Tuesday, December 2, 2025

🌙 हाजी शब्बीर (कबाड़ी) साहब के इंतकाल की गमगीन ख़बर — “मुल्तानी समाज” की खास रिपोर्ट

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन।

आज बुध — 03 दिसंबर 2025 को मुल्तानी बिरादरी के लिए बेहद अफ़सोस की खबर सामने आई है।
हाजी शब्बीर (कबाड़ी), निवासी नदीम कॉलोनी, सहारनपुर (उ.प्र.), जो भाई अब्दुल मलिक, मोहल्ला लोहारन (बेहट) के ससुर थे — आज इस दुनिया-ए-फ़ानी से रुख़्सत कर गए।

आप अपनी नेकदिली, मिलनसार तबीयत और खुश-खुलूस मिज़ाज की वजह से बिरादरी में खास पहचान रखते थे। आपके इंतकाल ने पूरी कौम को ग़मज़दा कर दिया है।


🕌 नमाज़-ए-जनाज़ा

मरहूम की नमाज़-ए-जनाज़ा ज़ोहर की नमाज़ के बाद, ठीक 1:00 बजे अदा की जाएगी।
तमाम अहले-ईमान से दरख़्वास्त है कि अधिक से अधिक तादाद में शरीक होकर दुआ-ए-मग़फ़िरत करें।


📞 राब्ता व मालूमात

मय्यत के बारे में तफ़सीलात जानने के लिए संपर्क करें:
मिर्ज़ा अबरार साहब (नेता जी)
📞 9719831623


📌 एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजते समय इन बातों का ख़ास ख्याल रखें

अक्सर ऐसा देखा गया है कि अधूरी या देर से पहुंचने वाली खबर की वजह से लोग जनाज़े में शामिल नहीं हो पाते। इस समस्या को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करता है कि खबर भेजते वक़्त ये बातें ज़रूर शामिल हों:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम व वल्दियत/शौहर का नाम

2️⃣ पूरा पता — मूल निवास और वर्तमान पता

3️⃣ दफन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम

4️⃣ घर के जिम्मेदार 1–2 शख्स के मोबाइल नंबर

5️⃣ अगर मरहूम मर्द हैं → फोटो ज़रूर भेजें

6️⃣ इंतकाल की वजह — (अगर बताना मुनासिब हो)

7️⃣ अहल-ए-ख़ाना — भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह

इन बातों के शामिल होने से खबर मुकम्मल बनती है और बिरादरी तक सही-सही जानकारी पहुँचती है।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

पत्रिका में प्रकाशित किसी भी लेख, खबर, संपादकीय, टिप्पणी, प्रेस विज्ञप्ति या विज्ञापन की पूरी ज़िम्मेदारी लेखक/संवाददाता/विज्ञापनदाता की होगी।
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प्रकाशित सामग्री की सत्यता व दावों की ज़िम्मेदारी लेखक की होगी।
पत्रिका व प्रबंधन किसी भी कानूनी, सामाजिक या वित्तीय दायित्व से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।

किसी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) — केवल दिल्ली रहेगा।


📰 “मुल्तानी समाज” — बिरादरी की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
दिल्ली से प्रकाशित,
मुल्तानी लोहार एवं बढ़ई बिरादरी की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका —

“मुल्तानी समाज”

✍️ खास रिपोर्ट

ज़मीर आलम

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🌷 इत्तिला-ए-निकाह : स्वालेहा नूर बरकातिया व ज़हुरुल मुस्तफ़ा के मुबारक मिलन की तहरीर 🌷

بسم اللہ الرحمن الرحیم

भीलवाड़ा की सरज़मीन से एक निहायत रूहानी, पुरअदब और मोहब्बत भरी खुशखबरी तमाम बिरादराने अहले मुल्तानी की खिदमत में पेश है।

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाही व बरकातुहु

अल्लाह तआला के फज़्लो करम, हुज़ूर ए अकरम ﷺ के सदक़े, पंजतन पाक, गौस-ए-आज़म, ख़्वाजा गरीब नवाज़ और तमाम औलिया किराम की रहमतों के तुफ़ैल, बड़ी खुशी और इज़्ज़त के साथ यह तहरीर इलान की जाती है कि हमारे छोटे भाई अब्दुल सईद साहब की पोती, मरहूम ईस्माइल साहब भट्टी टाल वाले (नीमच) की नातीन स्वालेहा नूर बरकातिया का निकाह आपसी रजामंदी से मुक़र्रर कर दिया गया है।

यह मुबारक निकाह बिरादरी की सनअती रिवायतों और मुल्तानी तहज़ीब के मुताबिक़, हस्बे ज़ेल प्रोग्राम के तहत अंजाम पाएगा।


🌸 नेक दुखतर

स्वालेहा नूर बरकातिया
बिन्ते — अब्दुल सईद भट्टी टाल वाले
नातीन — मरहूम मोहम्मद ईस्माइल (भट्टी टाल वाले), नीमच


🌸 नेक फरजंद

ज़हुरुल मुस्तफ़ा
इब्ने — जनाब हाजी मोहम्मद सलीम साहब मक्कड (समेती वाले)
पोते — मरहूम मोहम्मद हुसैन साहब मक्कड (समेती वाले), उदयपुर


🌷 निकाह का दिन व मुकाम

📅 12 जमादिल आखिर 1447 हिजरी
📅 4 दिसंबर 2025 — बरोज़ जुमेरात
सुबह 11:30 बजे
📍 अब्दुल कलाम कम्युनिटी हॉल, शास्त्री नगर, भीलवाड़ा


🌹 मुअदबाना गुज़ारिश

तमाम अहले मुल्तानी बिरादरी से पुरख़ुलूस इल्तिज़ा है कि इस तकरीब-ए-निकाह में शिरकत फरमाएँ,
जश्न-ए-शादी की रौनक बढ़ाएँ
और दुल्हा-दुल्हन को अपनी दुआओं, रहमतों और मोहब्बत से नवाज़ें।


🕊️ मरहूमीन को ख़िराज-ए-अक़ीदत

इस खुशी के मौके पर हम अपने उन तमाम मरहूमीन को भी याद करते हैं जिनकी दुआएं आज भी हमारी राहों की रौशनियाँ हैं:

मरहूम अब्दुल रहमान, हाजी अब्दुल रहीम बक्स, हाजी मोहम्मद दाऊद, मोहम्मद सुलेमान, मोहम्मद इब्राहिम, मोहम्मद हसन, मोहम्मद ईस्माइल, हाजी शमशुद्दीन, हाजी कमरुद्दीन, अब्दुल हमीद, अब्दुल गनी, मोहम्मद शफी (भट्टी टाल वाले, नीमच), मोहम्मद हुसैन, साबिर हुसैन, अब्दुल रहमान, नुसरत हुसैन, मोहम्मद वसीम… वग़ैरह।


🌿 अद्दाईयान

हाजी अब्दुल रशीद, मोहम्मद सादिक, हाजी मोहम्मद उस्मान, हाजी मोहम्मद हनीफ, अब्दुल रऊफ, अब्दुल मजीद, मोहम्मद उमर, मोहम्मद अय्यूब, अब्दुल गफूर (शाकाल), अब्दुल सलाम, हाजी अब्दुल सत्तार, अब्दुल सईद, मोहम्मद रफीक, मोहम्मद फारूक, अब्दुल जब्बार, अब्दुल शकूर, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद फिरोज, हाजी जुल्फिकार हुसैन, मोहम्मद अशरफ (बाबू)


