बेहद अफ़सोसनाक ख़बर
विश्वास नहीं हो रहा। बेहद उम्दा और बेहतरीन शायर थे साहिल साहब। बरसों पहले इंदौर के
एक कार्यक्रम में पहली बार हमने एक दूसरे को सुना था।
मुझसे भावनात्मक स्नेह रखते थे।अनेकों बार शेरो-शायरी पर फ़ोन पर उनसे लंबी गुफ्तगू भी हुआ करती थी।उनके कई शेर महफिलों में कोट किये जाते रहे हैं।
कुछ प्रसिद्ध शेर-
उर्दू के चंद लफ़्ज़ हैं जब से ज़बान पर
तहज़ीब मेहरबाँ है मिरे ख़ानदान पर दिल की बस्ती में उजाला ही उजाला होता
काश तुम ने भी किसी दर्द को पाला होता
बुलंदियों पर पहुंचना कमाल नही
बुलंदियों पर ठहरना कमाल होता है
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