Saturday, October 18, 2025

🕌✨ "नाम में क्या रखा है?" — हमारी पहचान, हमारी बिरादरी! ✨

लेखक: ज़मीर आलम, विशेष संवाददाता – "मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय पत्रिका
(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत)


कहते हैं — “नाम केवल पहचान नहीं, एक इतिहास होता है।”
और यही बात आज हमारी मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

लंबे अरसे से एक सवाल लोगों के ज़ेहन में घूम रहा है —

हम अपने नाम के आगे क्या लिखें?
मिर्ज़ा, मुगल, बेग, मुल्तानी या कुछ और?


🌿 पहचान और परंपरा का रिश्ता

अगर हम अपने आस-पास देखें, तो हर बिरादरी की अपनी एक सामूहिक पहचान होती है।
उदाहरण के तौर पर, हमारे देश में बनिया समाज अपने नाम के साथ टाइटल लगाते हैं —
आहूजा, अग्रवाल, बंसल, बजाज, गोयनका, जिंदल, मोदी, मित्तल, सेठ, टंडन, ठक्कर, वाधवा आदि।
लेकिन जब उनसे पूछा जाए कि उनकी बिरादरी क्या है, तो सबका एक ही जवाब होता है —

“हम बनिया हैं।”

यही उदाहरण हमारी मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी पर भी बिल्कुल लागू होता है।


🔩 हमारे टाइटल – हमारी पहचान

हमारी बिरादरी भी अलग-अलग राज्यों और इलाकों में अलग-अलग टाइटल से जानी जाती है।
जैसे –
मिर्ज़ा, मुगल, बेग, मुल्तानी, पुँवार, भट्टी, लाजवान, नाकेदार, टांकीवाले, मोटियार, उस्ता, ख़ैरादी आदि।

इन नामों से चाहे कोई भी टाइटल जुड़ा हो, लेकिन रगों में बहता ख़ून और पहचान एक ही है —

हम मुस्लिम मुल्तानी लोहार हैं।


🛠️ नाम बदलने से नहीं, पहचान छिपाने से फर्क पड़ता है

आप अपने नाम के आगे कोई भी टाइटल लगाएँ — यह आपकी व्यक्तिगत पसंद है,
लेकिन असली फर्क तब पड़ता है जब हम अपनी बिरादरी का नाम ही नहीं बताते।

आज हमारी बिरादरी में कई लोग अपने नाम के साथ केवल
ख़ान, अहमद, अली, हुसैन जैसे सामान्य नाम लिखते हैं।
यह नाम हमारे धर्म का हिस्सा हैं, लेकिन हमारी बिरादरी की पहचान को नहीं दर्शाते।


🌟 अब वक़्त है — पहचान पर गर्व करने का

हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी से हैं —
एक ऐसी बिरादरी जिसने मेहनत, हुनर और ईमानदारी से समाज में अपनी जगह बनाई है।
हमारी पहचान को मज़बूती देने के लिए ज़रूरी है कि —

हर व्यक्ति अपने नाम के साथ अपनी बिरादरी का टाइटल ज़रूर लगाए।

क्योंकि टाइटल केवल एक शब्द नहीं होता —
यह हमारी विरासत, हमारी इज़्ज़त और हमारी इतिहास की निशानी है।


🕊️ एकता में ही सम्मान

अगर हम सब मिलकर अपनी पहचान को एक रूप में पेश करें,
तो आने वाली पीढ़ियों को भी यह गर्व से कहने में संकोच नहीं होगा कि —

“हम मुल्तानी लोहार हैं।”

एकता से ही इज़्ज़त मिलती है, और इज़्ज़त से पहचान कायम रहती है।


📜 रिपोर्ट
ज़मीर आलम
पत्रकार, “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय पत्रिका
📍 झिंझाना, शामली (उत्तर प्रदेश)
📞 8010884848
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#MultaniSamaj #MuslimLohar #BadhaiBiradari #BiradariEkta #ZameerAlam



Friday, October 17, 2025

🕊️ इंतेकाल की अफसोसनाक खबर 🕊️रशीदा बी — एक पाक रूह की रुख़्सती की दास्तान

निहायत ही रंजो-ग़म के साथ यह इत्तिला दी जाती है कि अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार बिरादरी की मोहतरमा रशीदा बी, अहलिया मरहूम मोहम्मद इस्लाम साहब, ने कल दिन जुमा, 17 अक्टूबर 2025, रात तक़रीबन 8 बजे इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह दिया।

मरहूमा की उम्र तक़रीबन 75 बरस थी। वो दिल्ली के आर.के. पुरम (हयात होटल की साइड में) अपने ख़ानदान के साथ रहती थीं — वही इलाका जो अब एक खामोश गवाह बन गया है, उनकी जुदाई की कड़वी हक़ीक़त का।

मरहूमा अपने पीछे चार फरज़ंद — मोहम्मद नईम, मोहम्मद नसीम, मोहम्मद शमीम और मोहम्मद वसीम — समेत पूरा कुनबा, रिश्तेदार और अज़ीज़-ओ-कारिब को अश्कबार छोड़कर रुख़्सत हो गईं।
हर आँख नम है, हर दिल में दर्द की टीस है।
लफ़्ज़ थम जाते हैं जब कोई कहता है — “रशीदा बी अब इस दुनिया में नहीं रहीं।”

आज, शनिचर 18 अक्टूबर 2025, मरहूमा का जनाज़ा उनके घर आर.के. पुरम से हजरत निजामुद्दीन के कब्रिस्तान ले जाया जा रहा है, जहां सुबह 11 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहले बिरादरी से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत करके सवाबे दारेन हासिल करें और मरहूमा की मग़फिरत की दुआ करें।
अल्लाह तआला मरहूमा की रूह को जन्नतुल फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता फरमाए और उनके अहले खानदान को सब्र-ए-जमील से नवाज़े — आमीन।

📞 तफ़सीलात के लिए राब्ता करें:
जनाब मोहम्मद वसीम साहब — 9871478641
जनाब अफ़ज़ाल मिर्ज़ा साहब — 8077790947


🌿 एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें 🌿

अक्सर ऐसा देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से या अधूरी पहुंचती है, जिससे जनाज़े में शरीक होने का मौका नहीं मिल पाता। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते वक्त इन नुक्तों का ख़ास ख्याल रखें —

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ स्थायी और वर्तमान पता स्पष्ट रूप में लिखें।
3️⃣ दफीने (दफनाने) का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार दो शख्सों के फोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम की तस्वीर भी भेजें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना जैसे माँ, बाप, भाई, बहन, औलाद वगैरह के नाम।

इन तमाम मालूमात से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी तक सही वक़्त पर पहुँचेगी ताकि हर शख्स दुआएं और ताज़ियत में शरीक हो सके।


🕊️

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका — “मुल्तानी समाज”

✍️ ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
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🌐 www.multanisamaj.com | www.msctindia.com
📧 multanisamaj@gmail.com



निहायत दुःख के साथ – हाजी यामीन साहब के इंतकाल की खबर

निहायत ही दुःख और अफ़सोस के साथ यह इत्तिला दी जा रही है कि हमारे प्यारे बिरादरी सदस्य, नेक दिल और मेहनती इंसान जनाब हाजी यामीन साहब (उम्र तकरीबन 78 साल), जो चिनाई मिस्त्री (ठेकेदार) और वल्द जनाब मिस्त्री सराजुद्दीन निवासी गांव ट्योढी, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश थे, का इंतकाल हो गया।

हाजी साहब अपने नेक और इमानदार क़रार, पांच वक्ता की नमाज़ की پابंदी और बिरादरी में सलीके से निभाई गई जिम्मेदारियों के लिए जाने जाते थे।

मिली जानकारी के अनुसार, 17 अक्टूबर 2025, रात तकरीबन 8 बजे हाजी यामीन साहब ने इस दुनियावी सफ़र को अलविदा कहा। उनके आखिरी दीदार और जनाज़ा कल, मरहूम की मय्यत को शहर बागपत में तकिए वाली मस्जिद के पास वाले कब्रिस्तान मे कल दिनांक 18/10/2025 शनिवार की सुबह 10 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

हम सभी बिरादराने इस्लाम से आग्रह करते हैं कि आप हजरात जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें। यदि आपके पास हाजी साहब के परिवार के किसी सदस्य का फ़ोन नंबर मौजूद है, तो कृपया खुद राब्ता कर लें और हमें भी सही जानकारी से आगाह कराएं ताकि खबर अपडेट की जा सके।

हाजी यामीन साहब के पूरे परिवार की सही जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है, इसलिए जो भी जानकारी हासिल हो सके, उसे साझा करना अहम है।

अल्लाह तआला हाजी यामीन साहब को जन्नतुल फ़िरदौस में ऊँचा मक़ाम अता फरमाए।
आमीन। सुम्मा आमीन।


इंतकाल की खबर भेजते समय खास हिदायतें

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर देर से पहुंचती है या अधूरी जानकारी होने के कारण लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, निम्न बातें ध्यान में रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और उनकी वल्दियत या पति का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और वर्तमान निवास स्थान)।
3️⃣ दफ़न का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (यदि बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाकी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माता-पिता, औलाद आदि।

