Friday, June 6, 2025

आज 07 जून बरोज़ शनिचर हम सब बाख़ुशी "इदुज़्ज़ुहा" का मुबारक़ त्यौहार मना रहे है : हम सबको इसका बड़ा नुक़सान उठाना पड़ता है।

इस्लाहे मुआशरा
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अस्सलामु अलैयक़ुम,
आम तौर पर यह देखा गया है कि हम जिस जज़्बे और पाकीज़गी से अल्लाह की राह में क़ुरबानी पेश करते हैं उस पाकीज़गी को इदुज़्ज़ुहा और उसके बाद के दो-तीन दिनों में क़ायम नहीं रख पाते हैं। हम में से बहुत से लोग क़ुरबानी के जानवर की गंदगी (रा-मटेरियल) थैलियों में भर कर कॉलोनी/बस्ती में  खाली प्लाटों और सड़कों के किनारे फेंक देते हैं जिन्हें कुत्ते और बदजानवर अगले कई दिनों तक सड़कों पर नोचते-खींचते रहते हैं। इस वज़ह से बस्तियों में बदबू फ़ैली रहती है और संक्रामक बीमारियों का ख़तरा बहुत बढ़ जाता है। इसका सबसे ज़्यादा ख़ामियाज़ा हमारे मासूम बच्चों,बीमारों और बुज़ुर्गों को उठाना पड़ता है। कई बार बारिश और ड्रेनेज के पानी के साथ मिलकर यह सारा मंज़र दोज़ख का अहसास कराता है। हमारे घरों और बस्तियों में इदुज़्ज़ुहा पर मुबारक़बाद देने आनेवाले ग़ैर मुस्लिम भाई चन्द लोगों की इस लापरवाही और बेवक़ूफ़ी की वज़ह से मुस्लिम बस्तियों और क़ौम के मुताल्लिक़ ग़लत सोच बना कर जाते हैं। हम सबको इसका बड़ा नुक़सान उठाना पड़ता है। सभी मुस्लिम भाइयों से गुजारिश है कि वो क़ुरबानी के बाद बचा हुआ रा-मटेरियल इस हेतु चलाई जाने वाली गाड़ियों में ही डालें। याद रखें कि क़ुरबानी के लिए जिस जानवर को हमने मोहब्बतों से पाला और अल्लाह की राह में क़ुर्बान किया उसकी बेहुरमती अल्लाह को हरगिज़ पसन्द नहीं होगी। मेरा शुरू से यह मानना रहा है कि मआशरे में कोई भी बदलाव बिना हमारे पेश ईमाम साहेबान और मौलवी साहेबान की रहबरी के बहुत मुश्क़िल है।मस्ज़िदों के सदर/पेश ईमाम और मौलवी साहेबान से गुज़ारिश है कि 06 जून को ज़ुमे की तक़रीर/बयान के दौरान  क़ुरबानी की रवायतों/बरक़तों के साथ-साथ क़ौम को क़ुरबानी के बाद बस्तियों और कॉलोनी में सफ़ाई बाबत ताक़ीद करें और समझाईश दें। उन्हें याद दिलाएँ की हमारे नबी का क़ौल है कि पाकीज़गी आधा ईमान है। ग़ैर क़ौमें हमारे अमल को बारीक़ी से देखती हैं और इस्लाम के बारे में अपनी राय क़ायम करती हैं। सबसे आख़िर में अपने भाइयों से कहना चाहूँगा की हम सफ़ाई के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार बन कर अपना फर्ज़ निभाएं ,आप सभी को ईदुज्जुहा की पेशगी मुबारक़बाद। दीनदार बनिए- मालदार बनिए

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