वालदेन की रज़ामंदी लेकर उनको अपना फ़ैसला सुना दिया  है और वह इसे क़ुबूल कर चुके हैं , आखिर में आप लोगों से गुज़ारिश करती हूं आप शादी लड़की से कर रहें होते हैं , हूर से नहीं , ख़ुदारा किसी की बेटी को रिजेक्ट करने से पहले उसकी जगह अपनी बेटी रख कर सोचें, मैं डॉक्टर होने कि हैसियत से कहती हूं अगर ऐब की बिना पर रिजेक्ट करना हो तो लड़कियों से दुगनी तादाद में लड़के रिजेक्ट हों, मुझसे दुनिया के किसी भी फोरम पर कोई भी बन्दा बहस कर ले मैं साबित कर दूंगी, मर्द में ऐब औरत से ज़्यादा है, मैं गुज़ारिश करती हूं अल्लाह के लिए किसी को बिला वजह ऐब ज़दा कह कर रिजेक्ट ना करो, आप अल्लाह की मखलूक के एबों पर पर्दा डाले, अल्लाह आख़िरत में आपके ऐबों पर पर्दा डालेगा ।

( क़ाज़ी इज्जतुल्लाह साहब की वाल से )

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