इन जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोग सही-सही जानकारी के साथ जनाज़े में शरीक हो सकेंगे।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए
अली हसन मुल्तानी की ख़ास रिपोर्ट

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❀ मुल्तानी बिरादरी के लिए शोक एवं सूचना ❀

निहायत ही दुःख और गहरे रंज ओ ग़म के साथ आप सभी अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार और बढ़ई बिरादरी को यह इत्तिला दी जाती है कि

सोरगरो के बाड़े के पास, चमन चौराहा, भीलवाड़ा में
जनाब हाजी अब्दुल रहीम साहब उस्ता मुल्तानी के भाई अब्दुल मजीद साहब उस्ता की जोजा शाहिदा (जुलैखा बी) का कजा ए इलाही से इंतकाल हो गया है।

📿 दफ़न की जानकारी

मरहूमा का दफ़न आज, दिन जुमा, बा तारीख़ 17 अक्टूबर 2025, नमाज़ ए ईशा के बाद सुफ़ियान कब्रिस्तान में किया जाएगा।
सुपुर्दे खाक में शरीक होकर आप सभी हजरात सवाबे दारेन हासिल करें।

🤲 दुआएं

अल्लाह तआला मरहूमा की मगफिरत फरमाए, उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए और मरहूमा के घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन।


⚠️ अहम ऐलान: इंतकाल की खबर भेजते समय बरती जाने वाली हिदायतें

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुंचती है या अधूरी जानकारी होने के कारण लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से यह गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते समय इन बातों का ख़ास ख्याल रखा जाए:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता – कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ दफीन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने से शरीकत आसान होगी।


📰 मुल्तानी समाज की भूमिका

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज”
के लिए अबदुल कादिर मुल्तानी की खास रिपोर्ट।

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अदब, तहजीब और दफीने की दुआओं के साथ
हर पाठक और बिरादरी के सदस्य से निवेदन है कि अपने अहल-ए-ख़ाना और बिरादरी की जानकारी समय से साझा करें ताकि कोई भी सवाब या दुआ अधूरी न रहे।



Thursday, October 16, 2025

मोहम्मद ताहिर साहब के अचानक इंतेकाल की खबर ने पूरे मुजफ्फरनगर को ग़म और सदमे में डुबो दिया है।

निहायत ही अफ़सोस और रंज-ओ-ग़म के साथ तमाम बिरादराने इस्लाम और अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को यह इत्तला दी जाती है कि आज दिन जुमेरात, 16 अक्टूबर 2025 को

मोहम्मद ताहिर साहब वल्द मरहूम जनाब हकीमुद्दीन साहब (आरा मशीन वाले)
मक़ाम मोहल्ला मल्हूपुरा, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) का तकरीबन 65 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से इंतेकाल हो गया है।


🕯️ मरहूम की याद में

मरहूम मोहम्मद ताहिर साहब अपने नेक अख़लाक, सादगी और बिरादरी के प्रति हमदर्दी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हमेशा इंसानियत और एकता का पैग़ाम दिया। अपने पीछे वह अपनी अहलिया (पत्नी), एक बेटी और दो बेटों सहित पूरा कुनबा, रिश्तेदारों और अज़ीज़-ओ-क़रीब को रोता-बिलखता छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत हो गए।

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, उनकी कब्र को जन्नत का बाग़ बनाए,
और घरवालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन सुम्मा आमीन।


⚰️ सपुर्द-ए-ख़ाक का वक़्त

मरहूम की मय्यत को आज रात 11 बजे मोहल्ला मल्हूपुरा के स्थानीय कब्रिस्तान में सपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
सभी अहले बिरादरी, अज़ीज़-ओ-अहबाब और दोस्तों से गुज़ारिश है कि अधिक से अधिक तादाद में शामिल होकर मरहूम के लिए फ़ातेहा-ख़्वानी और दुआए मग़फिरत करें।


🕊️ घर में मातम का माहौल

यह भी निहायत अफ़सोस का मुकाम है कि सिर्फ़ चार दिन पहले (12 अक्टूबर 2025, इतवार) ही इसी घराने में एक और इंतेकाल हुआ था। अब चार दिन बाद परिवार में दूसरी मौत हो जाने से घर का माहौल ग़म और सदमे से भर गया है।
हर आंख नम है और हर दिल रंज में डूबा हुआ है।


📢 एक ज़रूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने के लिए एहम हिदायतें

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ या रिश्तेदार के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुंचती है या अधूरी जानकारी के कारण लोग जनाज़े में शामिल नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की तरफ़ से तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो निम्न बातों का ख़ास ख्याल रखें —

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता — कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे।
3️⃣ दफ़नाने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख़्स के एक-दो फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है, तो मरहूम का हालिया फ़ोटो शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना — जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद आदि के नाम।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों तक सही और वक़्त पर जानकारी पहुंचेगी।


✍️ रिपोर्टर: ज़मीर आलम, प्रधान-संपादक — “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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Wednesday, October 15, 2025

🌹 بسم اللہ الرحمن الرحیم, "अन्निकहों मिन सुन्नती" — निकाह मेरी सुन्नत है💖

दुआएं हम भी करते हैं, दुआएं आप भी दे जाना,

मोहब्बत से बुलाया है, मोहब्बत से चले आना। 💖


🌹 तहरीर-ए-इश्क़ 🌹

अहले मुल्तानी बिरादरान की ख़िदमत में अदब और तहज़ीब के साथ पेश है —

कहते हैं कि निकाह सिर्फ़ दो दिलों का मिलन नहीं, बल्कि दो ख़ानदानों की मोहब्बत, इज़्ज़त और दुआओं का संगम होता है।
इसी पाक रिवायत को निभाते हुए, अल्लाह के फज़ल और हमारे प्यारे आका ﷺ के सदक़े से, पूवार ख़ानदान भीलवाड़ा (राजस्थान) में खुशियों की सौग़ात लेकर आया है।


🌸 मुबारक निकाह का एलान 🌸

नेक फरजंद: मोहम्मद रिज़वान इब्ने मोहम्मद इलयास पूवार (घाटी वाले, भीलवाड़ा)
हमराह: नेक दुख्तर शाइस्ता नूर बिन्ते मोहम्मद उमर साहब पूवार (पारोली)

और

नेक दुख्तर: रेहाना बी बिन्ते मोहम्मद इलयास पूवार (घाटी वाले, भीलवाड़ा)
हमराह: नेक फरजंद मोहम्मद इमरान इब्ने मोहम्मद उमर साहब पूवार (पारोली)


🌹 प्रोग्राम इंशाअल्लाह 🌹

📅 तारीख़: 23 जमादिल अव्वल 1447 हिजरी
🗓 मुताबिक़: 15 नवम्बर 2025 (शनिवार)

🕔 निकाह: बाद नमाज़-ए-असर
🍽 दावत-ए-तआम: बाद नमाज़-ए-मगरिब

📍 मुकाम: चारबत्ती चौराहा, पारीक छात्रावास के पास, गुल अली नगरी, भीलवाड़ा (राजस्थान)


🤲 गुज़ारिश

दुआ है कि आप तमाम अहबाब और अहले बिरादरी अपनी नेक दुआओं और मोहब्बत के साथ इस खुशी के मौके को रौनक बख्शें।
आपकी दुआएं ही इन नए जोड़ों की ज़िंदगी में बरकत और सुकून का सबब बनें।


🌿 अद्दाईयान:

अब्दुल हमीद (बाबू भाई), मोहम्मद हाशिम, मोहम्मद इलयास, मोहम्मद उस्मान, जाकिर हुसैन, अनवर हुसैन, आबिद हुसैन, शाकिर हुसैन और समस्त पूवार ख़ानदान, घाटी वाले

🌿 अलमुकल्लेफिन:

मोहम्मद अकरम, मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद वसीम (भोला) एवं जुम्ला पूवार ख़ानदान, घाटी वाले

🌿 चश्मे बराह:

मोहम्मद अयान, मोहम्मद सरान, मोहम्मद वासिप

🌿 नन्ही गुज़ारिश:

अलसबा नूर, मोहम्मद फरहान, मोहम्मद अफ़्फान, उज्मा नूर, अक्सा नूर, मिस्बाह नूर, साहिबा नूर, इरम फ़ातिमा, अजवा नूर


📞 मो. नं. 7339976956
🏠 पता: सांगानेरी गेट, गुल अली नगरी, गली नं. 6, भीलवाड़ा (राज.)