🌿 अल-मुकलिल्फ़ीन

हाजी अब्दुल गफूर, हाजी मेहमूद हसन, अनवर हुसैन, मुनव्वर हुसैन, ग़ुलाम हुसैन, जाकिर हुसैन, ऊबेदुर रहमान, मुज़फ्फर हुसैन, मक़बूल हुसैन, मुज़फ्फर हुसैन, शौकत अली, ग़ुलाम मुस्तफ़ा, मोहम्मद इलियास, मोहम्मद अबरार, मोहम्मद अख़लाक, अब्दुल राजिक, मोहम्मद असरार, सरफ़राज अहमद, मोहम्मद शाहरुख, मोहम्मद अली (अलवीर), मोहम्मद सोहेल, मोहम्मद शहज़ाद, मोहम्मद अली, मोहम्मद आमिर, मोहम्मद जुनैद, मुसद्दीक अदनान, मोहम्मद उमैर, मोहम्मद अनस


🌿 चश्मे-बराह

अज़हर हुसैन, मोहम्मद जैद, मक़सूद आलम अमान, मोहम्मद रेहान, मोहम्मद फरहान, मोहम्मद फ़ैज़ान, मोहम्मद अलफेज, मोहम्मद आमिश, ऊमैद रज़ा, हसनैन हैदर, मोहम्मद हाशिम, अबूबकर


🌹 जवाई जी व नवासे

जवाई जी — मोहम्मद शाहरुख साहब मक्कड (समेती वाले)
नवासे — मोहम्मद हसन मक्कड, मोहम्मद हम्माद मक्कड


💖 नन्हीं इल्तिज़ा

“हमारी भुआ की शादी में ज़रूर ज़रूर आना…”
जीनत फ़ातिमा, हसनैन हैदर, मोहम्मद हाशिम


📍 पता

जीनत-हसनैन आशियाना,
गली नंबर 2, गुलज़ार नगर,
भीलवाड़ा (राजस्थान)

📞 अब्दुल सईद (नीमच वाले) – 9407450786
📞 मोहम्मद अख़लाक (नीमच वाले) – 9407450666


🕌 अख़्तिताम

यह निकाह दो दिलों को जोड़ने का मुबारक सफ़र ही नहीं,
बल्कि दो खानदानों, दो शहरों और पूरी मुल्तानी बिरादरी के बीच मोहब्बत, एकता और रूहानी रिश्ता मजबूत करने की एक खूबसूरत मिसाल भी है।
अल्लाह तआला इस बंधन को सलामत, मुबारक और बरकतों से भरपूर रखे — आमीन।


✍️ ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित
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नए मतदाताओं के लिए सुनहरा मौका — लोकतंत्र में आपकी पहली दस्तक


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देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए
ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट


लोकतंत्र की असली रौनक तब नज़र आती है जब युवा पहली बार वोट डालने के लिए आगे बढ़ते हैं। नए मतदाताओं के लिए यह सिर्फ़ एक फ़ॉर्म भरने का काम नहीं, बल्कि देश की तक़दीर लिखने की पहली क़दमगाह है।

आज देशभर में पहली बार वोटर बनने वाले नौजवानों को यह संदेश दिया जा रहा है कि वे न सिर्फ़ अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करें, बल्कि अपने अधिकार को समझें, अपनाएं और गर्व के साथ लोकतंत्र की इस महान प्रक्रिया में शामिल हों।

नया मतदाता फ़ॉर्म: क्या है ज़रूरी?

नए वोटरों को निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित फ़ॉर्म भरकर अपना पंजीकरण कराना होता है। इसमें

  • बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी
  • निवास प्रमाण
  • आयु संबंधी सत्यापन
  • और संपर्क विवरण शामिल होते हैं।

युवाओं को सलाह दी जाती है कि वे सही दस्तावेज़ों के साथ यह प्रक्रिया समय रहते पूरी करें ताकि उनका नाम आगामी चुनाव से पहले मतदाता सूची में दर्ज हो सके।

क्यों अहम है युवा की भागीदारी?

क्योंकि लोकतंत्र तब सबसे ज़्यादा मजबूत होता है जब उसके युवा

  • जागरूक हों,
  • ज़िम्मेदार हों,
  • और अपनी आवाज़ का इस्तेमाल करना जानते हों।

पहली बार वोट डालना केवल मतदान नहीं—यह भविष्य गढ़ने का मौक़ा है।


“मुल्तानी समाज” की अपील

हमारी मुल्तानी बिरादरी का हर नौजवान आगे आए, अपनी पहचान दर्ज करे और वोट डालकर देश की तरक़्क़ी में अपना हिस्सा डाले। यही वक़्त है दिखाने का कि हमारी बिरादरी न सिर्फ़ मेहनतकश और हुनरमंद है, बल्कि जागरूक और ज़िम्मेदार भी है।


संपर्क एवं जानकारी

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साजिद वल्द हाजी कालू बावली वाले का अचानक इंतकाल — मुल्तानी समाज में गम की लहर

खास रिपोर्ट: अलीहसन मुल्तानी

मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी आज गहरे रंज व ग़म में डूबी हुई है।
साजिद वल्द हाजी कालू बावली वाले, उम्र लगभग 53 वर्ष, हाल मुक़ीम दिल्ली–सहारनपुर रोड, कटियार अस्पताल के सामने, बड़ौत (जिला बागपत, उप्र) का 2 दिसंबर 2025, शाम करीब 6 बजे दिल का दौरा पड़ने से इंतकाल हो गया।

इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैहि राजिऊन।

परिवार का हाल

हाजी कालू बावली वालों के पाँच बेटे—
मुहम्मद अय्यूब, मुहम्मद उमर, मुहम्मद यूनुस, मुहम्मद अनवर और साजिद,
और इनमें मरहूम साजिद सबसे छोटे थे।

अभी कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपनी बेटी की शादी बागपत के हाजी कासिम बाग्घू वाले खानदान के पोते, गुड़गाँव में रहने वाले खालिद के बेटे से की थी।
अब बेटा अरमान और पूरा घराना गम से टूट चुका है।

अल्लाह सबको सब्र-ए-कामिल अता करे।
आमीन।

दफन का वक़्त व जगह

मरहूम का जनाज़ा
3 दिसंबर 2025, बुधवार, सुबह 10:30 बजे
बड़ौत के छपरौली चुंगी / चौराहे के पास स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

अल्लाह मरहूम की मग़फिरत फ़रमाए।
आमीन।


⬛ दूसरी खबर — इमरान पुत्र गुलाब (गोहाना) की अहलिया का इंतकाल

मुल्तानी बिरादरी को एक और गहरा सदमा—

इमरान पुत्र गुलाब, गोहाना, की अहलिया का आज बीती रात 2:30 बजे इंतकाल हो गया।
अल्लाह मरहूमा को जन्नतुल फ़िरदौस में बुलंद मुक़ाम अता करे और घरवालों को सब्र-ए-जमील दे।
आमीन।

मय्यत को बाद नमाज़ जोहर किया गया सपुर्दे ख़ाक 


इन मोबाईल नंबरों पर कॉल करके मरहूम के बारे में और ज्यादा मालूमात की जा सकती है।

📞 9997129924
📞 9411675600
📞 9058647438


मुल्तानी समाज — बिरादरी की आवाज़

खास रिपोर्ट: अलीहसन मुल्तानी
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Monday, December 1, 2025

✨ मिर्जा मुल्तानी लोहार बिरादरी ने 30 नवंबर को लिखी कामयाबी की नई इबारत ✨

30 नवंबर 2025…

यकीन मानिए, यह दिन मिर्जा मुल्तानी लोहार बिरादरी के लिए किसी इतिहास से कम नहीं रहा। कामयाबी, एकजुटता और तालीम के जज़्बे से भरा हुआ—दो अलग-अलग जगहों पर हुए दो शानदार कार्यक्रमों ने समाज की सकारात्मक पहचान में एक और सुनहरा पन्ना जोड़ दिया।


