जनाजे की नमाज़ की नीयत- नमाज़ ए जनाजा, फर्ज़ ए किफाया, मैं 4 तक़बीरों के, दुआ वास्ते इस मय्यत के, रुख मेरा क़िब्ले की तरफ, पीछे पेश इमाम के, अल्लाहू अकबर । तंबीह- किसी मय्यत की तदफीन के लिए मय्यत वालों के घर जाकर किसी के भी साथ हंसी-मजाक और फ़ालतू की बात बकवास नहीं करनी चाहिए । अपनी चौधराहट और साहूकारियत नहीं दिखानी चाहिए । मय्यत जनाजे को कब्रिस्तान ले जाते वक्त मय्यत जनाजे से पीछे रहकर ही चलना चाहिये । मय्यत को कंधों पर रखकर और बारी-बारी से कंधा बदलकर चलना चाहिए, दुनियां दारी की, कारोबार की या रिश्तेदारी की किसी भी तरह की बातें करते हुए नहीं चलना चाहिये । मय्यत जनाजे के पीछे बीड़ी-सिगरेट पीते हुए, पान तंबाकू, गुटखा वगैरा खाते हुए नहीं चलना चाहिए । मय्यत जनाजे के पीछे फोन पर बात करते हुए नहीं चलना चाहिये । मय्यत जनाजे के पीछे हाथ मेन हाथ डालकर नहीं चलना चाहिए, बिना मजबूरी के किसी के किसी के कंधे पर हाथ रखकर नहीं चलना चाहिये । बेहतर ये है कि ग़मगीन शक्ल में थोड़ी बुलंद आवाज में अव्वल कलिमा ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर रसूल अल्लाह, सलल्लाहू अलैईहि वसल्लम पढ़ते हुए चलना चाहिये । मय्यत की कब्र को मिट्टी देने के बाद मय्यत के हक़ में उस कब्रिस्तान में पहले से दफन तमाम मुर्दों के हक़ में, दुनियां से उठ चुकी तमाम रूहों के हक़ में दुआ करके ही कब्रिस्तान से बाहर निकलना चाहिये । उस दिन मय्यत के घर कुछ भी खाने से परहेज़ करें । अल्लाह मुझे भी और आप हजरात को भी इन बातों को समझने व अमल में लाने की तौफीक़ अता फरमाएं । आमीन सुम्मा आमीन ।।
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