✍️ रिपोर्ट: ज़मीर आलम

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र पत्रिका — "मुल्तानी समाज"

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🌸 यह निकाह की तहरीर, मोहब्बत, इज़्ज़त और तहज़ीब की खुशबू से महकती रहे —
अल्लाह इन दोनों जोड़ों के दरमियान रहमत, सुकून और बरकत कायम रखे। आमीन।
🌸



💥 “मुल्तानी डे” या “गबन-डे”? — बिरादरी के नाम पर फंड हेराफेरी से मचा बवाल

📍 बड़ौत, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश)

✍️ पत्रकार — अलीहसन मुल्तानी 
(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत राष्ट्रीय पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए विशेष रिपोर्ट)


उत्तर प्रदेश के जिला मुज़फ्फरनगर के कस्बा खतौली में सक्रिय एक कथित संस्था पर बिरादरी के नाम पर फंड इकट्ठा कर धन हेराफेरी करने और समाज के लोगों में फूट डालने का गंभीर आरोप सामने आया है।
इस संस्था ने “मुल्तानी डे” के नाम से आयोजित कार्यक्रमों को अब समाज के जागरूक वर्ग ने “गबन-डे” कहना शुरू कर दिया है।


💰 फंड के नाम पर हुआ खेल

सूत्रों के अनुसार, इस संस्था ने मुल्तानी बिरादरी के नाम पर बड़ी धनराशि एकत्र की।
परंतु जब फंड के उपयोग और हिसाब-किताब पर सवाल उठे तो संस्था ने विरोध करने वालों की आवाज दबा दी।
कई सदस्यों को ग्रुप से हटाया गया, पोस्ट डिलीट की गईं, और कुछ के नाम पर “पीला निशान” लगाकर उनकी सदस्यता को निष्क्रिय कर दिया गया।

आरोप है कि संस्था को एक पेड मेंबरशिप सेंटर में तब्दील कर दिया गया है, जहां सवाल पूछना “अपराध” बन गया है।


⚠️ नेतृत्व की आड़ में निजी स्वार्थ

समाज की कुछ वरिष्ठ हस्तियों को गुमराह कर इस संस्था ने नेतृत्व के नाम पर इलेक्शन का नाटक रचा।
कई स्थानों पर 10-20 लोगों में ही चुनाव दिखा दिए गए, जबकि संबंधित क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में मुल्तानी आबादी मौजूद है।
कहीं-कहीं तो निर्विरोध सदर बना दिए गए — जैसे विपक्ष का अस्तित्व ही न हो।


🔥 अंधभक्ति और टकराव का खतरा

विरोध करने वालों को संस्था विरोधी कहकर निशाना बनाया गया, और युवाओं को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया गया।
अब स्थिति यह है कि समाज के भीतर एक बारूद की परत बिछ चुकी है, जिसे किसी भी समय एक चिंगारी खूनी रंजिश में बदल सकती है।


🕊️ “गबन-डे” का विरोध

कई जागरूक मुल्तानी इस तथाकथित “मुल्तानी डे” को “गबन-डे” कहकर इसका खुला विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि यह कार्यक्रम बिरादरी के नाम पर विश्वास का व्यापार बन चुका है।
उन्होंने समाज से अपील की है कि वह ऐसी संस्थाओं से दूरी बनाकर पारदर्शिता और एकता की राह अपनाएं।


🙏 समाज से अपील

मुल्तानी समाज हमेशा इज्ज़त, तहज़ीब और एकता के लिए जाना जाता है।
अब समय है कि हर सच्चा मुल्तानी इस स्थिति को समझे और साजिशों के शिकार बनने से बचे।
एकता में ही समाज की ताकत है — और यही आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ी पूंजी।


📞 रिपोर्टर: अली हसन मुल्तानी 
स्थान: बड़ौत, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश)
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💰 “गबन-डे” की हकीकत : जब बिरादरी के नाम पर हुआ विश्वास का व्यापार

रिपोर्ट — मोहम्मद वसीम, देवबंद (जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए विशेष लेख


बिरादरी के नाम पर एकता, सम्मान और विकास की बातें करना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल है उन भावनाओं को सहेजना — और उससे भी कठिन है, उन्हें छलावे से बचाना।
उत्तर प्रदेश के जिला मुज़फ्फरनगर के कस्बा खतौली से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे मुल्तानी समाज को झकझोर कर रख दिया है।


⚠️ “गबन-डे” के नाम पर ठगी का तमाशा

समाज में एक कथित संस्था ने “मुल्तानी डे” के नाम से ऐसा खेल रचा, जिसने अब “गबन-डे” का रूप ले लिया है।
यह संस्था समाज की भलाई के नाम पर फंड इकट्ठा करती रही, लेकिन धीरे-धीरे इस फंड का उपयोग निजी स्वार्थों और व्यक्तिगत लाभ के लिए होने लगा।

कई वरिष्ठ और जागरूक लोगों ने जब सवाल उठाए — तो उन्हें न सिर्फ नज़रअंदाज़ किया गया, बल्कि “अवांछित सदस्य” घोषित कर ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
जो चुप रहे, उन्हें अंधभक्ति की चाशनी में डुबो दिया गया, और जो बोले — उन्हें समाज का विरोधी करार दे दिया गया।


🧩 संगठन या निजी कारोबार?

बिरादरी की भलाई के नाम पर शुरू हुआ यह संगठन अब “पेड मेंबरशिप सेंटर” बन चुका है।
जो सदस्य राशि अदा नहीं कर पाए, उन्हें ग्रुप से निकाल दिया गया, और जिन्होंने सवाल उठाए — उनके नाम पर पीला निशान लगा कर उनकी सदस्यता ठंडी अलमारी में रख दी गई।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
धनराशि बढ़ने के साथ लालच भी बढ़ा।
आपसी रंजिशें, फर्जी एफिडेविट, और बंद कमरों में सैटिंग-गैटिंग की राजनीति ने बिरादरी की एकता को तोड़ने का काम किया।


🔥 बारूद पर बैठा समाज

कई सीनियर लोग आज भी भ्रम में हैं कि वे समाज की सेवा कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि उनके कंधों का इस्तेमाल एक निजी एजेंडे के लिए किया जा रहा है।
जो युवा बिरादरी की अच्छाई के लिए सोचते हैं, उन्हें एक-दूसरे के सामने खड़ा कर दिया गया है — ताकि सच्चाई कभी सामने न आ सके।

यदि यह स्थिति यूं ही बनी रही तो यह टकराव खूनी रंजिश का रूप ले सकता है — और तब नुकसान सिर्फ व्यक्तियों का नहीं, पूरे समाज का होगा।


🕊️ समाज को चाहिए पारदर्शिता, न कि तमाशा

हर सच्चे मुल्तानी को आज यह समझना होगा कि बिरादरी का नाम किसी की निजी मिल्कियत नहीं है।
कोई भी संस्था या ग्रुप समाज की आवाज़ को दबाकर अपनी मर्ज़ी नहीं चला सकता।
“मुल्तानी डे” जैसे आयोजनों का नाम बदलकर “गबन-डे” कर देना किसी के विरोध का नहीं, बल्कि सच्चाई का बयान है।


🙏 अंत में एक अपील

मुल्तानी समाज हमेशा अपनी इज्ज़त, तहज़ीब और एकता के लिए जाना गया है।
यह आवश्यक है कि हम इस साजिश को पहचानें, समझें और समाज की भलाई के लिए एकजुट हों।
सवाल विरोध का नहीं, विवेक और जिम्मेदारी का है — क्योंकि समाज का भविष्य हम सबके हाथ में है।


📍रिपोर्टर: मोहम्मद वसीम
स्थान: देवबंद, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)
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#MultaniSamaj #गबन_डे #सच्चाई_का_सामना #मुल्तानी_एकता



🚨 साइबर जागरूकता माह में खतौली में चला अभियान — पुलिस, साइबर सेल और समाज का अनोखा संगम

लेखक: ज़मीर आलम, “सलाम खाकी” के लिए खास रिपोर्ट

स्थान: खतौली, जनपद मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)


अक्टूबर माह को पूरे देश में “साइबर जागरूकता माह” के रूप में मनाया जा रहा है। इसी क्रम में मुजफ्फरनगर जनपद के खतौली क्षेत्र में एक उल्लेखनीय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसने पुलिस प्रशासन, साइबर सेल और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग की मिसाल पेश की।

कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री संजय कुमार वर्मा के कुशल मार्गदर्शन और पुलिस अधीक्षक अपराध श्रीमती इंदु सिद्धार्थ के नेतृत्व में किया गया। उनके निर्देशन में साइबर सेल की टीम लगातार क्षेत्र में अभियान चला रही है, ताकि आम जनता को डिजिटल युग में बढ़ते साइबर अपराधों से बचाव की जानकारी मिल सके।


📱 खतौली में जुटा जनसमूह — साइबर सुरक्षा पर दी गई अहम जानकारी

खतौली में आयोजित इस जागरूकता अभियान में साइबर थाने के इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार, सब इंस्पेक्टर धर्मराज और हेड कांस्टेबल अवधेश कुमार ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने सरल भाषा में समझाया कि आज के समय में ऑनलाइन ठगी, फिशिंग, OTP फ्रॉड, बैंकिंग स्कैम, फर्जी वेबसाइट और सोशल मीडिया हैकिंग जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की कि—

  • किसी भी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें,
  • किसी अनजान व्यक्ति को व्यक्तिगत या बैंकिंग जानकारी साझा न करें,
  • और किसी भी प्रकार की साइबर ठगी की स्थिति में तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं।

🤝 सामाजिक संस्थाओं का योगदान — जागरूकता ही असली सुरक्षा

इस अभियान में आधारशिला सेवा संस्थान और मुल्तानी वेलफेयर एसोसिएशन ने सक्रिय भागीदारी निभाई। दोनों संस्थाओं के पदाधिकारियों ने कहा कि साइबर अपराध से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका “जागरूकता” है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ऐसे कार्यक्रमों को निरंतर आयोजित किया जाना चाहिए ताकि गांव-गांव और शहर-शहर तक साइबर सुरक्षा की जानकारी पहुंच सके।


🌐 एक संकल्प, एक संदेश — “सुरक्षित रहें, सतर्क रहें”

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने पुलिस प्रशासन और सहयोगी संस्थाओं के इस प्रयास की सराहना की और यह संकल्प लिया कि वे स्वयं भी अपने आसपास के लोगों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करेंगे।

यह आयोजन न केवल डिजिटल अपराधों से सुरक्षा का संदेश देने वाला था, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि जब पुलिस प्रशासन और समाज एकजुट होकर काम करते हैं, तो जनहित के बड़े उद्देश्य को सहजता से प्राप्त किया जा सकता है।


पुलिस विभाग को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका — “सलाम खाकी”
📍 मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से पत्रकार ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
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Tuesday, October 14, 2025

फर्जी मुल्तानी-डे की साज़िश! बिरादरी के नाम पर धोखा या दिखावा?

ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट | "मुल्तानी समाज" (दिल्ली से प्रकाशित)

(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत)

सहारनपुर /मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश):
बिरादरी के नाम पर चल रही एक तथाकथित "राष्ट्रीय संस्था" की करतूतों ने मुल्तानी समाज के होश उड़ा दिए हैं। बताया जाता है कि यह संस्था सहारनपुर में रजिस्टर्ड है, मगर जब भी रजिस्ट्रेशन नंबर मांगा गया, जवाब में मिला — "अभी नहीं बताया जा सकता!"

हैरत की बात तो यह है कि यह संस्था सन 2017 में बनी, और वर्ष 2022 में इसका रजिस्ट्रेशन व मान्यता दोनों खत्म हो चुकी हैं। इसके बावजूद इनके "आका" खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संगठन के पदाधिकारी राष्ट्रीय पदाधिकारी बताते नहीं थकते।

अब सवाल यह उठता है — किसने इन्हें यह हक़ दिया कि वो पूरे मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी के नाम पर कोई “मुल्तानी-डे” घोषित करें?

और अगर किया है, तो उसका सबब क्या है?
सैकड़ों दफ़ा पूछने पर भी इस दिन का कोई तर्क, कोई वजह आज तक किसी को नहीं बताई गई।

जनता का ग़ुस्सा इतना बढ़ गया कि लोग इनका विरोध करने, इनके प्रोग्राम स्थल पर धरना देने को तैयार हो गए थे। मगर समझदार समाज के बुज़ुर्गों ने सोच-समझकर फिलहाल टकराव से बचने की सलाह दी — ताकि पहले बिरादरी को जागरूक किया जा सके और फिर पूरी सच्चाई सामने लाकर जवाब मांगा जाए।

दरअसल, यह पूरा खेल "जनता को मूर्ख बनाकर समाज से ऐंठे गए रुपयों को ठिकाने लगाने" का है। इस संस्था के पास न कोई समाजसेवी योजना है, न कोई कल्याणकारी खाका। जो भी कुछ है, वह बस दिखावा और प्रचार है।

सूत्रों के मुताबिक़, पहले 15 अक्टूबर को होने वाले इस कथित “मुल्तानी डे” में केवल ₹600 पैड मेंबरों को ही बुलाया गया था। जब विवाद बढ़ा, तो "पैसे देने वालों" की बात छिपा दी गई, मगर निमंत्रण फिर भी उन्हीं को मिला जिनसे पैसा ऐंठा गया था।
अब कहा जा रहा है कि बिरयानी और कोरमा से लोगों की याददाश्त मिटाई जाएगी — "जो दावत खाएगा, वो हिसाब भूल जाएगा!"

अरे भाई, 600 रुपए की दावत के लिए अपनी बिरादरी की इज़्ज़त और एकता मत बेचो!
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब हमारी बिरादरी के नहीं थे — वो पूरे हिंदुस्तान के थे, हैं और रहेंगे!
अगर वाक़ई उनका सम्मान करना है, तो ऐसे करो कि हर मज़हब, हर बिरादरी का भाई उस महफ़िल में शामिल हो सके — न कि सिर्फ़ कुछ चंद लोगों की साज़िशी सभा बन जाए।

यह संस्था "मिसाइल मैन" के नाम पर मुल्तानी समाज को बाँटने की नापाक कोशिश कर रही है। “मुल्तानी-डे” या “मिर्ज़ा मुल्तानी डे” जैसे नाम देकर समाज को गुमराह किया जा रहा है — ताकि असली मुद्दों, बेरोज़गारी, शिक्षा और कल्याण के सवालों से ध्यान भटकाया जा सके।

भाइयों! अब वक्त है जागने का —
अपनी मेहनत की कमाई और बिरादरी के चंदे को इन फर्जी संगठनों के हवाले मत करो।
मांगो जवाब — कहाँ गया हमारा पैसा, और क्या मिला समाज को?


"मुल्तानी समाज" — बिरादरी की आवाज़, सच्चाई की पहचान।
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#MultaniSamaj #ExposeFakeOrganization #MuslimMultaniLohar #BhaiChara #Awareness



🌙 इंतेक़ाल की दर्दनाक ख़बर — अहले इस्लाम से फ़ातिहा की दरख़्वास्त 🌙

निहायत ही अफ़सोस और रंज-ओ-ग़म के साथ अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को यह इत्तिला दी जाती है कि आज दिन मंगल, 14 अक्टूबर 2025 को

गांव टयोढी (ज़िला बागपत, उत्तर प्रदेश) के मुहतरम हाजी मोहम्मद सफ़ी साहब (टयोढी वालों) के फ़रज़ंद जनाब मोहम्मद इलियास साहब की अहलिया का तकरीबन 50 साल की उम्र में इंतेक़ाल हो गया है। मरहूमा अपने पीछे अपनी शौहर सहित 3 लड़के और 2 लड़कियों और पूरे कुनबे, खानदान और रिश्तेदारों सहित तमाम अजीज - ओ - क़ारिब को रोता बिलखता छोड़कर इस फ़ानी दुनियां को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह गई ।

💔 इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन 💔

अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फिरत फ़रमाए, उनकी कब्र को नूर से मुनव्वर करे और उनके घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए — आमीन सुम्मा आमीन।

मय्यत को नमाज़-ए-ईशा के बाद सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
लिहाज़ा तमाम अहले बिरादरी से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें।

🕊️ एक ज़रूरी ऐलान — इंतेक़ाल की खबर भेजने के लिए अहम् हिदायतें 🕊️
अक्सर यह देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतिक़ाल की खबर बिरादरी तक देर से या अधूरी पहुंचती है, जिससे लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इसलिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतेक़ाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख़याल रखें👇

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम व वल्दियत / शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता (मूल और वर्तमान निवास)
3️⃣ दफ़न का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख़्स के संपर्क नंबर
5️⃣ मर्द मरहूम की तस्वीर (अगर मुनासिब समझें)
6️⃣ इंतिक़ाल की वजह (अगर साझा करना उचित हो)
7️⃣ परिवार के अन्य सदस्यों के नाम

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल और भरोसेमंद बनेगी, जिससे बिरादरी के लोगों तक सही जानकारी और समय पर खबर पहुँच सकेगी।

📜 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत
🇮🇳 देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका
“मुल्तानी समाज”

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#MultaniSamaj #IntekalKiKhabar #FatihaKiDarkhwast #MuslimBiradari #Baghpat #Tyoḍhi #DuaForMaghfirat #MusalmanEkta

💔 “जवान उम्र में रुख़्सत हुई जिंदगी… दो मासूमों की मां छोड़ गई दुनिया” 💔गंगोह में मातम की लहर — बिरादरी ग़मगीन, दुआओं में उठे हाथ

निहायत ही अफसोस और रंज के साथ अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को यह इत्तला दी जाती है कि आज दिन मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025 को मरहूम मकसूद साहब के फरज़ंद मोहम्मद शादाब की अहलिया का तकरीबन 30 वर्ष की उम्र में इंतकाल हो गया।

मरहूमा पिछले एक सप्ताह से बीमारी से जूझ रही थीं और दो नन्हे मासूम बच्चों की मां थीं। किसे पता था कि मुस्कुराती हुई ये जिंदगी यूँ अचानक थम जाएगी...

घर की रौनक और बच्चों की ममता अब सिर्फ यादों में रह गई।
मरहूमा अपने पीछे शौहर, दो छोटे बच्चों, पूरा कुनबा, रिश्तेदारों और बिरादरी के असंख्य चाहने वालों को ग़म में छोड़ गईं।

मय्यत का पता: फकीरा जर्राह वाली गली, मोहल्ला कोटला, क़स्बा गंगोह, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)।
नमाज़-ए-जनाज़ा: बाहर वाली मस्जिद में नमाज़-ए-असर के फौरन बाद अदा की जाएगी।
दफन: इमाम साहब वाले कब्रिस्तान में किया जाएगा सुपुर्द-ए-ख़ाक

तमाम अज़ीज़-ओ-अक़ारिब और अहले बिरादरी से दरख्वास्त है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाब-ए-दारेन हासिल करें।

🕊️ अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फिरत फरमाए, उन्हें जन्नत-उल-फिरदौस में आला मक़ाम अता करे, और घरवालों को सब्र-ए-जमील बख़्शे। आमीन। 🤲

रब्त व मालूमात के लिए:
📞 जनाब मोहम्मद सदाकत साहब — 9760978656


🕯️ एक ज़रूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने की अहम् हिदायतें

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी के कारण लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख्वास्त करती है कि खबर भेजते समय इन बातों का ख़ास ख्याल रखें👇

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहाँ के रहने वाले थे और इस वक्त कहाँ रह रहे थे)।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स के एक-दो मोबाइल नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ हो तो मरहूम का फोटो ज़रूर शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना — जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद आदि।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों तक सही समय पर पहुँच सकेगी।


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका — “मुल्तानी समाज”

📍खास रिपोर्ट: जनाब मोहम्मद सदाकत, गंगोह, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)
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Monday, October 13, 2025

🌙 अगर हक़ लिखना बग़ावत है — तो हाँ, हम बाग़ी हैं!