📍 यूनिक इंटर कॉलेज में “टीम एजुकेशन” का शानदार प्रोग्राम

दोपहर तक यूनिक इंटर कॉलेज में इदरीसी समाज की “टीम एजुकेशन” द्वारा बच्चों के सामान्य ज्ञान कार्यक्रम में हमारी बिरादरी की भी सक्रिय और बेहतरीन मौजूदगी रही।
यह सिर्फ़ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि उन बच्चों की तालीमी उड़ान को आगे बढ़ाने का एक खूबसूरत कदम था, जिनके सपने अभी पंख मांग रहे हैं।


📍 गढ़ी दौलत (कैराना) में GK टेस्ट — बच्चों का आत्मविश्वास आसमान पर

दोपहर के बाद कैराना, जिला शामली के गांव गढ़ी दौलत में बच्चों का सामान्य ज्ञान टेस्ट बेहद सफल रहा।
मदरसा बदरुल इस्लाम के सहयोग से न सिर्फ़ टेस्ट कराया गया, बल्कि बच्चों की हौसला-अफ़ज़ाई करते हुए उन्हें सर्टिफिकेट और इनामी राशि भी दी गई।
चेहरों पर चमक और दिलों में खुशियाँ… यही असली इनाम था।


👥 बिरादरी की मजबूत नुमाइंदगी

इस पूरे कार्यक्रम में कई जिम्मेदार और सम्मानित लोगों ने अपनी मौजूदगी से समाज का सर फ़ख़्र से ऊँचा कर दिया।
इनमें शामिल रहे—
सनव्वर खान साहब, गफ्फार साहब, अय्यूब साहब, हाजी नजीर साहब, हाजी अब्दुल हमीद साहब, हाजी नौशाद साहब, हाजी इस्लाम साहब, भाई सलीम साहब, मिर्जा आबिद अली एडवोकेट साहब, हाजी जाकिर साहब, और अन्य सम्मानित साथी।

मदरसा बदरुल इस्लाम के मोहतमिम जनाब मौलाना आकिल साहब और उनकी पूरी टीम इस मुहिम में बराबर साथ खड़ी रही।


🌱 समाज, तालीम और तर्जुमा-ए-वक़्त

तालीम वह ताक़त है, जो समाज को आगे ले जाती है—और 30 नवंबर का यह दिन इस बात की गवाही देता है कि मिर्जा मुल्तानी लोहार बिरादरी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर कितनी संजीदा और संगठित है।
ऐसे कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों के लिए उम्मीद की नई रोशनी लेकर आते हैं।


✍️ "मुल्तानी समाज" पत्रिका के लिए ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

(सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत—दिल्ली से प्रकाशित, मुल्तानी लोहार और बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका)

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Sunday, November 30, 2025

रहमतुल्लाह अलैह — शफी साहब की आख़िरी सफ़र की इत्तिला

आज दिन इतवार, 30 नवंबर 2025 को मगरिब के वक़्त मुल्तानी बिरादरी के मोक़द्दस बुज़ुर्ग जनाब शफी साहब (उम्र 70 वर्ष) वल्द जनाब मोजू साहब, निवासी ग्राम टयोढी, जिला बागपत (उ.प्र.), क़ज़ा-ए-इलाही से इस फानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत हो गए।

मरहूम अपने पीछे अपनी अहलिया, दो फरज़ंद—जनाब मोहम्मद इरफान साहब और जनाब हाजी शकील साहब—सहित पूरे खानदान, अज़ीज़ो-अक़ारिब और बिरादरी को ग़मगीन छोड़कर अपने रब के हुक्म पर हाज़िर हो गए।

दुआ है कि अल्लाह तआला मरहूम की मग़फिरत फरमाए, उनकी मंज़िल-ए-आख़िर को आसान करे और उनके घराने को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन।


दफन का ऐलान

मरहूम की मय्यत को कल, सोमवार 1 दिसंबर 2025 की सुबह 9 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब, अज़ीज़ो-अक़ारिब और बिरादरी से गुज़ारिश है कि जनाज़े में शिरकत कर सवाब-ए-दारेन हासिल करें।


रابطा (Contact)

मय्यत से संबंधित तमाम मालूमात के लिए राबिता करें:
📞 जनाब जावेद साहब – 9350005425
📞 हाजी शकील साहब – 8445807565


एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजने के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि किसी अपने की इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुँचती है या अधूरी रहती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि इंतकाल की खबर भेजते वक़्त इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम और वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ मुकम्मल पता (असली और मौजूदा)
3️⃣ दफन का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स के 1–2 फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मरहूम मर्द हैं तो उनकी तस्वीर
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ बाकी अहल-ए-ख़ाना—मां-बाप, भाई-बहन, औलाद वगैरह

इन तमाम जानकारियों की मौजूदगी से खबर मुकम्मल, साफ़ और भरोसेमंद बनती है, जिससे बिरादरी के लोगों के लिए आसानी होती है।


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मुल्तानी समाज — एक खिदमत, एक मिशन

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Saturday, November 29, 2025

सच लिखने की सज़ा—मुझे चुप कराने के लिए धमकियों का सिलसिला जारी…

https://youtu.be/0USOXT_oBDs?si=tiNhUsALYuXKZMse

(एक पत्रकार की ख़ामोशियों के पीछे छिपी कड़वी हक़ीक़त)


कभी–कभी कलम उठाना आसान होता है, लेकिन उसे सच के साथ चलाना बेहद मुश्किल। आज मैं, ज़मीर आलम, उसी कड़वी सच्चाई का सामना कर रहा हूँ—जहाँ अपने ही बिरादरी के चंद लोग, जो खुद को खिदमतगार कहते हैं, मेरे सच से इतने बौखला गए कि अब वे मुझे धमकियों के सहारे चुप कराना चाहते हैं।

मुझे लगातार यह धमकी दी जा रही है कि “या तो चैन से पत्रकारिता छोड़ दो, वरना हम तुम्हें चैन से बैठने नहीं देंगे।”
सबसे अफ़सोस की बात यह है कि यह सब किसी गैर ने नहीं बल्कि हमारी ही बिरादरी की एक तंजीम के कुछ शोहदेदारों ने पूरी चालाकी और होशियारी के साथ किया।


📌 मामला शुरू कहाँ से हुआ?

कुछ दिन पहले, हमारे चैनल पर एक शादी का वीडियो—जो खुद बिरादरी के लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया था—समाचार के रूप में चलाया गया।
शीर्षक था:
“अब बिरादरी की शादियों में खिदमतगार नहीं, कैमरा और कुर्सी तलाशते ओहदेदार नज़र आते हैं।”

सच्चाई कड़वी थी—इसलिए चुभ गई।
यही वो चिंगारी थी, जिसके बाद मेरे ख़िलाफ़ एक सुनियोजित साज़िश शुरू कर दी गई।


⚠️ दबंग, बाहुबली और साहूकार हाजी जी का इस्तेमाल

इन्हीं शोहदेदारों ने मुज़फ्फरनगर के एक दबंग और बाहुबली हाजी जी को भड़का कर मेरे पीछे लगा दिया।
उनकी धमकी भरी ऑडियो में बार-बार मुझे टॉर्चर किया गया—
“तुमने मेरी शादी की वीडियो ख़बर में क्यों चलाई?”

जबकि मैं इस शादी में मौजूद तक नहीं था।
वीडियो तो उन्हीं शोहदेदारों ने बनाई, उन्हीं ने वायरल की, और उनकी आवाजें आज भी वीडियो में साफ़ सुनाई देती हैं।

जब वीडियो वायरल हुई, तब किसी दबंग हाजी जी को आपत्ति नहीं हुई।
आपत्ति तब हुई जब सच्चाई ख़बर बनकर सामने आई।


❗बार–बार सवाल, धमकियां और उकसावे

अब हालात यह हैं कि रोज़ाना धमकी भरी ऑडियो, वाट्सऐप कॉल और छींटाकशी की जाती है—
“16 गरीब लड़कियों की शादी कहाँ कराई? बच्चों के एडमिशन कहाँ कराए? सबूत दो!”

