सोचने का वक्त अब भी बिरादरी की अमानत और अंजुमन की जवाबदेही
है… वरना पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचेगा
बिरादरी और अंजुमन किसी एक व्यक्ति की जागीर नहीं होती, बल्कि यह आने वाली नस्लों की अमानत होती है। अगर कोई शख्स अपने घर या दफ्तर में बैठकर भी सिर्फ 10 मिनट निकालकर बिरादरी और अंजुमन के मसलों पर सोचने को तैयार नहीं है, तो उसे आत्ममंथन करना चाहिए कि वह वाकई बिरादरी का हमदर्द है भी या नहीं।
आज अंजुमन मुल्तानी मुग़ल आह्नग्रान, बड़का मार्ग बड़ौत (जनपद बागपत, उत्तर प्रदेश) से जुड़े जिन गंभीर सवालों ने सिर उठाया है, वे किसी व्यक्तिगत टकराव का नतीजा नहीं, बल्कि वर्षों की लापरवाही, गलत फैसलों और जवाबदेही से बचने की प्रवृत्ति का परिणाम हैं।
गलतियां कमेटियों की, आरोप एक व्यक्ति पर
सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि अंजुमन की कमेटियों और समितियों द्वारा की गई लगभग हर बड़ी चूक का ठीकरा एक व्यक्ति—अलीहसन मुल्तानी—के सिर फोड़ा जा रहा है।
नक्शा पास न कराना हो, बायलॉज के मुताबिक काम न होना हो, रोज़नामचा रजिस्टर न बनाना हो, 33 वर्षों का हिसाब न देना हो, गलत वोटर लिस्ट छपवाना हो, बिना चुनाव सदर बनाना हो, या फिर आरटीआर, बैलेंस शीट, ऑडिट और बजट जैसे अनिवार्य दस्तावेज़ न तैयार करना—इन तमाम मामलों में जिम्मेदारी कमेटियों की थी, लेकिन आरोप किसी और पर लगाए जा रहे हैं।
अंजुमन की संपत्ति और पारदर्शिता पर सवाल
आरोप यह भी हैं कि अंजुमन का गलत ढंग से बना भवन—जिसमें हवा, रोशनी और गैलरी तक का सही इंतज़ाम नहीं—बिना वैध नक्शे के खड़ा कर दिया गया।
अंजुमन का सामान बिना बिरादरी से पूछे बेचा गया, फर्जी लोगों से मेंबरशिप रसीदें कटवाई गईं, लाखों-करोड़ों रुपये के कथित फर्जी चंदे के जरिए धन का दुरुपयोग हुआ, यहां तक कि अंजुमन की दुकानों को कुछ ओहदेदारों ने अपने नाम नगर पालिका में दर्ज करा लिया।
इन सबके बीच सवाल यह भी है कि जब बिरादरी इतना बड़ा भवन बनवा सकती है, तो नक्शा पास कराने की फीस, आर्किटेक्ट और इंजीनियर की फीस क्यों नहीं दे सकती थी? क्या बिरादरी ने कभी कमेटी को नक्शा पास न कराने के लिए मना किया था?
सरकारी जांच और बढ़ता खतरा
आज के दौर में, जब केंद्र और राज्य सरकारें मुस्लिम समाज की संपत्तियों की गहन जांच कर रही हैं, ऐसे में दस्तावेज़ी तौर पर कमजोर अंजुमन किसी भी समय बड़े संकट में फंस सकती है।
नगर पालिका परिषद बड़ौत, विकास प्राधिकरण बागपत और जिला प्रशासन को कथित तौर पर चकमा देकर किया गया अवैध निर्माण अब सिर्फ सरकार, संविधान, न्यायालय और प्रशासन की रहमदिली पर टिका हुआ है।
आखिर जिम्मेदार कौन?
यह सवाल बार-बार सामने आता है कि इतनी बड़ी-बड़ी गलतियों का जिम्मेदार कौन है?
अलीहसन मुल्तानी का कहना है कि वर्षों पहले बिरादरी ने अयोग्य, बेईमान और गैर-जिम्मेदार लोगों के हाथ में अंजुमन की चाबी सौंपकर भारी भूल की। अगर हालात ऐसे ही रहे और अंजुमन कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंस गई, तो भविष्य में नई अंजुमन बनाना सिर्फ मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन भी हो सकता है।
सोचिए… और जरूर सोचिए
यह वक्त आरोप-प्रत्यारोप से आगे बढ़कर ईमानदार आत्ममंथन का है। अंजुमन किसी एक व्यक्ति के खिलाफ या पक्ष में नहीं, बल्कि पूरी बिरादरी के भविष्य का सवाल है।
अगर आज भी जवाबदेही तय नहीं हुई, पारदर्शिता नहीं आई और सही दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
प्रेषक:
अलीहसन मुल्तानी
(आपका खादिम, आपका बेटा, आपका भाई)
पूर्व विधायक प्रत्याशी, क्षेत्र 51 बड़ौत, उत्तर प्रदेश
“मुल्तानी समाज” पत्रिका के लिए ज़मीर आलम की खास रिपोर्ट
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत
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