✍️ ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए)


पैदायशी इंजीनियर और मुस्लिम मुल्तानी लोहार बिरादरी की शान,
"मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि0)" — कोई आम तंजीम नहीं, बल्कि बिरादरी की वह क्रांतिकारी आवाज़ है जिसने मुल्तानी नाम को दुनिया के हर कोने तक रोशन किया है।

मगर अफ़सोस, जब सूरज चमकता है तो उसकी रौशनी से कुछ अंधे भी परेशान हो जाते हैं।
ठीक वैसे ही, हमारी इस तंजीम की कामयाबी देखकर खतौली (मुजफ्फरनगर) के एक खुराफाती शख़्स ने 2018-19 में सहारनपुर से एक दूसरी तंजीम का रजिस्ट्रेशन कराकर बिरादरी के नाम पर ठगी और फरेब की एक नई कहानी लिखनी शुरू की।


इनकी “हिम्मत” की दाद देनी पड़ेगी जनाब — इस तंजीम में कुछ ओहदेदारो के
चेहरों पर दाढ़ी, हाथ में तस्बीह, ज़ुबान पर हमदर्दी, और दिल में हठधर्मिता का ज़हर!
ऐसे ऐसे जिम्मेदार लोग जिन पर बिरादरी को नाज़ था —
वही आज बिरादरी के जज़्बातों की सौदेबाज़ी करते नज़र आते हैं।

यह वो लोग हैं जिन्होंने दिल्ली के ग़ालिब ऑडिटोरियम में
बिना सरकारी इजाज़त,
झूठ और फरेब से लबरेज़
गैरकानूनी प्रोग्राम कराकर न सिर्फ़ दिल्ली पुलिस की आंखों में धूल झोंकी,
बल्कि पूरी बिरादरी को बारूद के ढेर पर बैठाने का गुनाह किया।


इनके झूठे दावों का आलम ये है कि आज तक दिल्ली रजिस्ट्रेशन का कोई सबूत,
कोई सर्टिफिकेट,
कोई वैध दस्तावेज़
बिरादरी के सामने पेश नहीं कर पाए।
सिर्फ़ झूठी बयानबाज़ी, दिखावे की शान और दान-चंदे की दुकानें चलाने में मशगूल हैं।


हम किसी शख़्स से अदावत नहीं रखते,
लेकिन जो कौम के नाम पर गद्दारी करेगा,
उससे मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि0) हर सूरत में जवाबतलबी करेगा।

कौम के साथ फरेब करने वालों को हम उनकी औक़ात दिखाएंगे,
भले ही इसके लिए हमें अपनी जान की कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।
क्योंकि —
👉 हम झूठ के ताजदार नहीं, हक़ के पहरेदार हैं।


मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट हर उस तंजीम के साथ है
जो बिरादरी के लिए सच्चे दिल से काम कर रही है।
लेकिन अगर कोई हमारे ही प्रोजेक्ट चुराकर,
नाम बदलकर,
बिरादरी को ठगने की कोशिश करेगा —
तो हम खामोश नहीं बैठेंगे।

अब झूठ, फरेब और दिखावे का दौर ख़त्म —
बिरादरी को चाहिए एकता, इमानदारी और अमल की सच्चाई।


जो झूठे हैं, वो जान लें —
आज बिरादरी आपकी तारीफ़ में तालियां बजा रही है,
कल यही बिरादरी आपको दौड़ा-दौड़ा कर जवाब देगी।
क्योंकि मुल्तानी बिरादरी अब जाग चुकी है,
अब उसे झूठी तंजीमों और दिखावटी हमदर्दों की नहीं,
हक़ और सच्चाई की पहचान चाहिए।


📜
"मुल्तानी समाज"
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत,
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुस्लिम मुल्तानी लोहार और बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका।

रिपोर्टर: ज़मीर आलम
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🔥 “नकली मुल्तानी-डे” की साज़िश! — बिरादरी को तोड़ने की ओछी कोशिश या सस्ती शोहरत की भूख? 🔥

✍️ ख़ास रिपोर्ट — ज़मीर आलम मुल्तानी

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत राष्ट्रीय पत्रिका “मुल्तानी समाज” से विशेष लेख


बिरादरी को जोड़ने के नाम पर तोड़ने की राजनीति अब हद से आगे बढ़ चुकी है। अफ़सोस की बात है कि “मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (रजि0)” की मेहनत, लगन और 14 सालों की सच्ची सेवा भावना पर अब कुछ लोग अपनी सस्ती लोकप्रियता का ठप्पा लगाने में जुट गए हैं।

जिन्होंने कभी बिरादरी के लिए एक पंक्ति तक नहीं लिखी, न कोई योजना चलाई — वही आज “मुल्तानी-डे” के नाम पर झूठ और दिखावे का ताज पहनकर सामने आ रहे हैं। क्या यही है बिरादरी का उत्थान?


🕋 असल “मुल्तानी-डे” की सच्चाई क्या है?

यह जानना हर अहले मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादर का फर्ज़ है कि “मुल्तानी-डे” कोई हवा में बना हुआ दिन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित ऐतिहासिक पहल है।
साल 2011 में दिल्ली से रजिस्टर्ड “मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट (MSCT)” ने इस बिरादरी की नींव डिजिटल दौर में रखी।

फिर 12 नवंबर 2013 को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से “मुल्तानी समाज” नाम की राष्ट्रीय पत्रिका को आधिकारिक रूप से पंजीकृत कराया गया — ताकि हर कोने में फैले मुल्तानी भाई-बहन एक झंडे तले जुड़ सकें।

इसी तंजीम ने देशभर में डिजिटल क्रांति लाते हुए
📱 व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और वेबसाइटों के ज़रिए बिरादरी को संगठित किया।
🌐 www.multanisamaj.com और www.msctindia.com इसके साक्षात प्रमाण हैं।


🌹 “मुल्तानी-डे” का मकसद और मिशन

हर साल 12 नवंबर को “मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट” द्वारा “मुल्तानी-डे” मनाया जाता है।
इस दिन का असल मकसद —
🤝 बिरादरी को जोड़ना,
💍 गरीब लड़कियों की शादियाँ कराना,
🌳 और समाज में एकता, शिक्षा व पर्यावरण का संदेश फैलाना है।

दिल्ली, यूपी, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और उत्तराखंड की सरकारों को इस दिन को सरकारी स्तर पर मान्यता देने हेतु लिखित प्रस्ताव भेजे गए हैं।


⚠️ लेकिन अब क्या हो रहा है?

आज कुछ लोग बिना किसी सरकारी अनुमति, बिना तंजीम की मंज़ूरी,
“मुल्तानी-डे” जैसे पवित्र नाम को निजी प्रचार का ज़रिया बना रहे हैं।

मुजफ्फरनगर ज़िले के खतौली कस्बे में एक तथाकथित “तंजीम” ने 15 अक्टूबर को खतौली जिला मुजफ्फरनगर में कभी “मुल्तानी-डे”  और कभी "मिर्ज़ा मुल्तानी - डे मनाने का ऐलान करके बिरादरी में टकराव पैदा कर दिया।

भाईचारे की जगह अब मंच पर नारे लग रहे हैं,
सेवा की जगह अब सेल्फी की राजनीति हो रही है,
और जिस मिशन को जोड़ने के लिए MSCT ने दिन-रात एक किया —
उसे नकल और दिखावे की भेंट चढ़ाया जा रहा है।


🕌 एक विनम्र लेकिन सख़्त अपील

खतौली की तंजीम के जिम्मेदार लोगों से गुज़ारिश है —
मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब किसी एक बिरादरी के नहीं,
बल्कि पूरे हिंदुस्तान के गौरव हैं।
उनके नाम पर सीमित कार्यक्रम करना तौहीन है।
अगर सच में श्रद्धा है —
तो हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी को साथ लेकर एक राष्ट्रीय एकता का जलसा करें।
तभी कलाम साहब की रूह को सुकून मिलेगा।


🌿 मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट का दूसरा पवित्र दिवस

हर साल 17 जून को “यौमे तासिश” यानी मुल्तानी स्थापना दिवस मनाया जाता है।
इस दिन पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण और समाजसेवा के कार्य किए जाते हैं —
पेड़ लगाए जाते हैं, एकता बढ़ाओ अभियान चलाया जाता है,
और हर मुल्तानी भाई-बहन एक-दूसरे से गले मिलकर समाज की ताकत बनता है।


📢 निष्कर्ष

अब वक्त है कि बिरादरी “नकली मुल्तानी-डे” जैसी ओछी और छिछोरी हरकतों को पहचान ले।
मक़सद एकता है, न कि अहम और अंहकार का खेल।
मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट का इतिहास साफ है —
हमने झंडा अपने नाम का नहीं, बिरादरी के नाम का उठाया है!
बाकी अगले लेख में .....


