
यह न्यूज़ चैनल समर्पित है पैदाइशी इंजीनियर लोहार बढ़ई ( मुल्तानी समाज) को , इस बिरादरी ने राजा महाराजाओं को युद्ध में लड़ने के लिए अस्त्र शस्त्र से लेकर देश के किसानों को खेती करने के लिए आधुनिक यंत्र बनाकर इस देश को सोने की चिड़िया बनाने में मुल्तानी समाज की अहम भूमिका रही है लेकिन मुल्तानी समाज की हर सरकार ने अनदेखी ही की है सरकारों को मुल्तानी समाज का देशभक्त चेहरा दिखा कर इस चैनल के माध्यम से समाज की मुख्यधारा में शामिल कराना ही हमारा अहम मकसद है।
Saturday, March 29, 2025
शामली जिले से बिरादरी के लिए बेहद ग़मगीन ख़बर
Wednesday, March 26, 2025
महबूब साहब ने भी इस फ़ानी दुनियां को हमेशा हमेशा के लिए कहा अलविदा, बिरादरी में गम का माहौल
Tuesday, March 25, 2025
इत्तिला तारीख-ए-निकाह
Monday, March 24, 2025
कस्बा तितरो से भी बिरादरी के लिए बेहद ग़मगीन ख़बर
आज बरोज मंगल बा तारीख़ 25 मार्च 2025 को सुबह 10 बजे की जाएगी सुपुर्दे खाक इंशाअल्लाह, लिहाजा आपसे भी इल्तिज़ा है कि जनाजे में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें, अल्लाह मरहूमा को जन्नत -उल -फ़िरदोश में आला से आला मकाम अता फरमाएं और घर वालों को सब्र ए जमील अता फरमाए, आमीन
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दादा की मौत के तीसरे दिन ही जवान पौते की मौत की खबर से दहला बड़ौत, घर में मचा कोहराम, डेड बॉडी के आज घर आने की उम्मीद
Sunday, March 23, 2025
देहरादून से भी बिरादरी के लिए बेहद गमगीन खबर
सोनीपत से बिरादरी के लिए बेहद ग़मगीन ख़बर
बड़ौत से बिरादरी के लिए बेहद गमगीन खबर
Wednesday, March 19, 2025
★ 18 रमज़ान उल मुबारक यौमे विसाल सैफुल्लाह हज़रत खालिद बिन वलीद ★
“ हज़रत खालिद बिन वलीद रज़ि0 इस्लाम की पहली आर्मी के अज़ीम सिपहसालार रहे हैं उस ज़माने की दो सुपर पावर बाज़नतिनी एम्पायर ( क़ैसर हरक्युलिस ) और शहंशाहे फारस ( क़िसरा उर्दशेर ) की अज़ीम फौजों को जिन्होंने धूल चटाई और दोनों महान साम्राज्य के परखच्चे उड़ा दिए।
“ इस बहादुरी और शुजाअत का ज़हूर पहली बार जंगे मौता में हुआ था, जंगे मौता शामे अरब ( सीरिया ) इलाके में आबाद कबीला गुस्सान से हुई थी, कबीला गुस्सान के सरदार ने रसूल अल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दावती खत पंहुचाने वाले सफीर का कत्ल कर दिया था, सफीर का कत्ल इन्सानियत के खिलाफ बहुत बड़ा जुर्म माना जाता है और जंग का ऐलान समझा जाता है।
“ कबीला गुस्सान एक ईसाई कबीला था और रोमन क़ैसर हरक्युलिस का बाज़ गुज़ार था जैसे आज चीन और नार्थ कोरिया, जंगे मौता में ईसाइ फौज की तादाद तीन लाख थी और मुसलमानों की तादाद सिर्फ तीन हज़ार, इस जंग में मुसलमानों के एक के बाद एक लगातार तीन सिपहसालार शहीद हुए थे जो पहले ही हुज़ूर अलै0 ने तय कर दिए थे, एक तरह से हुजूर अलै0 ने तीनो सिपहसालार को शहादत की पेशगी खुशखबरी सुना दी थी।
“ बहरहाल जब तीनों सिपहसालार शहीद हो गए तो हज़रत खालिद बिन वलीद ने खुद आगे बढ़कर फौज की कमान संभाल ली, इस जंग में इस्लामी फौज का ज़िन्दा बचकर आ जाना ही बहुत बड़ी फतह थी हालांकि जंगे मौता में फतह नहीं हुई थी मगर शिकस्त भी नहीं हुई थी, हज़रत खालिद बिन वलीद रज़ि0 ने बड़ी होशियारी से मैदाने ज़ंग से इस्लामी फौज को बाहर निकाला था, इस जंग में बारह मुस्लिम फौजी शहीद हुए और ईसाई मरने वाले फौजी कई हज़ार थे, इसी बहादुरी और शुजाअत को खिराजे तहसीन पेश करते हुए रसूल अल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत खालिद बिन वलीद रज़ि0 को "सैफुल्लाह" का खिताब अता फरमाया था।