मैं पूछता हूँ—
क्या मैंने कभी किसी मंच, प्रेस नोट, पोस्ट या बयान में कहा कि मैंने ऐसा किया?
क्या किसी को इससे पहले कभी ऐसा दावा सुनाई दिया?

सवाल उन लोगों से होना चाहिए जिन्होंने वीडियो वायरल की…
लेकिन निशाना मैं हूँ—क्योंकि मैंने सच बोलने की हिम्मत की।


🙏 मेरी अपील (ग़म और अदब के साथ)

मेरी किसी से दुश्मनी नहीं।
ना ही मैं किसी के घर, शादी या इज़्ज़त को निशाना बनाता हूँ।

लेकिन मैं झूठ, ड्रामा, राजनीति और बिरादरी को बपौती समझने वाली मानसिकता के आगे झुकने वाला भी नहीं।

मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ—
मुझे धमकियाँ देना बंद करें।
यदि मानसिक दबाव, डिजिटल टॉर्चर और उकसावे का सिलसिला जारी रहा…
तो मुझे मजबूरन कानूनी कदम उठाने पड़ेंगे।


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✍️ “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए

मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से
नवेद मिर्ज़ा की ख़ास रिपोर्ट

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📌 27 अप्रैल 2026—जन्म रजिस्ट्रेशन की आख़िरी मोहलत: मुसलमानों के लिए बेहद अहम सरकारी ऐलान

सरकार ने नागरिकों के लिए एक अहम और चौंकाने वाली घोषणा की है—

बिना जन्म रजिस्ट्रेशन वाले लोग अब केवल 27 अप्रैल 2026 तक ही अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे।
सरकार ने साफ़ शब्दों में स्पष्ट किया है कि इस तारीख के बाद किसी भी तरह की डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी।

यह फैसला इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन (संशोधन) एक्ट, 2023 को 1 अक्टूबर 2023 से पूरे देश में लागू कर दिया गया है। अब, बर्थ सर्टिफिकेट को नागरिकता, सरकारी प्रक्रियाओं और कई अहम दस्तावेज़ों के लिए एक मुख्य व अनिवार्य “सोर्स डॉक्यूमेंट” माना जाएगा।


📍 मुस्लिम समुदाय के लिए खास संदेश — लापरवाही अब नुकसान पहुँचा सकती है

अक्सर देखा गया है कि बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि स्कूल सर्टिफ़िकेट में दर्ज जन्मतिथि ही काफ़ी है।
यह एक बड़ी गलतफहमी है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में
बर्थ सर्टिफ़िकेट को नागरिकता का सबसे महत्वपूर्ण सबूत माना जाएगा।
देश में लगभग 75% सीनियर मुसलमानों के पास जन्म और शादी के रिकॉर्ड नहीं हैं—यह चिंता का विषय है।

कई लोग हज जाने से ठीक पहले दस्तावेज़ ठीक कराने की कोशिश करते हैं, जो अक्सर देर हो जाती है।
अब जबकि सरकार ने यह अंतिम मौका दिया है, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं।


📌 अब 27 अप्रैल 2026 तक बर्थ रिकॉर्ड में नाम जोड़ने का मौका

पहले यह तारीख 14 मई 2020 तय थी,
अब इसे बढ़ाकर 27 अप्रैल 2026 कर दिया गया है।

अगर किसी का जन्म बिना नाम के दर्ज था—चाहे 1969 से पहले या बाद में—
तो अब 15 साल पुराने बिना नाम वाले जन्म रिकॉर्ड में भी नाम जोड़ा जा सकता है।

इसके लिए दो सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स जैसे—

  • स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट
  • 10वीं/12वीं का एजुकेशनल सर्टिफिकेट
  • पासपोर्ट
  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड

के साथ आवेदन किया जा सकता है।


📌 अब तहसील ऑफिस में भी आसानी से जन्म रजिस्ट्रेशन

पहले घर पर डिलीवरी ज़्यादा होने की वजह से कई जन्म रजिस्टर नहीं हो पाते थे।
शहरों में भी कई परिवारों को अस्पताल के रजिस्टर के बावजूद सर्टिफिकेट नहीं मिलते थे।

अब सरकार ने व्यवस्था आसान कर दी है—
तहसील ऑफिस से भी बिना किसी जटिल प्रक्रिया के जन्म रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी स्थानीय निकायों को इस संबंध में नोटिफिकेशन भेजा है ताकि लोग आसानी से नाम जुड़वा सकें।


📌 बर्थ सर्टिफिकेट—अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

सरकार ने इसे एक बड़ा कदम बताते हुए कहा है कि—
अब जन्म/मृत्यु सर्टिफ़िकेट को इंटरनेशनल लेवल पर मान्य पहचान डॉक्यूमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह अधिकार

  • जिला मजिस्ट्रेट (DM)
  • सब-डिवीज़नल ऑफिसर (SDO)

को प्रदान किया गया है।

यानी एक बर्थ सर्टिफिकेट न केवल भारत में, बल्कि विदेश में भी कई जगहों पर आपकी पहचान का मजबूत सबूत माना जाएगा।


📌 बिरादरी से अपील — यह जानकारी सभी भाइयों और बहनों तक ज़रूर पहुँचाएँ

इस घोषणा का सीधा असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा।
स्कूल एडमिशन, नौकरी, पासपोर्ट, विदेश यात्रा, सरकारी लाभ—हर जगह बर्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा।

इसलिए आप से गुज़ारिश है कि
यह जानकारी अपनी बिरादरी तक सीमित न रखें, बल्कि हर मुसलमान तक पहुँचाएँ।
यह सिर्फ़ दस्तावेज़ नहीं—आपकी पहचान, अधिकार और भविष्य का सबसे मजबूत सबूत है।


📌 मुल्तानी समाज की तरफ़ से एक जागरूकता पहल

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से पंजीकृत
दिल्ली से प्रकाशित,
पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार-बढ़ई बिरादरी को समर्पित
देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” की यह जिम्मेदारी है कि सही जानकारी सभी तक पहुँचे।

इस विशेष रिपोर्ट को तैयार किया—
ज़मीर आलम
(विशेष संवाददाता, मुल्तानी समाज)

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Friday, November 28, 2025

दस्तावेज़ संभालना वक़्त की अहम ज़रूरत: भारतीय मुसलमानों, ख़ासकर मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी के नाम एक जरूरी अपील

आज के दौर में पहचान, दस्तावेज़ और सरकारी रिकॉर्ड आपके अस्तित्व का सबसे ठोस सबूत हैं। तमाम भारतीय मुसलमानों के साथ-साथ मुस्लिम मुल्तानी लोहार और बढ़ई बिरादरी से एक खास, प्यार भरी लेकिन बेहद ज़िम्मेदाराना अपील—अपने और अपने घर के सभी ज़रूरी दस्तावेज़ पूरे, सही और अद्यतन रखें।

सबसे ज़रूरी और प्राथमिक दस्तावेज़

हर मर्द और औरत के पास यह काग़ज़ात सही जन्मतिथि और नाम की एक जैसी स्पेलिंग के साथ ज़रूर होने चाहिए:

  1. बर्थ सर्टिफिकेट (जन्म प्रमाण पत्र)
  2. स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC)
  3. आधार कार्ड
  4. पैन कार्ड
  5. इलेक्शन कार्ड (वोटर आईडी)
  6. राशन कार्ड
  7. पासपोर्ट
  8. बैंक पासबुक (KYC अपडेटेड)
  9. बिजली/अन्य पहचान संबंधी बिल

इन दस्तावेज़ों की एकरूपता आपकी पहचान को मजबूत बनाती है और भविष्य की किसी भी सरकारी प्रक्रिया में बड़ी आसानी देती है।