✍️ लेखक:
ज़मीर आलम मुल्तानी
(संपादक — राष्ट्रीय पत्रिका “मुल्तानी समाज”)
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Saturday, October 11, 2025

🌙 इंना लिल्लाहि वा इंना इलैहि राजिऊन 🌙मरहूम मोहम्मद सलीम साहब का इंतेकाल — बिरादरी में मातम का माहौल

मुज़फ्फरनगर, 12 अक्टूबर 2025 (इतवार)।

निहायत ही अफ़सोस और ग़म के साथ यह इत्तला दी जाती है कि मोहम्मद सलीम वल्द जनाब मोहम्मद हनीफ (मरहूम), उम्र तक़रीबन 60–65 साल, साकिन पुराना पता मोहल्ला लद्दा वाला, हालिया पता बर्फ़ खाने के सामने कच्ची सड़क, मुज़फ्फरनगर — का आज अल सुबह तक़रीबन 5 बजे इंतेकाल हो गया।

मोहम्मद सलीम साहब कई दिनों से दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में ICU में दाख़िल थे। तबीयत में कोई सुधार न होने पर कल उन्हें घरवाले आनंद हॉस्पिटल मेरठ लेकर आए, जहाँ आज तड़के उन्होंने आख़िरी सांस ली।

मरहूम तीन भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे थे। बड़े भाई जनाब मिस्त्री मुन्ना साहब  (खतौली) का पहले ही इंतेकाल हो चुका है, जबकि छोटे भाई नजम साहब अपने पुश्तैनी मकान लद्दा वाला में रहते हैं। इनकी बहन का नाम खैरुननिशाँ है।

मरहूम अपने पीछे अहलिया परवीन बी, तीन बेटे — मोहम्मद साजिद, मोहम्मद फैसल, मोहम्मद माजिद — और एक बेटी रूबी सहित तमाम अहल-ए-ख़ाना, रिश्तेदारों और अज़ीज़ों को ग़मगीन छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से रुख़सत फरमा गए।

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, सभी सगीरा-कबीरा गुनाह माफ़ करे, जन्नत-उल-फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए और घरवालों को सब्र-ए-जमील दे — आमीन सुम्मा आमीन।

मय्यत को बाद-नमाज़े ज़ोहर किया जाएगा सुपुर्द-ए-ख़ाक। लिहाजा सभी बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें।

📞 मरहूम के बारे और और ज्यादा मालूमात के लिए राब्ता कायम करें:
जनाब नसीम साहब (डीलक्स वाले) – 9719012681


🕊️ एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की ख़बर भेजने के लिये अहम हिदायतें

“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका की तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त है कि जब भी किसी के इंतेकाल की खबर भेजें, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखें ताकि खबर मुकम्मल व सही रूप में प्रकाशित हो सके:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम व वल्दियत/शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफ़ीन का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स का संपर्क नंबर।
5️⃣ (अगर मर्द का इंतेकाल हुआ है) तो मरहूम का एक फोटो भी भेजें।
6️⃣ इंतेकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना — जैसे भाई, बहन, औलाद आदि के नाम।

इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी को सही समय पर जनाज़े की सूचना मिल सकेगी।


📰 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित — पैदायशी इंजीनियर, मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका
“मुल्तानी समाज” के लिए
✍️ ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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🌹 بسم الله الرحمن الرحیم 🌹इत्तीला-ए-तारीखे निकाह — एक पाक और खुशनुमा आग़ाज़



السلام علیکم ورحمتہ اللہ وبرکاتہ

मुल्तानी बिरादरी के तमाम अहले इख़लास और अजीज़ों को यह मसर्रत अफज़ा इत्तिला दी जाती है कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के फज़ल-ओ-करम, नबी-ए-करीम ﷺ की रहमतों, औलिया-ए-किराम ख़ास तौर पर गौसे आज़म, ख़्वाजा गरीब नवाज़ और मखदूम अशरफ जहाँगीर सिमनानी रज़ियल्लाहु अन्हु की तावीज़ और दुआओं के सदके में, अशरफी खानदान के गुलशन में खुशियों की बहार आई है।


🌹 निकाह का पाक एelan 🌹

मुहम्मद यूसुफ अशरफी साहब के बड़े सुपुत्र
मुहम्मद यूनुस अशरफी साहब के नूर-ए-ऐन और

मुहम्मद रफ़ीक़ साहब (अजमेर वाले) के नूर-ए-नज़र व नूर-ए-ऐन की
शादी इंशा अल्लाह मुकद्दस माह 10 जमादिल आख़िर 1447 हिजरी / 2 नवम्बर 2025 (इतवार) को इज्तिमाई शादी के बर्कतमंद माहौल में अंजाम पाएगी।

📍 मुकाम: रंग महल, MR 9 रिंग रोड, खजराना, इन्दौर (म.प्र.)


🌸 बरकतों से महकते रिश्ते 🌸

🌹 नुरे नज़र: मुक़द्दस रज़ा
(इब्ने: मुहम्मद रफ़ीक़ पुंवार, अजमेर वाले, इन्दौर)
🌹 हमराह: हुरिया नूर
(बिन्ते: मुहम्मद इल्यास साहब, मोटयार गुवाड़ी, इन्दौर)

🌹 नुरे एन: ईरम नूरी
(बिन्ते: मुहम्मद रफ़ीक़ पुंवार, अजमेर वाले)
🌹 हमराह: अब्दुल राज़िक
(इब्ने: मुहम्मद शरीफ़ साहब, मोटयार, इन्दौर)

🌹 नुरे एन: आइशा नूर (अशरफी)
(बिन्ते: मुहम्मद यूनुस अशरफी, पुंवार, अजमेर वाले, इन्दौर)
🌹 हमराह: मुहम्मद फारूक़
(इब्ने: मुहम्मद आज़म साहब, पुंवार होटल वाले)


🌹 सुन्नते वलीमा और दावत-ए-तआम 🌹

3 नवम्बर 2025, बरोज़ पीर
📍 मुकाम: जश्ने मैरिज गार्डन, खजराना, इन्दौर

यह दिन खुशियों और मिलन की रौशनी से चमक उठेगा, इंशा अल्लाह।


🌹 अद्दाइयान 🌹

मुहम्मद हनीफ़, मुहम्मद युसुफ अशरफी, मुहम्मद याक़ूब,
मुहम्मद रफ़ीक़, अब्दुल समद, अब्दुल रशीद, अब्दुल करीम

🌹 अलमुकल्लेफिन 🌹

मुहम्मद सलीम, मुहम्मद इरफ़ान रज़ा, मुहम्मद इदरीस बरकाती,
नुरुल हसन, मुहम्मद यूनुस अशरफी, मुजीबुर्रहमान अशरफी,
मुहम्मद इल्यास अशरफी, क़ुतुबुद्दीन अशरफी,
मुहम्मद वसीम, मुहम्मद उवैस, अब्दुल लतीफ़,
तकद्दुस हुसैन, मुहम्मद तौफ़ीक़, मुहम्मद अदनान, मुईन अख़्तर

🌹 चश्मे बाराह 🌹

मुहम्मद अदनान, मुहम्मद सादिक़, मुहम्मद कबीर, मुहम्मद यासिर


📍 पता: दाऊदी नगर, खजराना, इन्दौर (म.प्र.)
📞 मुहम्मद रफ़ीक़ — 98260 90660
📞 मुहम्मद यूनुस अशरफी — 98261 36752


✨ यह निकाह न सिर्फ दो दिलों का मिलन है बल्कि दो खानदानों की मोहब्बत, इत्तेहाद और बरकतों का खूबसूरत इज़हार भी है। अशरफी व पुंवार खानदान की ये नई पीढ़ी एक नई इबारत लिखने जा रही है — मोहब्बत, इख़लास और एहतराम की।


🕋 दुआ है कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इन सभी नवदामादों और नवबहार दुल्हनों को अपनी हिफ़ाज़त में रखे, इनके रिश्तों में सुकून, मोहब्बत और बरकत कायम रखे। आमीन।


📜 रिपोर्ट: अब्दुल कादिर मुल्तानी
(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर
मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र पत्रिका — “मुल्तानी समाज” के लिए विशेष रिपोर्ट)

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Thursday, October 9, 2025

इंतेकाल की अफसोसनाक खबर "अनीसा बी का 80 वर्ष की उम्र में इंतेकाल — जन्नत-उल-फिरदौस में आला मकाम की दुआ

सहारनपुर, 10 अक्टूबर 2025 (मुल्तानी समाज ब्यूरो)।

निहायत ही ग़म-ओ-अफ़सोस के साथ तमाम बिरादराना हज़रात को यह इत्तला दी जाती है कि गांव मोहनपुर गाड़ा (चुनहेटी), ज़िला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) की रहने वाली मरहूमा अनीसा बी अहलिया मरहूम जनाब नज़ीर अहमद साहब का आज दिन जुमा, 10 अक्टूबर 2025 की अल सुबह करीब 80 वर्ष की उम्र में क़ज़ा-ए-इलाही से इंतेकाल हो गया।

