अलहम्दुलिल्लाह, इस नेक काम में हाजी तौकीर साहब, हाजी क़ासिम साहब, मिर्ज़ा नसीम साहब और अफ़ज़ाल मुगल साहब पूरी टीम के साथ तन, मन और धन से आगे बढ़कर रहबरी कर रहे हैं। आपसी मसलों को सुलझाना, भरोसे को फिर से कायम करना और समाज में मोहब्बत की फिज़ा बनाना — यही इस मुहिम की असल पहचान है।
बीते कुछ दिनों में टीम ने कई बच्चियों की शादियों में मदद की, जिससे समाज में उम्मीद की एक नई किरण जगी है। इसके बाद कई और ज़रूरतमंद लोगों ने संपर्क किया है। ज़िम्मेदारियां बढ़ रही हैं, और आगे भी बढ़ेंगी। इसी वजह से अब और ऐसे साथियों की ज़रूरत है जो इस कार-ए-ख़ैर में बिना नाम और शोहरत के शामिल होना चाहते हों।
यहां किसी नाम की नुमाइश नहीं, बल्कि ऊपर आसमान में देखने वाले रब पर यक़ीन है, जिसने नेक अमल पर इनाम का वादा किया है। मदद करने वालों के लिए एक अलग “इलीट पैनल / क्लब” बनाया जा रहा है, ताकि ज़रूरतमंदों की इमदाद पूरे एहतियात और इज़्ज़त के साथ की जा सके। इस पैनल में शामिल लोग आपसी मशवरे से मदद करेंगे, जबकि आम ग्रुप में सिर्फ सूचना दी जाएगी।
खास बात यह है कि इस मुहिम में कोई फंड, कोई कमीशन और कोई कटौती नहीं है। हम टारगेट तय करते हैं और 100 प्रतिशत इमदाद मुस्तहक तक पहुंचाई जाती है। छोटी-छोटी रक़में मिलकर बड़े मसले हल करती हैं — क्योंकि बूंद-बूंद से ही सागर बनता है।
जो लोग इस नेक काम में हिस्सा लेना चाहते हैं, वे फोन या व्हाट्सएप के ज़रिये संपर्क कर सकते हैं:
हाजी तौकीर साहब – सहारनपुर
हाजी क़ासिम साहब – सहारनपुर
अफ़ज़ाल मुगल – सहारनपुर
मुहम्मद वसीम – देवबंद
जनाब ताहिर – मुज़फ्फरनगर
हाजी नसीम – खतौली
रईस आज़म – खतौली
जनाब मोबीन साहब – दिल्ली
यह अपील किसी व्यक्तिगत मक़सद के लिए नहीं, बल्कि खुदा के बंदों की मदद के लिए है। किसी का नाम ज़बरदस्ती शामिल नहीं किया जा रहा — हर शख़्स खुद सोच-समझकर इस मुहिम का हिस्सा बने।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत, देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित, पैदायशी इंजीनियर मुस्लिम मुल्तानी लोहार/बढ़ई बिरादरी को समर्पित देश की एकमात्र पत्रिका “मुल्तानी समाज” के लिए
जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से
पत्रकार मोहम्मद वसीम की खास रिपोर्ट।
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