अब ये अतिरिक्त ज़रूरी दस्तावेज़ भी ज़रूर बनवाएं

  1. मैरिज सर्टिफिकेट (निकाहनामा)
  2. डोमिसाइल / मूल निवासी प्रमाण पत्र
  3. इनकम सर्टिफिकेट (आय प्रमाण पत्र)
  4. ओबीसी प्रमाणपत्र (जाति प्रमाण पत्र)
  5. डेथ सर्टिफिकेट
    • माँ-बाप
    • दादा-दादी
    • नाना-नानी
      जिनका इंतक़ाल हो चुका है और जिनका प्रमाणपत्र नहीं बना, वह फ़ौरन जारी करवाएँ।
  6. घर/जायदाद के काग़ज़ात
    • प्रॉपर्टी कार्ड
    • घर पटी
    • रजिस्ट्रेशन
      इनमें नाम और स्पेलिंग बिल्कुल सही हों—यह पक्का कर लें।

पुराने दस्तावेज़ = अमानत

घर में मौजूद हर पुराना काग़ज़, चाहे कितना ही साधारण क्यों न लगे—उसे संभालकर रखिए।
सभी दस्तावेज़ों का लैमिनेशन करवाकर सुरक्षित जगह रखें।

ये काग़ज़ ही मुश्किल वक़्त में आपकी आवाज़ बनते हैं।


अपनी बिरादरी और पड़ोस की मदद ज़रूर करें

अगर आपके सारे दस्तावेज़ दुरुस्त हैं, तो अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों, दोस्तों की भी रहनुमाई करें। जो ग़रीब हैं, अनपढ़ हैं—उनकी मदद करना सिर्फ इंसानी फर्ज़ नहीं, बल्कि सदक़ा-ए-जारिया है।
किसी का दस्तावेज़ ठीक करवा देना उसके भविष्य को सुरक्षित करने जैसा है।


आगे बढ़ाएं… यह संदेश हर घर तक पहुंचे

यह अपील सिर्फ सलाह नहीं, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता मुहिम है।
इस संदेश को हर मुस्लिम ग्रुप, हर बिरादरी, हर गली तक पहुंचाएँ।


मुल्तानी समाज की सामाजिक ज़िम्मेदारी की खास पेशकश

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पंजीकृत,
दिल्ली से प्रकाशित और मुस्लिम मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी की आवाज़—
देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज”

रिपोर्ट : ज़मीर आलम
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पासपोर्ट — आपकी पहचान, आपकी हिफ़ाज़त और आपका सबसे बड़ा दस्तावेज़

दुनिया में जहां भी आप खड़े हों, आपकी पहचान किस मुल्क से है — इसका सबसे बड़ा और मुकम्मल सबूत सिर्फ एक ही दस्तावेज़ है: पासपोर्ट

और यही वजह है कि यह दस्तावेज़ दुनिया के किसी भी और काग़ज़ से बड़ा, मजबूत और ज़्यादा एहमियत रखने वाला माना जाता है।

आज के दौर में जब दस्तावेज़ी पहचान और कानूनी स्थिति को लेकर तरह–तरह की बहसें और उलझनें मौजूद हैं, ऐसी सूरत में पासपोर्ट की अहमियत और भी बढ़ जाती है।


पासपोर्ट क्यों है सबसे बड़ा और ताक़तवर दस्तावेज़?

पासपोर्ट किसी मुल्क का राष्ट्रपति अपने नागरिक को जारी करता है, यह कहते हुए कि —
"यह शख़्स हमारी सरज़मीं का नागरिक है और हम इसके अंतरराष्ट्रीय सफ़र की ज़िम्मेदारी लेते हैं।"

यह सिर्फ एक आईडी नहीं, बल्कि एक वैश्विक प्रमाण है कि आप कौन हैं, किस देश से ताल्लुक रखते हैं, और दुनिया आपको किस नज़र से पहचानेगी।

आधार, पैन, वोटर कार्ड — ये तमाम काग़ज़ ज़रूरी हैं, लेकिन ये नागरिकता का अंतरराष्ट्रीय सबूत नहीं हैं।
पासपोर्ट एकमात्र ऐसा दस्तावेज़ है जो पूरी दुनिया को बताता है कि:
“यह व्यक्ति भारत गणराज्य का नागरिक है।”


पासपोर्ट को क्या बनाता है सबसे खास और बे-मिसाल?

फ़ोटो प्रूफ़
पता प्रूफ़
जन्म-तिथि प्रूफ़

तीनों का एक साथ सबसे मजबूत, सरकारी और अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकार किया जाने वाला दस्तावेज़ — यही पासपोर्ट है।

इसमें शामिल होते हैं:
— पुलिस वेरिफिकेशन
— फिजिकल सत्यापन
— दस्तावेज़ों की गहन जांच
— कोर्ट एफिडेविट / मार्कशीट का मिलान

यानी यह दस्तावेज़ कई स्तर की जांच के बाद जारी होता है।
इसीलिए इसका मुकाबला कोई दूसरा पेपर कर ही नहीं सकता।


गरीब तबक़े में दस्तावेज़ों की सबसे ज्यादा कमी क्यों?

हक़ीक़त ये है कि सबसे ज्यादा दस्तावेज़ी कमी गरीब और पिछड़े तबके में पाई जाती है।
समाज के बाकी लोग, जो वक्त–बे–वक्त फालतू बहसों और व्यर्थ चर्चाओं में लगे रहते हैं, अगर इन परिवारों की मदद कर दें —
तो न जाने कितने लोगों की ज़िंदगी सुधर सकती है।

बच्चों की जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) वक़्त पर बनवाना सबसे ज्यादा जरूरी है।
इसमें देरी आगे चलकर बड़े मुसीबतों का सबब बन जाती है।


एक अहम चेतावनी — काग़ज़ पूरे न हों तो परेशानी बहुत बड़ी होती है

दुनिया में दस्तावेज़ों की जांच बेहद सख्त हो चुकी है।
गलत पहचान, अधूरी जानकारी या दस्तावेज़ों की कमी की वजह से कई बार लोग ऐसी मुसीबत में फंस जाते हैं जिससे निकल पाना बहुत मुश्किल होता है।

डिटेंशन सेंटर में जाने के बाद वापसी आसान नहीं होती।
जो दूसरे मुल्क से आया हो — वह बाहर जाए, इसमें कोई बुराई नहीं।
लेकिन कोई ऐसा शख़्स न फंस जाए जो इसी मिट्टी का बेटा हो —
बस यही बात सबसे ज़्यादा एहम और क़ाबिल-ए-तवज्जोह है।

और एक बात याद रखिए —
ऐसे मामलों में बड़े–बड़े ओहदेदार, रिश्तेदार और पदाधिकारियों की भी सीमाएँ होती हैं।
सब कुछ काग़ज़ पर ही तय होता है।


क़ौम और बिरादरी के लिए ज़िम्मेदारी का पैग़ाम

यह वक्त है कि हम अपने भाइयों की, अपने गरीब तबके की, और उन परिवारों की मदद करें जिनके काग़ज़ आज भी अधूरे हैं।
उनके दस्तावेज़ पूरे करवाना, उन्हें जागरूक करना और सही रास्ता दिखाना —
यही आज की सबसे बड़ी समाजी ज़रूरत है।


मुल्तानी समाज की ओर से एक जरूरी अपील:

पासपोर्ट बनवाएँ।
अपने बच्चों का भी पासपोर्ट बनवाएँ।
और दस्तावेज़ों को वक़्त रहते पूरा करें।
भविष्य की सुरक्षा काग़ज़ों से ही होती है।


मुल्तानी समाज के लिए ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

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इन्तेकाल की तीन दर्दनाक ख़बरें — मुल्तानी समाज की गहरी हमदर्दी के साथ

आज का दिन मुल्तानी बिरादरी के लिए बेहद भारी और ग़मगीन साबित हुआ। तीन अलग–अलग जगहों से लगातार ऐसी खबरें आईं जिन्होंने पूरे समाज को रंजो–ग़म में डुबो दिया। “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका, पूरी बिरादरी की तरफ़ से मरहूमीन की मग़फ़िरत और उनके लवाहित की सब्र–ए–जमील के लिये दुआगो है।