मरहूमा अपने पीछे पाँच बेटे — जनाब मुनीर अहमद साहब, मुनव्वर अहमद साहब, मतलूब अहमद साहब, गय्युर अहमद साहब, अय्यूब अहमद साहब — और दो बेटियाँ जिनमें शाहीन बी शामिल हैं, सहित पूरा कुनबा, खानदान और अजीजो-अक़ारिब को ग़मगीन छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत कर गईं।

मरहूमा की मय्यत को आज बाद नमाज जुमा, तक़रीबन डेढ़ बजे, सुपुर्दे-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब, अज़ीज़ो-अक़ारिब और बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें।

दुआ:
अल्लाह तआला मरहूमा को जन्नत-उल-फिरदौस में आला मकाम अता फरमाए और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता फरमाए।
आमीन सुम्मा आमीन।

राब्ता के लिए:
जनाब मुनीर अहमद साहब — 📞 9761562186
जनाब मतलूब अहमद साहब — 📞 9761480580


⚜️ एक ज़रूरी ऐलान ⚜️

“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतेकाल की खबर भेजें तो इन अहम बातों का ख़ास ख्याल रखें ताकि खबर मुकम्मल और भरोसेमंद हो:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ मुकम्मल पता — मूल और मौजूदा निवास।
3️⃣ दफीने का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार अफ़राद के संपर्क नंबर।
5️⃣ मर्द मरहूम का फोटो (अगर मुनासिब हो)।
6️⃣ इंतकाल की वजह (यदि बताना उचित लगे)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम (भाई, बहन, औलाद वग़ैरह)।

इन तमाम जानकारियों से खबर सही, पूरी और समय पर बिरादरी तक पहुंच सकेगी।


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देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
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🖋️ खास रिपोर्ट: ज़मीर आलम
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Sunday, October 5, 2025

🌷 “इल्म की रोशनी से रौशन नाम — मास्टर मोहम्मद यामीन साहब को मिला राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान” 🌷

✍️ ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट, “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय पत्रिका, दिल्ली से


5 अक्टूबर 2025 — अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर चौ० केहर सिंह एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा मेडिसिटी हॉस्पिटल एवं कॉलेज, बड़ौत में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान समारोह–2025 में एक बार फिर यह साबित हो गया कि सच्चे शिक्षक वही हैं, जो केवल ज्ञान ही नहीं बाँटते, बल्कि अपने आचरण और कर्म से आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन की मशाल बनते हैं।

इसी सम्मानित अवसर पर मुस्लिम मुल्तानी लोहार बिरादरी के गर्व, राज्य व राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त प्रतिष्ठित शिक्षक मास्टर मोहम्मद यामीन साहब को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए “डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान” से नवाज़ा गया। यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि है, बल्कि पूरी बिरादरी के लिए इज़्ज़त और प्रेरणा का पैग़ाम है।

कार्यक्रम में देश के लगभग 15 राज्यों — उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात आदि से आए हुए शिक्षकों को भी शिक्षा के क्षेत्र में उनकी बेहतरीन सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।

मास्टर यामीन साहब का यह सम्मान हमारी बिरादरी के उस उजले चेहरे की पहचान है, जो मेहनत, सादगी और इल्म से अपने समाज और देश की तरक़्क़ी के लिए समर्पित है।
हमें गर्व है कि हमारे बीच ऐसे रौशन चराग़ मौजूद हैं, जो आने वाली नस्लों को तालीम और तहज़ीब की सही राह दिखा रहे हैं।

“मुल्तानी समाज” परिवार मास्टर मोहम्मद यामीन साहब को दिल की गहराइयों से मुबारकबाद पेश करता है और दुआ करता है कि अल्लाह तआला उन्हें और बुलंदी, कामयाबी और तंदुरुस्ती से नवाज़े ताकि वह इसी तरह समाज और मुल्क की खिदमत करते रहें।


🌺 मास्टर यामीन साहब — एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक मिशाल हैं, जो अपने इल्म से दिलों को रौशन करते हैं। 🌺


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🕌 देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका“मुल्तानी समाज”

रिपोर्टर: ज़मीर आलम
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Friday, October 3, 2025

इंतेकाल की अफसोसनाक ख़बर, मुस्लिम मुल्तानी बिरादरी के बुज़ुर्ग व मुतबर शख्सियत जनाब मोहम्मद मुश्ताक साहब (लुहारे वाले) का इंतिक़ाल

إِنَّا لِلّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ

निहायत ही ग़म और अफसोस के साथ तमाम मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को यह इत्तला दी जाती है कि हमारे बिरादरी के बुज़ुर्ग, नेक-ख़ासलत और सीरत-ओ-सलूक के पैकर जनाब मोहम्मद मुश्ताक साहब (गांव लुहारे वाले), जोकि जिला खरखौदा, हरियाणा से लगभग 20 किलोमीटर आगे फरमाना माजरा, हरियाणा के रहने वाले थे, ने आज दिन पीर, 04 अक्टूबर 2025 की सुबह करीब 98 बरस की उम्र में इस फ़ानी दुनिया से रुख़्सती फरमा ली।

मरहूम ने पूरी ज़िंदगी सादगी, ईमानदारी और खिदमत-ए-खल्क़ के साथ गुज़ारी। उनकी ज़िंदगी बिरादरी के लिए एक मिसाल थी — नमाज़, रोज़ा और दीनी लगाव से सरशार, और हर दिल में मोहब्बत व इज़्ज़त का पैग़ाम छोड़ गए।

तद्फीन आज दोपहर 3:30 बजे अंजाम दी जाएगी। तमाम अहबाब व बिरादराने इस्लाम से दरख्वास्त है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें और मरहूम के लिए दुआए मग़फिरत करें।


🤲 दुआए मग़फिरत

अल्लाह तआला मरहूम की सारी ख़ता-ओ-क़सूर माफ़ फरमाए,
उनकी क़ब्र को रोशन और फराख़ फरमाए,
उन पर अपनी रहमतों की बारिश नाज़िल करे,
और उन्हें जन्नतुल फ़िरदौस में आला-ओ-अरफ़ा मक़ाम अता करे।
अल्लाह अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील और हौसला बख्शे।
आमीन सुम्मा आमीन यारब्बुल आलमीन।


📞 ज्यादा जानकारी के लिए संपर्क करें:
कय्यूम साहब — 9813734781


📢 एक ज़रूरी एलान

इंतेकाल की खबर भेजने के लिए “मुल्तानी समाज” की दरख़्वास्त

अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से या अधूरी पहुंचती है, जिससे लोग जनाज़े या ताज़ियत में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें, तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और इस वक़्त कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफन का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार अफराद (1-2) के मोबाइल नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ हो तो मरहूम का फोटो शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम — जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।

इन तमाम मालूमात से खबर मुकम्मल और भरोसेमंद बनेगी, जिससे बिरादरी तक सही जानकारी पहुंचे और सबको अपने अज़ीज़ की आख़िरी रस्मों में शरीक होने का मौका मिले।


📜 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत
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“मुल्तानी समाज” — राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

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🌺 अन-निकाह मिन सुन्नति : मुल्तानी बिरादरी के दो रोशन घरानों का पाक़ रिश्ता मुक़र्रर 🌺

بسم اللّٰہ الرحمٰن الرحیم

एहले मुल्तानी बिरादरान!
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातुह 🌹

मुल्तानी बिरादरी में खुशी का माहौल है। मरहूम हाजी मोहम्मद हाशम होटल वाले के फ़र्ज़ंद मोहतरम मोहम्मद आज़म साहब के साहबज़ादे
🌺 नूरे नज़र मोहम्मद फ़ारूक 🌺

का अक़्द-ए-मस्नून मुक़र्रर हुआ है जनाब मोहम्मद यूसुफ साहब अजमेर वाले के फ़र्ज़ंद मोहम्मद यूनुस साहब की साहबज़ादी
🌺 लख़्ते-जिगर आइशा नूर 🌺

के साथ।

यह पाक़ रिश्ता दोनों ख़ानदानों के बुजुर्गों और सरपरस्तों की मौजूदगी में तय पाया है। अलहमदुलिल्लाह 🌹


🌷 कार्यक्रम की रुपरेखा 🌷

🌹 हार-फूल / दाल-बाटी 🌹
🗓 1 नवंबर 2025, शनिचर
📍 चंदन नगर, आम वाला रोड, गली न. 1, इंदौर

🌹 निकाह 🌹
🗓 2 नवंबर 2025, इतवार
📍 मुल्तानी बिरादरी की इज्तेमाई शादी में

🌹 दावत-ए-वलिमा 🌹
🗓 4 नवंबर 2025, मंगल
📍 39 सेक्टर-एस, आम वाला रोड, गली न. 1, चंदन नगर, इंदौर


🌸 अल-मुकल्लफ़ीन 🌸

बिरादरी के सरपरस्त और नौजवान साथी मोहब्बत व खिदमत के जज़्बे के साथ इस मुबारक मौके पर शरीक होंगे।


🌼🌺 अहले होटल वाला ख़ानदान 🌺🌼

📲 मोहम्मद आज़म : 9893296780
📲 मोहम्मद अमीन : 9179045679


✨ बिरादरी का फ़ख़्र ✨

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💐 अल्लाह तआला इस पाक़ रिश्ते को रहमत, मोहब्बत और साक़ून से नवाज़े। آمीन 🤲


