"إنا لله وإنا إليه راجعون"
(हम सब अल्लाह के हैं और उसी की तरफ लौटकर जाना है)
उनकी शख्सियत में सादगी, ईमानदारी और इंसानियत की चमक थी, जो हर दिल को छूती थी। ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं, जो खुदा की मखलूक़ के लिए अपना वक्त, मेहनत और माल खर्च करें — महबूब साहब उन्हीं चंद लोगों में से एक थे।
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🕌 दुआ और ताज़ियत
हम दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला उन्हें मगफिरत फरमाए,
उनकी कब्र को जन्नत के बागों में से एक बाग बना दे,
उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मुकाम अता फरमाए,
और उनके तमाम अहल-ए-खानदान को सब्र-ए-जमील अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।
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🕋 दफन की जानकारी:
बाद नमाज़ असर किए जाएंगे सुपुर्दे खाक, लिहाजा आप भी जनाजे में शरीक होकर सवाबे दारेन हासिल करें
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🤲 आखिरी अल्फ़ाज़
जनाब महबूब साहब के जाने से जो खालीपन पैदा हुआ है, वह लंबे अरसे तक महसूस किया जाता रहेगा।
उनकी यादें, उनकी खिदमात, और उनका सलीका हमेशा बिरादरी के लिए राहनुमा बना रहेगा।
"बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई,
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया..."
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(दिल्ली से प्रकाशित – आपके दिल से जुड़ी)
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