Thursday, December 11, 2025

जनाब अब्दुल सत्तार साहब के इंतकाल की दुखभरी खबर — मुल्तानी समाज की ओर से गहरी संवेदनाएँ

ज़मीर आलम | मुल्तानी समाज राष्ट्रीय समाचार पत्रिका

गहरे अफसोस और रंजो-गम के साथ यह इत्तिला दी जाती है कि गांव सूप, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले और फिलहाल सुल्तानपुरी, दिल्ली (P-4 ईदगाह के पास) में रह रहे जनाब अब्दुल सत्तार साहब का आज दिन जुमेरात, 11 दिसंबर 2025 को कज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया।
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैकहि राजिऊन।

मरहूम एक सादगी पसंद, मिलनसार और नेक-नियत इंसान माने जाते थे, जो अपनी मेहनत-मशक्कत और सीधी सादी ज़िंदग़ी के लिए पहचान रखते थे। बिरादरी में उन्हें “सूप वाले अब्दुल सत्तार” के नाम से जाना जाता था। उनकी रुख़सत ने पूरे परिवार और जान-पहचान वालों को गहरे सदमे में डाल दिया है।

दफनाने का वक़्त फ़िलहाल तय नहीं

खबर लिखे जाने तक जनाज़े और दफन का वक़्त व तफ़सील सामने नहीं आ सकी है।
बिरादरी से गुज़ारिश है कि मरहूम के लिए सदक़ा-ए-जारीया की नीयत से दुआएँ फ़ातेहा करें और अल्लाह तआला से उनकी मग़फिरत की दुआ करें।


मरहूम की यादें और बिरादरी में उनकी पहचान

अब्दुल सत्तार साहब का स्वभाव बेहद नरम, औरों की मदद करने वाला और दोस्ताना था। उनका गुजर जाना परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी बिरादरी के लिए एक बड़ी कमी है, जिसे भरना आसान नहीं।
उनसे जुड़ी छोटी-छोटी यादें आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं — यही उनका असली विरसा है।


एक ज़रूरी ऐलान — इंतेकाल की खबर भेजने वालों के लिए अहम् हिदायतें

अक्सर यह देखा गया है कि किसी अज़ीज़ के इंतकाल की खबर देर से पहुँचती है या अधूरी रहती है, जिससे लोग जनाज़ेदफ्न में शरीक नहीं हो पाते।
इस कमी को दूर करने के लिए “मुल्तानी समाज” राष्ट्रीय समाचार पत्रिका तमाम बिरादराने इस्लाम से गुजारिश करती है कि जब भी किसी मरहूम/मरहूमा के इंतकाल की सूचना भेजें, इन बातों का खास खयाल रखें:

खबर को मुकम्मल बनाने के लिए ज़रूरी बिंदु—

1️⃣ मरहूम/मरहूमा का पूरा नाम व वल्दियत/शौहर का नाम
2️⃣ पूरा पता—कहाँ के रहने वाले थे और इस वक़्त कहाँ रह रहे थे
3️⃣ जनाज़े और दफनाने का सही वक़्त, तारीख़ और कब्रिस्तान का नाम
4️⃣ घर के जिम्मेदार शख्स का नाम व फ़ोन नंबर
5️⃣ अगर मर्द का इंतकाल हुआ है तो मरहूम का फोटो
6️⃣ इंतकाल की वजह (अगर परिवार बताना मुनासिब समझे)
7️⃣ घर के बाकी अहल-ए-ख़ाना के नाम—भाई, बहन, माँ-बाप, औलाद वगैरह

इन तमाम जानकारियों से न सिर्फ खबर मुकम्मल होती है, बल्कि बिरादरी के लोगों तक सही वक़्त पर सूचना पहुँचती है।


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