🌺 सवा माह की फातीहा ख्वानी – मरहूम हाजी इमाम बख्श मक्कड़ की याद में 🌺

بسم اللہ الرحمٰن الرحیم

السلام علیکم ورحمۃ اللہ وبرکاتہ

दुनिया एक फ़ानी सफ़र है और हर ज़िन्दा को मौत का मज़ा चखना है। मौत इंसान की हकीकत है और अल्लाह की दी हुई अमानत को वापस लौटा देने का नाम है। इसी हकीकत के साये में हमारे बुज़ुर्ग और अज़ीज़ शख्सियत मरहूम हाजी इमाम बख्श मक्कड़ साहब 19 रबी-उल-अव्वल 1447 हिजरी, बमुताबिक़ 11 सितम्बर 2025 को क़ज़ा-ए-इलाही से इस फ़ानी दुनिया से रुख़्सत कर गए।

"إِنَّا ِلِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ"

हम सब दुआगो हैं कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त, हुज़ूर-ए-अकरम ﷺ के सदके और तुफ़ैल में मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमाए, उनकी कब्र को रोशन करे और उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम अता फ़रमाए। साथ ही उनके तमाम अहबाब और खानदान वालों को सब्र-ए-जमील से नवाज़े – आमीन।


🌸 इसाले सवाब 🌸

मरहूम की सवा माह की फातीहा ख्वानी का एहतमाम:
📅 12 रबी-उल-आख़िर 1447 हिजरी, बमुताबिक़ 05 अक्टूबर 2025, बरोज़ इतवार, बाद नमाज़े ज़ोहर
📍 मुकाम – खजुरी, तहसील जहाज़पुर, जिला भीलवाड़ा (राजस्थान)

🌸 नियाज़ 🌸

📅 05 अक्टूबर 2025, बरोज़ इतवार, बाद नमाज़े असर
📍 खजुरी


🌹 दावत-ए-आम 🌹

सभी अज़ीज़, अहबाब और बिरादराना हज़रात से पुरख़ुलूस गुज़ारिश है कि तशरीफ़ लाकर मरहूम के हक़ में दुआ-ए-मग़फिरत फ़रमाएं। आपकी तशरीफ़ और दुआएं मरहूम के लिए सदक़ा-ए-जारीया साबित होंगी।


🌺 अददाईयान 🌺

हाजी मोहम्मद इब्राहीम, हाजी अब्दुल रज्ज़ाक, हाजी अब्दुल अज़ीज़, हाजी मोहम्मद उस्मान ग़नी, हाजी अब्दुल रहमान, हाफ़िज़ मोहम्मद सिद्दीकी, अब्दुल कय्यूम, मोहम्मद यूनुस, हाजी जमालुद्दीन, हाजी कमालुद्दीन, अब्दुल हकीम, अल्लारख़ हुसैन, मोहम्मद उमर, मोहम्मद हनीफ़, मुबारक हुसैन, मोहम्मद शरीफ़, मोहम्मद आरिफ, मोहम्मद इरफ़ान, मोहम्मद आसिफ मक्कड़ समेत तमाम अहल-ए-खानदान।

🌼 ग़मज़दगान 🌼

हाजी मोहम्मद हनीफ़ (बाबू), मोहम्मद अय्यूब, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद उमर, शाहरूख़ हुसैन, सोयब नूर, मोहम्मद वसीम, मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद आरिफ, मोहम्मद फ़ारूक़, मोहम्मद दानिश, मोहम्मद अनस, मोहम्मद साहिल, मोहम्मद हसन अली, हसन नूर, हसन।

🌸 आमद के मुंतज़िर 🌸

मोहम्मद अरसलान (उर्फ मोहम्मद आमिर) व अहल-ए-मक्कड़ खानदान


📞 राब्ता नंबर

  • अल्लारख़ हुसैन – 9828166575
  • मोहम्मद उमर – 9460201215
  • हाजी मोहम्मद सिद्दीक – 9414129595
  • मुबारक हुसैन – 9828134475
  • हाजी मोहम्मद आरिफ – 9887038184

🏠 मुकाम: मेन जहाज़पुर रोड, खजुरी, तहसील जहाज़पुर, जिला भीलवाड़ा (राजस्थान)


✒️ खास रिपोर्ट

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय पत्रिका के लिए
ज़मीर आलम की पेशकश।

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Thursday, October 2, 2025

इत्तला-ए-इंतकाल

मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादराना हज़रात को निहायत ही अफसोसनाक और ग़मगीन इत्तला दी जाती है कि —

दिन जुमा, 03 अक्टूबर 2025 की अलसुबह तक़रीबन सवा 3 बजे जनाब यासीन साहब वल्द जनाब नजीर साहब उम्र लगभग 60 साल का बीमारी के चलते इंतकाल हो गया।

मरहूम असल वतन गांव बसी खेड़ा, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले थे और हाल बाशिंदा विकास नगर, पानीपत (हरियाणा) में रह रहे थे।

मरहूम अपने पीछे अपनी अहलिया श्रीमती नूरजहां, 7 बेटियां, 5 बेटे, पूरा कुनबा और तमाम रिश्तेदारों को रोता-बिलखता छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए इस फ़ानी दुनिया से विदा हो गए।

अल्लाह तआला मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमाए और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए। आमीन।

मरहूम का जनाज़ा बाद नमाज़े ज़ोहर, पानीपत में उठाया जाएगा और वहीँ सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
लिहाज़ा तमाम अहबाब और बिरादरान से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें।

📞 मय्यत के बारे में तफसीलात के लिए मरहूम के बेटे जनाब जफर साहब से इस नंबर पर राब्ता करें: 8053646034


एक ज़रूरी ऐलान – इंतकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें

अक़्सर देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी जानकारी के कारण लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी इंतकाल की खबर भेजें तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहाँ के रहने वाले थे और फिलहाल कहाँ रह रहे थे)।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख़्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फ़ोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वग़ैरह।

👉 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने से आसानी होगी।


📰 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत, दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए
✍️ ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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रुड़की में लौहार बिरादरी का भव्य सम्मेलन, इंजीनियर मोहम्मद मुबशशीर निर्विरोध चुने गए सदर

रुड़की, उत्तराखंड – बीती रात रुड़की के सत्ती मोहल्ले में लौहार बिरादरी का भव्य सम्मेलन आयोजित किया गया। लंबे समय से चली चर्चाओं, रायशुमारी और सलाह-मशवरे के बाद बिरादरी ने एकमत होकर इंजीनियर मोहम्मद मुबशशीर एडवोकेट को अपना निर्विरोध सदर यानी जिला अध्यक्ष चुना।

सम्मेलन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर उन्हें पगड़ी पहनाकर और माला से सम्मानित किया गया। बिरादरी के सैकड़ों लोग उपस्थित थे, जिन्होंने एक स्वर में मोहम्मद मुबशशीर के सामाजिक योगदान और जनहित के कार्यों की सराहना की।

मोहम्मद मुबशशीर एडवोकेट उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ओबीसी विभाग के लीगल सेल में पदाधिकारी भी हैं। सदर चुने जाने के बाद उन्होंने कहा,
"क़ौम का हित मेरा पहला कर्तव्य होगा। बिरादरी को एकजुट कर, हम उसे तरक्की की राह पर ले जाएंगे।"


सम्मेलन में उपस्थित वरिष्ठ बिरादरी सदस्यों ने भी अपने विचार साझा किए। गफ्फार अहमद ने कहा कि बिरादरी को ऐसे युवाओं की आवश्यकता है जो निस्वार्थ भाव से सेवा करें। अब्दुल रहमान ने जोड़ा कि सदर के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना हमारा फर्ज है। हसीनुद्दीन मिर्जा उर्फ मंजू भाई ने कहा कि मुबशशीर भाई दिन-रात लोगों की सेवा में लगे रहते हैं और ऐसे निडर नेताओं की बिरादरी को सख्त जरूरत है। रऊफ अहमद ने भी कहा कि कम उम्र में लोगों का दिल जीतने वाले, पढ़े-लिखे और मजबूत लीडर हैं मुबशशीर, और हम सब उनकी साझेदारी में बिरादरी को आगे बढ़ाएंगे।

इस मौके पर गफ्फार अहमद, अब्दुल रहमान, रऊफ अहमद, इरफान, फारूक अहमद, हसीन, हसीनुद्दीन उर्फ मंजू, प्रवेज, नफीस, आमिर, बिलाल अहमद, अब्दुल जब्बार चौधरी, अमन, वसीम, सईद, फैसल सादिक, डॉ रऊफ, डॉ फैजल, रिहान, अमजद अशरफ, फरदीन सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

सम्मेलन का नतीजा स्पष्ट रहा – पूरी बिरादरी ने मोहम्मद मुबशशीर पर भरोसा जताते हुए उन्हें निर्विरोध चौधरी चुना।

यह सम्मेलन केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि बिरादरी के आपसी एकता, सहयोग और सामाजिक चेतना का प्रतीक भी रहा। ऐसे मौके न केवल नेतृत्व का चयन करते हैं, बल्कि युवाओं को प्रेरित करते हैं कि वे समाज के उत्थान और जनहित में कार्य करें।


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