Friday, May 22, 2020

लोक डाउन में ईद की नमाज़ पढ़ने का आसान तरीका

दारुल उलूम देवबंद के फ़तवे के मुताबिक़ लोक डाउन में घर में भी ईद की नमाज़ कर सकते हें लेकिन उसमें इस बात का ध्यान रखें के घर में हर किसी को आने की इजाज़त हो और दरवाज़े खुले रखे जयें,
ईद की नमाज़ में ओरतें भी शामिल हो सकती हें,
ईद की नमाज़ का वक़्त इशराक़ के वक़्त से शुरू हो जाता है ओर ज़वाल तक रहता है।
ईद की नमाज़ के सही होने के लिए कम से कम 4 मर्दों का होना ज़रूरी जिन में से एक इमाम होगा,
ईद की नमाज़ में 6 तकबीरें ज़्यादा होती है।
ईद की नमाज़ में अज़ान और तकबीर ( इक़ामत) नहीं है।
ईद की नमाज़ में क़िरत ज़ोर से होती है।
ईद की नमाज़ की नियत इस तरह होगी 
बस दिल में ये हो के मैं ईद की नमाज़ पढ़ रहा हूँ, इस इमाम के पीछे, ज़बान से नियत के अल्फ़ाज़ कहना ज़रूरी नही, इसी तरह इमाम के दिल में बस ये हो के मैं अपने मुक्तदियों को ईद की नमाज़ पढ़ा रहा हूँ,
नियत करने के बाद अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बांध लें, सना पढ़ें उसके बाद कानों तक हाथ उठाते हुए अल्लाहु अकबर कहें ओर हाथ सीधे छोड़ दें, फिर दोबारा कानो तक उठाते हुए अल्लाहु अकबर कहें और हाथ सीधे छोड़ दें, फिर तीसरी बार हाथ कानों तक उठाते हुए अल्लाहु अकबर कहें और हाथ नाफ के नीचे बांध लें जेसे आम नमाज़ों में बांधते हें, 
फिर अलहमदु पढ़ें उसके बद कोई सुरत मिलाएँ ओर अपनी रकआत पूरी करें,
दूसरी रक आत में सूराह फ़ातिहा और कोई सुरत 
पढ़ने के बाद रुकु में जाने से पहले अल्लाहु अकबर कह कर कानो तक हाथ उठाएँ ओर नीचे को सीधे छोड़ दें इसी तरह तीन बार करें, चोथी बार में बग़ेर कानो तक हाथ उठाए अल्लाहु अकबर कह कर रुकु में चले जयें ओर अपनी नमाज़ पुरी करें,
सलाम फेरने के बाद क़िबले की तरफ़ को मुँह कर के ही दुआ माँगें, दुआ के बाद इमाम दो खुतबे पढ़े जुमे की तरह, यानी दोनो खुतबों के बीच में बेठे जेसे जुमे में बेठते हें, 
खुतबा मोबाइल या किताब में देख कर भी कढ़ सकते हें,
खुतबे के बाद बस कुछ नही करना ईद की नमाज़ हो गयी, 
ईद की नमाज़ के बाद गले मिलना मुसाफह करना बिदत हे इस से बचें, अगर कोई शख़्स काफ़ी दिन में मिला हे तो उस से मुसाफह करने में कोई हरज नही लेकिन जेसा के लोगों में ये रिवाज हे के साथ खड़े हो कर नमाज़ भी पढ़ रहे हें फिर नमाज़ के बाद गले मिल रहे हें इस तरह बिदत है।
जो लोग घर पर ईद की जमात ना कर सकें वो लोग 4 रकात एक ही सलाम से चाशत की नियत से तनहा तनहा अपने घरों में पढ़ लें इंश अल्लाह उनको ईद का सवाब मिलेगा, ओर मजबूरी में ईद की नमाज़ छूटने से रंजीदह ना हों,

ईद की नमाज़ का खुतबा 

पहला ख़ुत्बा 

*الله اكبر الله اكبر لا الٰه الا الله والله اكبر الله اكبر ولله الحمد الحمد لله رب العالمین والصلاة والسلامُ علی سیِّالانبیاءِ والمرسلین ،أما بعد فيا مَعشر َالإخوانِ قال نبيُّنا صلى الله عليه وسلم. إنَّ لكلِّ قوم عيداً وهذا عيدُنا ،فاشكرُوا اللهَ تعالى فيه بأداءِ صدقةِ الفطرِ فإنها واجبةٌ على مالك نصابٍ عن نفسهٖ وعن طِفلهٖ الصغيرِ نصفَ صاعٍ من حِنطَةٍ وصاعاً من تمرٍ أو شعيرٍ. واستُحِبَّ لكم أن اغتَسِلوا واستاكوا وتَطيَّبُوا والبَسوا احسنَ ثِيابِكم باركَ الله لنا ولكم فى القرآن العظيم ونفعنا وإياكم بالآيات والذكر الحكيم*
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दूसरा खुतबा 

*اَللّٰهُ اَکْبَرْ، اَللّٰهُ اَکْبَرْ، اَللّٰهُ اَکْبَرْ، اَللّٰهُ اَکْبَرْ، اَللّٰهُ اَکْبَرْ،  اَللّٰهُ اَکْبَرْ، اَللّٰهُ اَکْبَرْ ۞ اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ نَحْمَدُهٗ وَنَسْتَعِیْنُهٗ وَنَسْتَغْفِرُهٗ وَنُؤْمِنُ بِهٖ وَنَتَوَکَّلُ عَلَیْهِ، وَنَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنْ شُرُوْرِ اَنْفُسِنَا وَمِنْ سَیِّئَات اَعْمَالِنَا، مَن یَّهْدِهِ اللّٰهُ فَلَا مُضِلَّ لَهٗ وَمَنْ یُّضْلِلْهُ فَلَا هَادِیَ لَهٗ ۞ وَاَشْهَدُ اَنْ لَّا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهٗ  لَا شَرِیْکَ لَهٗ ۞ وَاَشْهَدُ اَنَّ سَیِّدَنَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدًا عَبْدُهٗ وَرَسُوْلُهٗ۞*  
*اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيْم ۞ بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْمِ ۞ اِنَّ اللّٰهَ وَمَلٰئِكَتَهٗ يُصَلُّوْنَ عَلَى النَّبِیِّ، یٰۤاَیُّہَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا صَلُّوْا عَلَيْهِ وَسَلِّمُوْا تَسْلِيْمًا ۞ اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰی سَیِّدِنَا وَمَوْلَانَا مُحَمَّدٍ عَبْدِکَ وَرَسُوْلِکَ، وَصَلِّ عَلَی الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنَاتِ وَالْمُسْلِمِیْنَ وَالْمُسْلِمَاتِ، ۞*

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