मरहूम का ताल्लुक जसद, सरधना (ज़िला मेरठ, उत्तर प्रदेश) से था और आप पिछले अरसे से कर्दमपुरी, दिल्ली में बसर कर रहे थे। लम्बे वक़्त से गले के कैंसर की बीमारी से जूझते हुए, ईलाज के दौरान आप इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह गए।
🕊️ परिवार और अहल-ए-ख़ाना
मरहूम अपने पीछे बुज़ुर्ग वाल्दा, मोहतरमा अहलिया, बेटा-बेटियाँ, पौते-पोतियाँ, नाते-नातिनें और पूरा कुनबा-खानदान छोड़कर रुख़्सत हुए हैं। इस अचानक जुदाई से पूरा घराना, बिरादरी और अज़ीज़-ओ-अक़ारिब गहरे सदमे और ग़म में डूब गए हैं।
🕌 नमाज़-ए-जनाज़ा और दफन
मिली जानकारी के मुताबिक मरहूम का जनाज़ा आज दिन पीर, 01 सितम्बर 2025 को सुबह 10 बजे अदा किया जाएगा और उसके बाद सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा। लिहाज़ा तमाम हजरात से दरख़्वास्त है कि ज़्यादा से ज़्यादा तादाद में शरीक होकर दुआएं करें और सवाबे दारेन हासिल करें।
🤲 दुआ-ए-मग़फ़िरत
हम अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ करते हैं कि वह मरहूम की मग़फ़िरत फरमाए, उनकी ग़ुना-ओं को माफ़ करे और जन्नत-उल-फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए। साथ ही उनके घराने को सब्र-ए-जमील और हिम्मत बख़्शे। आमीन या रब्बुल आलमीन।
📞 मालूमात के लिए
मय्यत के सिलसिले में तफ़सीलात हासिल करने के लिए आप मोहम्मद इक़बाल साहब (सुंदर नगरी, दिल्ली) से उनके मोबाइल नंबर — 9810307851 पर राब्ता कर सकते हैं।
📢 इल्तिज़ा-ए-बिरादरी
बिरादरी के लिए बनाई गईं तमाम व्हाट्सएप ग्रुप्स में ऐसी खबरें ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें, ताकि सब तक सही इत्तिला पहुंच सके।
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✒️ दुआनुमा अशआर
इक रोज सबको छोड़ के जाना है इस जहाँ,
किसी को नहीं मिला है अमर का मक़ाम।
रहमत तेरी बरसे ऐ ख़ुदा उस पर हर घड़ी,
जन्नत में बसा दे तू यामीन को सदा के लिए।
ग़म की घड़ी है सब्र का आसरा मिले,
रहमत का साया घराने पर सदा रहे।
💐 जनाब मोहम्मद यामीन साहब की यादें, उनकी नेक सिफ़ात और अच्छे अख़लाक बिरादरी में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।
उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा।
एक ज़रूरी ऐलान – इंतेकाल की खबर भेजने के लिये अहम् हिदायतें
अक्सर ऐसा होता है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर बिरादरी तक देर से पहुंचती है या अधूरी जानकारी होने की वजह से लोग जनाज़े तक नहीं पहुँच पाते। इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुज़ारिश करती है कि जब भी किसी के इंतकाल की खबर भेजें तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें:
1️⃣ मरहूम/मरहूमा का नाम और उनकी वल्दियत या शौहर का नाम।
2️⃣ पूरा पता (कहां के रहने वाले थे और फिलहाल कहां रह रहे थे)।
3️⃣ दफीने का सही वक़्त और कब्रिस्तान का नाम।
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स (एक-दो) के फ़ोन नंबर।
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो भी शामिल करें।
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर बताना मुनासिब हो)।
7️⃣ घर के बाक़ी अहल-ए-ख़ाना के नाम – जैसे भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह।
👉 इन तमाम जानकारियों से खबर मुकम्मल होगी और बिरादरी के लोगों को सही-सही जानकारी मिलने से आसानी होगी।