1️⃣ दिल्ली से ख़बर — हाजी मोहम्मद इक़बाल खान (सूजरा वाले) का इ़न्तेकाल

निहायत ही दुःख और अफ़सोस के साथ यह इत्तिला दी जा रही है कि
हाजी मोहम्मद इक़बाल खान (सूजरा वाले)
हाल निवासी भजनपुरा, जिला उत्तर पूर्वी दिल्ली – 53
का कल दिन जुमेरात, 27 नवंबर 2025 को इंतकाल हो गया।

अल्लाह तआ’ला मरहूम की मग़फ़िरत फरमाए और उनके तमाम घर वालों को सब्र–ए–जमील अता फरमाए… आमीन।

मरहूम की नमाज़–ए–जनाज़ा आज दिन जुमा, 28 नवंबर 2025 को दोपहर 1:50 बजे,
अजीज़िया मस्जिद, गामड़ी में अदा की गई।
इसके बाद मय्यत को कच्ची खजूरी कब्रिस्तान में सुपुर्दे ख़ाक किया गया।


2️⃣ शामली, उत्तर प्रदेश से — जेबुन्निसा बी (70 साल) का इंतकाल

एक और बेहद अफ़सोसनाक ख़बर शामली से मिली।
आज दिन जुमा, 28 नवंबर 2025 को
जेबुन्निसा बी (उम्र 70 साल)
अहलिया जनाब हाजी अनीस साहब
का तक़रीबन सुबह 8:30 बजे कज़ा–ए–इलाही से इंतकाल हो गया।

मरहूमा अपने पीछे अपने शौहर, तीन बेटे —
मोहम्मद एहसान, मोहम्मद रिज़वान, मोहम्मद अरशद
और बड़े कुनबे को हमेशाहमेशा के लिए ग़मजदा छोड़कर इस फ़ानी दुनिया से पर्दा कर गईं।

इंतकाल दिल्ली में हुआ, लेकिन घर वाले मय्यत को उनके पुश्तैनी मकान शामली लेकर पहुंचे, और वहीं दफनाया जाएगा।

मरहूमा का मायका: कस्बा थानाभवन, जिला शामली
वे जनाब मोहम्मद इशाक साहब मरहूम (कुतुबगढ़ वाले) की सुशिगर्फ़्ता बेटी थीं।

मालूमात के लिए संपर्क:
मोहम्मद एहसान साहब — 9643463620


3️⃣ रुड़की, उत्तराखंड से — मोहम्मद सुहेल मिर्जा का इंतकाल

रुड़की से आने वाली खबर ने भी दिलों को हिला दिया।
आज मोहम्मद सुहेल मिर्जा, पुत्र अतीक मिर्जा,
निवासी — इमली रोड, पॉपुलर मोहल्ला, महीग्रान (रुड़की), जिला हरिद्वार,
का इंतकाल हो गया।

मरहूम कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।
अल्लाह उन्हें जनन्नत–उल–फ़िरदौस में बुलंद मक़ाम अता फरमाए… आमीन।


एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजने का सही तरीका

अक्सर अधूरी जानकारी आने की वजह से बिरादरी के लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते।
इसलिए “मुल्तानी समाज” पत्रिका तमाम अहबाब से गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते वक़्त निम्न बातें ज़रूर शामिल करें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम + वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ स्थायी और मौजूदा पता
3️⃣ दफन का सही वक़्त और कब्रिस्तान
4️⃣ घर के जिम्मेदार दो लोगों के मोबाइल नंबर
5️⃣ अगर मरहूम मर्द हो तो फोटो (अगर मुनासिब हो)
6️⃣ इंतकाल की वजह (इख्तियारी)
7️⃣ घर वालों के नाम — औलाद, भाई, बहन, माता–पिता

इन जानकारियों से खबर मुकम्मल बनती है और बिरादरी को सही वक़्त पर सूचित करना आसान होता है।


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मुल्तानी समाज — ज़मीर आलम की स्पेशल रिपोर्ट

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Wednesday, November 26, 2025

NRC और डिटेंशन सेंटर: एक ख़ामोश तूफ़ान और हमारी अनदेखी | मुल्तानी समाज स्पेशल रिपोर्ट

भारत में एनआरसी (NRC) को लेकर बहस अचानक नहीं उठी—यह एक लंबी राजनीतिक और प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसने मुल्क के एक बड़े तबक़े में बेचैनी और संदेह पैदा किया है। ख़ास तौर पर उन लोगों में, जिनके दस्तावेज़ अधूरे हैं या जिनके पास अपनी नागरिकता साबित करने का कोई सटीक रिकॉर्ड नहीं है।

आज जब राज्य सरकारें डिटेंशन सेंटर बना रही हैं, यह सवाल पहले से ज़्यादा गहरा और ज़रूरी हो गया है:
क्या हम इस संभावित संकट के लिए तैयार हैं?


NRC क्या है और यह क्यों चर्चा में है?

NRC यानी National Register of Citizens—एक ऐसी सूची जिसमें उन नागरिकों के नाम शामिल होंगे, जो अपने भारतीय होने का प्रमाण पेश कर सकें।
लेकिन भारतीय समाज की जटिलता और करोड़ों ग़रीब नागरिकों की दस्तावेज़ी कमज़ोरियाँ इसे एक बेहद संवेदनशील मसला बना देती हैं।

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डिटेंशन सेंटर: भविष्य का खामोश इशारा

जब गृह मंत्रालय राज्यों को डिटेंशन सेंटर तैयार करने का निर्देश देता है, तो यह केवल “अवैध विदेशियों” का मुद्दा नहीं रह जाता—बल्कि एक बड़ा सामाजिक प्रश्न बन जाता है।

असम का अनुभव क्या बताता है?

  • लाखों लोगों के नाम NRC सूची से बाहर रह गए
  • क़ानूनी प्रक्रिया लम्बी और बेहद महंगी थी
  • जिनके पास दस्तावेज़ नहीं थे, वे सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए

इसीलिए यह सवाल अब सिर्फ़ इलज़ाम या डर नहीं—बल्कि वास्तविक जमीनी अनुभव पर आधारित है।

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सियासी कमज़ोरी: एक बिखरी हुई आवाज़ का दर्द

भारतीय लोकतंत्र में एक बड़ी आबादी होने के बावजूद मुसलमानों की राजनीतिक हैसियत बेहद कमज़ोर हो चुकी है।
बहुत से नेता, संगठन और पार्टियाँ ज़मीनी काम से ज़्यादा मंच और माइक्रोफोन पर भरोसा करती हैं।

जबकि NRC जैसा मसला:

  • मजबूत नेतृत्व
  • लीगल टीम
  • जनजागरण
    सब कुछ एक साथ चाहता है।

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हमारी ग़फ़लत: काग़ज़ से बड़ी कोई दलील नहीं

सच्चाई यह है कि आज नागरिकता भावनाओं से नहीं—दस्तावेज़ों से तय होती है।
जिनके पास ये नहीं, उनका सबसे पहले नंबर आता है:

  • मज़दूर
  • देहाती आबादी
  • किरायेदार
  • ग़रीब परिवार
  • बाढ़/हादसे से दस्तावेज़ खो चुके लोग

यह वही तबक़ा है जो किसी भी बड़ी सरकारी प्रक्रिया में सबसे पहले जोखिम में होता है।

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अब क्या करना चाहिए? — सबसे ज़रूरी अमली कदम

1. दस्तावेज़ सुरक्षित, अपडेट और उपलब्ध रखना

  • आधार कार्ड
  • राशन कार्ड
  • वोटर आईडी
  • जन्म प्रमाणपत्र
  • तालीमी सर्टिफ़िकेट
  • ज़मीन/किराए के काग़ज़
  • पुरानी सरकारी रसीदें

