Sunday, August 30, 2020

कर्बला_का_ज़िक़्र_अपने_घरों_में_क्यो ? ताकि हमारे मरे हुवे ज़मीर जिंदा हो सके, ज़रूर पढ़े आपका ही भला होगा।


कर्बला महज एक जंग का मैदान ही नही था, यहां रिश्तों की भी बुनियाद अल्लाह रब्बुल इज्जत अपनी मख़लूक़ को सीखा रहा था।

सोचिये आज हमारे घरों में रिश्ते जिस तरह से खोखले होते जा रहे है इसकी एक वजह ये भी है के हमे मौलवियों ने हमेशा ज़िक्रे अहलेबैत से दूर रखा है और इसका बहुत बढ़ा खामियाजा आज उम्मत को भुगतना पड़ रहा है।

कर्बला में क्या हुआ था ? इस सवाल के जवाब में हम जंग के हालात बयान कर देते है लेकिन आज के समाज को जो जरूरत है वो बयान नही किया जाता है।

असल मे कर्बला का बयान सिर्फ मस्जिदों महफ़िलो और मजलिसों की मोहताज हो गई है जबकि इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हमारे घरों में है, इसका जवाब नीचे देने जा रहा हु।

कर्बला में एक भतीजा अपने चाचा पर कुर्बान हो गया,

बेटे बाप पर कुरबान हो गए,

भांजे मामू पर अपनी जाने निछावर कर देते है,

सौतेले भाईयो ने अपनी गर्दन कटवा दी,

बहन ने भाई के लिए अपने बच्चे निछावर कर दिए बिना हिचकिचाते हुवे, 

बाप बेटो के लिए आँसू की बरसात कर देता है, 

छोटे छोटे मासूम अपने बड़ो के लिए जान दे देते है,

दोस्त अपने दोस्तों से पहले कुर्बान होने की गुज़ारिशे करते है,

इतनी शिद्दत की प्यास में चाचा अपनी भतीजी के लिए पानी लेने का खतरा उठाते है जबकि उनके खुद के मासूम प्यासे है, 

गुलाम अपने आकाओं के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे और उनके मालिक उनके जनाजे पर जार जार रोते है, 

माँ अपने बच्चो को अपने वक़्त के इमाम पे कुर्बान करने अपना फ़र्ज़ समझते है।

कर्बला हमे दर्स देती है के अगर ज़ालिम हुक़्मरान तुम्हारे सामने आ जाए तो अपना सर ज़ालिम के सामने ना झुकाओ भले ही अपनी नस्ले कुर्बान करना पढ़े।

मुनाफ़िक़ों को बेनकाब करने का नाम है कर्बला, 

रसुल्ल्लाह ﷺ और आले रसूल के कातिलों को बेनकाब करने का नाम है कर्बला, 

असली इस्लाम मर चुका था उसको हयात देने का नाम है कर्बला, झूठो को आइना दिखाने का नाम है कर्बला, 

जब भी इस्लाम पे मुसीबत आए खुद को अपने औलादों को कुर्बान करके इस्लाम को बचाने का नाम है कर्बला, 

दोस्तो ये है कर्बला जो आज के दौर में हमारे घरों में गूंजना चाहिए। आज इस मतलबी दुनिया मे सगे का सगा नही हो रहा है, अक्सीरियत घरों मे हिस्से बटवारे की लड़ाईयां हो रही, 

कोई किसी का नही सुन रहा है।

सोचिये हमारे इमाम हमे क्या देकर गए है ?

कर्बला यू तो सालभर हमारे घरों में सुनाई जाना चाहिए लेकिन कम से कम मुहर्रम में 10 दिनों तक इसका जिक्र हमारे पूरे परिवार ने बैठकर सुनना चाहिए, मुसलमानों अगर आज कर्बला हमारे ज़हनो से मिट गई तो समझ जाओ मुसलमान भी मिट गया।


लिखने में कोई गलती हुई तो माफ करे और इस पर गौर जरूर करे।


हुसैन सिर्फ एक नाम नहीं, हुसैन ज़िंदगी जीने का तरीका है...


🌹 اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ سَيِّدِنَا مُحَمَّد ﷺ 🌹

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