“ आजकल जिसे सर्जिकल स्ट्राइक कहा जाता है उसके ईजादकर्ता हज़रत खालिद बिन वलीद ही थे यह उनका खास तरीकाए जंग था जिसे उस ज़माने में शबखून कहा जाता था, हजरत खालिद बिन वलीद ने 500 घुडसवारो की एक टुकडी बनाई थी जिसका काम ही यही होता था कि हमला करो और पिछे हट जाओ, फिर हमला करो और हट जाओ, इस तरह खालिद बिन वलीद दुश्मन की आधी ताक़त बरबाद कर दिया करते थे, इसी तरीकेकार की बदौलत खालिद बिन वलीद ने उस वक्त की सुपर पावर रोम और फारस को फतेह किया और इस्लाम का पलचम लहराया।
“ बाद में मिल्लते इस्लामिया की सभी फौजों में यह घुड़सवार रिसाला अहम शोबे की हैसियत से मौजूद रहा, बाद के बहुत से इस्लामी सिपहसालारों ने हज़रत खालिद बिन वलीद के नक्शेकदम पर चलते हुए तारीख में सुनहरे पन्ने दर्ज कराये, हज़रत सलाहुद्दीन अय्यूबी रह0 मूसा बिन नसीर रह0 तारिक़ बिन ज़ियाद रह0 और मुहम्मद बिन क़सिम रह0 इस फेहरिस्त के नायाब नगीने रहे हैं।
“ नेपोलियन बोनापार्ट के मुताबिक खुद वह भी हज़रत खालिद बिन वलीद रज़ि0 के "फन्ने हरब व जरब" और उनके जंगी स्टाईल को स्टडी किया करता था और उन्हीं की तर्ज़ पर अपनी आर्मी को ट्रेनिंग दिलाया करता था।
“ अपने आखिरी वक्त मे हज़रत खालिद अपने साथी को बुला कर कहा बताओ मेरे जिस्म का कौन सा हिस्सा ऐसा है जहाँ ज़ख्म नहीं फिर मुझे शहादत क्यूँ नहीं मिली..?
“ साथी ने जवाब दिया आपको अल्लाह के रसूल् ने सैफुल्लाह कहा यानी अल्लाह की तलवार कहा है, भला अल्लाह की तलवार कैसे टूट सकती है।
“ अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फारूक रज़ि के दौरे खिलाफत मे अरब के लोगों को मय्यत पर रोने की इजाज़त नहीं थी जब खालिद बिन वलीद दुनिया से रुखसत हुए तो हज़रत उमर फारूक ने कहा आज इजाज़त है अरब के लोगो को रोने की, आज किसी को नहीं रोका जाएगा।
★ हज़रत खालिद बिन वलीद का पैगाम.. उम्मत ए मुसलिमा के नाम ★
“ मौत लिखी न हो तो मौत खुद ज़िंदगी की हिफाज़त करती है जब मौत मुकद्दर हो तो जिन्दगी दौड़ती हुई मौत से लिपट जाती है, ज़िंदगी से ज़्यादा कोई जी नही सकता और मौत से पहले कोई मर नही सकता, दुनिया के बुज़दिलो को मेरा ये पैगाम पहुंचा दो कि अगर मैदाने जिहाद मे मौत होती तो इस तरह खालिद बिन वलीद को बिस्तर पर मौत न आती।
“ एक बार रोमन सिपहसालार ने हज़रत खालिद से पूछा कि आखिर आप इतनी कलील तादाद में होकर भी हमेशा फतहयाब कैसे रहते हैं » » हज़रत खालिद बिन वलीद ने जवाब दिया.. जितनी तुम्हें ज़िन्दगी से मुहब्बत है उससे कहीं ज़्यादा हमें शहादत अज़ीज़ है।
“ शहादत है मकसूद मतलूब ए मोमिन »» ना माले ग़नीमत ना किशवर कुशाही “
Sunday, March 16, 2025
🔺 *इत्तेला-ए-इन्तेक़ाल*🔺
बड़े ही रंजोगम के साथ इत्तेला दी जाती है कि शास्त्री नगर भीलवाड़ा , राजस्थान में मरहूम हाजी अब्दुल रशीद लजवान साहब के साहेबजादे मोहम्मद फारूक लजवान का कल बा तारीख़ 16 मार्च 2025 बरोज इतवार को इंतकाल हो गया है, इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिउन।"जिनका दफ़न आज बा तारीख़ 17 मार्च सुबह 11:30 बजे सुफियान कब्रिस्तान मे रखा गया है इंशाअल्लाह, लिहाजा जनाजे में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें
अल्लाह रब्बुल इज्जत मरहूम की मगफिरत फरमाऐ उन्हें जन्नतूल फिरदोस में आला मकाम अता फरमाए..... आमीन
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इत्तेला-ए-इन्तेक़ाल
*अल्लाह रब्बुल इज्जत मरहूम की मगफिरत फरमाऐ उन्हें जन्नतूल फिरदोस में आला मकाम अता फरमाएं आमीन*
*नोट 🚫 मय्यत के सिलसिले में ज्यादा मालूमात के लिये मुल्तानी समाज चैरिटेबल ट्रस्ट के कोटा, राजस्थान चेयरमैन अब्दुल रसीद साहब के मोबाइल नंबर-*
*9887611783 पर कॉल कर सकते है।*
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