इन सबको डिजिटल + हार्ड कॉपी दोनों रूप में रखें।

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2. क़ानूनी और सामाजिक जागरूकता

लोगों को यह बताना कि:

  • दस्तावेज़ कैसे बनते हैं
  • कैसे सुधारे जाते हैं
  • किन दस्तावेज़ों की वैल्यू सबसे ज़्यादा है
  • कौनसी अफ़वाहों से बचना है

मस्जिद, मदरसा, सामाजिक संगठन—सबको इसमें आगे आना होगा।

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3. समाजी इत्तिहाद

यह वक़्त फ़िरक़ों, जमातों, सियासी पसंद-नापसंद में उलझने का नहीं—बल्कि एक कौमी बिरादरी बनकर खड़े होने का है।
इक़्तिलाफ़ ज़िंदगी की हकीकत है—but इत्तिहाद ज़रूरत


4. उलमा, बुद्धिजीवी और संगठनों की जिम्मेदारी

अगर आज यह अमानत पूरी न हुई तो कल हालात हमारे इख़्तियार से बाहर हो सकते हैं।
लोगों को डर से नहीं—तथ्य और दस्तावेज़ों की तैयारी से मज़बूत किया जाए।


नतीजा: डर नहीं, तैयारी ज़रूरी

डिटेंशन सेंटर की इमारतें एक ख़ामोश चेतावनी की तरह खड़ी हैं—
कहती हैं कि वक़्त बहुत कम है और तैयारी बहुत ज़रूरी।

NRC का मुद्दा भावनाओं से ज़्यादा तैयारी और दस्तावेज़ का है।
सवाल यह नहीं कि “क्या होगा?”
बल्कि यह है कि “हम कितने तैयार हैं?”


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
दिल्ली से प्रकाशित ‘मुल्तानी समाज’ के लिए
ज़मीर आलम की विशेष रिपोर्ट

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नसीम बी (आपा जी ) का इंतकाल — मुल्तानी समाज की तरफ़ से गहरे रंज व ग़म के साथ इत्तिला

मुल्तानी समाज गहरे दुख और अफसोस के साथ यह इत्तिला दे रहा है कि मोहल्ला रैति सराय, क़स्बा थानाभवन, जिला शामली (उ. प्र.) की बुजुर्ग और खानदान की मुखबिर शख्सियत नसीम बी आपा जी (अहलिया — जनाब गुलज़ार साहब, मरहूम) का 26 नवंबर 2025, दिन बुधवार, रात लगभग 12 बजे क़ज़ा-ए-इलाही हो गया।

अल्लाह तआला मरहूमा की मग़फिरत फ़रमाए, उनकी रूह को जन्नत-उल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता करे और तमाम घर वालों को सब्र-ए-जमील दे।
إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعون


मरहूमा का तारूफ़ और खानदान की जानकारी

  • नाम: नसीम बी आपा जी
  • उम्र: 65 साल
  • ननिहाल: मोहल्ला खेल, क़स्बा थानाभवन, जिला शामली
  • पिता का नाम: जमील अहमद
  • औलाद:
    • एक बेटा (जिसका इंतकाल तीन साल पहले हो चुका)
    • पाँच बेटियाँ — सभी अपने-अपने घर बार में आबाद

मरहूमा की बेटियों का तफ़्सीलवार परिचय

1️⃣ नसरीन जहां — अहलिया जनाब नदीम साहब (नगले वालों के यहाँ), शामली
2️⃣ हसीन जहां — अहलिया जनाब हाजी इमरान साहब, मोहल्ला न्याज़पुरा, मुज़फ्फरनगर
3️⃣ यास्मीन जहां — अहलिया जनाब इसरार साहब, पानीपत
4️⃣ मोबिना जहां — अहलिया जनाब फैजान साहब, क़स्बा गंगोह
5️⃣ रुकैया जहां — अहलिया जनाब अफ़ज़ाल साहब, मुज़फ्फरनगर

अल्लाह तआला मरहूमा की सभी औलाद, घरवालों और अज़ीज़-ओ-क़ारिब को इस बड़े सदमे को सहने की ताक़त अता फ़रमाए। आमीन।


दफ़न का वक्त व मुक़ाम

मरहूमा की मय्यत को
आज दिन जुमेरात, तारीख़ 27 नवंबर 2025 — नमाज़-ए-असर के बाद
क़स्बा थानाभवन स्थित ‘गोरे-ग़रीबा कब्रिस्तान’ में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।

(समय में किसी तब्दीली की सुरत में घर वाले मुनासिब तौर पर इत्तिला करेंगे।)


मुल्तानी समाज की अहम गुज़ारिशें

इंतकाल की खबर के साथ सही और मुकम्मल जानकारी देना बिरादरी के लिए बेहद ज़रूरी है।
खबर भेजते वक्त इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम व वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता
3️⃣ दफ़न का सही वक्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स का फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मरहूम पुरुष हों तो फोटो शामिल करें
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ घर के तमाम अहम रिश्तेदार — औलाद, भाई, बहन, माता-पिता

इससे खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी को सही व समय पर जानकारी पहुँचती है।


मरहूमा के लिए दुआ

🕊 "अल्लाह तआला नसीम बी आपा जी की रूह को जन्नत में आला मक़ाम अता फ़रमाए, उनकी तमाम मग़फिरत फ़रमाए, और उनके घरवालों, औलाद व सारे कुनबे को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन।"


संपर्क

  • मोहम्मद शकील साहब: 9927274868
  • मोहम्मद ग़फ्फ़ार साहब: 9675588585

✍️ मुल्तानी समाज" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए

ज़मीर आलम की ख़ास रिपोर्ट

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित
मुल्तानी लोहार–बढ़ई बिरादरी को समर्पित एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका

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अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान: दो दशकों की ख़ामोशी पर उठते सवाल

लेखक: अलीहसन मुल्तानी, बड़ौत जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
(मुल्तानी समाज — विशेष रिपोर्ट)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार से पंजीकृत और दिल्ली से प्रकाशित, मुल्तानी इंजीनियर, मुस्लिम मुल्तानी लोहार तथा बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” की इस विशेष रिपोर्ट में आज हम बीते लगभग तीन दशकों में रजिस्टर्ड सोसायटी—
“अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान, बड़का मार्ग, बड़ौत (जिला बागपत, उप्र)”
की गतिविधियों को लेकर समाज में उठ रही चिंताओं और सवालों को सलीके से पेश कर रहे हैं।

यह रिपोर्ट किसी पर इल्ज़ाम नहीं, बल्कि समाज की सोच और भावनाओं का सजग दस्तावेज़ है

1999 से 2025 तक—कई राष्ट्रीय व स्थानीय मौकों पर अंजुमन की अनुपस्थिति

लंबे वक़्त से समाज के लोगों का ये कहना है कि 1999 के कारगिल युद्ध से लेकर 2025 तक राष्ट्रीय और सामाजिक परिस्थितियों में अंजुमन की भूमिका नगण्य रही है।

कारगिल युद्ध 1999
देशहित में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।

बाबरी मस्जिद फैसले 2010 व 2019
अमन-चैन की अपील या कोई सामाजिक पहल दर्ज नहीं हुई।

मुज़फ्फरनगर कवाल काण्ड 2013
क्षेत्र में तनाव के समय अंजुमन की सक्रियता नहीं दिखी।

चिकनगुनिया महामारी 2016
जनता मुश्किल में थी लेकिन अंजुमन नदारद रही।

नोटबंदी 2016
लोगों को राहत देने की कोई गतिविधि सामने नहीं आई।

पुलवामा हमला 2019
देश शोक में था, पर अंजुमन की प्रतिक्रिया अनुपस्थित रही।

कोविड महामारी 2020
यह समय सामूहिक सेवा का था, लेकिन अंजुमन कहीं दिखाई नहीं दी।

2025 पहलगांव हमला और पंजाब बाढ़
राष्ट्रीय दर्द के इन मौकों पर भी कोई बयान या सहयोग दर्ज नहीं हुआ।

