Sunday, August 23, 2020

मशहूर समाजसेवी हाजी ज़रीफुद्दीन साहब भी दुनिया को अलविदा कह गए बिरादरी ने आज एक और हीरा खो दिया

बे-इंतहा ग़म के साथ लिखना पड़ रहा है कि जिला मुजफ्फरनगर क़स्बा जानसठ ( कोतवाली के पास ) रहने वाले मशहूर समाजसेवी ज़नाब ज़रीफुद्दीन साहब उम्र लगभग 70 साल का आज ब-तारीख़ 23 अगस्त 2020 को लगभग 1.30 बजे दोपहर में इंतेकाल हो गया है। मूल रूप से मेरठ जिले के क़स्बा फलावदा निवासी हाजी ज़रीफुद्दीन साहब लगभग 40 साल पहले जानसठ आकर बस गए थे। ज़नाब ज़रीफुद्दीन साहब ने अपनी ज़िंदगी में लगभग 6 मर्तबा हज सफ़र किया था। बताया जाता है । कि 4-5 दिन पहले अचानक तबियत खराब होने पर इनको फरीदाबाद एशियन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हॉस्पिटल में ही ईलाज के दौरान इनका इंतेकाल हो गया। मरहूम अपने पीछे अपनी अहलिया / बीवी रफीकन ( मायका सरधना ) सहित 4 बेटे ( औलाद के नाम )

 मिर्ज़ा वसीउद्दीन ( फरीदाबाद ) मिर्ज़ा मिसबाहुद्दीन ( ग़ाज़ियाबाद ) व मिर्ज़ा फसीहुद्दीन, मिर्ज़ा फखरुद्दीन ( जानसठ ) और 2 बेटियां महजबी ( (सहारनपुर ) जोहरा जबी ( मेरठ ) सहित 4 भाई मिर्ज़ा फहीमुद्दीन (खतौली ) मिर्ज़ा हसीमुद्दीन ( हमदम ) फलावदा , मिर्ज़ा नसीमुद्दीन-फिरौज़ा बिल्डिंग हापुड़, मिर्ज़ा शरीफुद्दीन फलावदा व रिश्तेदारों को बिलखता छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिये इस दुनिया से विदा हो गए । जैसे ही इनके इंतेक़ाल की खबर चाहने वालो को मिली इनके घर की और दौड़ पड़े । बिरादरी सहित सभी समाज के चहेते रहे ज़नाब मिर्ज़ा ज़रीफुद्दीन साहब को आसानी से भुला पाना हर किसी के लिये बहुत ही मुश्किल होगा , क्योकि अपने मुल्क, कौम और दीन के लिये ना-क़ाबिल-ए-फरामोश काम किये । इनको मग़रिब के वक़्त सुपुर्द-ए-खाक किया गया है। लॉक डाउन के नियमों का पूर्ण पालन करते हुए इनके जनाज़े में चुनिंदा लोग ही शरीक हो सके । अल्लाह इनके चाहने वालो और परिजनों को सब्र अता फरमाये । मरहूम की मगफिरत फरमाये और ज़न्नत-उल-फिरदौस में आला मकाम अता फरमाये। आमीन

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  1. बे-इंतहा ग़म के साथ लिखना पड़ रहा है ज़िला मुज़फ्फरनगर क़स्बा-जानसठ (कोतवाली के नज़दीक) के रहने वाले मशहूर समाज-सेवी जनाब ज़रीफुद्दीन साहब उम्र लगभग 70 वर्ष का आज बतारीख़ 23 अगस्त 2020 को लगभग 1.30 बजे दोपहर में इंतेकाल हो गया है। मूल रूप से मेरठ ज़िले के क़स्बा फलावदा निवासी हाजी ज़रीफुद्दीन साहब लगभग 40 साल पहले जानसठ आकर बस गए थे। जनाब ज़रीफुद्दीन साहब ने अपनी ज़िंदगी में लगभग 6 मर्तबा हज सफर किया था । बताया जाता है कि 4-5 दिन पहले अचानक तबियत ख़राब होने पर इनको फरीदाबाद एशियन-हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। हॉस्पिटल में ही इनका आज इलाज के दौरान इंतेक़ाल हो गया। मरहू अपने पीछे अपनी अहलिया/बीवी-रफीक़न ( मायका सरधना ) सहित 4 बेटे (औलाद के नाम - मिर्ज़ा वसीउद्दीन(फरीदाबाद),मिर्ज़ा मिसबाहुद्दीन(ग़ाज़ियाबाद), मिर्ज़ा फ़सीहुद्दीन-जानसठ, मिर्ज़ा फ़ख़रुद्दीन जानसठ और 2 बेटियां-महजबीं(सहारनपुर),ज़ोहरा जबीं(मेरठ)।
    सहित 4 भाई-(मिर्ज़ा फहीमुद्दीन-खतौली,मिर्जा हसीमुद्दीन'हमदम'-फलावदा, मिर्ज़ा नसीमुद्दीन-फ़िरौज़ा बिल्डिंग हापुड़, मिर्ज़ा शरीफ़ुद्दीन-फलावदा) व रिश्तेदारों को बिलखता छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हो गए। जैसे ही इनके इंतेकाल की ख़बर चाहने वालों को मिली इनके घर की और दौड़ पड़े । बिरादरी सहित सभी समाज के चहेते रहे जनाब मिर्ज़ा ज़रीफुद्दीन साहब को आसानी से भुला पाना हर किसी के लिये बहुत ही मुश्किल होगा, क्योंकि आपने मुल्क,कौम और दीन के लिये ना-क़ाबिल-ए-फ़रामोश काम किये। इनको मग़रिब के वक़्त सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। है। लॉक डाउन के नियमों का पूर्ण पालन करते हुए इनके जनाज़े में चुनिंदा लोग ही शरीक हो सके। अल्लाह इनके परिजनों को सब्र अ़ता फ़रमाए। मरह़ूम की मग़फ़िरत फरमाए और ज़न्नतुल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए। आमीन

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