Monday, June 30, 2025

खबर-ए-इंतकाल, रुड़की की अजीम शख्सियत जनाब महबूब साहब का इंतकाल

रुड़की | 01 जुलाई 2025 | मंगलवार

"إنا لله وإنا إليه راجعون"
(हम सब अल्लाह के हैं और उसी की तरफ लौटकर जाना है)

बड़े ही दुख और अफसोस के साथ ये इत्तिला दी जा रही है कि रुड़की की एक नुमायां शख्सियत, बिरादरी के खिदमतगुज़ार, जनाब महबूब साहब का आज सुबह 01 जुलाई 2025 (मंगलवार) को छह बजे इंतकाल हो गया।

जनाब महबूब साहब ना सिर्फ एक बड़े जिम्मेदार इंसान थे, बल्कि एक ऐसे शख्स थे जो हर मौके पर बिरादरी के साथ खड़े नज़र आते। उन्होंने ताउम्र बिरादरी की बेहतरी के लिए काम किया — चाहे वो बिरादरी के नौजवानों की रहनुमाई हो, या मस्जिद-मदरसों के काम, या फिर किसी का घरेलू मामला – महबूब साहब हर मोर्चे पर मौजूद मिलते थे।

उनकी शख्सियत में सादगी, ईमानदारी और इंसानियत की चमक थी, जो हर दिल को छूती थी। ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं, जो खुदा की मखलूक़ के लिए अपना वक्त, मेहनत और माल खर्च करें — महबूब साहब उन्हीं चंद लोगों में से एक थे।


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🕌 दुआ और ताज़ियत

हम दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला उन्हें मगफिरत फरमाए,
उनकी कब्र को जन्नत के बागों में से एक बाग बना दे,
उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मुकाम अता फरमाए,
और उनके तमाम अहल-ए-खानदान को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।


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🕋 दफन की जानकारी:

बाद नमाज़ असर किए जाएंगे सुपुर्दे खाक, लिहाजा आप भी जनाजे में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें 


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🤲 आखिरी अल्फ़ाज़

जनाब महबूब साहब के जाने से जो खालीपन पैदा हुआ है, वह लंबे अरसे तक महसूस किया जाता रहेगा।
उनकी यादें, उनकी खिदमात, और उनका सलीका हमेशा बिरादरी के लिए राहनुमा बना रहेगा।

"बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई,
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया..."


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पेशकश: सादिक मिर्ज़ा 
मुल्तानी समाज – राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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(दिल्ली से प्रकाशित – आपके दिल से जुड़ी)

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