स्थानीय गतिविधियों में भी नज़रअंदाज़

1995 से 2025 तक दर्जनों दीनी जलसे और इजलास हुए—अंजुमन की मौजूदगी नहीं रही।

हर साल सैकड़ों हाजी हज यात्रा पर रवाना होते हैं—अंजुमन कभी खिदमत में नहीं दिखी।

समाज की कई ज़रूरतों पर भी वर्षों से कोई गतिविधि दिखाई नहीं दी।

समाज में उठ रही आवाज़ें

कई वरिष्ठ लोगों का मानना है कि अंजुमन अपने उद्देश्य से भटक चुकी है।
इसी संदर्भ में मुहम्मद समीर वल्द सईद अहमद वल्द हाजी अब्दुल रसीद का बयान काफ़ी चर्चा में है:

> “अंजुमन को खंडहर बना दिया गया है।”



समाज के कई लोग इस कथन को मौजूदा स्थिति का प्रतिबिंब मानते हैं।

क्या अब नई शुरुआत व समय की ज़रूरत है?

अंजुमन एक रजिस्टर्ड सोसायटी है—और समाज का मानना है कि इसका सक्रिय होना समय की मांग है।
युवाओं को जोड़कर, ईमानदार नेतृत्व लाकर और पारदर्शी काम शुरू करके अंजुमन फिर से अपने पहले वाली पहचान हासिल कर सकती है।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट किसी की आलोचना नहीं, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए उठाई गई चिंताओं का संकलन है।
उम्मीद है कि अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान अपने पुराने वजूद को ताज़ा करेगी, और आने वाले समय में समाज, क्षेत्र और देशहित की गतिविधियों में आगे बढ़कर काम करेगी।

संपर्क व स्रोत

लेखक: अलीहसन मुल्तानी
स्थान: बड़ौत, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश
पत्रिका: मुल्तानी समाज
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Monday, November 24, 2025

🕊️ इंतकाल की अफसोसनाक खबर — बिरादरी से एक और रोशन चिराग रूख़्सत हुआ

निहायत ही दुःख और अफसोस के साथ तमाम बिरादराना हज़रात को यह इत्तला दी जाती है कि बीती रात बरोज़ पीर, तारीख़ 24 नवंबर 2025 को बुढ़ाना रोड कस्बा खतौली, जिला मुज़फ्फरनगर (उ.प्र.) की सम्मानित हस्ती जनाब रशीद अख़्तर साहब वल्द हाजी जमालुद्दीन साहब (मरहूम) खेड़े वालो, का कज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया।

अल्लाह तआला मरहूम पर अपनी रहमतों की बारिश फ़रमाए, उनकी मग़फ़िरत फ़रमाए और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फ़रमाए। आमीन।

🕯️ सुपुर्द-ए-खाक का एलान
मरहूम की मय्यत को आज, बरोज़ मंगल, 25 नवंबर 2025 सुबह 11 बजे सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।
तमाम अहबाब, अकरिबा और बिरादरी के लोगों से गुज़ारिश है कि जनाज़े में पहुँचकर सवाब-e-दारेन हासिल करें।

नोट 🚫 मय्यत के सिलसिले में और ज्यादा मालूमात के लिए जनाब अफजाल साहब कुशावली वालो के मोबाईल नंबर - 8077790947 पर राब्ता क़ायम करके पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है।


📌 एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर देखा गया है कि इंतकाल की खबर देर से या अधूरी जानकारी के साथ मिलती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े में शरीक नहीं हो पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से दरख़्वास्त करती है कि खबर भेजते वक़्त निम्न बातों का ख़ास ख्याल रखें:

1️⃣ मरहूम / मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत या शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता – मूल निवासी और मौजूदा पता
3️⃣ दफ़ीने का वक़्त और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार लोगों के 1–2 फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम की तस्वीर
6️⃣ इंतेकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे औलाद, भाई-बहन, माँ-बाप आदि

इन तमाम जानकारियों के साथ खबर मुकम्मल होती है और बिरादरी तक सही और समय पर पहुंचती है।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

पत्रिका में प्रकाशित किसी भी प्रकार की ख़बर, लेख, विचार, संपादकीय, प्रेस विज्ञप्ति या विज्ञापन लेखक/संवाददाता/विज्ञापनदाता के व्यक्तिगत विचार हैं।
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पत्रिका एवं प्रबंधन किसी भी कानूनी, सामाजिक या वित्तीय जिम्मेदारी से पूर्णतः मुक्त रहेंगे।

किसी भी विवाद, शिकायत या न्यायिक कार्यवाही की स्थिति में न्याय क्षेत्र (Jurisdiction) केवल दिल्ली रहेगा।


✍️ ज़मीर आलम
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Sunday, November 23, 2025

🌙 इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन — मोहम्मद इक़बाल साहब के इंतकाल पर मुल्तानी समाज की ख़ास रिपोर्ट

बड़ी अफ़सोसनाक और रंज़ो-ग़म के साथ यह इत्तिला तमाम बिरादराने इस्लाम तक पहुंचाई जाती है कि आज दिन इतवार, 23 नवंबर 2025 को जनाब मोहम्मद इक़बाल साहब वल्द जनाब अब्दुल मजीद (हाथी करोदा वाले), हाल मुक़ीम मोहल्ला नौ कुआँ, शामली (उ.प्र.) का तकरीबन पौने दो बजे दिन में कज़ा-ए-ईलाही से इंतकाल हो गया।

मरहूम मोहम्मद इक़बाल साहब उम्र 70 साल, बीते कुछ अरसे से बीमारियों में मुब्तिला थे।
अल्लाह तआला मरहूम की मगफिरत फरमाए, उनकी कब्र को रौशन करे और घर वालों को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।


🌿 मरहूम का परिवार

मरहूम अपने पीछे:

  • 5 लड़के,
  • 2 लड़कियाँ,
    सहित पूरे कुनबे, रिश्तेदारों और अज़ीज़ो-कारिब को रोता-बिलखता छोड़कर इस फानी दुनिया से हमेशा के लिए रुख़्सत हो गए।

🕌 अंतिम संस्कार (दफीना) की व्यवस्था

मरहूम की मय्यत बाद नमाज़-ए-इशा सुपुर्द-ए-ख़ाक की जाएगी।
जो भी हज़रात शिरकत कर सकें, मरहूम के लिए दुआ-ए-मगफिरत अवश्य फ़रमाएँ।


📞 तफ़सीलात के लिए संपर्क करें

अगर मय्यत या दफीने के बारे में और जानकारी चाहिए तो:
मिस्त्री इकराम साहब — 9528835553


📢 एक ज़रूरी ऐलान — इंतकाल की खबर भेजते समय इन हिदायतों का खास ख्याल रखें

अक्सर देखा गया है कि खबर देर से पहुँचती है या अधूरी होती है, जिसकी वजह से लोग जनाज़े में शामिल नहीं हो पाते।
“मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि खबर भेजते समय ये बातें ज़रूर लिखें—

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम, वल्दियत/शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता — मूल निवास और वर्तमान निवास।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त, दिन और कब्रिस्तान।
4️⃣ घर के जिम्मेदार एक-दो लोगों के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल है तो मरहूम का फोटो।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ अहल-ए-ख़ाना के नाम — औलाद, भाई, बहन, माँ-बाप आदि।

इन जानकारी से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी तक सही खबर पहुंचाना आसान रहेगा।


📰 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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किसी भी विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र केवल दिल्ली माना जाएगा।


📌 “मुल्तानी समाज” — मुल्तानी लोहार, बढ़ई बिरादरी की आवाज़

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
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