Sunday, September 26, 2021

नौकर आ गया : और उसी घर के एक कमरे में बाप को फर्श पर गद्दा लगा दिया गया


और नौकर को कहा कि इसका पूरा ख्याल रखना , हमें कोई शिकायत ना मिले, बेटों की शादियां हुई एक ने गर्मी की छुट्टियां गुजारने फ्रांस का प्रोग्राम बनाया, और दूसरे ने लंदन का, और तीसरे ने पेरिस का,और हर जगह अपना तअल्लुक मेजर जनरल के बेटे होने से शुरु करते .......नौकर को ताकीद की, कि हमारी तीन माह के बाद वापसी होगी तुम बाबा का पूरा ख्याल रखना.और वक्त पर खाना देना, नौकर  अच्छा साहब जी! सब चले गए वह बाप अकेला घर के कमरे में लेटा सांस लेता रहा, ना चल सकता था ना खुद से कुछ मांग सकता था नौकर घर को ताला लगाकर बाजार से ब्रेड लेने गया, तो उसका एक्सीडेंट हो गया ,लोगों ने उसे हॉस्पिटल पहुंचाया और वह कोमे से होश में ना आ सका, बेटों ने नौकर को सिर्फ बाप के कमरे की चाबी देकर बाकी सारे घर को ताले लगाकर चाबियां साथ ले गए थे,

मुलाजिम उस कमरे को ताला लगाकर चाबी साथ लेकर गया था कि अभी वापस आ जाऊंगा! अब बूढ़ा रिटायर्ड मेजर जनरल कमरे में बन्द हो चुका था और वह चल फिर नहीं सकता था किसी को आवाज नहीं दे सकता था यहां  3 माह बाद जब बेटे वापस आए और ताला तोड़कर कमरा खोला गया तो लाश की हालत वह हो चुकी थी जो तस्वीर में दिखाई दे रही है| मोहतरम खवातीन हजरात इबरत का मकाम यह है कि यह वाक्या हमे बता रहा है

किस तरह अपनी औलाद के लिए हलाल हो हराम की परवाह किए बगैर उनका मुस्तकबिल संभालने की के लिए तन मन धन खपाते हैं और ज्यादा से ज्यादा दौलत जायदादें बनाकर उनका मुस्तकबिल महबूब करने संवारने  की कोशिश करते हैं और सोचते  हैं, कि यह औलाद कल बुढ़ापे में मेरी खिदमत करेगी आला तरीन  स्कूलों में दुनियावी तालीम दिलवाते हैं और दीन ए इस्लाम की तालीम दिलवाने को तोहीन समझते हैं जिसमें सिखाया जाता है कि वालिदैन की खिदमत में अजमत है, हर इंसान जो बौता है उसी का ही फल पाता है हमें भी सोचना  समझने की अशद जरूरत है| कि हम अपनी औलाद को क्या सहि तालीम दिलवा रहे हैं । हमारा हाल भी ऐसा तो नहीं होने वाला|सोचिए जरूर जजाक अल्लाह खैर| नोट: यह एक हकिकी  वाकीए की तस्वीर है।

@Multani Samaj News

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