आज के समय में विभिन्न जाति और बिरादरी की महासभाएं अपने समाज को मजबूत करने और उनकी तरक्की के लिए काम कर रही हैं। जाट महासभा, गुर्जर महासभा, ठाकुर महासभा, ब्राह्मण महासभा आदि सभी अपने समाज की तरक्की के लिए प्रयासरत हैं। इसके अलावा, सीनियर सिटीजन महासभा भी है, जिसमें विभिन्न समाज के रिटायर्ड आयु के लोग संगठित होकर अपने जाति धर्म को आगे बढ़ाने पर काम करते हैं।
*ग़ैर मुस्लिम कौमों की तरक्की*
इन महासभाओं के प्रयासों से ग़ैर मुस्लिम कौमों में एक मजबूत चैन दिखाई देती है। उनके पास कंप्यूटर सिस्टम और कंप्यूटर ऑपरेटर की सुविधाएं हैं, जो उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करती हैं। इससे वे अपने समाज की तरक्की के लिए योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
*मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी की स्थिति*
अब सवाल यह है कि मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी क्या कर रही है? उनकी अंजुमन में ताला लगा है, और बिरादरी को शायद इसका कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। अंजुमन खंडहर हो रही है, लेकिन बिरादरी को इसकी चिंता नहीं है। अंजुमन में लूट और झूठ कायम है, लेकिन बिरादरी को इसकी परवाह नहीं है। अंजुमन में बिरादरी की तरक्की की कोई बात नहीं हो रही है, और बिरादरी के लोग एक दूसरे की तरफ देख रहे हैं, लेकिन कोई भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा है।
*आगे का रास्ता*
अब समय आ गया है कि मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी के लोग अपनी अंजुमन को मजबूत करने और बिरादरी की तरक्की के लिए काम करने का संकल्प लें। उन्हें अपनी अंजुमन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी, और बिरादरी के लोगों को संगठित होकर काम करना होगा। तभी वे अपने समाज की तरक्की के लिए काम कर सकते हैं और अपने बिरादरी के लोगों के लिए बेहतर भविष्य बना सकते हैं।
*निष्कर्ष*
मुस्लिम मुल्तानी लोहार बढ़ई बिरादरी को अपनी अंजुमन को मजबूत करने और बिरादरी की तरक्की के लिए काम करने की आवश्यकता है। उन्हें अपनी अंजुमन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी और बिरादरी के लोगों को संगठित होकर काम करना होगा। तभी वे अपने समाज की तरक्की के लिए काम कर सकते हैं और अपने बिरादरी के लोगों के लिए बेहतर भविष्य बना सकते हैं। अलीहसन मुल्तानी द्वारा बिरादरी की खिदमत में पेश खास लेख
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